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फौज का ‘चाबुक’ पाकर खुश हुए विवाद-ए-आजम

    • अनुराग तिवारी
    • Updated: 13 अक्टूबर, 2017 06:13 PM
  • 13 अक्टूबर, 2017 06:13 PM
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यह शायद पहला मौका होगा जब कोई ‘चाबुक’ पाकर खुश हुआ होगा - और आजम खान भी ऐसे पहले ही शख्स होंगे जिनसे मिलकर चाबुक को शायद ही खुशी हो.

हमेशा विवादों में रहने वाले आजम खान के रामपुर में बनवाए हुए मौलाना जौहर अली उर्दू विश्वविद्यालय के कैंपस में इंडियन आर्मी का टैंक ‘चाबुक’ पहुंचा है. यह शायद पहला मौका होगा जब कोई ‘चाबुक’ पाकर खुश हुआ होगा. ‘चाबुक’ को अपने कैंपस में पाकर आजम खान बेहद खुश हैं. इस खुशी में इंडियन आर्मी की तारीफों के पुल बांध रहे हैं. उनका कहना है कि ये चाबुक देकर सेना ने उनका और यूनिवर्सिटी का सम्मान बढ़ाया है. असल में चाबुक उस टैंक का नाम है जिसे सेना ने विश्वविद्यालय को दिया है.

भूलिए मत, ये वही ‘विवाद-ए-आजम’ हैं, जो महज तीन महीने पहले इंडियन आर्मी को रेपिस्ट बता रहे थे. समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान का यह भी दावा है कि उनके इंडियन आर्मी से काफी सौहार्दपूर्ण संबंध हैं. साथ ही, यह भी कहा कि इंडियन आर्मी से उन्होंने ऐसे और भी हथियार उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है.

बीते जून में ही आजम खान ने इंडियन आर्मी के बारे में बेहद शर्मनाक बयान दिया था. कश्मीर में इंडियन आर्मी पर हो रहे हमलों और पत्थरबाजी पर उन्होंने जो कुछ भी कहा, वह पूरे देश का सर झुका देने वाला रहा. अपनी राजनीति की दुकान चलाने में माहिर आजम खान ने यह बोलने से भी गुरेज नहीं किया था कि फौज के साथ जो कुछ हो रहा है वो हिंदुस्तान की असलियत है. उनका कहना था कि दुनिया भर में लोग फौज या बेगुनाहों का सर कलम करते हैं या हाथ पैर काटकर ले जाते हैं, लेकिन कश्मीर में दहशतगर्द आर्मी के जवानों के प्राइवेट पार्ट्स काटकर साथ ले जाते हैं.

"मैं तो बहुत खुश हुआ!"

आजम यहीं नहीं रुके थे, उन्होंने अपने शर्मनाक बयान को सही ठहराने के लिए तर्क भी दे डाले. आजम का कहना था कि कश्मीर के लोगों को सैनिकों के हाथ-पैर या सिर से शिकायत नहीं थी. उनके मुताबिक कश्मीरी...

हमेशा विवादों में रहने वाले आजम खान के रामपुर में बनवाए हुए मौलाना जौहर अली उर्दू विश्वविद्यालय के कैंपस में इंडियन आर्मी का टैंक ‘चाबुक’ पहुंचा है. यह शायद पहला मौका होगा जब कोई ‘चाबुक’ पाकर खुश हुआ होगा. ‘चाबुक’ को अपने कैंपस में पाकर आजम खान बेहद खुश हैं. इस खुशी में इंडियन आर्मी की तारीफों के पुल बांध रहे हैं. उनका कहना है कि ये चाबुक देकर सेना ने उनका और यूनिवर्सिटी का सम्मान बढ़ाया है. असल में चाबुक उस टैंक का नाम है जिसे सेना ने विश्वविद्यालय को दिया है.

भूलिए मत, ये वही ‘विवाद-ए-आजम’ हैं, जो महज तीन महीने पहले इंडियन आर्मी को रेपिस्ट बता रहे थे. समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान का यह भी दावा है कि उनके इंडियन आर्मी से काफी सौहार्दपूर्ण संबंध हैं. साथ ही, यह भी कहा कि इंडियन आर्मी से उन्होंने ऐसे और भी हथियार उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है.

