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कर्नाटक चुनाव में सबसे ज्‍यादा टिकट मिले 'परिवारवाद' को

    • अरविंद मिश्रा
    • Updated: 20 अप्रिल, 2018 06:49 PM
  • 20 अप्रिल, 2018 06:49 PM
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वैसे तो कर्नाटक की राजनीति में वंशवाद कोई नई बात नहीं है लेकिन इस बार के चुनाव में यह पहली बार देखा जा रहा है कि सारी पार्टियों ने बड़ी संख्या में यहां के नेताओं के रिश्तेदारों को चुनावी मैदान में उतारा है.

वैसे तो हमारे देश की सभी राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाती रहती हैं, लेकिन सच तो ये है कि ये सभी पार्टियां इसमें लिप्त हैं. कर्नाटक में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव में भी सभी पार्टियों ने टिकट बंटवारे में परिवारवाद को बढ़ावा दिया है. वैसे तो कर्नाटक की राजनीति में वंशवाद कोई नई बात नहीं है लेकिन इस बार के चुनाव में यह पहली बार देखा जा रहा है कि सारी पार्टियों ने बड़ी संख्या में यहां के नेताओं के रिश्तेदारों को चुनावी मैदान में उतारा है.

कर्नाटक चुनाव में परिवारवाद का बोलबाला

एक नज़र डालते हैं उन पार्टियों पर जिन्होंने नेताओं के परिवारों को इस लोकतंत्र के पर्व में उम्मीदवार बनाया है

कांग्रेस-

सबसे पहले बात उस पार्टी का करते हैं जिसपर हमेशा से ही राजनीति में परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगता रहा है, यानी कांग्रेस पार्टी. इस चुनाव में भी कांग्रेस इन आरोपों पर खरा उतरती नज़र आ रही है. अभी तक की जारी उम्मीदवारों की लिस्ट के अनुसार कांग्रेस ने करीब 30 ऐसे उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है जो किसी न किसी नेता के रिश्तेदार हैं और वो उनके कंधों पर सवार होकर विधानसभा में पहुंचने के लिए आतुर हैं.

मसलन, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अपने बेटे डॉ. यतीन्द्र को वरुणा विधानसभा से टिकट दिलवाने में सफल हो गए. वहीं कर्नाटक के गृह मंत्री रामालिंगा रेड्डी ने भी अपनी बेटी सौम्या रेड्डी के लिए जयानगर विधानसभा सीट प्राप्त कर ली. पूर्व रेल राज्यमंत्री मुनियप्पा की बेटी रूपा श्रीधर को कोलर गोल्ड फिल्डस से उम्मीदवार बनाया गया है. ठीक इसी प्रकार कांग्रेस ने मंत्री टी.बी जयचंद्र के बेटे संतोष जयचंद्र को चिक्कनायकहली विधानसभा क्षेत्र से उतारा है. इस...

वैसे तो हमारे देश की सभी राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाती रहती हैं, लेकिन सच तो ये है कि ये सभी पार्टियां इसमें लिप्त हैं. कर्नाटक में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव में भी सभी पार्टियों ने टिकट बंटवारे में परिवारवाद को बढ़ावा दिया है. वैसे तो कर्नाटक की राजनीति में वंशवाद कोई नई बात नहीं है लेकिन इस बार के चुनाव में यह पहली बार देखा जा रहा है कि सारी पार्टियों ने बड़ी संख्या में यहां के नेताओं के रिश्तेदारों को चुनावी मैदान में उतारा है.

कर्नाटक चुनाव में परिवारवाद का बोलबाला

एक नज़र डालते हैं उन पार्टियों पर जिन्होंने नेताओं के परिवारों को इस लोकतंत्र के पर्व में उम्मीदवार बनाया है

कांग्रेस-

सबसे पहले बात उस पार्टी का करते हैं जिसपर हमेशा से ही राजनीति में परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगता रहा है, यानी कांग्रेस पार्टी. इस चुनाव में भी कांग्रेस इन आरोपों पर खरा उतरती नज़र आ रही है. अभी तक की जारी उम्मीदवारों की लिस्ट के अनुसार कांग्रेस ने करीब 30 ऐसे उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है जो किसी न किसी नेता के रिश्तेदार हैं और वो उनके कंधों पर सवार होकर विधानसभा में पहुंचने के लिए आतुर हैं.

मसलन, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अपने बेटे डॉ. यतीन्द्र को वरुणा विधानसभा से टिकट दिलवाने में सफल हो गए. वहीं कर्नाटक के गृह मंत्री रामालिंगा रेड्डी ने भी अपनी बेटी सौम्या रेड्डी के लिए जयानगर विधानसभा सीट प्राप्त कर ली. पूर्व रेल राज्यमंत्री मुनियप्पा की बेटी रूपा श्रीधर को कोलर गोल्ड फिल्डस से उम्मीदवार बनाया गया है. ठीक इसी प्रकार कांग्रेस ने मंत्री टी.बी जयचंद्र के बेटे संतोष जयचंद्र को चिक्कनायकहली विधानसभा क्षेत्र से उतारा है. इस प्रकार कांग्रेस ने नेताओं के परिवारों को जमकर टिकट दिए हैं.

भाजपा

कर्नाटक विधानसभा के लिए हालांकि अभी भाजपा उम्मीदवारों की पूरी सूची नहीं आई है, लेकिन इसने भी नेताओं के रिश्तेदारों को उम्मीदवार बनाया है. भाजपा की तरफ से नामित मुख्यमंत्री बी.एस येदियुरप्पा के बेटे विजयेंद्र को वरुणा विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया जा सकता है. वहीं उनके बेटे राघवेंद्र वर्तमान में शिकारीपुरा से विधायक हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री एस.एम् कृष्णा, जो हाल में ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए हैं, की बेटी शाम्भवी को मद्दुर विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवारी मिल सकती है. जनता दल (एस) की नेता परिमाला नागप्पा के बेटे प्रीतम नागप्पा इस बार भाजपा के टिकट पर हानूर से चुनाव लड़ने जा रहे हैं.

जनता दल (एस)

जनता दल (एस) कर्नाटक में सक्रिय तीसरी सबसे महत्वपूर्ण पार्टी है जो इस बार 'किंग मेकर' की भूमिका अदा कर सकती है. पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा वर्तमान में हासन से लोकसभा सांसद हैं और उनके बेटे एच.डी. कुमारस्वामी रामनगरम सीट से चुनाव मैदान में रहेंगे. वहीं कुमारस्वामी की पत्नी अनीता कुमारस्वामी को मधुगिरि सीट से उम्मीदवार बनाया जाएगा. एच.डी. देवेगौड़ा के दूसरे बेटे एच.डी. रेवन्ना होलनरसीपुरा से चुनाव मैदान में हैं.

इस तरह से कर्नाटक में सारी पार्टियां परिवारवाद के सहारे राज्य में सरकार बनाने को आतुर हैं. लेकिन एक बात तो साफ है कि चाहे इस चुनाव में जीत किसी भी पार्टी की हो आने वाली 15 मई को जब वहां की जनता अपना फैसला सुनाएगी, तब साफ हो जायेगा कि किस पार्टी का परिवार किसके ऊपर भारी पड़ा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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