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'हिन्दू टेरर' ही बीजेपी का सबसे बड़ा मुद्दा है तो उसे स्टार-प्रचारक अदालत ने दे दिए हैं

    • आईचौक
    • Updated: 22 अप्रिल, 2018 05:55 PM
  • 22 अप्रिल, 2018 12:29 PM
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माना जा रहा था कि पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में बीजेपी असीमानंद को ट्रंप कार्ड की तरह इस्तेमाल करेगी. अमित शाह के रुख से साफ है कि अब असीमानंद और माया कोडनानी बीजेपी के स्टार कैंपेनर होने वाले हैं.

अमित शाह के अमेठी और रायबरेली दौरे में वक्त का फासला उतना ही रहा जितना गुजरात और कर्नाटक के विधानसभा चुनावों में. कांग्रेस की ओर से रायबरेली को लेकर भी वैसी ही तत्परता दिखी जैसी अमेठी में नजर आयी थी. अमित शाह पहुंचते उससे पहली ही राहुल गांधी अमेठी हो आये थे - और इस बार सोनिया गांधी रायबरेली घूम आयीं.

'भगवा आतंक' के नाम पर

बीजेपी ने कांग्रेस को काउंटर करने के लिए 'भगवा आतंक' को हथियार बनाया है. हाल के दिनों में कांग्रेस कभी दलितों तो कभी कठुआ-उन्नाव या फिर जज लोया और राफेल डील को लेकर बीजेपी पर हमलावर रही है. चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग मोदी सरकार पर कांग्रेस का ताजा वार है.

रायबरेली में शाह की हुंकार

अजमेर और मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस से असीमानंद के बरी हो जाने के बाद बीजेपी को कांग्रेस के खिलाफ धावा बोलने का मौका मिल गया है. माना जा रहा था कि पश्चिम बंगाल में पांव जमाने के लिए जूझ रही बीजेपी असीमानंद को ट्रंप कार्ड की तरह इस्तेमाल करेगी - रायबरेली में अमित शाह के रुख से साफ हो गया कि आने वाले दिनों में असीमानंद और माया कोडनानी बीजेपी के स्टार कैंपेनर बनने वाले हैं.

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह चाहते हैं कि कांग्रेस 'भगवा आतंक' के नाम पर झूठ बोलने के लिए माफी मांगे. सोनिया गांधी के चुनाव क्षेत्र रायबरेली पहुंचे अमित शाह ने लोगों अपील की कि वो परिवारवाद से मुक्ति पाकर इलाके का विकास सुनिश्चित करें.

असीमानंद के बरी हो जाने के बाद अमित शाह चाहते हैं कि कांग्रेस भगवा आतंक के नाम पर झूठ फैलाने के लिए माफी मांगे. रायबरेली में मंच से मोदी स्टाइल में शाह ने पूछा, "कांग्रेस को हिंदू आतंकवाद का झूठ फैलाने के लिए माफी मांगनी चाहिए या नहीं... चार दिन हो गए हैं, लेकिन वोटबैंक की राजनीति के चलते वो माफी...

अमित शाह के अमेठी और रायबरेली दौरे में वक्त का फासला उतना ही रहा जितना गुजरात और कर्नाटक के विधानसभा चुनावों में. कांग्रेस की ओर से रायबरेली को लेकर भी वैसी ही तत्परता दिखी जैसी अमेठी में नजर आयी थी. अमित शाह पहुंचते उससे पहली ही राहुल गांधी अमेठी हो आये थे - और इस बार सोनिया गांधी रायबरेली घूम आयीं.

'भगवा आतंक' के नाम पर

बीजेपी ने कांग्रेस को काउंटर करने के लिए 'भगवा आतंक' को हथियार बनाया है. हाल के दिनों में कांग्रेस कभी दलितों तो कभी कठुआ-उन्नाव या फिर जज लोया और राफेल डील को लेकर बीजेपी पर हमलावर रही है. चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग मोदी सरकार पर कांग्रेस का ताजा वार है.

रायबरेली में शाह की हुंकार

अजमेर और मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस से असीमानंद के बरी हो जाने के बाद बीजेपी को कांग्रेस के खिलाफ धावा बोलने का मौका मिल गया है. माना जा रहा था कि पश्चिम बंगाल में पांव जमाने के लिए जूझ रही बीजेपी असीमानंद को ट्रंप कार्ड की तरह इस्तेमाल करेगी - रायबरेली में अमित शाह के रुख से साफ हो गया कि आने वाले दिनों में असीमानंद और माया कोडनानी बीजेपी के स्टार कैंपेनर बनने वाले हैं.

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह चाहते हैं कि कांग्रेस 'भगवा आतंक' के नाम पर झूठ बोलने के लिए माफी मांगे. सोनिया गांधी के चुनाव क्षेत्र रायबरेली पहुंचे अमित शाह ने लोगों अपील की कि वो परिवारवाद से मुक्ति पाकर इलाके का विकास सुनिश्चित करें.

असीमानंद के बरी हो जाने के बाद अमित शाह चाहते हैं कि कांग्रेस भगवा आतंक के नाम पर झूठ फैलाने के लिए माफी मांगे. रायबरेली में मंच से मोदी स्टाइल में शाह ने पूछा, "कांग्रेस को हिंदू आतंकवाद का झूठ फैलाने के लिए माफी मांगनी चाहिए या नहीं... चार दिन हो गए हैं, लेकिन वोटबैंक की राजनीति के चलते वो माफी भी नहीं मांग रहे हैं."

