• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

पंजाब में राष्ट्रीय सुरक्षा को चुनावी मुद्दा बनाने तैयारी में कैप्टन और बीजेपी!

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 07 जनवरी, 2022 04:45 PM
  • 07 जनवरी, 2022 04:45 PM
offline
पहले लुधियाना ब्लास्ट और फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की सुरक्षा में सेंध के बाद पंजाब चुनाव (Punjab Election 2022) में बीजेपी राष्ट्रीय सुरक्षा को चुनाव मुद्दा बनाने की तैयारी में लगती है - कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt. Amrinder Singh) भी तो यही चाह रहे थे.

पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की सुरक्षा में सेंध का मामला राजनीतिक रंग ले चुका है. मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह सफाई पर सफाई देते जा रहे हैं - और बीजेपी आक्रामक हो गयी है. कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt. Amrinder Singh) तो शुरू से ही पंजाब में सुरक्षा का मुद्दा उठाते रहे हैं और लुधियाना ब्लास्ट के बाद अब ये दूसरी घटना है. क्या बीजेपी कैप्टन के साथ मिल कर पंजाब में राष्ट्रीय सुरक्षा को चुनावी मुद्दा बनाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं?

पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Election 2022) से पहले मामले की गंभीरता ऐसी है कि पुराना साथी अकाली दल भी बीजेपी के साथ खड़ा हो गया है. अकाली दल नेता सुखबीर बादल ने पंजाब में सुरक्षा के हालात खराब होने की वजह से राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है - और साथ में प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक के लिए पंजाब के पुलिस महानिदेशक को जिम्मेदार बताते हुए बर्खास्त किये जाने की भी मांग कर रहे हैं.

अकाली दल की गठबंधन सहयोगी बीएसपी नेता मायावती ने भी प्रधानमंत्री की सुरक्षा में सेंध को गंभीर बताते हुए कहा है कि इसे लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिये - जबकि कांग्रेस नेता सुनील जाखड़ ही मुख्यमंत्री चन्नी के खिलाफ बयान दे रहे हैं - नवजोत सिंह सिद्धू से पहले पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके सुनील जाखड़ ने कहा है, जो कुछ हुआ है वो अस्वीकार्य है और पंजाबियत के खिलाफ है.

वैसे यही एकमात्र मसला है जब सिद्धू मुख्यमंत्री चन्नी के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. एक रैली सिद्धू कहते हैं, 'पीएम साहब मैं पूछना चाहता हूं कि हमारे लोग दिल्ली में डेढ़ साल बैठे रहे... दिल्ली को लंगर खिलाते रहे... तब आपके किसी मीडिया ने कुछ नहीं बोला, लेकिन आपको 15 मिनट रुकना पड़ गया तो फिर आऊं-आऊं हो गई.'

हैरानी की बात ये भी है कि जब...

पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की सुरक्षा में सेंध का मामला राजनीतिक रंग ले चुका है. मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह सफाई पर सफाई देते जा रहे हैं - और बीजेपी आक्रामक हो गयी है. कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt. Amrinder Singh) तो शुरू से ही पंजाब में सुरक्षा का मुद्दा उठाते रहे हैं और लुधियाना ब्लास्ट के बाद अब ये दूसरी घटना है. क्या बीजेपी कैप्टन के साथ मिल कर पंजाब में राष्ट्रीय सुरक्षा को चुनावी मुद्दा बनाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं?

पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Election 2022) से पहले मामले की गंभीरता ऐसी है कि पुराना साथी अकाली दल भी बीजेपी के साथ खड़ा हो गया है. अकाली दल नेता सुखबीर बादल ने पंजाब में सुरक्षा के हालात खराब होने की वजह से राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है - और साथ में प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक के लिए पंजाब के पुलिस महानिदेशक को जिम्मेदार बताते हुए बर्खास्त किये जाने की भी मांग कर रहे हैं.

अकाली दल की गठबंधन सहयोगी बीएसपी नेता मायावती ने भी प्रधानमंत्री की सुरक्षा में सेंध को गंभीर बताते हुए कहा है कि इसे लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिये - जबकि कांग्रेस नेता सुनील जाखड़ ही मुख्यमंत्री चन्नी के खिलाफ बयान दे रहे हैं - नवजोत सिंह सिद्धू से पहले पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके सुनील जाखड़ ने कहा है, जो कुछ हुआ है वो अस्वीकार्य है और पंजाबियत के खिलाफ है.

वैसे यही एकमात्र मसला है जब सिद्धू मुख्यमंत्री चन्नी के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. एक रैली सिद्धू कहते हैं, 'पीएम साहब मैं पूछना चाहता हूं कि हमारे लोग दिल्ली में डेढ़ साल बैठे रहे... दिल्ली को लंगर खिलाते रहे... तब आपके किसी मीडिया ने कुछ नहीं बोला, लेकिन आपको 15 मिनट रुकना पड़ गया तो फिर आऊं-आऊं हो गई.'

