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राहुल गांधी कहां चूक गये जो अरविंद केजरीवाल लीड ले रहे हैं

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 25 अप्रिल, 2021 09:01 PM
  • 25 अप्रिल, 2021 09:01 PM
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कोरोना संकट काल (Covid Crisis) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सबसे ज्यादा हमलावर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) रहे हैं, लेकिन ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) उनको पीछे छोड़ चुके हैं - ये राजनीति ही है जो मानवता पर आये संकट को भी नहीं बख्श रही है.

कोरोना संकट काल (Covid Crisis) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ हाल तक विरोध की दो ही आवाजें सुनायी देती रही हैं - एक, कांग्रेस नेता राहुल गांधी की और दूसरी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की. ममता बनर्जी के विरोध की हालिया वजह पश्चिम बंगाल में हो रहे विधानसभा चुनाव हैं.

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) तो मोदी सरकार पर देश में संपूर्ण लॉकडाउन लागू होने के समय से ही हमलावर रहे हैं. बीच बीच में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखती रही हैं. राहुल गांधी का आरोप रहा है कि बगैर किसी तैयारी के देश में लॉकडाउन लगा दिया गया और लाखों गरीब मजदूर सड़क पर आ गये और बहुतों के जान तक गंवानी पड़ी.

लेकिन कोरोना काल में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) मोदी विरोध की होड़ में सबको पीछे छोड़ते नजर आने लगे हैं - ऑक्सीजन सप्लाई के मुद्दे पर अरविंद केजरीवाल मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा तो कर ही दिया है. प्रधानमंत्री के साथ मीटिंग में प्रोटोकॉल तोड़ना, अलग मसला है - लेकिन जो मुद्दे अरविंद केजरीवाल ने उठाये हैं वो तो हर किसी के मन की बात ही है.

प्रधानमंत्री के साथ मुख्यमंत्रियों की बैठक के बाद भी, दिल्ली सरकार के वकील ने हाई कोर्ट में काफी जिरह किया है - और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दिल्ली सरकार को ही घेरने की कोशिशों पर सटीक जवाब भी दिया है.

अब अरविंद केजरीवाल देश के मुख्यमंत्रियों को ऑक्सीजन की कमी को लेकर मदद के लिए चिट्ठी भी लिखने जा रहे हैं - अगर एक ही मुद्दे को उठाने के मामले में राहुल गांधी के मुकाबले अरविंदर केजरीवाल भारी पड़ रहे हैं तो उसकी खास वजह भी है.

पोजीशन में फर्क का असर तो होता ही है

राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल में कुछ बुनियादी फर्क तो हैं ही. अरविंद केजरीवाल के अधिकार चाहें जितने भी सीमित कर दिये गये हैं, एक राज्य के मुख्यमंत्री तो वो हैं ही. राहुल गांधी तो महज एक सांसद हैं अगर वो अभी कांग्रेस अध्यक्ष भी होते तो उसका अलग असर होता...

कोरोना संकट काल (Covid Crisis) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ हाल तक विरोध की दो ही आवाजें सुनायी देती रही हैं - एक, कांग्रेस नेता राहुल गांधी की और दूसरी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की. ममता बनर्जी के विरोध की हालिया वजह पश्चिम बंगाल में हो रहे विधानसभा चुनाव हैं.

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) तो मोदी सरकार पर देश में संपूर्ण लॉकडाउन लागू होने के समय से ही हमलावर रहे हैं. बीच बीच में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखती रही हैं. राहुल गांधी का आरोप रहा है कि बगैर किसी तैयारी के देश में लॉकडाउन लगा दिया गया और लाखों गरीब मजदूर सड़क पर आ गये और बहुतों के जान तक गंवानी पड़ी.

लेकिन कोरोना काल में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) मोदी विरोध की होड़ में सबको पीछे छोड़ते नजर आने लगे हैं - ऑक्सीजन सप्लाई के मुद्दे पर अरविंद केजरीवाल मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा तो कर ही दिया है. प्रधानमंत्री के साथ मीटिंग में प्रोटोकॉल तोड़ना, अलग मसला है - लेकिन जो मुद्दे अरविंद केजरीवाल ने उठाये हैं वो तो हर किसी के मन की बात ही है.

प्रधानमंत्री के साथ मुख्यमंत्रियों की बैठक के बाद भी, दिल्ली सरकार के वकील ने हाई कोर्ट में काफी जिरह किया है - और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दिल्ली सरकार को ही घेरने की कोशिशों पर सटीक जवाब भी दिया है.

अब अरविंद केजरीवाल देश के मुख्यमंत्रियों को ऑक्सीजन की कमी को लेकर मदद के लिए चिट्ठी भी लिखने जा रहे हैं - अगर एक ही मुद्दे को उठाने के मामले में राहुल गांधी के मुकाबले अरविंदर केजरीवाल भारी पड़ रहे हैं तो उसकी खास वजह भी है.

