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Alwar rape case पर सीएम गहलोत का अर्ध सत्य और खामोश आक्रोश!

    • शरत कुमार
    • Updated: 16 जनवरी, 2022 05:19 PM
  • 16 जनवरी, 2022 05:13 PM
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राजस्थान के अलवर में एक नाबालिग बच्ची के साथ बलात्कार का मामला सामने आया है. मामले पर जो रुख राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस पार्टी का है वो तमाम तरह के सवाल तो खड़े कर ही रहा है साथ ही ये भी बता रहा है कि राजस्थान में बलात्कारियों को खुला संरक्षण राज्य सरकार ने दे रखा है.

15 साल की नाबालिग मूक और आधी बधिर बेटी जयपुर के जेके लोन अस्पताल के आईसीयू में ख़ामोश है और बाहर राजस्थान की जनता में आक्रोश है. इस सबसे इतर अपनी राजनीति गड़बड़ाने की आशंका से फ़िक्रमंद राजस्थान के मुखिया अशोक गहलोत युधिष्ठिर का सच सुना रहे हैं- अश्वत्थामा हतो नरो या कुंजरो. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बार बार यह ट्वीट कर रहे हैं कि राजस्थान सरकार की नीयत साफ़ है और वह किसी से भी जांच कराने के लिए तैयार है. जिस तरह के हालात हैं उसमें गहलोत को समझना चाहिए कि उनकी नीयत से किसी को लेना देना नहीं है. बच्ची के मां बाप, परिवार और अवाम को युधिष्ठिर का अर्ध सत्य नहीं चाहिए. उन्हें तो पूरा सच चाहिए कि उस लड़की के साथ उस रात हुआ क्या था. तीन दिनों बाद अलवर की SP तेजस्विनी गौतम सामने आती हैं और कहती हैं कि लड़की के प्राइवेट पार्ट्स इंनटैक्ट हैं. मगर चोट कैसे लगी? यह बता नहीं सकते, हम बलात्कार को रूल आउट नहीं कर रहे हैं मगर डॉक्टर्स कह रहे हैं कि प्राइवेट पार्ट्स सेफ़ है. प्राइवेट पार्ट्स के नाम पर जनता को ऐसे ऐसे अंगों को गिनवा दिया जिनका नाम हम हिंदी में नहीं ले सकते हैं.

शर्म हया के लिए अंग्रेज कुछ रास्ते छोड़ गए हैं. चोट कहां लगी है यह बताने में भी शर्म आ रही है. पर अगर चोट वहां लगी है तो फिर कैसे लगी है यह बताने में सरकार को पांच दिनों से क्यों शर्म आ रही है. अपने बचाव की अंधेरी गली निकाल, सरकार का बचाव कर बंद गली में मामले को छोड़ पुलिस फिर से दो दिनों से ख़ामोश हो गई है.

राजस्थान में अलवर में बच्ची के साथ हुए बलात्कार मामले में सीएम अशोक गहलोत की नीयत तमाम तरह के सवाल खड़े करती है

जनता में चर्चा हो रही है कि बच्ची सिख समुदाय से है, पंचाब में भी चुनाव है और उत्तर प्रदेश में भी चुनाव है जहां पर प्रियंका गांधी बेटियों की...

15 साल की नाबालिग मूक और आधी बधिर बेटी जयपुर के जेके लोन अस्पताल के आईसीयू में ख़ामोश है और बाहर राजस्थान की जनता में आक्रोश है. इस सबसे इतर अपनी राजनीति गड़बड़ाने की आशंका से फ़िक्रमंद राजस्थान के मुखिया अशोक गहलोत युधिष्ठिर का सच सुना रहे हैं- अश्वत्थामा हतो नरो या कुंजरो. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बार बार यह ट्वीट कर रहे हैं कि राजस्थान सरकार की नीयत साफ़ है और वह किसी से भी जांच कराने के लिए तैयार है. जिस तरह के हालात हैं उसमें गहलोत को समझना चाहिए कि उनकी नीयत से किसी को लेना देना नहीं है. बच्ची के मां बाप, परिवार और अवाम को युधिष्ठिर का अर्ध सत्य नहीं चाहिए. उन्हें तो पूरा सच चाहिए कि उस लड़की के साथ उस रात हुआ क्या था. तीन दिनों बाद अलवर की SP तेजस्विनी गौतम सामने आती हैं और कहती हैं कि लड़की के प्राइवेट पार्ट्स इंनटैक्ट हैं. मगर चोट कैसे लगी? यह बता नहीं सकते, हम बलात्कार को रूल आउट नहीं कर रहे हैं मगर डॉक्टर्स कह रहे हैं कि प्राइवेट पार्ट्स सेफ़ है. प्राइवेट पार्ट्स के नाम पर जनता को ऐसे ऐसे अंगों को गिनवा दिया जिनका नाम हम हिंदी में नहीं ले सकते हैं.