एक तरफ बीजेपी कांग्रेस को अमेठी और रायबरेली में घेर रही है तो दूसरी तरफ बीएसपी की ओर से सपोर्ट की भी खबर आई है. पता चला है कि बीएसपी अमेठी और रायबरेली में गांधी परिवार के उम्मीदवारों के खिलाफ अपने प्रत्याशी नहीं उतारेगी. समाजवादी पार्टी पहले से ही ऐसा कर रही है. बीएसपी का सपोर्ट मिल जाने से कांग्रेस को भारी मदद मिल सकती है.

1996 और 98 के बाद से बीजेपी अमेठी और रायबरेली में वोट शेयर के लिए जूझती रही है. 2014 में जरूर उसका वोट शेयर बढ़ा था - अमेठी में 34 फीसदी और रायबरेली में 21 फीसदी. 2009 में बीजेपी को इन सीटों पर महज 4 और 6 फीसदी वोट पाकर संतोष करना पड़ा था. बीजेपी के मुकाबले देखें तो उसी चुनाव में बीएसपी का वोट शेयर अमेठी में 14 फीसदी और रायबरेली में 16 फीसदी रहा.

आना जाना तो लगा रहता है

जैसा की पहले से ही तय था रायबरेली में अमित शाह ने कांग्रेस के एमएलसी दिनेश सिंह को परिवार सहित बीजेपी ज्वाइन कराया. जब से ये खबर आयी थी कांग्रेस नेता दिनेश सिंह को लेकर वैसा ही बयान दे रहे थे जैसा अपने नेताओं के बीएसपी छोड़ने पर मायावती समझाया करती हैं.

मिलती जुलती हरकत बीजेपी में भी हुई. हाशिये पर भेजे जा चुके यशवंत सिन्हा ने बीजेपी छोड़ने और राजनीति से संन्यास की औपचारिक घोषणा कर दी है. पटना में इस बात की घोषणा करते हुए सिन्हा ने कहा, "मैं बीजेपी के साथ अपने सभी संबंधों को समाप्त कर रहा हूं. आज से मैं किसी भी तरह की पार्टी पॉलिटिक्स से भी संन्यास ले रहा हूं."

सिन्हा का संन्यास

सिन्हा एनडीए की पिछली वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री रह चुके हैं. सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा फिलहाल मोदी सरकार में मंत्री हैं. जयंत भी पहले वित्त मंत्रालय में रहे लेकिन बाद में उनका विभाग बदल दिया गया. यशवंत के इस फैसले से बीजेपी की सेहत पर कोई फर्क पड़े या नहीं, बेटे जयंत जरूर राहत की सांस लेंगे. अब तक यशवंत के खिलाफ बीजेपी जयंत को ही मोर्च पर लगा दिया करती थी, आगे से जयंत को ऐसी फजीहत से निजात मिल गयी. देखा जाय तो यशवंत ने बीजेपी से ज्यादा राहत जयंत को ही दी है.

बीजेपी और कांग्रेस की ये राजनीतिक आंख मिचौली महिलाओं के मुद्दे पर भी देखने को मिली. जिस दिन मोदी सरकार ने महिलाओं के खिलाफ अपराध के लिए कानून को सख्त बनाने वाला अध्यादेश लाया - बेंगलुरू में कांग्रेस नेता खूशबू समझा रही थीं कि बीजेपी 'महिला मुक्त भारत' चाहती है. राजनीति की भी तो फितरत ऐसी ही होती है. आखिर रायबरेली में अमित शाह भी तो समझा रहे थे कि किस तरह योगी सरकार ने आते ही यूपी में कानून व्यवस्था सुधार दिया है. यूपी की योगी सरकार की पीठ थपथपाते हुए शाह बोले, "पहले यूपी देश भर में गुंडई और खराब कानून-व्यवस्था के लिए जाना जाता था. लेकिन, योगी सरकार बनने के साथ ही अपराधी और गुंडे पलायन कर गए." मालूम नहीं उस वक्त शाह को उन्नाव कांड की एक पल के लिए भी याद आयी या नहीं.

शाह ने आगे बताया, "रायबरेली समेत यूपी के तमाम गांव ऐसे थे, जो अंधेरे में जीते थे, लेकिन 2014 में पीएम मोदी ने सरकार आने के बाद सबको बिजली देने का काम शुरू किया."

त्रिपुरा चुनाव में जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रंगों की अहमियत समझायी थी. मोदी का कहना था कि उगता सूरज केशरिया होता है - और डूबता लाल. मतलब, त्रिपुरा में कुछ आगे से कुछ अच्छा ही होगा. वैसे अभी तक तो त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब इतना ही बता पाये हैं कि महाभारत काल में इंटरनेट की स्पीड कैसी रही.

रायबरेली में अमित शाह के भाषण से पहले शॉर्ट सर्किट के चलते आग लग गयी थी जिससे पूरे पंडाल में धुआं भर गया और कुछ देर के लिए अफरातफरी मच गयी. वैसे जल्द ही आग पर काबू भी पा लिया गया.

जब मंच पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आये तो कांग्रेस की साजिश करार दिया, लेकिन शाह ने मोदी की तरह उसे अच्छे संकेत के रूप में लिया. शाह ने कहा, "कुछ देर पहले यहां शॉर्ट सर्किट हुआ था, सभी मीडिया चैनलों ने धुआं दिखाया था. जब कुछ अच्छा होना होता है तो कुछ व्यवधान आते हैं. ये प्रतीक है कि रायबरेली में कुछ बड़ा होने वाला है."

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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