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अमृतपाल सिंह खुद को पंजाब में आखिर किस विरासत का वारिस समझता है?

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 25 मार्च, 2023 08:47 PM
  • 25 मार्च, 2023 08:31 PM
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अपने को जरनैल सिंह भिंडरावाले 2.0 कहने कहने वाला अमृतपाल सिंह अलगाववाद पर यकीन रखता है. जिस तरह 80 के दशक में भिंडरावाले ने सिखों के लिए अलग देश खालिस्तान की मांग उठाते हुए पूरे पंजाब को जलने पर मजबूर किया था. कुछ उसी तर्ज पर अमृतपाल भी सिखों के लिए अलग देश की वकालत कर रहा है. पुलिस इसे जल्द से जल्द गिरफ्तार करे वरना पंजाब की हालत बद से बदतर हो जाएगी.

अमृतसर के अजनाला कांड के बाद सुर्ख़ियों में आए अमृतपाल सिंह की गिरफ़्तारी पंजाब पुलिस के लिए सिर दर्द बनती नजर आ रही है. भले ही छापेमारी और गिरफ्तारियां हो रही हों लेकिन पंजाब में जैसा सपोर्ट सिस्टम अमृतपाल सिंह न तैयार किया है उसे गिरफ्तार करना पंजाब पुलिस के लिए टेढ़ी खीर है. होने को तो ज़िन्दगी के 30 बसंत देख चुका अमृतपाल 'वारिस पंजाब दे' नाम के संगठन का सदस्य है लेकिन जैसी उसकी गतिविधियां हैं पंजाब का रहने वाला कोई भी शख्स शायद ही अमृतपाल को पंजाब का वारिस मानें. कहते हैं कि कट्टरपंथ की आग व्यक्ति का सर्वस्व लूट लेती है तो ये यूं ही नहीं है इसे जब हम अमृतपाल के संदर्भ में देखते हैं तो यदि अमृतपाल के भाषणों को सुना जाए और उनका अवलोकन किया जाए तो जैसी बातें हाल फिलहाल में उसने की हैं साफ़ पता चलता है कि एक हिंदुस्तानी होने के बावजूद उसके सीने में भारत के लिए जहर भरा है.

वर्तमान में पंजाब पुलिस के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं है अमृतपाल सिंह

अमृतपाल के बारे में दिलचस्प ये है कि वो नया मुल्ला है जो ज्यादा नमाज पढ़ रहा है. अमृतपाल को देखें तो मिलता है कि अब से कुछ महीना पहले वो भी किसी कूल सिख बॉय की तरह था जो दुबई में रह रहा था और जिसके लिए धर्म सिर्फ और सिर्फ त्योहारों तक सीमित था. बताया जाता है कि अमृतपाल एक्टर से एक्टिविस्ट बने डीप सिंधु से खासा प्रभावित था और किसान आंदोलन के समय पंजाबी किसानों को मजबूती देने के उद्देश्य से भारत आया था.

ध्यान रहे 15 फरवरी 2022 को दीप सिद्धू की सड़क हादसे में मौत हुई और इसे ही अमृतपाल सिंह की जिंदगी का टर्निंग पॉइंट कहा जा सकता है. बताया जाता है कि जैसे ही वारिस ए पंजाब की जिम्मेदारी अमृतपाल को मिली उसने अपने असली रंग दिखाने शुरू कर दिए और ऐसी तमाम बातें की जो पंजाब के आम लोगों के साथ...

अमृतसर के अजनाला कांड के बाद सुर्ख़ियों में आए अमृतपाल सिंह की गिरफ़्तारी पंजाब पुलिस के लिए सिर दर्द बनती नजर आ रही है. भले ही छापेमारी और गिरफ्तारियां हो रही हों लेकिन पंजाब में जैसा सपोर्ट सिस्टम अमृतपाल सिंह न तैयार किया है उसे गिरफ्तार करना पंजाब पुलिस के लिए टेढ़ी खीर है. होने को तो ज़िन्दगी के 30 बसंत देख चुका अमृतपाल 'वारिस पंजाब दे' नाम के संगठन का सदस्य है लेकिन जैसी उसकी गतिविधियां हैं पंजाब का रहने वाला कोई भी शख्स शायद ही अमृतपाल को पंजाब का वारिस मानें. कहते हैं कि कट्टरपंथ की आग व्यक्ति का सर्वस्व लूट लेती है तो ये यूं ही नहीं है इसे जब हम अमृतपाल के संदर्भ में देखते हैं तो यदि अमृतपाल के भाषणों को सुना जाए और उनका अवलोकन किया जाए तो जैसी बातें हाल फिलहाल में उसने की हैं साफ़ पता चलता है कि एक हिंदुस्तानी होने के बावजूद उसके सीने में भारत के लिए जहर भरा है.

