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धारा 370 हटने और पुर्नगठन बिल से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को क्या मिला

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 06 अगस्त, 2019 07:38 PM
  • 06 अगस्त, 2019 06:30 PM
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मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को लेकर बिल तो पास कर दिए, लेकिन सवाल ये है कि इससे जम्मू-कश्मीर को मिला क्या? आइए जानते हैं अब तक जम्मू-कश्मीर की स्थिति क्या थी और अब ये बिल आने के बाद जम्मू-कश्मीर में क्या बदल गया है.

कश्मीर घाटी में लगातार सेना की तैनाती बढ़ाए जाने के चलते तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे थे. इन्हीं सब के बीच सोमवार 5 अगस्त को मोदी सरकार ने पूरी तस्वीर साफ कर दी. मोदी सरकार ने संसद में बिल पेश कर के जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटा दिया. इसी के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा हटाकर उसके दो केंद्र शासित प्रदेश बना दिए. एक जम्मू-कश्मीर और दूसरा लद्दाख. मोदी सरकार के इस फैसले पर कुछ राजनीतिक पार्टियां भाजपा का विरोध कर रही हैं तो कुछ ने इस फैसले का समर्थन किया है.

मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को लेकर बिल तो पास कर दिए, लेकिन सवाल ये है कि इससे जम्मू-कश्मीर को मिला क्या? देशभर में इस बात का जश्न मनाया जा रहा है कि अब जम्मू-कश्मीर भी भारत का हिस्सा है, ना कि एक अलग राज्य, जिसका संविधान तक अलग था. लोग इस बात से भी खुश हैं कि अब जम्मू-कश्मीर के पास विशेष दर्जा नहीं है, बल्कि वह भी अन्य राज्यों या यूं कहें केंद्र शासित प्रदेशों जैसा हो गया है. तो इससे फायदा हुआ या नुकसान? आइए जानते हैं अब तक जम्मू-कश्मीर की स्थिति क्या थी और अब ये बिल आने के बाद जम्मू-कश्मीर में क्या बदल गया है.

मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को लेकर बिल तो पास कर दिए, लेकिन सवाल ये है कि इससे जम्मू-कश्मीर को मिला क्या?

लद्दाख में नहीं होगी विधानसभा

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 107 सदस्य होंगे. हालांकि, इस विधानसभा के पास ये अधिकार नहीं होगा कि वह 'पब्लिक ऑर्डर और पुलिस' से जुड़े किसी कानून को मंजूरी नहीं दे सके. साथ ही, अब विधानसभा का कार्यकाल 5 सालों का होगा, ना कि पहले की तरह 6 सालों का. एक सबसे अच्छी चीज ये है कि अब जम्मू-कश्मीर विधानसभा में एससी-एसटी के लिए भी सीटें आरक्षित की जा सकेंगी, जो अब तक नहीं होता था. वहीं दूसरी ओर, लद्दाख में कोई भी विधानसभा...

कश्मीर घाटी में लगातार सेना की तैनाती बढ़ाए जाने के चलते तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे थे. इन्हीं सब के बीच सोमवार 5 अगस्त को मोदी सरकार ने पूरी तस्वीर साफ कर दी. मोदी सरकार ने संसद में बिल पेश कर के जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटा दिया. इसी के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा हटाकर उसके दो केंद्र शासित प्रदेश बना दिए. एक जम्मू-कश्मीर और दूसरा लद्दाख. मोदी सरकार के इस फैसले पर कुछ राजनीतिक पार्टियां भाजपा का विरोध कर रही हैं तो कुछ ने इस फैसले का समर्थन किया है.

मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को लेकर बिल तो पास कर दिए, लेकिन सवाल ये है कि इससे जम्मू-कश्मीर को मिला क्या? देशभर में इस बात का जश्न मनाया जा रहा है कि अब जम्मू-कश्मीर भी भारत का हिस्सा है, ना कि एक अलग राज्य, जिसका संविधान तक अलग था. लोग इस बात से भी खुश हैं कि अब जम्मू-कश्मीर के पास विशेष दर्जा नहीं है, बल्कि वह भी अन्य राज्यों या यूं कहें केंद्र शासित प्रदेशों जैसा हो गया है. तो इससे फायदा हुआ या नुकसान? आइए जानते हैं अब तक जम्मू-कश्मीर की स्थिति क्या थी और अब ये बिल आने के बाद जम्मू-कश्मीर में क्या बदल गया है.

मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को लेकर बिल तो पास कर दिए, लेकिन सवाल ये है कि इससे जम्मू-कश्मीर को मिला क्या?

लद्दाख में नहीं होगी विधानसभा

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 107 सदस्य होंगे. हालांकि, इस विधानसभा के पास ये अधिकार नहीं होगा कि वह 'पब्लिक ऑर्डर और पुलिस' से जुड़े किसी कानून को मंजूरी नहीं दे सके. साथ ही, अब विधानसभा का कार्यकाल 5 सालों का होगा, ना कि पहले की तरह 6 सालों का. एक सबसे अच्छी चीज ये है कि अब जम्मू-कश्मीर विधानसभा में एससी-एसटी के लिए भी सीटें आरक्षित की जा सकेंगी, जो अब तक नहीं होता था. वहीं दूसरी ओर, लद्दाख में कोई भी विधानसभा नहीं होगी.

किसके हाथ में होगी सत्ता?

विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी सरकार बनाएगी, जिसके तहत मुख्यमंत्री चुना जाएगा. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों ही केंद्र शासित प्रदेशों पर लेफ्टिनेंट गवर्नर का शासन रहेगा.

अभी जम्मू-कश्मीर में कुल 6 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से 5 सीटें तो जम्मू-कश्मीर में होंगी, लेकिन 1 सीट लद्दाख को मिलेगी.

धारा 370 हटने से जम्‍मू-कश्मीर और लद्दाख में क्या बदलेगा?

- अभी तक जम्मू-कश्मीर का अपना अलग झंडा और संविधान था, लेकिन अब भारत का तिरंगा और संविधान ही जम्मू-कश्मीर में भी लागू होगा.

- अलग-अलग संविधान होने के चलते जम्मू-कश्मीर के लोगों के पास दोहरी नागरिकता थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.

- संसद की ओर से जो भी कानून बनाया जाएगा, वह जम्मू-कश्मीर में भी लागू होगा. अभी तक ऐसा नहीं होता था. अब वहां सूचना का अधिकार और शिक्षा का अधिकार भी लागू होगा.

- जम्मू-कश्मीर में अभी तक रनबीर पीनल कोड चलता था, लेकिन अब वह इंडियन पीनल कोड से बदल दिया जाएगा.

- धारा 370 हटने के साथ ही धारा 35ए अपने आप हट गया है, जिसकी वजह से कश्मीर से बाहर के लोग वहां पर प्रॉपर्टी या जमीन नहीं खरीद सकते थे. इसी के तहत अगर किसी लड़की की शादी दूसरे राज्य के व्यक्ति से होती है तो उनके बच्चों को कश्मीर की नागरिकता नहीं मिल सकती है ना ही वहां की प्रॉपर्टी में उनका कोई हक रहता है. अब हर बच्चे को उसका हक मिलेगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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