• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

यूपी चुनाव 2022 में भाजपा को मानसिक बढ़त देती रहेंगी ये 3 'बहुएं'

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 22 जनवरी, 2022 10:04 PM
  • 22 जनवरी, 2022 10:04 PM
offline
भाजपा ने समाजवादी पार्टी को मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव (Aparna Yadav) के जरिये सियासी सदमा दिया है. वहीं, कांग्रेस के 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' चुनावी कैंपेन को मौलाना तौकीर रजा खान की बहू निदा खान (Nida Khan) ने सवालों के घेरे में ला दिया है. वहीं, वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी की पत्नी (Farha Fatima) के जरिये वर्चुएल माध्यमों में हिंदू बनाम मुस्लिम की डिबेट को हवा दी जाएगी.

आज के समय में चुनावों में 'माइंड गेम' भी उतनी ही अहमियत रखते हैं, जितना सियासी समीकरण और रणनीतियां. खासकर तब ये और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाते हैं, जब चुनाव प्रचार में वर्चुएल तरीके का इस्तेमाल हो रहा है. यूपी चुनाव 2022 के मद्देनजर जारी शह-मात के खेल में भाजपा ने एक मजबूत चाल चलते हुए समाजवादी पार्टी को सियासी सदमा दे दिया. मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव के भाजपा में शामिल होने की खबरें कई दिनों तक सुर्खियों में छाई रहीं. और, उसके बाद अपर्णा की भाजपा में एंट्री हुई. वैसे, अपर्णा यादव को भाजपा में शामिल कर पार्टी को कोई खास फायदा नहीं हुआ. लेकिन, इसे अखिलेश यादव के लिए एक राजनातिक झटका कहा जा सकता है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो यूपी चुनाव 2022 में भाजपा ने समाजवादी पार्टी पर मानसिक बढ़त हासिल कर ली है.

वर्चुअल चुनाव प्रचार में इस तरह की खबरें जब सोशल मीडिया के जरिये लोगों के सामने आती हैं, तो इसके जरिये काफी हद तक उनके परसेप्शन को बदलने की कोशिश की जाती है. और, ये माइंड गेम राजनीतिक दलों को एकदूसरे पर मानसिक बढ़त देता है. यूपी चुनाव 2022 के लिए तारीखों के ऐलान के बाद अखिलेश यादव ने भाजपा के विधायकों को समाजवादी पार्टी में शामिल कर मानसिक बढ़त बनाई थी. लेकिन, भाजपा ने अपर्णा यादव के जरिये इसे अपने पक्ष में कर लिया. वैसे, यूपी चुनाव 2022 में भाजपा के लिए अपर्णा यादव के अलावा दो और 'बहुएं' हैं, जो पार्टी को परोक्ष तरीके से मानसिक बढ़त दिला सकती हैं. आइए जानते हैं यूपी चुनाव में भाजपा को मानसिक बढ़त देने वाली 3 'बहुओं' के बारे में...

अपर्णा यादव, निदा खान और फरहा फातिमा.

अपर्णा यादव

मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता की बहू अपर्णा यादव लंबे समय तक समाजवादी पार्टी में सक्रिय रही हैं....

आज के समय में चुनावों में 'माइंड गेम' भी उतनी ही अहमियत रखते हैं, जितना सियासी समीकरण और रणनीतियां. खासकर तब ये और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाते हैं, जब चुनाव प्रचार में वर्चुएल तरीके का इस्तेमाल हो रहा है. यूपी चुनाव 2022 के मद्देनजर जारी शह-मात के खेल में भाजपा ने एक मजबूत चाल चलते हुए समाजवादी पार्टी को सियासी सदमा दे दिया. मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव के भाजपा में शामिल होने की खबरें कई दिनों तक सुर्खियों में छाई रहीं. और, उसके बाद अपर्णा की भाजपा में एंट्री हुई. वैसे, अपर्णा यादव को भाजपा में शामिल कर पार्टी को कोई खास फायदा नहीं हुआ. लेकिन, इसे अखिलेश यादव के लिए एक राजनातिक झटका कहा जा सकता है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो यूपी चुनाव 2022 में भाजपा ने समाजवादी पार्टी पर मानसिक बढ़त हासिल कर ली है.

