• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

मोदी सरकार ने धारा 370 से ही धारा 370 को काट डाला!

    • प्रभाष कुमार दत्ता
    • Updated: 05 अगस्त, 2019 04:09 PM
  • 05 अगस्त, 2019 04:09 PM
offline
धारा 370 को खत्म करने के लिए संवैधानिक संशोधन और राज्य विधानमंडल की मंजूरी चाहिए. इसके बजाय, सरकार ने जम्मू और कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को खत्म करने के लिए आर्टिकल 370 (3) के तहत दी गई शक्तियों का ही इस्तेमाल किया.

भारत के लिए एक ऐतिहासिक कदम है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू और कश्मीर में धारा 370 को निष्क्रिय करने के लिए राज्यसभा में एक प्रस्ताव रखा. दिलचस्प बात यह है कि 370 हटाने के लिए अमित शाह ने राज्यसभा में दिए अपने बयान में उसी धारा 370 का इस्तेमाल किया.

धारा 370 का सेक्शन 3 राष्ट्रपति को जम्मू-कश्मीर को दिया गया विशेष दर्जा किसी भी वक्त निष्क्रिय करने का अधिकार देता है. अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जो वादा किया था, उसे पूरा करने के लिए इस प्रावधान का उपयोग किया गया और राष्ट्रपति आदेश जारी किया गया, जिसकी पार्टी लंबे समय से मांग कर रही थी.

अनुच्छेद 370 (3) के अनुसार- राष्ट्रपति, सार्वजनिक अधिसूचना के द्वारा यह घोषणा कर सकते हैं कि यह धारा निष्क्रिय होगी या किसी अपवाद और संशोधन के साथ सक्रिय होगी.

अनुच्छेद 370 जम्मू और कश्मीर को कई मामलों में विशेष दर्जा देता है, जैसे- केंद्र सरकार को केवल बाहरी मामलों, रक्षा और संचार पर अधिकार देना. अनुच्छेद 370 जम्मू और कश्मीर राज्य के संबंध में अस्थायी प्रावधानों से संबंधित है. और राज्य के लिए  कानून बनाने के लिए संसद की शक्ति को सीमित करता है.

सरकार ने बड़ी चतुराई से 370 को खत्म करने के लिए 370 का ही इस्तेमाल किया

अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन का भी प्रस्ताव पेश किया. लद्दाख विधायिका के बिना एक अलग केंद्र शासित प्रदेश होगा जबकि जम्मू और कश्मीर विधायिका के साथ एक केंद्र शासित प्रदेश.

नरेंद्र मोदी सरकार का यह कदम किसी आश्चर्य से कम नहीं था. हालांकि अनुमान लगाया जा रहा था कि सरकार धारा 370 को खत्म कर देगी, लेकिन कई लोग इस आशंका को ये कहते हुए नकार रहे थे कि सुप्रीम कोर्ट धारा 370 और अनुच्छेद 35 ए से...

भारत के लिए एक ऐतिहासिक कदम है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू और कश्मीर में धारा 370 को निष्क्रिय करने के लिए राज्यसभा में एक प्रस्ताव रखा. दिलचस्प बात यह है कि 370 हटाने के लिए अमित शाह ने राज्यसभा में दिए अपने बयान में उसी धारा 370 का इस्तेमाल किया.

धारा 370 का सेक्शन 3 राष्ट्रपति को जम्मू-कश्मीर को दिया गया विशेष दर्जा किसी भी वक्त निष्क्रिय करने का अधिकार देता है. अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जो वादा किया था, उसे पूरा करने के लिए इस प्रावधान का उपयोग किया गया और राष्ट्रपति आदेश जारी किया गया, जिसकी पार्टी लंबे समय से मांग कर रही थी.

अनुच्छेद 370 (3) के अनुसार- राष्ट्रपति, सार्वजनिक अधिसूचना के द्वारा यह घोषणा कर सकते हैं कि यह धारा निष्क्रिय होगी या किसी अपवाद और संशोधन के साथ सक्रिय होगी.

अनुच्छेद 370 जम्मू और कश्मीर को कई मामलों में विशेष दर्जा देता है, जैसे- केंद्र सरकार को केवल बाहरी मामलों, रक्षा और संचार पर अधिकार देना. अनुच्छेद 370 जम्मू और कश्मीर राज्य के संबंध में अस्थायी प्रावधानों से संबंधित है. और राज्य के लिए  कानून बनाने के लिए संसद की शक्ति को सीमित करता है.

