• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

आज़म से अच्छा तो सारस है, विरोध में अखिलेश यादव ने प्रेस कांफ्रेंस तो की है

    • नवेद शिकोह
    • Updated: 25 मार्च, 2023 07:54 PM
  • 25 मार्च, 2023 07:54 PM
offline
आज़म खान के सपोर्ट में सपा अध्यक्ष उतना मुखर नहीं हुए जितना होना चाहिए था. कुछ लोग कह रहे हैं कि अखिलेश की नजर में आजम खान से ज्यादा अहमियत सारस की है. सारस के जाने पर प्रेस कांफ्रेंस की तो इसके बाद आज़म खान का दर्द भी बयां कर दिया। आज़म से अच्छा तो सारस ही है.

लोकसभा चुनावी वर्ष है और दिल्ली की कुर्सी का रास्ता तय करने वाले यूपी में कांग्रेस लुप्त है, बसपा दुर्लभ हो गई. बची सपा, जो भाजपा से मुकाबला करने की स्थिति में सबसे बड़ा विपक्षी दल है. इसे सभी विपक्षी दलों का ख़ाली स्पेस मिल गया है. सड़क भी है, सदन भी है, संगठन भी है और सत्ता विरोधी मुद्दे भी खूब हैं. लेकिन भाजपा का सौभाग्य ही कहिए कि सपा मुखिया अखिलेश यादव जनकल्याण के लिए सड़क पर ठोस मुद्दे उठाते नजर नहीं आते. जो भी मुद्दा उठाते हैं वो अपरिपक्व साबित होता है. सफलता का रास्ता तय करने के बजाय उन्हें के पैर का फंदा बन जाता है.

बीते बुधवार सपा अध्यक्ष ने जनसरोकार से जुड़े प्रदेश की जनता के तमाम मुद्दों को छोड़कर सारस के मुद्दे को ज़ोर-ओ-शोर से उठाया. यूं कहिए कि राज्य पक्षी सारस को उनकी सियासत ने सियासी पक्षी बना दिया. उत्तर प्रदेश के अमेठी निवासी आरिफ से उसके दोस्त सारस के बिछड़ जाने की कहानी मीडिया और सोशल मीडिया की सुर्खियों में छाई हुई थी. पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे सियासी रंग देकर इस कहानी को नया मोड़ दे दिया.

तमाम लोग हैं जो कह रहे हैं जो तेवर अखिलेश ने सारस पर दिखाए वैसे ही उन्हें आज़म खां के मामले में भी दिखाने चाहिए थे

अखिलेश यादव आरिफ और उसके दोस्त सारस के बीच आने वाले वन विभाग से इतना ख़फा हुए कि उन्होंने विरोध व्यक्त करने के लिए बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस की. उन्होंने कहा कि मै आरिफ और उसके सारस से मिलने गया था इसलिए वन विभाग सारस को ले गया. दरअसल सारस को कोई क़ैद नहीं कर सकता, यहां तक की वन विभाग भी नहीं. आरिफ ने भी इस सारस को क़ैद नहीं किया था. एक पक्षी प्रेमी मनुष्य और पक्षी की वफादारी की मिसाल वाली कहानी सालभर पहले शुरू हुई था.

आरिफ ने अपने खेत में घायल पड़े इस सारस की...

लोकसभा चुनावी वर्ष है और दिल्ली की कुर्सी का रास्ता तय करने वाले यूपी में कांग्रेस लुप्त है, बसपा दुर्लभ हो गई. बची सपा, जो भाजपा से मुकाबला करने की स्थिति में सबसे बड़ा विपक्षी दल है. इसे सभी विपक्षी दलों का ख़ाली स्पेस मिल गया है. सड़क भी है, सदन भी है, संगठन भी है और सत्ता विरोधी मुद्दे भी खूब हैं. लेकिन भाजपा का सौभाग्य ही कहिए कि सपा मुखिया अखिलेश यादव जनकल्याण के लिए सड़क पर ठोस मुद्दे उठाते नजर नहीं आते. जो भी मुद्दा उठाते हैं वो अपरिपक्व साबित होता है. सफलता का रास्ता तय करने के बजाय उन्हें के पैर का फंदा बन जाता है.

बीते बुधवार सपा अध्यक्ष ने जनसरोकार से जुड़े प्रदेश की जनता के तमाम मुद्दों को छोड़कर सारस के मुद्दे को ज़ोर-ओ-शोर से उठाया. यूं कहिए कि राज्य पक्षी सारस को उनकी सियासत ने सियासी पक्षी बना दिया. उत्तर प्रदेश के अमेठी निवासी आरिफ से उसके दोस्त सारस के बिछड़ जाने की कहानी मीडिया और सोशल मीडिया की सुर्खियों में छाई हुई थी. पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे सियासी रंग देकर इस कहानी को नया मोड़ दे दिया.