शर्म हया के लिए अंग्रेज कुछ रास्ते छोड़ गए हैं. चोट कहां लगी है यह बताने में भी शर्म आ रही है. पर अगर चोट वहां लगी है तो फिर कैसे लगी है यह बताने में सरकार को पांच दिनों से क्यों शर्म आ रही है. अपने बचाव की अंधेरी गली निकाल, सरकार का बचाव कर बंद गली में मामले को छोड़ पुलिस फिर से दो दिनों से ख़ामोश हो गई है.

राजस्थान में अलवर में बच्ची के साथ हुए बलात्कार मामले में सीएम अशोक गहलोत की नीयत तमाम तरह के सवाल खड़े करती है

जनता में चर्चा हो रही है कि बच्ची सिख समुदाय से है, पंचाब में भी चुनाव है और उत्तर प्रदेश में भी चुनाव है जहां पर प्रियंका गांधी बेटियों की चैंपियन बनी हुई है लिहाज़ा जल्दीबाजी में लीपा पोती का खेल खेला जा रहा है. सच क्या है जब तक सरकार बताएगी नहीं, लोग तो इस तरह की बातें करते ही रहेंगे.फ़ैज़ के शेर में अस्पताल के बिस्तर पर बच्ची दुनिया से कह रही है- मेरी खामोशियों में लर्जां (कंपन) हैं, मेरे नालों की गुमशुदा आवाज़.

राजस्थान के अलवर में बालिका के साथ जो कुछ हुआ वह 1980 के दशक के गोविंद निहलानी की आक्रोश फ़िल्म की पहेली बन गया है जिसमें मजबूर भीखू इस बालिका की तरह बोल नहीं सकता और सिस्टम के लिए यही ईनाम और सुकून है कि दर्द गूंगा है. मगर सरकार यह न भूलें कि भीखू की तरह इस घटना पर बच्ची के परिवार और आम जनता में आक्रोश है. हर गली चौराहे पर राजनीतिक पार्टियों का आक्रोश भले हूं नहीं दिख रहा हो मगर हर घर में एक ख़ामोश आक्रोश है.

बच्ची दोपहर में अपने माता पिता के पास जाने के लिए घर से निकलती है. जिस बच्ची को मानसिक रूप से कमज़ोर कहा जाता है वह ऑटो पकड़ कर अपने मां बाप के पास निकलती है मगर रात को 9 बजे के आस पास वह लहुलुहान हालत में एक पुलिया के नीचे मिलती है. अलवर के अस्पताल में पहुंचाई जाती है जहां पर बक़ौल अलवर ASP तेजस्विनी गौतम डाक्टर कहती है कि लड़की के प्राइवेट पार्ट्स वैजाइना में चोट लगी है. तीन दिनों तक पुलिस जाँच करती है और पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगता है.

तीन दिनों तक अलवर पुलिस और सरकार कहती है कि बच्ची के साथ घिनौना कांड हुआ है. जयपुर के जेके लोन अस्पताल के अध्यक्ष अरविंद शुक्ला कहते हैं की बच्ची के साथ ऐसी घटना हुई है कि मैंने अपने जीवन में ऐसा नहीं देखा था. इस बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी अपना जन्मदिन मनाने राजस्थान के रणथंभौर आती हैं और BJP वहां प्रियंका के होटल के बाहर भारी बखेड़ा खड़ा कर देती है.

किसी तरह से प्रियंका गांधी वहां निकल जातीं है और उसके बाद अलवर में दिन भर भारी प्रदर्शन होता है. फिर अचानक से शाम को अलवर के कलेक्टर नन्नू माल पहाड़िया कहते हैं कि यह बलात्कार है ऐसा कहा नहीं जा सकता है. उसके ठीक बाद न जाने कैसे और क्यों एक CCTV फ़ुटेज जारी किया जाता है जिसमें कहा जाता है कि ओवरब्रिज पर बच्ची अकेले जाते हुए दिखाई दे रही है और उसके 20 मिनट बाद वह लहूलुहान मिली थी ऐसे में कुतर्क कि 20 मिनट में बलात्कार कैसे हो सकता है.