सरकार ने बड़ी चतुराई से 370 को खत्म करने के लिए 370 का ही इस्तेमाल किया

अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन का भी प्रस्ताव पेश किया. लद्दाख विधायिका के बिना एक अलग केंद्र शासित प्रदेश होगा जबकि जम्मू और कश्मीर विधायिका के साथ एक केंद्र शासित प्रदेश.

नरेंद्र मोदी सरकार का यह कदम किसी आश्चर्य से कम नहीं था. हालांकि अनुमान लगाया जा रहा था कि सरकार धारा 370 को खत्म कर देगी, लेकिन कई लोग इस आशंका को ये कहते हुए नकार रहे थे कि सुप्रीम कोर्ट धारा 370 और अनुच्छेद 35 ए से संबंधित कई मामलों में फंसा हुआ है.

अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बजाए, सरकार ने इसी अनुच्छेद द्वारा राष्ट्रपति को दी गई शक्ति का उपयोग करके इसे निष्क्रिय कर दिया.

हालांकि धारा 370 को खत्म करने के लिए अनुच्छेद 368 के तहत एक संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता होती है. लेकिन अनुच्छेद 370(3) का इस्तेमाल कर सरकार ने बड़ी चतुराई से संशोधन मार्ग को दरकिनार कर दिया.

राष्ट्रपति के इस आदेश पर राज्यसभा में भारी हंगामा हुआ. गुलाम नबी आज़ाद सहित विपक्षी नेताओं ने इस कदम का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने संविधान की 'हत्या' की है.

अपने इस कदम का पक्ष लेते हुए अमित शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने वही किया है जो 1952 और 1962 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था. पंडित नेहरू और तत्कालीन जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला ने 1952 में दिल्ली समझौते पर सहमति व्यक्त की थी जो कश्मीर के लोगों को वंश के सिद्धांतों पर संपत्ति के स्वामित्व पर विशेषाधिकार प्रदान करता था. 1962 में भी  एक राष्ट्रपति आदेश लागू किया गया था.

मोदी सरकार के इस कदम को अगर संसद के दोनों सदनों की मंजूरी मिल जाती है तो इसका मतलब यह होगा कि भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर में भी पूरी तरह से लागू हो जाएगा.

जम्मू और कश्मीर का अलग संविधान संचालन में नहीं रहेगा.

रणबीर दंड संहिता (RPC) की जगह भारतीय दंड संहिता (IPC) लागू होगी.

अनुच्छेद 35A जो जम्मू और कश्मीर के स्थायी निवासियों और बाहरी लोगों के बीच अंतर बनाए रखता था वो भी अब नहीं रहेगा.

जम्मू कश्मीर में भी नौकरियों और शिक्षा पर आरक्षण कानून उसी तरह लागू होंगे जैसे बाकी भारतीय राज्यों पर होते हैं. बाहरी लोग भी  जम्मू और कश्मीर सरकार के कॉलेजों में प्रवेश और राज्य सरकार के कार्यालयों में नौकरी पा सकेंगे.

अब तक बाहरी माने जाने वाले लोगों का जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदना और खुद की संपत्ति रखना संभव होगा. यही सबसे बड़ी वजह थी कि बड़ी इकाइयां लगाने वाले कॉरपोरेट्स जम्मू-कश्मीर में कुछ नहीं कर पाते थे. सरकार ने तर्क दिया है कि बाहरी लोगों द्वारा संपत्ति के स्वामित्व पर प्रतिबंध हटाने से जम्मू और कश्मीर में समृद्धि का मार्ग खुलेगा.

कश्मीरी महिलाएं जो एक गैर-कश्मीरी से शादी करती हैं, अब उनके बच्चे विरासत के अपने अधिकार को नहीं खोएंगे.

ये भी पढ़ें-

मोदी सरकार के धारा 370 को हटाने पर भूचाल की असली वजह...

शक मत करिए, अमित शाह कश्मीर मामले में अपना चुनावी वादा ही निभा रहे हैं

कश्मीर से जुड़ी धारा 370 पर पाकिस्तान का 'ऐतराज़' क़ाबिल-ए-कुटाई है!


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