वर्चुअल चुनाव प्रचार में इस तरह की खबरें जब सोशल मीडिया के जरिये लोगों के सामने आती हैं, तो इसके जरिये काफी हद तक उनके परसेप्शन को बदलने की कोशिश की जाती है. और, ये माइंड गेम राजनीतिक दलों को एकदूसरे पर मानसिक बढ़त देता है. यूपी चुनाव 2022 के लिए तारीखों के ऐलान के बाद अखिलेश यादव ने भाजपा के विधायकों को समाजवादी पार्टी में शामिल कर मानसिक बढ़त बनाई थी. लेकिन, भाजपा ने अपर्णा यादव के जरिये इसे अपने पक्ष में कर लिया. वैसे, यूपी चुनाव 2022 में भाजपा के लिए अपर्णा यादव के अलावा दो और 'बहुएं' हैं, जो पार्टी को परोक्ष तरीके से मानसिक बढ़त दिला सकती हैं. आइए जानते हैं यूपी चुनाव में भाजपा को मानसिक बढ़त देने वाली 3 'बहुओं' के बारे में...

अपर्णा यादव, निदा खान और फरहा फातिमा.

अपर्णा यादव

मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता की बहू अपर्णा यादव लंबे समय तक समाजवादी पार्टी में सक्रिय रही हैं. अपर्णा यादव के पास कोई खास सियासी जनाधार नही है. उनके आने से भाजपा को समाजवादी पार्टी के काडर यादव वोटबैंक में कोई बड़ी सेंध लगाने में कामयाबी शायद ही मिलेगी. पिछले विधानसभा चुनाव में लखनऊ कैंट से अपर्णा यादव भाजपा की रीता बहुगुणा जोशी से हार गई थीं. लेकिन, इसके बावजूद वह भाजपा के लिए एक बड़ा सियासी हथियार साबित होंगी. और, भाजपा की सदस्यता लेने के बाद मुलायम सिंह यादव से आशीर्वाद लेकर अपर्णा यादव ने इसे साबित भी किया है. इस एक तस्वीर के जरिये भाजपा ने यूपी चुनाव 2022 से पहले पाला बदलने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य की जगह अपर्णा यादव को अपना स्टार प्रचारक बना लिया है.

दरअसल, ये बात किसी से छिपी नही है कि जब तक समाजवादी पार्टी की कमान मुलायम सिंह यादव के हाथ में रही, साधना गुप्ता और उनके बेटे प्रतीक यादव व बहू अपर्णा यादव के साथ सौतेला व्यवहार खुलकर नहीं किया जा सका. लेकिन, समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव का एकछत्र राज कायम होने के बाद अपर्णा यादव समेत साधना गुप्ता के परिवार को पूरी तरह से सियासी हाशिये पर डाल दिया गया. खैर, अपर्णा यादव के भाजपा में शामिल होने के बाद अखिलेश यादव ने भले ही उन्हें शुभकामनाएं देते हुए कहा हो कि '...अभी पूरे टिकट नहीं बंटे थे.' लेकिन, इस आवाजाही से समाजवादी पार्टी को मिला दर्द अखिलेश यादव छिपा नही सकते हैं. अपर्णा से इतर भाजपा ने मुलायम सिंह यादव के समधी और साढ़ू को भी पार्टी में शामिल कर लिया है. जो अखिलेश पर परिवार को ही न संभाल पाने का डेंट लगाने के लिए काफी है.