और उसके बाद साढ़े सात बजे अलवर के ASP तेजस्विनी गौतम प्रेस कॉन्फ़्रेन्स करती हैं और कहती हैं कि जयपुर के डॉक्टरों ने कहा है कि बच्ची के प्राइवेट पार्ट्स में कोई चोट नहीं है, इससे ज़्यादा मैं कुछ नहीं कह सकती क्योंकि जांच जारी है. वह हर सवालका यही जवाब देती रहीं कि जांच जारी है. उसी दिन देर रात को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ट्वीट आता है SP जांच कर रही है उनकी मदद के लिए हमने DIG को भी भेजा है.

बेवजह का इस मामले पर राजनीति नहीं की जाए. पुलिस को जाँच करने दिया जाए. सच सामने आ जाएगा. पांचवें दिन भी पुलिस ख़ाली हाथ रहती है तो रात को फिर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ट्वीट आता है की हमारी नीयत पर किसी को श़क नहीं करना चाहिए, परिवार चाहे तो हम किसी भी एजेंसी से जांच कराने के लिए तैयार है. ऐसा पलायनवादी वक्तव्य शायद ही किसी ने कभी किसी मुख्यमंत्री का सुना होगा.

जांच कर यह बताना चाहिए कि बच्ची के साथ क्या हुआ मगर रेप के मामले पर भी कह रहे हैं मेरी नीयत ठीक है और मैं किसी से भी जांच कराने के लिए तैयार हूं. बस यह नहीं बता रहे हैं कि यह बच्ची इस लहुलूहान हालत में कैसे वहां पहुंची थी और उसे यह चोट कैसे लगी है. उन्नाव केस में और लखीमपुर खीरी केस में यही कांग्रेस कह रही थी कि परिवार वालों से सरकार मिलने नहीं दे रही है मगर यहां भी पांच दिन बाद भी बच्ची के मां बाप को किसी से मिलने की इजाज़त नहीं है.

मगर फ़ोन पर बात करने पर या कोई नेता मिलने जाता है तो पीड़ितों की मां सबसे एक हीं बात कहती है कि मेरी बेटी को इंसाफ़ दिलवा दो. मैं अपनी बेटी को जानती हूं इसके साथ कुछ ग़लत हुआ है. बेटी बोलती नहीं मगर मैं उसकी ज़बान समझती हूं, जब भी कुछ जानना चाहती हूं, वह रोने लगती है. मां से मिलकर आई महिला विधायक इंदिरा देवी ने कहा कि मां ने कहा कि सरकार से इंसाफ़ दिलवाओ.

आज पांचवां दिन है पूरा सवाई मानसिंह अस्पताल थाना जेके लोन अस्पताल में लगा दिया गया है कि बच्ची के मां-बाप किसी से मिल ना ले. तो फिर नीयत पर सवाल तो उठेंगे. बच्ची का ऑपरेशन करने वाला डॉक्टर दो दिन पहले तक कह रहा था मैंने अपने जीवन में इतना वीभत्स कांड नहीं देखा है और देखना भी नहीं चाहूंगा मगर वही डॉक्टर अजय शुक्ला झुंझलाए और बौखलाए हुए कह रहे हैं कि कुछ भी नहीं हुआ बच्ची के साथ.

सरकार की नीयत पर सवाल इस इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि मामले में 10 सवाल ऐसे हैं जिनका जवाब जनता मांग रही है.

1- पुलिस ने कहा प्राईवेट पार्ट्स में दुष्कर्म की पुष्टि नहीं, प्राईवेट पार्टस इनटैक्ट तो फिर डाक्टर प्राईवेट पार्ट्स में गंभीर चोट कैसे बता रहे थे?

2- तीन दिन पहले अलवर एसपी ने दुष्कर्म बताया और अलवर में पीड़ित का इलाज करने वाली डाक्टर ने वेजाईनल एंजुरी कैसे बताया था?

3- अगर यह हादसा है तो चोट पूरे शरीर में कहीं नहीं और केवल प्राईवेट पार्ट्स में हीं क्यों?

4- एफएसएल टीम ने गाड़ी लगाकर ओवरब्रिज से बच्ची को फेंकना बताया तो फिर बच्ची को गाड़ी से किसने फेंका?

5- बलात्कार नहीं तो चोट कैसे लगी पुलिस इस पर चुप क्यों?

6- घटनास्थल से बलात्कार की ओर इंगित करती सामग्री का क्या हुआ?