पोजीशन में फर्क का असर तो होता ही है

राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल में कुछ बुनियादी फर्क तो हैं ही. अरविंद केजरीवाल के अधिकार चाहें जितने भी सीमित कर दिये गये हैं, एक राज्य के मुख्यमंत्री तो वो हैं ही. राहुल गांधी तो महज एक सांसद हैं अगर वो अभी कांग्रेस अध्यक्ष भी होते तो उसका अलग असर होता है. तकनीकी तौर पर ही सही.

ऑक्सीजन सप्लाई से साथ साथ राहुल गांधी भी वैक्सीन और दवाओं को लेकर लगतार ट्वीट कर रहे हैं, हालांकि, कोविड पॉजिटिव होने के चलते वो फिलहाल क्वारंटीन में हैं. फिर भी कोरोना के मुद्दे पर सक्रिय न हों, ऐसा नहीं कहा जा सकता.

कोरोना वायरस से पैदा हुए हालात तो महाराष्ट्र, दिल्ली, यूपी और कई और भी राज्यों में करीब करीब एक जैसे ही हैं, लेकिन दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी के चलते अस्पतालों में भर्ती मरीजों की जान पर बन आयी है.

ऑक्सीजन न मिलने की वजह से तो वेंटिलेटर पर रहे 22 मरीजों की महाराष्ट्र के अस्पताल में भी मौत हो गयी, लेकिन वहां ऑक्सीजन की कमी नहीं थी, बल्कि, गैस लीक होने के चलते करीब आधे घंटे तक मरीजों तक ऑक्सीजन पहुंचने में रुकावट आ गयी.

ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर घिरी मोदी सरकार पर हमले के मामले में अरविंद केजरीवाल, राहुल गांधी से आगे निकल चुके हैं.

ऑक्सीजन की कमी के दिल्ली के भी कई अस्पतालों से मौत की खबरें आ रही हैं - और ऐसे भी अस्पताल हैं जहां बड़ी संख्या में मरीज भर्ती हैं और ऑक्सीजन का स्टॉक ज्यादा देर तक चलने वाला नहीं है.

सरकार की तरफ से कोई मदद न मिलते देख ऐसे अस्पतालों को अदालत के दरवाजे खटखटाने पड़ रहे हैं. दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल के बाद अग्रसेन हॉस्पिटल को भी कोर्ट का रुख करना पड़ा - जहां जिरह और बहस तो हुई ही, हालात के मद्देनजर हाईकोर्ट का भी रौद्र रूप देखने को मिला. कोर्ट ने तो यहां तक कह डाला कि किसी ने भी ऑक्सीजन सप्लाई में बाधा पहुंचाने की कोशिश की तो सीधे लटका देंगे.

दिल्ली के बेहाल लोगों के नाम पर ही सही, लेकिन राजनीतिक तौर पर देखें तो अरविंद केजरीवाल ने मोदी सरकार की इस वक्त की कमजोर नस तो पकड़ ही ली है - नौकरशाही की पृष्ठभूमि से आने के कारण ये अंदाजा तो होगा ही कि चल क्या रहा होगा?

और अगर अरविंद केजरीवाल ऑक्सीजन के मामले में पॉलिटिकली एक्विट हैं तो उसकी वजह भी है. देश के टॉप ब्यूरोक्रेट्स की मीटिंग से जो खबर आ रही है, वो भी इसी तरफ इशारे कर रही है.

द प्रिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अफसरों की एक मीटिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना के दोबारा दस्तक देने को लेकर तैयारियां सही न होने से वो काफी गुस्से में रहे. रिपोर्ट के मुताबिक, इस मीटिंग में कैबिनेट सचिव राजीव गौबा, प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव पीके मिश्रा, गृह सचिव अजय भल्ला, स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण, फार्मा सेक्रेट्री एस. अपर्णा और नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल प्रमुख तौर पर मौजूद रहे.

सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट बता रही है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अफसरों से कहा कि पिछली बार की तरह कोरोना संकट को लेकर उनमें उत्साह भी नहीं नजर आ रहा है. प्रधानमंत्री मोदी का कहना रहा कि पिछले साल के अनुभवों की बदौलत इस बार बेहतर तैयारियां हो सकती थीं.

प्रधानमंत्री मोदी ने एक्सपर्ट ग्रुप को लेकर भी नाराजगी जतायी है. मार्च, 2020 में मोदी सरकार ने सचिव स्तर के अफसरों के नेतृत्व में 11 एम्पावर्ड ग्रुप बनाये थे और ये ग्रुप ही कोविड प्रोटोकॉल से जुड़े सारे कामकाज की मॉनिटरिंग करता रहा और प्रधानमंत्री को अपडेट करता रहा.

