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केजरीवाल की सिद्धू पर निगाहें और कांग्रेस पर निशाना! जानिए माजरा क्या है...

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 24 नवम्बर, 2021 09:21 PM
  • 24 नवम्बर, 2021 09:18 PM
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आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) इन दिनों पंजाब में भी पूरी तरह से सक्रिय नजर आ रहे हैं. अरविंद केजरीवाल ने अपने हालिया दौरे में पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी को 'नकली केजरीवाल' घोषित करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) की जमकर तारीफ की है.

कांग्रेस हाईकमान की हरसंभव कोशिश के बाद भी पंजाब में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के बीच चल रहा सियासी युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है. कैप्टन अमरिंदर सिंह के कांग्रेस से बाहर होने के बाद सिद्धू की 'सियासी फायरिंग' का मुंह अब चन्नी की ओर मुड़ चुका है. पंजाब कांग्रेस की पहली चुनावी रैली में ही दोनों नेताओं के बीच की खुद चुकी खाई का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है. नवजोत सिंह सिद्धू ने इस रैली में चन्नी सरकार को रेत के दामों पर धमकाते हुए सस्ता न करने पर इस्तीफा देने की बात कह दी. वहीं, चन्नी ने कहा कि रेत सस्ती की जा चुकी है. इन सबके बीच आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) पंजाब में भी पूरी तरह से सक्रिय नजर आ रहे हैं.

अरविंद केजरीवाल ने अपने हालिया दौरे में पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी को 'नकली केजरीवाल' घोषित करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की जमकर तारीफ की है. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू जनता के मुद्दों को उठा रहे हैं, लेकिन कांग्रेस उन्हें दबा रही है. सिद्धू अपने सिद्धांतों पर टिके रहकर बहुत अच्छा काम कर रहे हैं. ये बात सर्वविदित है कि राजनीति में किसी की तारीफ यूं ही नहीं की जाती है. उसमें भी पंजाब विधानसभा चुनाव सिर पर हों और वो तारीफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद कर रहे हों, तो इस प्रशंसा के मायने अपने आप ही बढ़ जाते हैं. क्योंकि, केजरीवाल इससे पहले भी सिद्धू की सराहना करते नजर आ चुके हैं. वैसे जिस तरह से केजरीवाल ने सिद्धू की तारीफ की है, उससे सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर नवजोत सिंह सिद्धू पर डोरे डालना केजरीवाल क्यों नहीं छोड़ रहे हैं?

2017 में सिद्धू की आम आदमी पार्टी में एंट्री फाइनल हो चुकी थी. ऐन मौके...

कांग्रेस हाईकमान की हरसंभव कोशिश के बाद भी पंजाब में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के बीच चल रहा सियासी युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है. कैप्टन अमरिंदर सिंह के कांग्रेस से बाहर होने के बाद सिद्धू की 'सियासी फायरिंग' का मुंह अब चन्नी की ओर मुड़ चुका है. पंजाब कांग्रेस की पहली चुनावी रैली में ही दोनों नेताओं के बीच की खुद चुकी खाई का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है. नवजोत सिंह सिद्धू ने इस रैली में चन्नी सरकार को रेत के दामों पर धमकाते हुए सस्ता न करने पर इस्तीफा देने की बात कह दी. वहीं, चन्नी ने कहा कि रेत सस्ती की जा चुकी है. इन सबके बीच आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) पंजाब में भी पूरी तरह से सक्रिय नजर आ रहे हैं.

अरविंद केजरीवाल ने अपने हालिया दौरे में पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी को 'नकली केजरीवाल' घोषित करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की जमकर तारीफ की है. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू जनता के मुद्दों को उठा रहे हैं, लेकिन कांग्रेस उन्हें दबा रही है. सिद्धू अपने सिद्धांतों पर टिके रहकर बहुत अच्छा काम कर रहे हैं. ये बात सर्वविदित है कि राजनीति में किसी की तारीफ यूं ही नहीं की जाती है. उसमें भी पंजाब विधानसभा चुनाव सिर पर हों और वो तारीफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद कर रहे हों, तो इस प्रशंसा के मायने अपने आप ही बढ़ जाते हैं. क्योंकि, केजरीवाल इससे पहले भी सिद्धू की सराहना करते नजर आ चुके हैं. वैसे जिस तरह से केजरीवाल ने सिद्धू की तारीफ की है, उससे सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर नवजोत सिंह सिद्धू पर डोरे डालना केजरीवाल क्यों नहीं छोड़ रहे हैं?

2017 में सिद्धू की आम आदमी पार्टी में एंट्री फाइनल हो चुकी थी. ऐन मौके पर कांग्रेस ने दांव चला.

केजरीवाल के पास 'दिल्ली मॉडल', लेकिन सीएम फेस नहीं

अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली की तरह ही पंजाब में भी मुफ्त योजनाओं का पिटारा खोल दिया है. आम आदमी पार्टी की ओर से हर घर को 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने, 24 घंटे बिजली आपूर्ति, सरकारी अस्पतालों में मुफ्त उपचार-दवाएं, 18+ महिलाओं के खाते में हर महीने 1000 रुपये समेत दर्जनों वादों का अंबार लगा दिया गया है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो लोगों को लुभाने के लिए ये वादे बहुत अच्छे लगते हैं. लेकिन, इन वादों को आम आदमी पार्टी के लिए वोटों की शक्ल देने का काम कोई बड़ा चेहरा ही कर सकता है. अरविंद केजरीवाल पंजाब का मुख्यमंत्री बनने के लिए दिल्ली के सीएम का पद नहीं छोड़ेंगे. क्योंकि, सीधे तौर पर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर होने के लिहाज से दिल्ली की अपनी अहमियत है. भाजपा को निशाने पर रखने वाली राजनीति के लिए पंजाब जैसा राज्य किसी भी हाल में मुफीद नहीं कहा जा सकता है, जो किसान आंदोलन की वजह से राज्य में तकरीबन हाशिये पर जा चुकी हो. पंजाब में अरविंद केजरीवाल के सामने सबसे बड़ी समस्या है, मुख्यमंत्री का चेहरा. और, इसके लिए नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) सबसे बेहतर उम्मीदवार हो सकते हैं.