हैरानी की बात ये भी है कि जब कृषि कानून वापस ले लिये गये, किसान अपने घर लौट गये - फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से किसानों को किस बात की नाराजगी बची है?

ये तो बहुत बड़ा लोचा लगता है

प्रधानमंत्री की सुरक्षा के चूक पर हो रही राजनीति के बीच बार बार किसानों की दुहाई दी जा रही है. नवजोत सिंह सिद्धू और चन्नी से लेकर किसान नेता राकेश टिकैत तक राजनीति में कूद पड़े हैं - आखिर अब किसानों को मोदी सरकार से किस बात की नाराजगी है?

किसानों का विरोध क्यों: किसान नेता राकेश टिकैत ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, 'रास्ते का प्रोग्राम नहीं था... वहां प्रोटेस्ट थे... न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य और मुआवजे को लेकर प्रदर्शन था. किसानों का रास्ता जाम करने का प्रोग्राम नहीं था लेकिन हो सकता है पीएम को आते देखकर ये निर्णय लिया गया. पंजाब सरकार को किसानों से बात करनी चाहिये थी... बात की जाती तो किसान हट जाते.'

बीजेपी और कैप्टन की राजनीति में कांग्रेस फंसने लगी है

कृषि कानूनों की वापसी और सरकार की तरफ से अपनी मांगों पर लिखित आश्वासन के बाद किसान घर लौट गये हैं. घर लौटते वक्त किसानों ने सरकार को महीने भर की मोहलत दी थी - लेकिन अभी उसमें वक्त है. तय वक्त के बाद किसान सरकार के वादों की समीक्षा करने वाले हैं और उसके बाद आंदोलन पर नये सिरे से विचार करेंगे.

किसानों का कहना था कि वे आंदोलन खत्म नहीं कर रहे हैं, बल्कि स्थगित कर रहे हैं - अब ऐसी स्थिति में किसानों के विरोध प्रदर्शन को कैसे समझा जा सकता है?

प्रधानमंत्री मोदी के विरोध का तो कोई मतलब नहीं समझ में आ रहा है. अगर किसानों की कोई शिकायत है तो वो स्थानीय स्तर पर हो सकती है - ये बात शक का दायरा तो बढ़ा ही रही है.

प्रदर्शन करने वाले तो कुछ और ही बता रहे हैं:

इंडियन एक्सप्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी के रास्ते में प्रदर्शन करने वाले किसानों से बात कर वस्तुस्थिति समझने की कोशिश की है. रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदर्शन करने वाले भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी के सदस्य थे - और वे प्रधानमंत्री की रैली में शामिल होने जा रहे बीजेपी कार्यकर्ताओं का विरोध कर रहे थे.

राकेश टिकैत के पास जो भी जानकारी हो, लेकिन यूनियन के स्टेट जनरल सेक्रेट्री बलदेव सिंह जीरा तो अलग ही बात बता रहे हैं. इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में जीरा का कहना है कि उनका ग्रुप फ्लाईओवर पर धरना दे रहा था - और ये भी स्वीकार किया है कि फिरोजपुर के एसएसपी ने कहा भी था कि वहां से प्रधानमंत्री का काफिला गुजरने वाला है, लेकिन किसानों को लगा कि ये पुलिस की चाल हो सकती है उनको वहां से खदेड़ने के लिए.

दरअसल, प्रदर्शन कर रहे किसानों को किसी ने बता दिया था कि प्रधानमंत्री रैली में पहुंच चुके हैं, पास से ही किसी के बनाये एक वीडियो से भी ये बात कंफर्म हुई है. जीरा ने इंडियन एक्स्प्रेस को बताया भी है, 'हम तो वहां बीजेपी वालों की गाड़ियां रोकने के लिए जमे थे. अगर हमे मालूम होता कि वास्तव में प्रधानमंत्री उस रास्ते से जाने वाले हैं तो हम ऐसा थोड़े ही करते - आखिरकार वो हमारे भी प्रधानमंत्री हैं.'

चन्नी की सफाई चालू है:

सूत्रों के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने बताया है कि पंजाब के प्रभारी डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय सरकार में वरिष्ठ लोगों के संपर्क में थे और प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए पुलिस बल के प्रयोग के पक्ष में भी थे, लेकिन उनको संयम बरतने की सलाह दी गयी.

हो सकता है 2015 की उस घटना के डर की वजह से ऐसा किया गया हो. तब बेअदबी के एक मामले में लोग बठिंडा रोड पर बहबल कलां में प्रदर्शन कर रहे थे और पुलिस फायरिंग में दो लोगों की मौत हो गयी - और उसके बाद खूब बवाल हुआ.

