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लुधियाना ब्लास्ट ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की आशंकाओं का एक नमूना पेश कर दिया...

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 25 दिसम्बर, 2021 10:43 PM
  • 25 दिसम्बर, 2021 10:43 PM
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कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt. Amrinder Singh) ने पंजाब की सुरक्षा से जुड़ी जो आशंकाएं जाहिर की थी, लुधियाना ब्लास्ट (Ludhiana Blast) उसी का नमूना लगता है. सरहद पार की साजिश के शक के बावजूद नवजोत सिंह सिद्धू को राजनीति ही नजर आ रही है - कभी पाकिस्तान की भी ईंट से ईंट खड़काएंगे क्या?

पंजाब में सुरक्षा को लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जैसी आशंका जतायी थी, लुधियाना ब्लास्ट (Ludhiana Blast) उसी का एक उदाहरण है - और इस बात का सबूत भी कि ऐसी चीजें पंजाब में पनप सकती हैं.

जिस वक्त लुधियाना कोर्ट परिसर में धमाका हुआ, अदालत की कार्यवाही चल रही थी. तीसरी मंजिल पर कोर्ट नंबर 9 के पास बाथरूम में ब्लास्ट हुआ था जिससे पूरी इमारत हिल गई. खिड़कियों के शीशे चटक गये और पार्किंग में खड़ी कारें भी क्षतिग्रस्त हुई थीं. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना ने कोर्ट परिसर में हुए बम विस्फोट पर आश्चर्य प्रकट करते हुए देशभर में बार-बार हो रही ऐसी घटनाओं को चिंताजनक ट्रेंड बताया है.

23 दिसंबर को ही पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की लुधियाना के ही रायकोट में रैली थी और ये धमाका रैली से कुछ ही देर पहले हुआ. मुख्यमंत्री चन्नी ने धमाके को विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पंजाब में अराजकता फैलाने की कोशिश बताया है.

मुख्यमंत्री रहते भी कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt. Amrinder Singh) ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा था और इस्तीफे के बाद भी केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मिले थे. पंजाब की चन्नी सरकार को भी वो सूबे में ड्रोन और ड्रग्स के खतरे को लेकर आगाह करते रहे हैं.

मीडिया रिपोर्ट से मालूम होता है कि खुफिया एजेंसियों ने भी आतंकवादी हमले को लेकर तीन-तीन बार अलर्ट किया था - और हैरानी की बात तो ये है कि आखिरी अलर्ट उसी दिन दिया गया था जिस दिन लुधियाना में धमाका हुआ - सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर किस लेवल पर ऐसी चूक होती है कि ऐसी घटनाओं को टाला नहीं जा सकता.

पंजाब में विधानसभा चुनाव कराये जाने का वक्त बेहद करीब है और कभी बेअदबी के नाम...

पंजाब में सुरक्षा को लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जैसी आशंका जतायी थी, लुधियाना ब्लास्ट (Ludhiana Blast) उसी का एक उदाहरण है - और इस बात का सबूत भी कि ऐसी चीजें पंजाब में पनप सकती हैं.

जिस वक्त लुधियाना कोर्ट परिसर में धमाका हुआ, अदालत की कार्यवाही चल रही थी. तीसरी मंजिल पर कोर्ट नंबर 9 के पास बाथरूम में ब्लास्ट हुआ था जिससे पूरी इमारत हिल गई. खिड़कियों के शीशे चटक गये और पार्किंग में खड़ी कारें भी क्षतिग्रस्त हुई थीं. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना ने कोर्ट परिसर में हुए बम विस्फोट पर आश्चर्य प्रकट करते हुए देशभर में बार-बार हो रही ऐसी घटनाओं को चिंताजनक ट्रेंड बताया है.

23 दिसंबर को ही पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की लुधियाना के ही रायकोट में रैली थी और ये धमाका रैली से कुछ ही देर पहले हुआ. मुख्यमंत्री चन्नी ने धमाके को विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पंजाब में अराजकता फैलाने की कोशिश बताया है.

