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तीन तलाक पर बिल से पहले 2017 के जाते-जाते मनमोहन पर चट बयान पट सुलह

    • आईचौक
    • Updated: 28 दिसम्बर, 2017 12:43 PM
  • 28 दिसम्बर, 2017 12:42 PM
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बस ये समझिये कि जितनी देर में मैगी बन जाने का दावा किया जाता है उतनी ही देर में मनमोहन सिंह को लेकर कई दिनों से चल रहा संसद का डेडलॉक खत्म हो गया.

साल 2017 के हिस्से में तीन तलाक पर मोदी सरकार के बिल का पेश होना भर ही आएगा, बाकी की बातें अगले साल के लिए अपने आप कैरी फॉरवर्ड हो जाएंगी. हालांकि, अभी इस सवाल का जवाब नहीं मिल पा रहा है कि तीन तलाक जुर्म होने पर जब पति जेल चला जाएगा तो गुजारा भत्ता कौन और कैसे देगा? वैसे अच्छी बात ये भी रही कि साल के जाते जाते छोटे छोटे दो बयानों के साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनावी इल्जामों को लेकर संसद का डेडलॉक भी खत्म हो गया.

मनमोहन पर मोदी सरकार की सफाई

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन के मामले में राज्य सभा में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकार की ओर से सफाई पेश की. सफाई क्या थी, बस 15-15 लाख रुपयों वाली बात पर अमित शाह की तरह उन्होंने ये नहीं कहा कि वो तो चुनावी जुमला था - लेकिन जो कहा उसका मतलब उससे ज्यादा भी नहीं था. आपको याद होगा गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान बनासकांठा के पालनपुर में एक रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के नेता सरहद पार से मदद ले रहे हैं. इन नेताओं में मोदी ने मनमोहन सिंह का भी नाम लिया था. कांग्रेस इसी बात पर मोदी से संसद में सफाई मांगते हुए हंगामा कर रही थी. हालांकि, जब जेटली ने बयान दिया तो सदन में प्रधानमंत्री मोदी मौजूद नहीं थे.

अपने बयान में जेटली ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन या पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की देशभक्ति और निष्ठा पर कोई सवाल नहीं खड़ा किया और न ही उनकी ऐसी कोई मंशा थी. ऐसी कोई भी धारणा गलत है. हम इन नेताओं का सम्मान करते हैं, साथ ही देश के लिए उनकी प्रतिबद्धता को भी मानते हैं." इसके बाद राज्य सभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद खड़े हुए और तहे दिल से धन्यवाद देते नजर आये. आजाद ने कहा, "हम नेता सदन के बयान का सम्मान करते हैं. मैं ये भी कहना चाहता हूं कि हम खुद प्रधानमंत्री पद की गरिमा को नहीं गिराना चाहते हैं. इसलिए हम भी...

साल 2017 के हिस्से में तीन तलाक पर मोदी सरकार के बिल का पेश होना भर ही आएगा, बाकी की बातें अगले साल के लिए अपने आप कैरी फॉरवर्ड हो जाएंगी. हालांकि, अभी इस सवाल का जवाब नहीं मिल पा रहा है कि तीन तलाक जुर्म होने पर जब पति जेल चला जाएगा तो गुजारा भत्ता कौन और कैसे देगा? वैसे अच्छी बात ये भी रही कि साल के जाते जाते छोटे छोटे दो बयानों के साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनावी इल्जामों को लेकर संसद का डेडलॉक भी खत्म हो गया.

मनमोहन पर मोदी सरकार की सफाई

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन के मामले में राज्य सभा में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकार की ओर से सफाई पेश की. सफाई क्या थी, बस 15-15 लाख रुपयों वाली बात पर अमित शाह की तरह उन्होंने ये नहीं कहा कि वो तो चुनावी जुमला था - लेकिन जो कहा उसका मतलब उससे ज्यादा भी नहीं था. आपको याद होगा गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान बनासकांठा के पालनपुर में एक रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के नेता सरहद पार से मदद ले रहे हैं. इन नेताओं में मोदी ने मनमोहन सिंह का भी नाम लिया था. कांग्रेस इसी बात पर मोदी से संसद में सफाई मांगते हुए हंगामा कर रही थी. हालांकि, जब जेटली ने बयान दिया तो सदन में प्रधानमंत्री मोदी मौजूद नहीं थे.

