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उच्च न्यायालय ऐसे कैसे प्रो रेपिस्ट आदेश दे सकती है ?

    • prakash kumar jain
    • Updated: 13 जून, 2023 07:10 PM
  • 13 जून, 2023 07:10 PM
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क्या न्यायाधीश की आस्था 'Marry your Rapist Law' में हैं ? सो जब पीड़िता के वकील ने कहा कि वह मांगलिक नहीं है तो उन्होंने दोनों पक्षों की सहमति से लड़की की कुंडली चेक कराने की ठान ली ताकि आरोपी को उससे शादी करने का आदेश देकर मामले का पटाक्षेप कर दें.

रेप के एक मामले में उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बृज राज सिंह के अजीबोगरीब फैसले ने सबको सकते में डाल दिया. हैरानी शीर्ष न्यायालय को भी हुई और स्वतः संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट के इस आदेश पर फौरन रोक भी लगा दी. माननीय जस्टिस की विद्वता पर सवाल उठाने की धृष्टता कैसे करें सो कहावत याद आती है शायद अक्ल घास चरने चली गई थी. दरअसल, हाईकोर्ट में रेप के आरोपी ने दलील दी थी कि वह पीड़िता से इसलिए शादी नहीं कर सकता क्योंकि वह मांगलिक है. इस पर हाईकोर्ट ने लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग को लड़की की कुंडली चेक करने का जिम्मा सौपते हुए कहा कि, लड़की की कुंडली देखकर तीन सप्ताह के भीतर यह बताया जाए कि वो मांगलिक है या नहीं.

सवाल है माननीय न्यायाधीश ने ऐसा ऑर्डर क्यों दिया ? इंडियन पीनल कोड की संबंधित धाराओं मसलन सेक्शन 375 और सेक्शन 90 के आलोक में आरोपी द्वारा लड़की के मांगलिक होने को शादी ना करने की वजह बताये जाने से ही उसपर शादी के झूठे वादे की बिना पर लड़की को शारीरिक संबंध बनाने के लिए राजी करने का आरोप जाहिर तौर पर सही लगता है.

एक मामले में उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति ने जो फैसला दिया है वो हैरत में डालता है

लेकिन जज साहब ने तो कमाल ही कर दिया. शादी ना करने के लिए लड़की मंगली है लेकिन रेप के लिए लड़की का मांगलिक होना आड़े नहीं आया ! लेखनी ही शर्मा रही है लेकिन कहना पड़ रहा है क्या रेप करते वक्त आरोपी को नहीं लगा कि लड़की मंगली है ?

लगता है माननीय न्यायाधीश की आस्था 'Marry your Rapist Law' में हैं. सो जब पीड़िता के वकील ने कहा कि वह मांगलिक नहीं है तो उन्होंने दोनों पक्षों की सहमति से लड़की की कुंडली चेक कराने की ठान ली ताकि आरोपी को उससे शादी करने का आदेश देकर मामले का पटाक्षेप कर...

रेप के एक मामले में उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बृज राज सिंह के अजीबोगरीब फैसले ने सबको सकते में डाल दिया. हैरानी शीर्ष न्यायालय को भी हुई और स्वतः संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट के इस आदेश पर फौरन रोक भी लगा दी. माननीय जस्टिस की विद्वता पर सवाल उठाने की धृष्टता कैसे करें सो कहावत याद आती है शायद अक्ल घास चरने चली गई थी. दरअसल, हाईकोर्ट में रेप के आरोपी ने दलील दी थी कि वह पीड़िता से इसलिए शादी नहीं कर सकता क्योंकि वह मांगलिक है. इस पर हाईकोर्ट ने लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग को लड़की की कुंडली चेक करने का जिम्मा सौपते हुए कहा कि, लड़की की कुंडली देखकर तीन सप्ताह के भीतर यह बताया जाए कि वो मांगलिक है या नहीं.

सवाल है माननीय न्यायाधीश ने ऐसा ऑर्डर क्यों दिया ? इंडियन पीनल कोड की संबंधित धाराओं मसलन सेक्शन 375 और सेक्शन 90 के आलोक में आरोपी द्वारा लड़की के मांगलिक होने को शादी ना करने की वजह बताये जाने से ही उसपर शादी के झूठे वादे की बिना पर लड़की को शारीरिक संबंध बनाने के लिए राजी करने का आरोप जाहिर तौर पर सही लगता है.

एक मामले में उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति ने जो फैसला दिया है वो हैरत में डालता है

लेकिन जज साहब ने तो कमाल ही कर दिया. शादी ना करने के लिए लड़की मंगली है लेकिन रेप के लिए लड़की का मांगलिक होना आड़े नहीं आया ! लेखनी ही शर्मा रही है लेकिन कहना पड़ रहा है क्या रेप करते वक्त आरोपी को नहीं लगा कि लड़की मंगली है ?

लगता है माननीय न्यायाधीश की आस्था 'Marry your Rapist Law' में हैं. सो जब पीड़िता के वकील ने कहा कि वह मांगलिक नहीं है तो उन्होंने दोनों पक्षों की सहमति से लड़की की कुंडली चेक कराने की ठान ली ताकि आरोपी को उससे शादी करने का आदेश देकर मामले का पटाक्षेप कर दें.

लेकिन क्या लड़की का मांगलिक होना या ना होना कोई औचित्य रखता है मामले के लिए ? निःसंदेह नहीं रखता. मामले के कई पहलू हैं, जिनमें से एक निजता का हनन भी है. एस्ट्रोलॉजी विज्ञान है या नहीं, बहस हो सकती है लेकिन इस प्रकार के मामलों में अदालतों का संज्ञान लेना ही गलत है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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