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सियासत

शरद पवार को अजित ने गुरु दक्षिणा में दिया धोखा !

    • नवेद शिकोह
    • Updated: 05 जुलाई, 2023 01:41 PM
  • 05 जुलाई, 2023 01:41 PM
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अजित पवार ने अपने चाचा से सियासत की एबीसीडी सीखी है, अपने गुरु और चाचा शरद पवार को धोखा देकर उन्होंने प्रमाणित कर दिया कि अब वो सियासत का महत्वपूर्ण सेमेस्टर पास कर चुके हैं. अजित पवार ने साबित कर दिया कि राजनीति में गुरु दक्षिणा में धोखा भी दिया जाता है.

अजित पवार के चाचा भी हैं शरद पवार और गुरु भी. चेले ने जो सीखा उसका शक्ति प्रदर्शन अपने गुरु पर ही कर दिया. महाराष्ट्र की राजनीति में शरद पवार और उनकी एनसीपी की जो गत हुई है उसके पीछे की कहानी समझ पाना आसान नहीं है. ये साजिश है, स्वार्थ है या सुनियोजित योजना के तहत सब कुछ हुआ है ! अभी कुछ भी कहा जाना मुश्किल है. कारण बहुत सारे हो सकते हैं. लोकसभा चुनाव में एनडीए को शिकस्त देने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकता के हौसले कमज़ोर करने के लिए भाजपा ने सत्ता का प्रलोभन देकर, खरीद फरोख्त करके या ईडी, सीबीआई का डर दिखाकर एनसीपी को तोड़ा. एनसीपी चीफ शरद पवार ने खुद ही अपने भतीजे को महाराष्ट्र सरकार में डिप्टी सीएम और बेटी को केंद्रीय मंत्री बनवाने के लिए ये किया. या राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार ने अपनी चाणक्य बुद्धि लगाकर अपने भतीजे को महाराष्ट्र की शिन्दे सरकार गिराने की साज़िश के तहत भेजा है. कुछ भी हो सकता है‌.

महाराष्ट्र में अजित पवार का एनसीपी का दामन छोड़ना पार्टी को मुश्किलों में डाल सकता है

कहते हैं कि मोहब्बत, सियासत और जंग में सबकुछ जायज़ है. राजनीतिक में सिद्धांत, विचारधारा, अपने-पराए, दोस्त-दुश्मन, वचन, कमिटमेंट.. रेत पर लकीरों की तरह होते हैं. और रेत जिस समुंद्र के दामन पर होती है वो समुंद्र ज्यादा देर तक शांत रहे तो उसका अस्तित्व ही मिट जाए. समुद्र की फितरत और जरुरत ही है करवटें बदलना, अंगड़ाइयां लेना और तूफानों से खेलना.

राजनीति का अर्थ ही है राज करने की नीति. ऐसा नहीं होता तो राजनीति का नाम सिद्धांतनीति या वाचारनीति होता. कुर्सी के लिए कुछ भी हो सकता है. देश के राजनीतिक इतिहास में पाले बदलने में माहिर तमाम बड़े नेताओं की फेहरिस्त में स्वर्गीय रामविलास पासवान, स्वर्गीय अजीत सिंह और शरद...

अजित पवार के चाचा भी हैं शरद पवार और गुरु भी. चेले ने जो सीखा उसका शक्ति प्रदर्शन अपने गुरु पर ही कर दिया. महाराष्ट्र की राजनीति में शरद पवार और उनकी एनसीपी की जो गत हुई है उसके पीछे की कहानी समझ पाना आसान नहीं है. ये साजिश है, स्वार्थ है या सुनियोजित योजना के तहत सब कुछ हुआ है ! अभी कुछ भी कहा जाना मुश्किल है. कारण बहुत सारे हो सकते हैं. लोकसभा चुनाव में एनडीए को शिकस्त देने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकता के हौसले कमज़ोर करने के लिए भाजपा ने सत्ता का प्रलोभन देकर, खरीद फरोख्त करके या ईडी, सीबीआई का डर दिखाकर एनसीपी को तोड़ा. एनसीपी चीफ शरद पवार ने खुद ही अपने भतीजे को महाराष्ट्र सरकार में डिप्टी सीएम और बेटी को केंद्रीय मंत्री बनवाने के लिए ये किया. या राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार ने अपनी चाणक्य बुद्धि लगाकर अपने भतीजे को महाराष्ट्र की शिन्दे सरकार गिराने की साज़िश के तहत भेजा है. कुछ भी हो सकता है‌.

महाराष्ट्र में अजित पवार का एनसीपी का दामन छोड़ना पार्टी को मुश्किलों में डाल सकता है

कहते हैं कि मोहब्बत, सियासत और जंग में सबकुछ जायज़ है. राजनीतिक में सिद्धांत, विचारधारा, अपने-पराए, दोस्त-दुश्मन, वचन, कमिटमेंट.. रेत पर लकीरों की तरह होते हैं. और रेत जिस समुंद्र के दामन पर होती है वो समुंद्र ज्यादा देर तक शांत रहे तो उसका अस्तित्व ही मिट जाए. समुद्र की फितरत और जरुरत ही है करवटें बदलना, अंगड़ाइयां लेना और तूफानों से खेलना.

राजनीति का अर्थ ही है राज करने की नीति. ऐसा नहीं होता तो राजनीति का नाम सिद्धांतनीति या वाचारनीति होता. कुर्सी के लिए कुछ भी हो सकता है. देश के राजनीतिक इतिहास में पाले बदलने में माहिर तमाम बड़े नेताओं की फेहरिस्त में स्वर्गीय रामविलास पासवान, स्वर्गीय अजीत सिंह और शरद पवार का नाम भी आता है.

पवार महाराष्ट्र के ही नहीं ये देश के कद्दावर नेता हैं. कभी प्रधानमंत्री के दावेदार भी रहे. कांग्रेस का मजबूत स्तंभ रहे थे और फिर उन्होंने बगावत करके राष्ट्रवादी कांग्रेस बनाई थी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी ये बात दोहरा चुके हैं कि देश की राजनीति में सक्रिय नेताओं में शरद पवार जी सबसे वरिष्ठ और अनुभवी राजनेता हैं.

अजित पवार ने अपने चाचा से सियासत की एबीसीडी सीखी है, अपने गुरु और चाचा शरद पवार को धोखा देकर उन्होंने प्रमाणित कर दिया कि अब वो सियासत का महत्वपूर्ण सेमेस्टर पास कर चुके हैं.अपनों को छोड़कर और विरोधियों से मिलकर महाराष्ट्र का डिप्टी चीफ मिनिस्टर बनकर अजित पवार ने साबित कर दिया कि राजनीति में गुरु दक्षिणा में धोखा भी दिया जाता है. 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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