अपने बयान में जेटली ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन या पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की देशभक्ति और निष्ठा पर कोई सवाल नहीं खड़ा किया और न ही उनकी ऐसी कोई मंशा थी. ऐसी कोई भी धारणा गलत है. हम इन नेताओं का सम्मान करते हैं, साथ ही देश के लिए उनकी प्रतिबद्धता को भी मानते हैं." इसके बाद राज्य सभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद खड़े हुए और तहे दिल से धन्यवाद देते नजर आये. आजाद ने कहा, "हम नेता सदन के बयान का सम्मान करते हैं. मैं ये भी कहना चाहता हूं कि हम खुद प्रधानमंत्री पद की गरिमा को नहीं गिराना चाहते हैं. इसलिए हम भी चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री के खिलाफ की गई किसी टिप्पणी और बयान का समर्थन नहीं करते हैं. प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई भी अपमानजनक बयान नहीं दिया जाना चाहिए."

कहीं गरम, कहीं नरम

इसी मसले पर पहले कांग्रेस प्रधानमंत्री से माफी, फिर सफाई चाहती थी, लेकिन जेटली के बयान पर भी ऐसा रिएक्ट किया कि लगा जैसे तैसे इसे खत्म करने पर खुद ही आमादा हो.

चुनावों के चलते देर से शुरू हुआ विंटर सेशन

हिमाचल प्रदेश और गुजरात चुनाव के चलते विंटर सेशन इस बार 15 दिसंबर से शुरू हुआ. दरअसल, 14 दिसंबर को ही गुजरात विधानसभा के लिए दूसरे चरण का मतदान खत्म हुआ था. कांग्रेस इस बात पर हमलावर रही कि सरकार एक राज्य के विधानसभा चुनाव के लिए संसद सत्र नहीं बुला रही थी. वैसे भी खुद प्रधानमंत्री और बीजेपी अध्यक्ष और राज्य सभा सांसद अमित शाह के साथ साथ तमाम केंद्रीय मंत्री गुजरात में ही डेरा डाले हुए थे.

आमतौर पर शीतकालीन सत्र नवंबर के दूसरे या तीसरे सप्ताह में बुलाया जाता है. विपक्ष के आरोप पर सरकार की ओर से उदाहरणों के साथ सफाई दी गयी कि ऐसा पहले भी होता आया है.

आम बजट में ही रेल बजट

अब तक संसद में रेल बजट और आम बजट अलग अलग पेश किये जाते रहे, लेकिन इस बार कुछ अलग हुआ. इस बार रेल बजट को भी आम बजट का ही हिस्सा बना दिया गया. इस तरह रेल बजट को भी वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ही पेश कर दिया.

बजट में बजट...

बजट सत्र दो चरणों में खत्म हुआ. पहला 31 जनवरी से 9 फरवरी तक और दूसरा 9 मार्च से 12 अप्रैल तक.

जब आधी रात को चली संसद

संसद के ऐतिहासिक केन्द्रीय कक्ष में 30 जून की देर शाम से ही हलचलें काफी तेज रहीं. आधी रात होते ही जैसे ही घड़ी की सूइयां ऊपर की ओर जुड़ीं और तारीख बदल कर 1 जुलाई हुई घंटा बजाकर जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स लागू कर दिया गया. ये घंटा तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री मोदी ने साथ बजाया और उसके साथ ही 'एक देश, एक कर' का स्लोगन चलने लगा.

...और घंटा बज गया!

प्रधानमंत्री मोदी ने जीएसटी को गुड एंड सिंपल टैक्स बताया, जबकि जीएसटी समारोह का बहिष्कार करने वाली कांग्रेस के नेता राहुल गांधी गुजरात चुनाव के वक्त से जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स बता रहे हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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