7- क्या पीड़िता के कपड़े फटे थे या नहीं इस पर पुलिस ने कहा जांच जारी है?

8- रेप के इंकार करने के टेक्निकल बातें बता रही है मगर रेप से इंकार नहीं कर रही है इसका मतलब क्या है?

9- बच्ची ओवरब्रिज के नीचे कैसे पहुंची यह पुलिस बता नहीं रही है?

10 - बिना जांच पूरी किए और मेडिकल ज्यूरिसिट की फ़ाइनल रिपोर्ट आए पुलिस ने पहले सीसीटीवी फ़ुटेज जारी किए और फिर रेप का न इंकार और इकरार वाली प्रेस कांफ्रेंस क्यों किए?

यह सच अब देश के सामने है कि महिला अपराध में राजस्थान देश में पहले नंबर पर है. 2020 और 2021 के आंकड़ों पर ग़ौर करें तो महिला अपराध के मामलों में 17 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है. मगर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कहते हैं कि राजस्थान बलात्कार के झूठे मुक़दमे दर्ज कराने में भी देश में नंबर वन है.

अगर सूबे के मुखिया इस तरह की बात करेंगे तो फिर बलात्कारियों के हौसले तो बुलंद होंगे हीं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का यह सच भी युधिष्ठिर का सच ही है. राजस्थान की जनता पूरा सच जानना चाहती है जिसे यह बता नहीं रहे हैं. लगता है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपना सच प्रियंका गांधी को बताने के लिए बोलना चाहते हैं जिससे सच सामने आए ना आए हैं इनकी अच्छी-सच्ची सी छवि सामने आ जाए.

राजस्थान में बड़े-बड़े गैंग रेप की घटनाओं पर जितना शोर मचा है वह शोर भी बीतते वक्त के साथ सन्नाटे में दम तोड़ दिया है. देखिए भँवरी देवी के बलात्कार और उसकी हत्या के मामले पर कितना हंगामा मचा था. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कितने दिलेर निकले कि पहले तो अपराधी क़रार दिए गए कांग्रेस विधायक महिपाल विश्नोई की अस्सी साल की मां को टिकट दे दिया.

जब वह चुनाव हार गई दूसरी बार तो उनके बेटे को टिकट दे दिया और वह विधायक हैं. दूसरे अपराधी क़रार दिए गए उस वक्त के मंत्री महिपाल मदेरणा कि पत्नी को टिकट दे दिया. जब वह चुनाव हार गई तो उनकी बेटी को टिकट दे दिया और अब वह विधायक हैं. अब दोनों अपराधी जेल से बाहर है. मुख्यमंत्री गहलोत ने जोधपुर की अपनी और अपने बेटे की राजनीति के लिए यह किया.

गहलोत के दूसरे कार्यकाल के खाद्य आपूर्ति मंत्री बाबूलाल नागर बलात्कार के मामले में जेल गए तो कांग्रेस का टिकट उनके भाई को दे दिया और इस बार सचिन पायलट ने टिकट काटा तो निर्दलीय जीते. बरी होकर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए. अब वह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार बना दिए गए हैं.यह गहलोत को सलाह देते हैं. बलात्कार पर संवेदना की बात करने वाले मुख्यमंत्री ने कैसे-कैसे सलाहकार बनाए हैं? यह इनकी नीयत दिखाती है.मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी आप सोचिए और समझिए कि आपकी नीयत और नीति में कितनी खोट है और कितना अंतर है.

ऐसी बात नहीं है कि यह इकलौते मामले हैं. सूबे की पहली भंवरी देवी गैंग रेप कांड में जिस पर बवंडर जैसे फ़िल्म बनी थी उसमें आज तक फ़ाइनल जजमेंट नहीं आ पाया. बुजुर्ग हो गई भंवरी आज भी राजस्थान हाईकोर्ट का चक्कर लगा रही है. राजस्थान में भारी हंगामा खड़ा करने वाला जैसी बोस हॉस्टल गैंग रेप कांड में सारे आरोपी धीरे -धीरे बारी हो गए. अजमेर ब्लैकमेल और रेप कांड के अपराधी आज तक पुलिस की पकड़ से बाहर हैं. राजस्थान की जनता समझती है कि धीरे धीरे दिन बीतेगा और लोग इस अपराध को भी भूल जाएंगे. बच्ची अपनी ज़िंदगी जख्मों को समेटे हुए नेताओं की नीयत से दूर अपनी नीयति समझ, कहीं गुमनाम जी रही होगी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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