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दरअसल समस्या नेताओं के बयान नहीं है उनके अंग काटने पर मिलने वाला इनाम है

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 01 जुलाई, 2017 04:25 PM
  • 01 जुलाई, 2017 04:25 PM
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वीएचपी नेता की प्रतिक्रिया जिसमें उन्होंने आजम खान की जुबान काटने के बदले 50 लाख रुपए देने की बात कही है बताती है कि अब लोगों का देश के कानून के प्रति खौफ खत्म हो चुका है.

हमारे देश में ऐसे बहुत से लोग होंगे जिनके मन में 'लोकतंत्र' और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर अपने अलग मत हैं. कुछ लोग इसे अपनी बात कहने और कुछ सकारत्मक करने का माध्यम मानते हैं तो वहीं कुछ ऐसे हैं जिनका ये सोचना है कि इसे हथियार बनाकर भोली भाली जनता को बरगलाया जा सकता है. यानी जहां एक तरफ लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के फायदे हैं तो वहीं इसके घातक नुकसान भी हैं इतने घातक की ये किसी की जान भी ले सकते हैं.

उपरोक्त बातों को आप दो अलग - अलग खबरों के माध्यम से समझिये. पहली खबर भारतीय सेना के सम्बन्ध में आजम खान द्वारा दिए गए बयान से सम्बंधित है दूसरी खबर उस खबर पर आई हुई एक वीएचपी नेता की प्रतिक्रिया है जिसमें आजम खान की जुबान काटने के बदले 50 लाख रुपए देने की बात कही गयी है. गौरतलब है कि अभी कुछ दिन पूर्व सेना की विश्वसनीयता पर सवाल करते हुए समाजवादी पार्टी के फायर ब्रांड नेता और मुस्लिम समुदाय के हिमायती आजम ने बयान दिया था.

आजम ने अपने बयान में कहा है कि भारतीय सेना जम्मू कश्मीर के लोगों से बुरा व्यवहार कर रही है. आजम के अनुसार सीमा पर जंग का माहौल है पर कुछ जगहों पर जम्मू - कश्मीर की महिलाएं जवानों की हत्या कर रही है, महिलाओं का ये कदम हमें ये सोचने पर मजबूर करता है कि क्या ऐसा करने के पीछे कोई वजह है. आजम खान का मानना है कि आतंकवादी आम तौर पर हाथ काट कर ले जाते हैं, लेकिन जम्मू कश्मीर में एक मौके पर महिला दहशतगर्दों ने फौज का प्राइवेट पार्ट काट दिया और साथ ले गये, उन्हें हाथ से शिकायत नहीं थी, सर से नहीं थी, पैर से नहीं थी, जिस्म के जिस हिस्से से शिकायत थी उसे काट कर ले गये, ये इतना बड़ा संदेश है, जिसपर पूरे हिन्दुस्तान को शर्मिंदा होना चाहिए, और सोचना चाहिए कि हम दुनिया को क्या मुंह दिखाएंगे.

आजम के बयान पर आई प्रतिक्रिया बताती है कि...

हमारे देश में ऐसे बहुत से लोग होंगे जिनके मन में 'लोकतंत्र' और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर अपने अलग मत हैं. कुछ लोग इसे अपनी बात कहने और कुछ सकारत्मक करने का माध्यम मानते हैं तो वहीं कुछ ऐसे हैं जिनका ये सोचना है कि इसे हथियार बनाकर भोली भाली जनता को बरगलाया जा सकता है. यानी जहां एक तरफ लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के फायदे हैं तो वहीं इसके घातक नुकसान भी हैं इतने घातक की ये किसी की जान भी ले सकते हैं.

उपरोक्त बातों को आप दो अलग - अलग खबरों के माध्यम से समझिये. पहली खबर भारतीय सेना के सम्बन्ध में आजम खान द्वारा दिए गए बयान से सम्बंधित है दूसरी खबर उस खबर पर आई हुई एक वीएचपी नेता की प्रतिक्रिया है जिसमें आजम खान की जुबान काटने के बदले 50 लाख रुपए देने की बात कही गयी है. गौरतलब है कि अभी कुछ दिन पूर्व सेना की विश्वसनीयता पर सवाल करते हुए समाजवादी पार्टी के फायर ब्रांड नेता और मुस्लिम समुदाय के हिमायती आजम ने बयान दिया था.

आजम ने अपने बयान में कहा है कि भारतीय सेना जम्मू कश्मीर के लोगों से बुरा व्यवहार कर रही है. आजम के अनुसार सीमा पर जंग का माहौल है पर कुछ जगहों पर जम्मू - कश्मीर की महिलाएं जवानों की हत्या कर रही है, महिलाओं का ये कदम हमें ये सोचने पर मजबूर करता है कि क्या ऐसा करने के पीछे कोई वजह है. आजम खान का मानना है कि आतंकवादी आम तौर पर हाथ काट कर ले जाते हैं, लेकिन जम्मू कश्मीर में एक मौके पर महिला दहशतगर्दों ने फौज का प्राइवेट पार्ट काट दिया और साथ ले गये, उन्हें हाथ से शिकायत नहीं थी, सर से नहीं थी, पैर से नहीं थी, जिस्म के जिस हिस्से से शिकायत थी उसे काट कर ले गये, ये इतना बड़ा संदेश है, जिसपर पूरे हिन्दुस्तान को शर्मिंदा होना चाहिए, और सोचना चाहिए कि हम दुनिया को क्या मुंह दिखाएंगे.