मुख्यमंत्री चन्नी की बातों से भी इसी बात की पुष्टि हो रही है. चन्नी का कहना है, 'किसान पिछले एक साल से शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे हैं - मैं किसानों पर लाठीचार्ज करने नहीं जा रहा हूं.'

पूरे मामले में कई पेंच हैं. एक एक कड़ी को जोड़ने पर भी चीजें सुलझ रही हों, ऐसा नहीं लगता. ये समझना भी मुश्किल हो रहा है कि सिर्फ कम्यूनिकेशन गैप ही है या कुछ और भी है. जो भी हो, लेकिन पंजाब में सत्ताधारी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी सबको ये मान लेना चाहिये कि सुरक्षा में चूक तो हुई ही है, राजनीतिक तौर पर ब्लंडर हो चुका है - और अब पंजाब में राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला चुनावी मुद्दा बनना तय है.

राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला बनेगा चुनावी मुद्दा

बेशक प्रधानमंत्री के साथ एसपीजी की सिक्योरिटी थी और अत्याधुनिक सुरक्षा इंतजामों के घेरे में थे, लेकिन जब मुद्दा राजनीतिक बन गया है तो चुनाव में रंग तो दिखाएगा ही. बीजेपी के पास कहने के लिए बहुत सारी बातें हैं जो चुनावों में जोर जोर से लोगों को बताया जाएगा.

वो काफी संवेदनशील इलाका है: जिस फ्लाईओवर पर प्रधानमंत्री मोदी का काफिला रुका रहा वहां से अंतर्राष्ट्रीय सीमा करीब 30 किलोमीटर ही दूर है. मतलब, 50 किलोमीटर से भी कम. मतलब, नयी व्यवस्था के तहत वो इलाका बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में आता है - और यही वजह है कि मुख्यमंत्री चन्नी समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि पंजाब पुलिस की कोई गलती नहीं है.

लेकिन मुख्यमंत्री चन्नी को ये नहीं भूलना चाहिये कि ये वही इलाका है जहां अक्‍सर टिफिन बम और दूसरी तरह के विस्फोटक पदार्थ मिलते रहे हैं - और ये लुधियाना कोर्ट ब्लास्ट से पहले की बात है.

फिरोजपुर और पास के जलालाबाद से चार टिफिन बरामद किये गये थे. 15 सितंबर, 2021 को वहां ब्लास्ट हुआ था और जांच से पता चला कि उसे टिफिन बम के जरिये ही अंजाम दिया गया था. विस्फोट एक बाइक पर हुआ था और एक शख्स की मौत भी हुई थी. एनआईए ने कई लोगों को गिरफ्तार भी किया था.

सोनिया भी समझ रही हैं मामले की गंभीरता: चन्नी भले कहें कि बात का बतंगड़ बनाया जा रहा है और अपनी पुलिस के बचाव में केंद्रीय एजेंसियों पर दोष मढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को स्थिति की गंभीरता समझ में आ चुकी है.

सोनिया गांधी ने मुख्यमंत्री चन्नी से बात की है और जो भी जिम्मेदार है उसके खिलाफ एक्शन लेने की हिदायत दी है - ये कहते हुए कि मोदी पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं, इसलिए सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिये और पूरे बंदोबस्त करने चाहिये.

ध्यान देने वाली बात है कि मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी मुलाकात की थी - और मुलाकात में पंजाब में सुरक्षा का मुद्दा ही उठाया था. ये बात खुद कैप्टन ने ही बतायी थी.

हाल ही में हुए लुधियाना कोर्ट ब्लास्ट की शुरुआती जांच से मालूम हुआ है कि किस तरह पाकिस्तान की आईएसआई की शह पर धमाका किया गया है. जर्मनी में रह रहे खालिस्तानी आतंकी जसविंदर सिंह मुल्तानी को गिरफ्तार किया जा चुका है. मुल्तानी और एक आईएसआई एजेंट हरविंदर सिंह उर्फ रिंदा संधू की मदद से धमाके को अंजाम दिया था.

ऐसी घटनाओं को अंजाम देने का मकसद साफ है. विधानसभा चुनावों में खलल डालने की कोशिश - और अब कांग्रेस सरकार की ओर से जो चूक हुई है वो चुनावों में ज्यादा भारी पड़ने वाली है.

इन्हें भी पढ़ें :

'अपने सीएम को धन्यवाद कहना़, मैं भटिंडा ज़िंदा लौट पाया', Congress बस इस पर गौर करे!

कांग्रेस शासित पंजाब में प्रधानमंत्री को निशाना बनाने का 'ऑपरेशन', ये खतरनाक ट्रेंड है!

प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा में चूक तो हुई है, 'जिंदा लौट पाया' वाली बात सवाल खड़े करती है


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