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जब मुल्क कट्टरपंथ के भरोसे हो तब 'आसिया बीबी' का अल्लाह ही हाफिज है!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 11 नवम्बर, 2018 02:33 PM
  • 11 नवम्बर, 2018 02:33 PM
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आसिया बीबी को लेकर जिस तरह पाकिस्तान में माहौल है साफ पता चलता है कि देश बुरी तरह से कट्टरपंथ का शिकार है और जब तक इससे निजात नहीं पता इसका विकसित होना लगभग नामुमकिन है.

अनिश्चितताओं से भरा पाकिस्तान आसिया बीबी पर आए फैसले के बाद लगातार चर्चा में है. ध्यान रहे कि आसिया पर फैसला देकर जहां एक तरफ पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने अपने को लिबरल और मानवतावादी दिखाया है. तो वहीं जिस तरह एक बड़ा वर्ग इस फैसले का विरोध कर रहा है, साफ हो गया है कि इस देश का सिर्फ एक चेहरा है और उस चेहरे पर केवल और केवल कट्टरपंथ हावी है. उपरोक्त दोनों ही बातें एक दूसरे से बिल्कुल विपरीत दो अलग विचारधाराओं का प्रदर्शन करती नजर आ रही हैं.

आसिया बीबी की रिहाई पर पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है

आसिया मामले पर पाकिस्तान के हालात विचलित करने वाले हैं. ईशनिंदा के मामले में ईसाई महिला आसिया बीबी की रिहाई पर पूरे पाकिस्तान में हंगामा बरपा है. आसिया बीबी को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत के बाद देश के कट्टरपंथियों का खून खुल गया है, वे उसे फांसी के तख्ते पर झूलते देखना चाहते हैं. इस पूरे मामले में सबसे दिलचस्प बात ये है कि चरमपंथी वर्ग देश की सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ हैं और इसकी समीक्षा के लिए याचिका डाल रहे हैं. मामले पर जो इमरान का रुख है उससे भी साफ है कि प्रधानमंत्री ने देश के इस वर्ग के आगे अपने घुटने टेक दिए हैं.

गौरतलब है कि आसिया बीबी को ईशनिंदा के आरोपों से बरी किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं. साथ ही कट्टरपंथी संगठनों ने आसिया को जान से मारने की धमकी देना शुरू कर दिया है. ध्यान रहे कि कोर्ट के फैसले के बाद जिस तरह इस्लामी पॉलिटिकल पार्टी तहरीक-ए-लबैक पाकिस्तान और अन्य संगठनों के नेतृत्व में पूरे पाकिस्तान में प्रदर्शन हुआ. उसने साफ बता दिया है कि पाकिस्तान के पास खुद ऐसे तमाम कारण हैं जो उसे लगातार गर्त के अंधेरों में ढकेल रहे हैं.

अनिश्चितताओं से भरा पाकिस्तान आसिया बीबी पर आए फैसले के बाद लगातार चर्चा में है. ध्यान रहे कि आसिया पर फैसला देकर जहां एक तरफ पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने अपने को लिबरल और मानवतावादी दिखाया है. तो वहीं जिस तरह एक बड़ा वर्ग इस फैसले का विरोध कर रहा है, साफ हो गया है कि इस देश का सिर्फ एक चेहरा है और उस चेहरे पर केवल और केवल कट्टरपंथ हावी है. उपरोक्त दोनों ही बातें एक दूसरे से बिल्कुल विपरीत दो अलग विचारधाराओं का प्रदर्शन करती नजर आ रही हैं.

आसिया बीबी की रिहाई पर पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है

आसिया मामले पर पाकिस्तान के हालात विचलित करने वाले हैं. ईशनिंदा के मामले में ईसाई महिला आसिया बीबी की रिहाई पर पूरे पाकिस्तान में हंगामा बरपा है. आसिया बीबी को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत के बाद देश के कट्टरपंथियों का खून खुल गया है, वे उसे फांसी के तख्ते पर झूलते देखना चाहते हैं. इस पूरे मामले में सबसे दिलचस्प बात ये है कि चरमपंथी वर्ग देश की सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ हैं और इसकी समीक्षा के लिए याचिका डाल रहे हैं. मामले पर जो इमरान का रुख है उससे भी साफ है कि प्रधानमंत्री ने देश के इस वर्ग के आगे अपने घुटने टेक दिए हैं.

गौरतलब है कि आसिया बीबी को ईशनिंदा के आरोपों से बरी किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं. साथ ही कट्टरपंथी संगठनों ने आसिया को जान से मारने की धमकी देना शुरू कर दिया है. ध्यान रहे कि कोर्ट के फैसले के बाद जिस तरह इस्लामी पॉलिटिकल पार्टी तहरीक-ए-लबैक पाकिस्तान और अन्य संगठनों के नेतृत्व में पूरे पाकिस्तान में प्रदर्शन हुआ. उसने साफ बता दिया है कि पाकिस्तान के पास खुद ऐसे तमाम कारण हैं जो उसे लगातार गर्त के अंधेरों में ढकेल रहे हैं.