मुख्यमंत्री रहते भी कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt. Amrinder Singh) ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा था और इस्तीफे के बाद भी केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मिले थे. पंजाब की चन्नी सरकार को भी वो सूबे में ड्रोन और ड्रग्स के खतरे को लेकर आगाह करते रहे हैं.

मीडिया रिपोर्ट से मालूम होता है कि खुफिया एजेंसियों ने भी आतंकवादी हमले को लेकर तीन-तीन बार अलर्ट किया था - और हैरानी की बात तो ये है कि आखिरी अलर्ट उसी दिन दिया गया था जिस दिन लुधियाना में धमाका हुआ - सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर किस लेवल पर ऐसी चूक होती है कि ऐसी घटनाओं को टाला नहीं जा सकता.

पंजाब में विधानसभा चुनाव कराये जाने का वक्त बेहद करीब है और कभी बेअदबी के नाम पर मॉब लिंचिंग तो कभी ये ब्लास्ट हो जाता है. निश्चित तौर पर ये काफी नाजुक स्थिति की तरफ इशारा करता है.

ऐसे में जबकि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के हाथ होने का भी शक जताया जाने लगा है, नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) अलग ही राजनीतिक ऐंगल देखने लगते हैं - क्या सत्ताधारी पंजाब कांग्रेस के प्रधान सिद्धू को नहीं लगता कि ये पाकिस्तान के ईंट से ईंट खड़काने का वक्त है?

अब तक की रिपोर्ट क्या कहती है?

शुक्र है धमाके वाले दिन कचहरी में हड़ताल थी. धमाके में एक शख्स की मौत हुई और करीब आधा दर्जन लोग जख्मी हो गये थे. जांच से मालूम हुआ है कि ब्लास्ट में मारा गया शख्स ही वहां बम प्लांट कर रहा था, लेकिन धमाके की साजिश के तहत जो तय वक्त था उससे पहले ही ये हो गया.

किस स्तर पर चूक हुई जो लुधियाना ब्लास्ट हुआ? आखिर जिम्मेदारी किसकी बनती है? और सिद्धू कब जिम्मेदार बनेंगे?

बम प्लांट करने वाला शख्स पंजाब पुलिस का ही हेड कॉन्स्टेबल था - गगनदीप सिंह. वो पंजाब के ही खन्ना का रहने वाला था और ड्रग्स की तस्करी में दो साल की जेल की सजा काट कर बाहर आया था. जेल में ही उसके खालिस्तानी ग्रुप के लोगों से संपर्क हुआ था.

एनआईए ने गगनदीप के घर पर छापा मारकर लैप टॉप और मोबाइल फोन जांच के लिए जब्त कर लिया है. पंजाब पुलिस ने फॉरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर ब्लास्ट में करीब दो किलो आरडीएक्स का इस्तेमाल होना बताया है.

खालिस्तानी कनेक्शन तो साफ हो गया

सुरक्षा अधिकारियों के हवाले से आयी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जर्मनी में रह रहे खालिस्तानी आतंकी जसविंदर सिंह मुल्तानी का लुधियाना ब्लास्ट में हाथ होने का शक है. मुल्तानी पंजाब के ही होशियारपुर के मंसूरपुर का मूल निवासी है - और एक आईएसआई एजेंट की मदद से मुल्तानी ने धमाके को अंजाम दिया है.

जसविंदर सिंह मुल्तानी अपने पाकिस्तानी नेटवर्क के जरिये हथियारों और विस्फोटकों की सप्लाई करता रहा है. पंजाब में कुछ ही दिनों में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और इसी कारण वो पहले से ही माहौल खराब करने की कोशिश कर रहा है.

पाकिस्तान के हाथ होने के संकेत रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने मुल्तानी के साथ साथ एक और खालिस्तानी आतंकी हरविंदर सिंह उर्फ रिंदा संधू को साथ मिल कर ऐसी घटनाओं को अंजाम देने को कहा है - मकसद साफ है, विधानसभा चुनावों में खलल डालने की कोशिश. सुरक्षा एजेंसियां रिंदा संधू को ही लुधियाना धमाके का मास्टरमाइंम मान कर चल रही हैं.

