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केजरीवाल जी! आरोप लगाने से अच्छा है कि पहले अपनी जानकारी बढ़ा लें

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 21 मई, 2021 02:41 PM
  • 21 मई, 2021 02:41 PM
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'ब्लेम गेम' के मामले में अरविंद केजरीवाल जैसा उदाहरण पूरे देश में कोई दूसरा ढ़ूंढने पर भी नहीं मिलता है. कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच अरविंद केजरीवाल ने ऑक्सीजन से लेकर वैक्सीन तक हर मुद्दे पर केंद्र सरकार पर आरोपों की बौछार कर दी थी.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने एक ट्वीट के जरिये सिंगापुर में पाए गए एक स्ट्रेन को लेकर केंद्र सरकार को चेताया था. लेकिन, अरविंद केजरीवाल के इस ट्वीट की वजह से भारत सरकार को सिंगापुर के सामने सफाई देनी पड़ी. विदेश मंत्रालय को यहां तक कहना पड़ा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री भारत का पक्ष नहीं रख सकते है.. इस बवाल के बाद आलोचनाएं झेल रहे केजरीवाल का बचाव करने के लिए डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कमान संभालते हुए केंद्र सरकार को बच्चों की जान के ऊपर सिंगापुर की चिंता करने की बात कह दी. यहां बताना जरूरी है कि इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहे देश को सबसे पहली मदद 25 अप्रैल को सिंगापुर की ओर से ही मिली थी. जिसमें ऑक्सीजन जनरेटर्स, कंसेट्रेटर्स और वेंटिलेटर शामिल थे. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर केजरीवाल आरोप लगाकर भागने की राजनीति कब तक करेंगे?

'ब्लेम गेम' हर जगह फिट होने वाला फॉर्मूला नहीं

'ब्लेम गेम' के मामले में अरविंद केजरीवाल जैसा उदाहरण पूरे देश में कोई दूसरा ढ़ूंढने पर भी नहीं मिलता है. कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच अरविंद केजरीवाल ने ऑक्सीजन से लेकर वैक्सीन तक हर मुद्दे पर केंद्र सरकार पर आरोपों की बौछार कर दी थी. वहीं, केंद्र सरकार द्वारा पीएम केयर्स फंड के आठ ऑक्सीजन प्लांट्स लगाने में नाकाम रहने के सवाल पर चुप्पी साध ली थी. ऑक्सीजन मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार को जमकर फटकार लगाई थी. दिल्ली में कोरोना की दूसरी लहर ने जो कहर ढाया है, वो लोगों के सामने है. लेकिन, इस दौरान भी केजरीवाल की प्राथमिकता में लोगों की जान से ज्यादा केंद्र सरकार पर आरोप लगाना ही रहा था. राजनीति में आने से पहले अरविंद केजरीवाल ने देश के तकरीबन हर बड़े नेता पर गंभीर आरोप लगाए और बाद में उसके लिए माफी मांग ली. केजरीवाल की आरोपों की राजनीति उनके काम आई और उन्हें सत्ता पर काबिज करवा गई. तब से ही ये केजरीवाल की आदतों में शुमार हो गया है. लेकिन, ये हर जगह हिट और फिट होने वाला फॉर्मूला नहीं है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने एक ट्वीट के जरिये सिंगापुर में पाए गए एक स्ट्रेन को लेकर केंद्र सरकार को चेताया था. लेकिन, अरविंद केजरीवाल के इस ट्वीट की वजह से भारत सरकार को सिंगापुर के सामने सफाई देनी पड़ी. विदेश मंत्रालय को यहां तक कहना पड़ा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री भारत का पक्ष नहीं रख सकते है.. इस बवाल के बाद आलोचनाएं झेल रहे केजरीवाल का बचाव करने के लिए डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कमान संभालते हुए केंद्र सरकार को बच्चों की जान के ऊपर सिंगापुर की चिंता करने की बात कह दी. यहां बताना जरूरी है कि इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहे देश को सबसे पहली मदद 25 अप्रैल को सिंगापुर की ओर से ही मिली थी. जिसमें ऑक्सीजन जनरेटर्स, कंसेट्रेटर्स और वेंटिलेटर शामिल थे. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर केजरीवाल आरोप लगाकर भागने की राजनीति कब तक करेंगे?

'ब्लेम गेम' हर जगह फिट होने वाला फॉर्मूला नहीं

'ब्लेम गेम' के मामले में अरविंद केजरीवाल जैसा उदाहरण पूरे देश में कोई दूसरा ढ़ूंढने पर भी नहीं मिलता है. कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच अरविंद केजरीवाल ने ऑक्सीजन से लेकर वैक्सीन तक हर मुद्दे पर केंद्र सरकार पर आरोपों की बौछार कर दी थी. वहीं, केंद्र सरकार द्वारा पीएम केयर्स फंड के आठ ऑक्सीजन प्लांट्स लगाने में नाकाम रहने के सवाल पर चुप्पी साध ली थी. ऑक्सीजन मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार को जमकर फटकार लगाई थी. दिल्ली में कोरोना की दूसरी लहर ने जो कहर ढाया है, वो लोगों के सामने है. लेकिन, इस दौरान भी केजरीवाल की प्राथमिकता में लोगों की जान से ज्यादा केंद्र सरकार पर आरोप लगाना ही रहा था. राजनीति में आने से पहले अरविंद केजरीवाल ने देश के तकरीबन हर बड़े नेता पर गंभीर आरोप लगाए और बाद में उसके लिए माफी मांग ली. केजरीवाल की आरोपों की राजनीति उनके काम आई और उन्हें सत्ता पर काबिज करवा गई. तब से ही ये केजरीवाल की आदतों में शुमार हो गया है. लेकिन, ये हर जगह हिट और फिट होने वाला फॉर्मूला नहीं है.