तमाम लोग हैं जो कह रहे हैं जो तेवर अखिलेश ने सारस पर दिखाए वैसे ही उन्हें आज़म खां के मामले में भी दिखाने चाहिए थे

अखिलेश यादव आरिफ और उसके दोस्त सारस के बीच आने वाले वन विभाग से इतना ख़फा हुए कि उन्होंने विरोध व्यक्त करने के लिए बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस की. उन्होंने कहा कि मै आरिफ और उसके सारस से मिलने गया था इसलिए वन विभाग सारस को ले गया. दरअसल सारस को कोई क़ैद नहीं कर सकता, यहां तक की वन विभाग भी नहीं. आरिफ ने भी इस सारस को क़ैद नहीं किया था. एक पक्षी प्रेमी मनुष्य और पक्षी की वफादारी की मिसाल वाली कहानी सालभर पहले शुरू हुई था.

आरिफ ने अपने खेत में घायल पड़े इस सारस की जान बचाई थी, तब से वो सारस आरिफ के घर आता जाता था. साथ में खाता-पीता, घूमता, खेलता और पारिवारिक सदस्य की तरह पूरी परिवार से मोहब्बत जताता था. उड़ कर अपने साथी पक्षियों के संग चला जाता, फिर आरिफ के घर आ जाता. ये सिलसिला जारी था.ये बात जब चर्चा में आई तो वन विभाग की टीम ने इस सारस को समसपुर पक्षी विहार में शिफ्ट कर दिया. ताकि इस नायाब पक्षी की रक्षा-सुरक्षा और मेडिकल चैकअप इत्यादि हो.

दुर्लभ पक्षियों के संरक्षण के लिए बनें हर पक्षी विहार का उद्देश्य पक्षियों की देखरेख, खान-पान, मेडिकल का इंतेज़ाम होता है. संरक्षण और नस्ल बढ़ाने के मकसद से पक्षियों को स्वतंत्र रुप से रखा जाता है. ये क़ैद नहीं किए जाते, कहीं भी आ जा सकते हैं. आरिफ खुद कहते हैं कि उनका दोस्त सारस पहले की तरह उनसे मिलने और उनके साथ भोजन करने अवश्य आएगा. उन्हें इस बात की पूरी उम्मीद है. लेकिन अखिलेश यादव ने इस क़िस्से को सियासी ट्रेजेडी का रंग दे दिया. इस मसले पर प्रेस कांफ्रेंस की और सारस के पक्षी बिहार जाने की बात को आज़म खान के जेल जाने से जोड़ दिया.

इस पर सोशल मीडिया पर मुस्लिम समाज का रिएक्शन दिलचस्प नज़र आ रहा है. जो लोग अखिलेश यादव पर आरोप लगाते हैं कि वो मुस्लिम समाज का वोट तो ले लेते हैं पर उनके मसायल पर रिएक्ट तक नहीं करते. आज़म खान के सपोर्ट में भी सपा अध्यक्ष उतना मुखर नहीं हुए जितना होना चाहिए था. ऐसी सोच रखने वाले कुछ मुस्लिम कह रहे हैं कि अखिलेश की नजर में आजम खान से ज्यादा अहमियत सारस की है.

सारस के जाने पर प्रेस कांफ्रेंस की तो इसके बाद आज़म खान का दर्द भी बयां कर दिया. आज़म से अच्छा तो सारस ही है. आज़म और उनका परिवार लम्बे अरसे तक जेल में रहा, पिता और उनके पुत्र की विधायकी रद्द हुई. पूरा परिवार बिखर गया लेकिन इसे लेकर सपा मुखिया ने कभी प्रेस कांफ्रेंस नहीं की. सोनिया गांधी और राहुल गांधी से ईडी ने पूछताछ भी की तो कांग्रेस सड़कों पर उतर आए.

दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया जेल भेजे गए तो आम आदमी पार्टी ने दिल्ली सहित कई राज्यों में धरना-प्रदर्शन किया. आज़म खान के जेल जाने पर सपाईयों ने क्या किया? एक पुराने समाजवादी बुजुर्ग कहते हैं अपने सबसे बड़े वोट बैंक मुस्लिम समाज के मसले-मसायल पर भी अखिलेश जी आप कभी प्रेस कांफ्रेंस कर लें.

आरिफ से सारस का मिलन फिर हो जाएगा लेकिन आपसे अकलियत जुदा हो गई तो सपा का क्या होगा! आपकी बेरुखी कम नहीं हुई तो ताज्जुब नहीं कि मुस्लिम समाज भी समाजवादी पार्टी में लुप्तप्राय बन कर रह जाएगा. 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