आजम के बयान पर आई प्रतिक्रिया बताती है कि अब लोगों को कानून का खौफ नहीं है

आजम के इस बयान के बाद विपक्ष का उन्हें आड़े हाथों लेना लाजमी है. जाहिर है इस पर प्रतिक्रिया भी आई होंगी. मगर जिस तरह इस मुद्दे पर शाहजहांपुर के एक विहिप नेता ने प्रतिक्रिया दी वो एक बड़ी चिंता का विषय है. आजम के इस बड़े बयान पर अपने तीखे तेवर दिखाते हुए विहिप नेता राजेश अवस्थी ने आजम खान की जुबान काटकर लाने वाले को 50 लाख रुपए इनाम देने की घोषणा की है. राजेश अवस्थी ने कहा कि भारतीय सेना के कारण ही हम सब चैन की सांस लेते हैं. आजम खां ने सैनिकों के खिलाफ जो टिप्पणी की है, वह बहुत ही निंदनीय है.

आजम ने भी अपना बयान दे दिया है, अवस्थी भी अपनी बात कह चुके हैं. एक अपनी राजनीति चमका चुका है दूसरा शायद अपनी राजनीति के शुरूआती दौर में है. लेकिन इनके बयानों को देखिये तो मिलता है कि ऐसे बयान भारत की अखंडता के लिए बड़ा खतरा हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसे लोग तो बयान देकर निकल जाते हैं मगर इनके बयान एक आम इंसान के दिल में पनप चुकी नफरत को हवा देने का काम करते हैं और इसके बाद ही हम मॉब लिंचिंग या इससे मिलती जुलती खबरें सुनते हैं.

आगे बढ़ने से पहले आइये एक नजर डालें उन खबरों पर जब इस देश के लोगों ने एक दूसरे के बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए सर कलम करने, जीभ काटने, जान से मारने पर इनाम से नवाजने, पाकिस्तान भेजने की बात की है.

9 जनवरी 2017 - कोलकाता की टीपू सुल्तान मस्जिद के शाही इमाम मौलाना नूर उर रहमान बरकती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गंजा करने वाले और उनकी दाढ़ी मूड़ने वाले को 25 लाख रुपए देने की बात कही थी. ज्ञात हो कि बरकती वही मौलवी हैं जिन्होंने 2011 में कुख्यात आतंकी 'ओसामा बिन लादेन' के मारे जाने के बाद उसकी 'आत्मा की शांति' के लिए जुमे की नमाज के फौरन बाद एक अन्य नमाज का आयोजन किया था. इसके अलावा बरकती लेखिका तसलीमा नसरीन के सिर के भी अलग - लग दाम लगा चुके हैं.

24 फरवरी, 2017 - आल इंडिया फैजान ए मदीना काउंसिल ने एक निजी चैनल पर प्रसारित तारेक फतेह के टीवी प्रोग्राम 'फतेह का फतवा' पर तत्काल प्रभाव से उसे बैन करने की बात कही और साथ ही तारेक फतेह का सिर काट के लाने वाले को 10 लाख रुपए देने की बात कही.

3 मार्च , 2017 - आरएसएस नेता कुंदन चंद्रावत ने एक विवादित बयान में गुजरात के गोधरा में जो हुआ था उसे जायज ठहराते हुए कहा था कि कोई 56 मारता है तो हमें गर्व है कि हमने 2000 मारे, इसके अलावा चंद्रावत ने तब केरल के मुख्यमंत्री का भी सिर कलम करने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि जो भी केरल के मुख्यमंत्री का सिर काट के लायगा वो उसे 1 करोड़ रुपए देंगे.

03 नवम्बर, 2015 - कर्नाटक के शिमोगा स्थित बीजेपी नेता एसएन चनाबसप्पा ने एक विवादित बयान में कहा था कि वो मुख्यमंत्री सिद्दारमैया का सिर काट के फुटबॉल खेलेंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि अपने एक बयान में मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने दादरी के अखलाक का समर्थन करते हुए बीफ की हिमायत की थी और उसे खाने की बात की थी.

ये कुछ उदाहरण है जो ये बताने के लिए काफी है कि देश के अन्दर लोग अब अदालत द्वारा निर्धारित कानून को ताख पर रखकर अपने कानून के अनुसार काम करना चाहते हैं जो एक उत्तम राष्ट्र की कल्पना में सबसे बड़ी बाधा है. साथ ही ये बयान ये भी बताने के लिए काफी हैं कि यदि हालत ऐसी ही रही तो आने वाले समय में स्थिति बहुत गंभीर होने वाली है. गौरतलब है कि वर्तमान में भारत एक मुश्किल दौर से गुजर रहा है जहां लोग अपने अपने नेताओं के द्वारा दिए गए भड़काऊ बयानों के चलते एक दूसरे के खून के प्यासे हो रहे हैं और सरे आम एक दूसरे की जान ले रहे हैं.

अंत में हम इतना ही कहेंगे कि अब वो समय आ गया है जब देश के लोगों को समझ लेना चाहिए कि नेताओं और पार्टियों के लिए 'आहत करने वाले बयान' और कुछ नहीं बस अपनी राजनीति चमकाने और उसने बने रहने का माध्यम है. अतः जिस दिन वो इस बात को समझ लेंगे कई अहम परेशानियों का निदान अपने आप हो जायगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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