बीते जून में ही आजम खान ने इंडियन आर्मी के बारे में बेहद शर्मनाक बयान दिया था. कश्मीर में इंडियन आर्मी पर हो रहे हमलों और पत्थरबाजी पर उन्होंने जो कुछ भी कहा, वह पूरे देश का सर झुका देने वाला रहा. अपनी राजनीति की दुकान चलाने में माहिर आजम खान ने यह बोलने से भी गुरेज नहीं किया था कि फौज के साथ जो कुछ हो रहा है वो हिंदुस्तान की असलियत है. उनका कहना था कि दुनिया भर में लोग फौज या बेगुनाहों का सर कलम करते हैं या हाथ पैर काटकर ले जाते हैं, लेकिन कश्मीर में दहशतगर्द आर्मी के जवानों के प्राइवेट पार्ट्स काटकर साथ ले जाते हैं.

"मैं तो बहुत खुश हुआ!"

आजम यहीं नहीं रुके थे, उन्होंने अपने शर्मनाक बयान को सही ठहराने के लिए तर्क भी दे डाले. आजम का कहना था कि कश्मीर के लोगों को सैनिकों के हाथ-पैर या सिर से शिकायत नहीं थी. उनके मुताबिक कश्मीरी लोगों को सैनिकों के प्राइवेट पार्ट्स से शिकायत थी, इसीलिए उनके मरने के बाद उनकी बॉडी से उनके प्राइवेट पार्ट्स काटकर वे अपने साथ ले गए.

आजम खान के मुताबिक यह देश के लिए बड़ी शर्मिंदगी का सबब है. उनके अनुसार इन घटनाओं के चलते भारत पूरी दुनिया में मुहं दिखाने के काबिल न रहेगा. बता दें, इंडियन आर्मी को लेकर आजम खान का यह कोई पहला विवादित बयान नहीं था. इससे पहले उन्होंने चुनावी फायदे के लिए इंडियन आर्मी को हिन्दू-मुस्लिम के आधार पर बांटने वाला बयान भी दिया था.

साल 2014 में लोकसभा चुनावों के दौरान आजम खान ने इंडियन आर्मी को सीधे-सीधे कम्युनल आधार पर बांट दिया था. गाज़ियाबाद में वोटिंग होने से पहले उन्होंने बड़े ही शर्मनाक ढंग से कह दिया था कि साल 1999 में हुए करगिल वार में इंडिया को जीत दिलाने वाले मुस्लिम सैनिक थे न कि हिंदू सैनिक. आजम ने यह बयान देकर उन सभी शहीद सैनिकों का अपमान किया था जिन्होंने देश की रक्षा के लिए न जात-पांत देखी, न धर्म और मजहब, बस दुश्मन को धूल चटाते हुए जरूरत पड़ी अपनी जान दे दी. नाम के हिसाब से देखा जाए तो कारगिल में देश के लिए जान देने वाले सैनिक हर मजहब के थे.

अब वही आजम खान इस बात का दावा कर रहे हैं कि जिस इंस्टिट्यूशन की रेप्युटेशन अच्छी होती है इंडियन आर्मी उसी को टैंक देकर सम्मानित करती है. आजम खान की यूनिवर्सिटी को इंडियन आर्मी ने टैंक उनकी रेप्युटेशन देखकर टैंक दिया हो, ऐसा तो नहीं लगता. हां, इंडियन आर्मी का मकसद यह जरूर रहा होगा कि उसके बारे में बदजुबानी करने वाला शख्स जब-जब अपनी यूनिवर्सिटी में घुसे तो उसे याद रहे कि इंडियन आर्मी का इतिहास कितना गौरवशाली है और इस बयान-बहादुर का कद कितना छोटा. आजम खान भले ही टैंक देखकर खुश होंगे, लेकिन टैंक ‘चाबुक’ की बदकिस्मती है. जब-जब आजम खान उसके सामने से गुजरेंगे उनके इंडियन आर्मी के बारे में दिए गए बयानों के जख्म हरे होते रहेंगे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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