क्या ये रोका नहीं जा सकता था?

2019 में हुए पुलवामा आतंकी हमले में भी खुफिया जानकारियों को लेकर ही चूक मानी गयी थी, लेकिन ऐसा भी नहीं था कि कोई खुफिया जानकारी मिली ही नहीं थी. असल बात तो यही समझ में आयी कि खुफिया इनपुट को गंभीरता से नहीं लिया गया - और लुधियाना ब्लास्ट केस में भी बिलकुल वैसा ही लगता है.

मान लेते हैं कि राजनीतिक वजहों से पंजाब की चरणजीत सिंह चन्नी सरकार ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की बातों को गंभीरता से नहीं लिया होगा, लेकिन जिन तीन लेटेस्ट खुफिया अलर्ट की बातें मालूम हुई हैं, उनके बारे में कहा समझा जाये?

अब इससे अजीब बात क्या होगी कि एक एक करके तीन-तीन खुफिया अलर्ट आते हैं और तब भी विस्फोट हो जाता है. आखिर गगनदीप विस्फोटक लेकर कई सुरक्षा प्वाइंट से गुजरा तो होगा ही, लेकिन किसी भी स्तर पर किसी का ध्यान क्यों नहीं गया.

हैरानी की बात तो ये है कि गृह मंत्रालय को भी तो कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आगाह किया ही था, वो भी सीधे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर - फिर तो पुलवामा की तरह गृह मंत्रालय भी फिर से सवालों के घेरे में अपनेआप आ ही जाता है.

खुफिया जानकारी के बाद भी ऐसा होता क्यों है

बताते हैं कि पाकिस्तान से लगी करीब डेढ़ सौ किलोमीटर की सीमा ड्रोन घुसपैठ के लिहाज से बेहद संवेदनशील है - और पठानकोट, गुरदासपुर, अमृत्सर, फाजिल्का, तरनतारन, फिरोजपुर जैसे जिलों से होती हुई ये सीमा करीब साढ़े पांच सौ किलोमीटर लंबी है.

खबरों के मुताबिक, खुफिया एजेंसियों ने सबसे पहले 9 जुलाई, फिर 7 दिसंबर और फिर से धमाके के दिन 23 दिसंबर को भी आतंकी हमले का अलर्ट जारी किया था. खुफिया रिपोर्ट में आईएसआई और खालिस्तानी ग्रुपों के मिलकर भीड़-भाड़ वाले इलाकों और संवेदनशील इमारतों को टारगेट किये जाने की आशंका जतायी गयी थी.

बताते हैं कि अलर्ट में आईईडी के इस्तेमाल की भी आशंका जतायी गयी थी. जाहिर है देश की सुरक्षा से जुड़ी ये अति संवेदनशील रिपोर्ट केंद्र सरकार के साथ साथ पंजाब सरकार से भी शेयर की ही गयी होगी, फिर भी धमाका रोका नहीं जा सका - ज्यादा और कम की छोड़िये जिम्मेदारी तो केंद्रीय गृह मंत्रालय और पंजाब सरकार दोनों की ही बनती है.

कैप्टन ने तो अमित शाह को बताया ही था

मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि सितंबर, 2019 में ही तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को पंजाब की सुरक्षा मामलों के जिक्र के साथ पत्र लिखा था. पत्र के जरिये आशंका जतायी गयी थी कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाये जाने के बाद पाकिस्तान की तरफ से ड्रोन के जरिये पंजाब में हथियार की खेप भेजी जा रही है. ये सब पंजाब में खालिस्तानी मॉड्यूल का पर्दाफाश होने के बाद की बात है.

किसान आंदोलन के समय भी मुख्यमंत्री रहते कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अमित शाह से मुलाकात के बाद भी ऐसी बातों का जिक्र किया था. मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद भी कैप्टन ने कहा था कि पंजाब सरकार को सख्ती बरतनी चाहिये, वरना पाकिस्तान पंजाब में फिर से आतंकवाद शुरू कराने की ताक में बैठा हुआ है.