पाकिस्तान में कट्टरपंथी लगातार आसिया बीबी की मौत की मांग कर रहे हैं

चाहे सेना और जजों को धमकी मिलना हो या फिर बगावत के रूप में आगजनी और तोड़ फोड़. पाकिस्तान ने ये साबित कर दिय है कि वो एक ऐसे दो-राहे पर खड़ा है जहां उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती वो लोग साबित हो रहे हैं जिनके हाथ में इस्लाम का झंडा है और उस झंडे की हिफाजत के नाम पर वो लगातार खून बहाने और जान लेने का काम कर रहे हैं.

आसिया बीवी को उसका हक देने के नाम पर पाकिस्तान चाहे जितनी भी लफ्फाजी कर ले. मगर जो देश के हालात हैं, साफ बताते है कि उसे चलना उन मुल्लों और मौलवियों के इशारे पर है, जो देश के लिए केवल और केवल दीमक का काम कर रहे हैं. इन लोगों की कार्यप्रणाली ही कुछ ऐसी है जिसने पाकिस्तान को इस हद तक चाट दिया है कि अब शायद ही इस देश का विकास आगे कभी हो पाए.

आज भले ही प्रधानमंत्री मुल्क को आगे ले जाने के लिए और 'नए पाकिस्तान' के नाम पर शिक्षा पर जोर दे रहे हों. मगर एक मुल्क का सिर्फ इसलिए पोलियो जैसी गंभीर बीमारी की दवा न पीना क्योंकि उससे इन्हें नपुंसक बनाया जा रहा है ये बता देता है कि जब तक मुल्क चीजों को लेकर अपना रुख साफ नहीं करता इस देश का विकसित होना लगभग असंभव है.

पाकिस्तान में कट्टरपंथी देश को दीमक की तरह चाट कर खोखला कर रहे हैं

देश में सरकार किस हद तक कट्टरपंथ के सामने घुटने टेकने पर मजबूर है यदि हमें इस बात को समझना हो तो हम बीते दिनों घटित हुई एक घटना का अवलोकन कर सकते हैं. पाकिस्तान के रावलपिंडी में मौलाना समी उल हक नाम के शख्स की चाकुओं से गोदकर हत्या हुई थी. हक को तालिबान के गॉडफादर के रूप में जाना जाता है. हक खैबर पख्तूनख्वा के अकोरा खट्टक शहर में इस्लामी मदरसे दारुल उलूम हक्कानिया के प्रमुख और कट्टरपंथी राजनीतिक पार्टी जमियत उलेमा-ए-इस्लाम-सामी (जेयूआई-एस) के अध्यक्ष थे.

यदि हक का बैकग्राउंड चेक करें तो मिलता है कि ये वही शख्स है जिसने आतंकवाद के पैर पसारने के लिए आतंकियों और लड़ाकों को तैयार किया था. हक की मौत के बाद न सिर्फ पाकिस्तान की सेना द्वारा उसे श्रद्धांजलि अर्पित की गयी बल्कि एक बड़े वर्ग ने उसे शहीद का दर्जा दे दिया है.

फादर ऑफ तालिबान समी उल हक की मौत ने भी पाकिस्तान को बेनकाब कर दिया है

एक देश की सेना का एक आतंकी को श्रद्धांजलि देना और वहां के लोगों का उसे शहीद मान लेना हमें ये बता देता है कि आज पाकिस्तान में आसिया बीबी का इतना बुरा हाल क्यों है. साथ ही क्यों सरकार उन लोगों के खिलाफ एक्शन लेने में असमर्थ है जिन्होंने कानून अपने हाथ में लेते हुए मामले पर जजों और सेना के लोगों को मारने की धमकी दी है.

किसी भी देश का निर्माण एक संविधान के तहत होता है. जो देश संविधान को दर किनार करते हुए उन ताकतों के आगे झुक जाता है जो समाज के लिए एक बड़ा खतरा हैं. साफ बता देता है कि उसका भविष्य अंधकार में है. अब जबकि पाकिस्तान ऐसा कर चुका है तो हमारे लिए ये कहना कहीं से भी गलत नहीं है कि अब वो वक़्त आ गया है जब पाकिस्तान अपनी विचारधारा पर अपना मत स्पष्ट करे वरना दुनिया तो यूं भी मान चुकी है कि इस देश ने खुद अपनी ही जड़ों में कट्टरपंथ का मट्ठा डालकर इसे पूरी तरह से बर्बाद कर लिया है.

अंत में बस इतना ही कि आसिया बीबी के मामले में हमें असली पाकिस्तान और उसका वो चेहरा दिखा है जो न सिर्फ डरावना है. बल्कि ये भी बता रहा है कि इस देश में न्याय, कानून संविधान जैसी बातें सिर्फ एक फसाना है. यहां की हकीकत बस इतनी है धर्म के नाम पर लोग मर रहे हैं या फिर उन्हें मारा जा रहा है और जो इन मौतों का विरोध कर रहा है उसे काफ़िर मानकर मुल्लों के बताए इस्लाम से उसे खारिज कर दिया जा रहा है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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