भारत सरकार के 'वैक्सीन मैत्री' कार्यक्रम को लेकर भी अरविंद केजरीवाल ने सवाल उठाए थे.

बच्चों के नाम पर पॉलिटिकल नंबर बढ़ाने की कोशिश

भारत सरकार के 'वैक्सीन मैत्री' कार्यक्रम को लेकर भी अरविंद केजरीवाल ने सवाल उठाए थे. उन्होंने ट्वीट में पहले केवल मुस्लिम देशों को ही  जिसकी वजह से उन्हें आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा था. भारत एक लोकतांत्रिक देश है और अरविंद केजरीवाल को सवाल उठाने के अधिकार से कोई वंचित नहीं कर सकता है. लेकिन, उन्हें राजनीतिक हित साधने से पहले कम से कम इतना तो ध्यान रख ही लेना चाहिए कि उससे 'भारत' की छवि न बिगड़े. केजरीवाल के बचाव में उतरे मनीष सिसोदिया का कहना है कि हमें बच्चों की फिक्र है और केंद्र सरकार को सिंगापुर की. क्या ये कहना गलता होगा कि केजरीवाल बच्चों के नाम पर लोगों की भावनाओं से खेल रहे हैं और देश के अन्य देशों से संबंधों को भी खतरे में डाल रहे हैं? भारत में बच्चों के लिए वैक्सीन के ट्रायल चल रहे हैं. विश्व के कई देशों में भी यह ट्रायल प्रकिया में ही हैं. ऐसी स्थिति में केजरीवाल के बयान का बचाव कर मनीष सिसोदिया ओछी राजनीति नहीं तो और क्या कर रहे हैं? एक देश के तौर पर आपके मुश्किल वक्त में जब कोई दूसरा देश आपकी मदद के लिए सबसे पहले सामने आता है, तो अघोषित रूप से आपके सामने कुछ 'लक्ष्मण रेखाएं' खिंच जाती हैं. उनका तो पालन किया ही जा सकता है, वरना लोग एहसानफरामोश कहने से भी नहीं चूकते हैं.

वो काम करते रहे, हम परेशान करते रहे

कोरोना वायरस के एक स्ट्रेन को 'भारतीय वेरिएंट' कहे जाने पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक लंबा-चौड़ा बयान जारी कर इसका खंडन किया था. WHO की ओर से कहा गया था कि कोरोना वायरस के किसी भी स्ट्रेन को किसी देश से नहीं जोड़ा जा सकता है. मुख्यमंत्री होने के नाते अरविंद केजरीवाल से इतनी तो उम्मीद की ही जा सकती है कि वह ऐसी खबरों को लेकर सतर्क रहते होंगे. जब 'सिंगापुर वेरिएंट' की खबर उनके सामने आ सकती है, तो यह खबर भी उनके सामने से गुजरी ही होगी. लेकिन, यह खबर उनके ब्लेम गेम के माफिक नहीं थी. अरविंद केजरीवाल ऐसी किसी भी बात पर ध्यान देते हुए नजर नहीं आते हैं, जो उन्हें राजनीतिक लाभ न दे सके. दिल्ली के मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी का एक चुनावी नारा हुआ करता था- वो परेशान करते रहे, हम काम करते रहे. केजरीवाल ने कोरोना महामारी के दौरान इस नारे को पूरी तरह से उलट के रख दिया है. इस दौरान वो काम करते कम और परेशानी बढ़ाते हुए ज्यादा दिखाई देते हैं.

जानकारी बढ़ा लें, देश की इज्जत बनी रहेगी

अरविंद केजरीवाल ने अपने ट्वीट में केंद्र सरकार से अपील की थी कि सिंगापुर के साथ हवाई सेवाएं तत्काल प्रभाव से रद्द हों और बच्चों के लिए भी वैक्सीन के विकल्पों पर प्राथमिकता के आधार पर काम हो. हवाई सेवाओं के बारे में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने केजरीवाल को ट्वीट कर बताया था कि देश में मार्च, 2020 से ही अंतरराष्ट्रीय उड़ानें बंद हैं. सिंगापुर के साथ एयर बबल भी नहीं है. बस कुछ वंदे भारत उड़ानों से हम वहां फंसे भारतीय लोगों को वापस लाते हैं. ये हमारे अपने ही लोग हैं. वहीं, बच्चों के लिए वैक्सीन फिलहाल ट्रायल मोड में है. इन दोनों ही बातों से इतना तो साफ जाहिर है कि केजरीवाल की चिंता कहीं से भी बच्चों को लेकर तो नहीं ही थी. देश के साथ दिल्ली में भी कोरोना के मामले कम हो रहे हैं और केजरीवाल सुर्खियों से गायब हो रहे हैं. इस स्थिति में उन्हें कोई न कोई ऐसा मौका चाहिए ही होगा कि वह लोगों के बीच अपनी हाजिरी लगाते रहें. वैसे, केजरीवाल आरोपों की राजनीति को शायद ही छोड़ पाएं. लेकिन, आरोप लगाने से पहले कम से कम अपनी जानकारी तो बढ़ा ही सकते हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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