निदा खान

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने यूपी चुनाव 2022 में 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' के चुनावी कैंपेन के जरिये हलचल मचा दी थी. लेकिन, कांग्रेस इस चुनावी कैंपेन को झटका देने के लिए आला हजरत खानदान की बहू रहीं निदा खान ने मोर्चा खोल दिया है. दरअसल, बीते दिनों इत्तेहादे मिल्लत कौंसिल (आईएमसी) प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खान ने प्रियंका गांधी से मुलाकात कर कांग्रेस को अपना समर्थन देने की बात कही थी. निदा खान इन्हीं मौलाना तौकीर रजा खान के परिवार की बहू हैं. निदा खान ने अपने एक बयान में अपने चचिया ससुर तौकीर रजा खान को लेकर कहा है कि 'अगर उन्हें महिलाओं से हमदर्दी होती, तो वह उनके खानदान की बहू थीं...उन्हें ही इंसाफ दिला देते.' कांग्रेस 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' के नारे के साथ भले ही तेजी से आगे बढ़ रही हो. लेकिन, निदा खान की एंट्री से उसके इस चुनावी कैंपेन को झटका लगना तय है. दरअसल, मौलाना तौकीर रजा खान के भतीजे से मिले तीन तलाक की वजह से निदा खान को कई दुश्वारियां झेलनी पड़ी हैं. बता दें कि मुस्लिम रुढ़िवादियों ने निदा खान और उनके परिवार के खिलाफ हुक्का-पानी बंद करने से लेकर शवों को दफनाने तक के खिलाफ फतवे निकाले थे. निदा खान की चोटी काटने और उन्हें पत्थर मारने पर ईनाम के भी फतवे निकाले गए थे.

निदा खान अब कांग्रेस के 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' के नारे को जुमलेबाजी बता रही हैं. क्योंकि, तीन तलाक के खिलाफ बनाए गए कानून का कांग्रेस ने भी विरोध किया था. निदा खान का कहना है कि 'कांग्रेस भले ही 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' के नारे के साथ चुनाव मैदान में उतरी हो, लेकिन उसने कभी महिलाओं के सम्मान की बात नहीं की.' निदा खान ने समाजवादी पार्टी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि 'जब उन्हें तीन तलाक दिया गया, तो पुलिस में सुनवाई नहीं हुई. आज वह और उन जैसी महिलाएं जो कुछ भी हैं, भाजपा की वजह से हैं' वैसे, भाजपा के लिए यूपी चुनाव से पहले तीन तलाक का मुद्दा फिर से उठना पार्टी के लिए फायदे का ही सौदा होगा. क्योंकि, इससे भाजपा के उस दावे को मजबूती मिलेगी कि तीन तलाक कानून की वजह से पार्टी को मुस्लिम महिलाओं के वोट मिलते हैं. वैसे, निदा खान से इतर मौलाना तौकीर रजा खान के हिंदुओं को धमकी से लेकर बाटला हाउस मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों को शहीद बताने वाले बयानों ने कांग्रेस को हलकान कर रखा है. जिस पर प्रियंका गांधी ने तौकीर रजा खान के बयानों से पल्ला झाड़ते हुए कहा है कि 'वो चाहे, जो बोलें. उनके बयानों की जिम्मेदारी हमारी नही है.'

फरहा फातिमा

बीते साल इस्लाम छोड़कर सनातन धर्म अपनाने वाले वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी इन दिनों हेट स्पीच मामले में जेल में बंद हैं. मुस्लिम से हिंदू बने वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी ने हाल ही में एक ट्वीट कर आरोप लगाया है कि 'उनकी पत्नी को मौलानाओं ने मारपीट कर घर से निकाल दिया है. और, जिहादी उनकी पत्नी की हत्या भी कर सकते हैं. वह मेरे परिवार को डरा रहे हैं. मैं जेल में बंद हूं, आप लोग ही न्याय करें.' इसके साथ जितेंद्र नारायण त्यागी ने पत्नी फरहा फातिमा की ओर से दिया गया शिकायत पत्र भी साझा किया है. दरअसल, ये सारा मामला वक्फ बोर्ड की ओर से यतीमखाने में एक मकान के आवंटन से जुड़ा है. जिसका आवंटन अब शिया वक्फ बोर्ड ने रद्द कर दिया है. लेकिन, इस मामले के जरिये ध्रुवीकरण की राजनीति को बूस्ट मिलना तय है. बहुत हद तक संभव है कि फरहा फातिमा के बयान आने वाले कुछ दिनों तक सोशल मीडिया पर छाए रहें. और, इसके जरिये हिंदू बनाम मुस्लिम की डिबेट खड़ी कर दी जाए. वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी पहले भी मुस्लिम समाज को उसकी कट्टरता की वजह से निशाने पर लेते रहे हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