वर्तमान में पंजाब पुलिस के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं है अमृतपाल सिंह

अमृतपाल के बारे में दिलचस्प ये है कि वो नया मुल्ला है जो ज्यादा नमाज पढ़ रहा है. अमृतपाल को देखें तो मिलता है कि अब से कुछ महीना पहले वो भी किसी कूल सिख बॉय की तरह था जो दुबई में रह रहा था और जिसके लिए धर्म सिर्फ और सिर्फ त्योहारों तक सीमित था. बताया जाता है कि अमृतपाल एक्टर से एक्टिविस्ट बने डीप सिंधु से खासा प्रभावित था और किसान आंदोलन के समय पंजाबी किसानों को मजबूती देने के उद्देश्य से भारत आया था.

ध्यान रहे 15 फरवरी 2022 को दीप सिद्धू की सड़क हादसे में मौत हुई और इसे ही अमृतपाल सिंह की जिंदगी का टर्निंग पॉइंट कहा जा सकता है. बताया जाता है कि जैसे ही वारिस ए पंजाब की जिम्मेदारी अमृतपाल को मिली उसने अपने असली रंग दिखाने शुरू कर दिए और ऐसी तमाम बातें की जो पंजाब के आम लोगों के साथ साथ पूरे लोकतंत्र के लिए खतरा थीं. अमृतपाल जानता था कि अपनी बात उसे कहां पहुंचानी है इसलिए उसने वारिस पंजाब दे की वेबसाइट बनवाई और उसके माध्यम से लोगों विशेषकर युवाओ से सीधा संवाद करना शुरू कर दिया.

जैसा कि हम ऊपर ही बता चुके हैं अमृतपाल अपनी तुलना भिंड़रवाला से करता है, पूर्व में उसका एक बयान भी वायरल हुआ था जिसमें उसने कहा था कि भिंडरावाले मेरी प्रेरणा हैं. मैं उनके बताए रास्ते पर चलूंगा. मैं उनकी तरह बनना चाहता हूं. वहीं उसने ये भी कहा था कि मैं पंथ आजादी चाहता हूं. मेरे खून का हर एक कतरा इसके लिए समर्पित है. भिंडरावाले के गांव का जिक्र करते हुए अमृतपाल ने कहा था कि पूर्व में भी हमारी जंग इसी गांव से शुरू हुई थी. भविष्य में भी जंग इसी गांव से शुरू होगी.

अमृतपाल किस हद तक खतरनाक है इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि उसने सिख समुदाय को गुलाम बताया था और उन्हें स्वतंत्रता दिलाने के लिए लड़ाई की बात की थी. अमृतपाल ने युवाओं से ये भी कहा था कि पंथ के लिए जान देने के लिए पंजाब के हर एक युवा को तैयार रहना चाहिए.

अमृतपाल अपने मंसूबों में कैसे कामयाब है? साथ ही किस तरह उसे वहां के गांवों के युवाओं ने अपना रहनुमा मान लिया है. इसका अंदाजा बीते दिनों अजनाला वाली घटना से भी लगया जा सकता है. ध्यान रहे बीते 23 फरवरी को अमृतपाल के समर्थकों ने अजनाला पुलिस स्टेशन पर हमला किया था जिसमें 6 पुलिसकर्मी घायल हुए थे. बताया जा रहा है कि ये हमला अमृतपाल ने सिर्फ इसलिए करवाया ताकि वो अपने एक साथी लवप्रीत तूफान को छुड़ा ले.अमृतपाल ने लवप्रीत को निर्दोष बताया था और कहा था कि उसे व्यर्थ ही परेशान किया जा रहा है. अमृतपाल सिंह ने FIR से उसका नाम नहीं हटाए जाने पर थाने का घेराव करने की धमकी दी थी. बाद में पुलिस ने अमृतपाल के करीबी को छोड़ दिया था.

बहरहाल पंजाब में अमृतपाल को पकड़ने के लिए पुलिस ने एक बार फिर कमर कस ली है. मगर जैसा रुख अमृतपाल का है वो जहां एक तरफ बड़ी बड़ी बातों कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ पुलिस के साथ चूहे बिल्ली का खेल भी खेल रहा है. पुलिस अमृतपाल को पकड़ कर उसके मंसूबों को नाकाम करती है या नहीं इसका फैसला तो वक़्त करेगा लेकिन जैसे हाल हैं जितना जल्दी हो सके पुलिस को अमृतपाल को दबोच लेना चाहिए.

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