NSA डोभाल से तो कैप्टन इसीलिए मिले ही थे 

मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद अमित शाह से कैप्टन अमरिंदर सिंह की मुलाकातें तो राजनीतिक वजहों से होती रहीं, लेकिन मीडिया के सामने वो सुरक्षा की बातें जरूर करते थे. यहां तक कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी इसी सिलसिले में मिले थे.

शाह और डोभाल से मिलने के बाद तब कैप्टन ने कहा था, '...जो ड्रोन हमको मिल जाते हैं, उसमें तो हम देख लेते हैं कि क्या आ गया... जो नहीं मिलते वे कहां गये? किसके हाथ लगे? क्या मकसद है उन हथियारों का? विस्फोटकों का? अब तो बच्चों के टिफिन में भी आरडीएक्स डालने लगे हैं - ये निश्चित तौर पर चिंता की बात है.'

CJI भी चिंतित- मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना ने कोर्ट परिसरों में सुरक्षा की कमी पर चिंता जतायी है. कहते हैं, 'देश भर में सिलसिलेवार तरीके से हो रही ये घटनाएं चिंताजनक ट्रेंड हैं.' चीफ जस्टिस ने धमाके को लेकर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि शंकर झा से फोन पर बात भी की है.

लुधियाना धमाके के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से बात की और धमाके के साथ साथ सूब के सुरक्षा इंतजामों का ब्योरा लिया - साथ ही, केंद्र की तरफ से हर संभव मदद का भरोसा भी दिलाया है.

पाकिस्तान की ईंट से ईंट कब खड़काएंगे सिद्धू?

लुधियाना ब्लास्ट को लेकर मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने सुरक्षा की बातों के अलावा राजनीतिक बयान भी दिया था, 'पंजाब को अस्थिर कर... पंजाबियों को डराकर वोट लेने की साजिश रची जा रही है...' चन्नी का कहना रहा, 'जब से सरकार ने नशे के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है तब से ऐसी घटनाएं हो रही हैं.'

ब्लास्ट पर सिद्धू का नजरिया

बाकी बातों के अलावा, लुधियाना ब्लास्ट को लेकर भी नवजोत सिंह सिद्धू ने राजनीति सूंघ ही लिया, 'ये चुनाव के समय ही क्यों होता है? ये पौने पांच साल बीतने के बाद ही क्यों होता है? जिन लोगों ने पंजाब को बेच दिया, गिरवी रख दिया... अपनी जान बचाने के लिए फिरकापरस्त ताकतों से मिले रहे... मैं उनसे कहना चाहता हूं कि आप वोटों की राजनीति का ध्रुवीकरण नहीं कर सकोगे.'

ब्लास्ट से ठीक पहले कैप्टन की चेतावनी

अभी 17 दिसंबर की ही तो बात है. फिरोजपुर सेक्टर में एक पाकिस्तानी ड्रोन मिला और उसे मार गिराया गया था. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को तंज भरे अंदाज में ही सही, लेकिन नये सिरे से आगाह किया था - और सलाह भी दी थी.

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्विटर पर लिखा, पंजाब के मुख्यमंत्री को दिन भर भांगड़ा करने के बजाय अपने गृह मंत्री को सलाह देनी चाहिये कि वो सक्रिय हों और इनकार वाले मोड से बाहर आयें. साथ ही, अगर उनके पार्टी के प्रधान सुनने को तैयार हों तो, मुख्यमंत्री को कहना चाहिये कि वो अपने बड़े भाई इमरान खान से कहें कि पंजाब को परेशान करने की कोशिश बंद करें.

ये सारी बातें तो अब तक नवजोत सिंह सिद्धू को भी पता चल ही चुकी होंगी. वो भी जान ही चुके होंगे कि कैसे आईएसआई पाकिस्तान से लेकर जर्मनी में रहने वाले आतंकवादी के जरिये साजिश रच रही और पंजाब में खालिस्तानी गतिविधियों को फिर से बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है - राजनीति से थोड़ा वक्त निकाल कर सिद्धू कभी पाकिस्तान की भी ईंट से ईंट खड़काएंगे क्या?

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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