भगवंत मान की जिद से गुस्साए केजरीवाल

2017 की तरह इस बार भी पंजाब में आम आदमी पार्टी की ओर से सीएम फेस (CM Face) को लेकर सस्पेंस बरकरार है. हालांकि, आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान समय-समय पर मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनने के लिए अपनी दावेदारी जताते रहे हैं. लेकिन, भगवंत मान के समर्थकों ने पार्टी के बीच दो फाड़ की स्थिति पैदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. भगवंत मान समर्थकों के इस अतिउत्साह की वजह से आम आदमी पार्टी में टकराव की स्थिति भी पैदा हो चुकी है. कुछ दिन पहले ही बठिंडा ग्रामीण से आम आदमी पार्टी की विधायक रुपिंदर कौर रूबी ने इस्तीफा देकर कांग्रेस (Punjab Congress) में शामिल हो गई थीं. पार्टी छोड़ने के बाद रुपिंदर कौर रूबी ने कहा था कि भगवंत मान को सीएम का चेहरा न बनाए जाने पर आम आदमी पार्टी की पंजाब में हार निश्चित है. माना जा रहा है कि भगवंत मान के शक्ति प्रदर्शन के इस तरीके से अरविंद केजरीवाल बुरी तरह से खफा हैं.

केजरीवाल के सभी खांचों में फिट होते हैं सिद्धू

2017 में कांग्रेस में शामिल होने से पहले नवजोत सिंह सिद्धू की अरविंद केजरीवाल से आम आदमी पार्टी में शामिल होने को लेकर बातचीत लगभग फाइनल हो चुकी थी. लेकिन, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की वजह से नवजोत सिंह सिद्धू आम आदमी पार्टी की जगह कैप्टन अमरिंदर सिंह की स्टार कैंपेनर लिस्ट में शामिल हो गए. सिद्धू को कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार में मंत्री भी बनाया गया. लेकिन, अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं और विद्रोही स्वभाव के चलते सिद्धू ने अमरिंदर सरकार से इस्तीफा दे दिया. और, पंजाब की राजनीति के अहम मुद्दों खनन माफिया, ड्रग्स व्यापार, बेअदबी मामले पर कैप्टन सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलकर अमरिंदर सिंह को सीएम पद से इस्तीफा देने की कगार पर ला दिया. एक नेता के तौर पर नवजोत सिंह सिद्धू के पोर्टफोलियो में ये एक बड़ी जीत कही जा सकती है. क्योंकि, इसके बाद उन्होंने फैसले लेने में छूट न देने पर कांग्रेस आलाकमान की ईट से ईट बजा देने की घोषणा कर दी थी. बाद में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा भी दे दिया था. जिसे बाद में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के कहने पर वापस लिया गया.

पंजाब में लोकप्रियता से इतर नवजोत सिंह सिद्धू कई अन्य मामलों में भी भगवंत मान से आगे नजर आते हैं. भगवंत मान जिस कॉमेडी शो के सहारे आम आदमी पार्टी के इतने बड़े नेता बने थे. सिद्धू उस कॉमेडी शो के जज रहे थे. आसान शब्दों में कहा जाए, तो भगवंत मान और नवजोत सिद्धू की लोकप्रियता के मामले में तुलना करना पूरी तरह से गलत है. पंजाब में आम आदमी पार्टी का सबसे पुराना चेहरा होने के अलावा भगवंत मान के पास कोई खास उपलब्धि नहीं है. वहीं, नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस की सरकार में रहते हुए ही अपनी पार्टी के खिलाफ जाकर लोकहित के मुद्दों को उठाते रहे हैं, जो उनके लिए पंजाब में एक तरह की फैन बेस बनाने में काम आया है. सीमांत राज्य पंजाब में पाकिस्तान के प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता है. सिद्धू के पाकिस्तान के पीएम इमरान खान से दोस्ताना संबंधों को अरविंद केजरीवाल भविष्य में आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं. 

अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी के अन्य राज्यों में विस्तार में किसी भी तरह का खतरा मोल नहीं लेना चाहते हैं. नवजोत सिंह सिद्धू आम आदमी पार्टी के लिए अन्य राज्यों में भी बड़ा चेहरा साबित हो सकते हैं. जबकि, भगवंत मान का प्रभाव पंजाब राज्य तक ही सीमित है. इन सबसे इतर कांग्रेस आलाकमान की ओर से चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू के सीएम बनने की राह मुश्किल हो गई है. आम आदमी पार्टी में शामिल होकर सिद्धू अरविंद केजरीवाल को मजबूत कर सकते हैं. और, इसके बदले में नवजोत सिद्धू को सीएम फेस बनाया जा सकता है. क्योंकि, सिद्धू अभी भी अपनी ही सरकार और सीएम चरणजीत सिंह चन्नी पर लगातार निशाना साध रहे हैं. इस परिप्रेक्ष्य में केजरीवाल का नवजोत सिंह सिद्धू की तारीफ पर कयास लगाए जाना स्वाभाविक है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो केजरीवाल की सिद्धू पर निगाहें हैं और कांग्रेस पर निशाना है.


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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