अफसरों से प्रधानमंत्री मोदी ने पूछा कि तकनीकी दक्षता वाले ऐसे एक्सपर्ट ग्रुप के होने का क्या फायदा जब ऐसी भारी तादाद में सामने आ रहे कोविड के मामलों को को हैंडल करने में वो कोई मदद नहीं कर पा रहे हैं.

अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री होने का फायदा ये भी मिल रहा है कि जब भी किसी अस्पताल के लोग हाई कोर्ट पहुंच रहे हैं तो दिल्ली सरकार की तरफ से पहुंचा वकील भी वही मुद्दे उठा रहा है जो बाहर अरविंद केजरीवाल उठा रहे हैं. कोर्ट केंद्र सरकार की तरफ से मौजूद सॉलिसिटर जनरल से सवाल पूछता है तो वो दिल्ली सरकार पर धावा बोल देते हैं, ऐसे में दिल्ली सरकार का वकील काउंटर करता है - और जो कोर्ट का गुस्सा सामने आया है वो इन बहसों की बदौलत ही सातवें आसमान पर जा पहुंचा है.

इंसानियत अपनी जगह है और अपने ट्विटर प्रोफाइल में ऐसी बातें करने वाले केजरीवाल के लिए तो राजनीति में मौका मिलना चाहिये - और ऐसा कोई भी मौका वो नहीं छोड़ते. वो हर राजनीतिक मौके का पूरा फायदा उठाते हैं, भले ही उसके बाद माफी ही क्यों न मांगनी पडे़. वैसे भी नौकरशाही छोड़कर वो राजनीति में कोई एनजीओ चलाने तो आये नहीं हैं.

ध्यान देने वाली बात ये भी है कि पिछली बार जहां दिल्ली में कोरोना के मामले बढ़ जाने और हालात बेकाबू हो जाने के बाद केंद्र सरकार की हां में हां मिलाते नजर आ रहे थे, इस बार लगता है जैसे उलटी बयार बह रही हो - अरविंद केजरीवाल कदम कदम पर केंद्र को घेर रहे हैं.

2020 बनाम 2021

पिछली बार जब दिल्ली में जब कोरोना वायरस ने विकराल रूप लिया था तो अमित शाह ने कमांड अपने हाथ में ले ली थी - और अरविंद केजरीवाल या तो चुप थे या उनकी तारीफ में कसीदे पढ़ रहे थे - 'बहुत कुछ सीखने को मिला'.

इस बार अरविंद केजरीवाल दिल्ली में केंद्र सरकार से ऑक्सीजन की लड़ाई लड़ रहे हैं और अमित शाह आगे की तैयारियों में जुटे हैं. गांधीनगर के कोलवाड़ा गांव के आय़ुर्वेदिक अस्पताल में एक ऑक्सीजन संयंत्र का उद्घाटन के मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पीएम केयर फंड से देश भर में ऑक्सिजन सप्लाई के लिए खास अभियान चलाया जा रहा है - गुजरात में 11 नये पीएसए ऑक्सिजन संयंत्र स्थापित किये गये हैं. साथ ही, अमित शाह ने भरोसा दिलाया कि गुजरात की जरूरतों से जो भी ज्यादा ऑक्सिजन का उत्पादन होगा - वो बाकी राज्यों को भी भेजा जाएगा.

दिल्ली को लेकर पिछली बार अमित शाह ने कमांड हाथ में लेते ही एक 12 सूत्रीय प्लान तैयार किया - और स्थिति की समीक्षा के लिए अफसरों के अलावा दिल्ली में सर्व दलीय बैठक भी बुलायी थी.

इस बार भले ही अरविंद केजरीवाल बड़े ही आराम से तंज भरे लहजे में मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन 2020 में ये अरविंद केजरीवाल ही हैं जो केंद्र की तरफ से मिली मदद को लेकर आभार जताते नहीं थकते थे. मुख्यमंत्री केजरीवाल ने अमित शाह के सक्रिय होने के बाद माना भी था, 'लोग बेड के लिए यहां-वहां भाग रहे थे... रात-रात भर मेरे पास परेशान लोगों के फोन आते थे और मैंने रात-रात भर जाग कर लोगों के लिए अस्पतालों में बेड की व्यवस्था कराई... अब दिल्ली में हालात बेहतर हैं.'

ये भी अरविंद केजरीवाल का ही बयान रहा - "कोरोना के खिलाफ लड़ाई में केंद्र ने हमें हाथ पकड़कर चलना सिखाया है."

केंद्र सरकार के खिलाफ अरविंद केजरीवाल को कोरोना की आड़ में जो मौका मिला है उसका वो भरपूरा फायदा उठा रहे हैं, ये बात अलग है कि चुनावी मौसम शुरू होते ही फिर से यू-टर्न ले लें तो बात और है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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