• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

राहुल गांधी के बाद ममता बनर्जी को भी समझ आ गयी हिंदुत्व की चुनावी ताकत

    • आईचौक
    • Updated: 30 दिसम्बर, 2017 05:35 PM
  • 30 दिसम्बर, 2017 05:35 PM
offline
गुजरात में राहुल गांधी का सॉफ्ट हिंदुत्व एक्सपेरिमेंट ममता बनर्जी को भी भा गया है. पश्चिम बंगाल में बीजेपी के खिलाफ जल्द ही ममता इसी हथियार का इस्तेमाल करने वाली हैं.

बीजेपी बरसों से जो इल्जाम कांग्रेस पर लगाती रही, कुछ दिनों से ममता बनर्जी को भी उसी में लपेट रही है. दिलचस्प बात ये है कि बीजेपी को काउंटर करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जो रास्ता अपनाया, ममता बनर्जी ने भी उसी रास्ते पर चलने का फैसला किया है.

गुजरात चुनाव के दौरान राहुल गांधी मंदिर मंदिर घूमते और पुजारियों से आशीर्वाद लेते नजर आये. बीजेपी के गढ़ खड़े होने की जगह बनाने के लिए कांग्रेस ने ये नुस्खा निकाला था - और बदले में उसे मिला भी छप्पर फाड़ कर. वैसे दावा तो उनकी ओर से 110 सीटों का था.

कांग्रेस की कामयाबी के बाद लगता है ममता बनर्जी को भी ये आइडिया दमदार लगने लगा है. खबर है कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी के खिलाफ मोर्चेबंदी में ममता बनर्जी ने भी इसी ट्रिक का इस्तेमाल करने का फैसला किया है.

हिंदुत्व की ताकत

इसी महीने पश्चिम बंगाल की सबांग विधानसभा के लिए उपचुनाव हुआ था. सीट पर कब्जा तो तृणमूल कांग्रेस का ही हुआ, लेकिन वोट शेयर के मामले में बीजेपी ने जबरदस्त बढ़त हासिल की. टीएमसी को तो 1,06,179 लेकिन बीजेपी को सिर्फ 37,476 वोट मिले. खास बात ये रही कि 2016 में बीजेपी को इसी सीट पर महज 5610 वोट मिले थे. ये आंकड़े देख कर टीएमसी के कान खड़े होना तो स्वाभाविक ही है.

"जय हो!"

पश्चिम बंगाल में होते हुए भी ममता बनर्जी की गुजरात चुनाव की हर गतिविधि पर नजर थी और नतीजे आने पर उनकी प्रतिक्रिया थी - 'गुजरात ने 2019 के लिए बिल्ली के गले में घंटी बांध दी है.'

ममता बनर्जी का पब्लिक रिएक्शन जैसा भी हो हकीकत तो ये है कि उन्हें भी इस बात का अहसास हो चुका है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी ने जिस तरह हिंदुत्व को वोट बटोरने वाला हथियार बना लिया है,...

बीजेपी बरसों से जो इल्जाम कांग्रेस पर लगाती रही, कुछ दिनों से ममता बनर्जी को भी उसी में लपेट रही है. दिलचस्प बात ये है कि बीजेपी को काउंटर करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जो रास्ता अपनाया, ममता बनर्जी ने भी उसी रास्ते पर चलने का फैसला किया है.

गुजरात चुनाव के दौरान राहुल गांधी मंदिर मंदिर घूमते और पुजारियों से आशीर्वाद लेते नजर आये. बीजेपी के गढ़ खड़े होने की जगह बनाने के लिए कांग्रेस ने ये नुस्खा निकाला था - और बदले में उसे मिला भी छप्पर फाड़ कर. वैसे दावा तो उनकी ओर से 110 सीटों का था.

कांग्रेस की कामयाबी के बाद लगता है ममता बनर्जी को भी ये आइडिया दमदार लगने लगा है. खबर है कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी के खिलाफ मोर्चेबंदी में ममता बनर्जी ने भी इसी ट्रिक का इस्तेमाल करने का फैसला किया है.

हिंदुत्व की ताकत

इसी महीने पश्चिम बंगाल की सबांग विधानसभा के लिए उपचुनाव हुआ था. सीट पर कब्जा तो तृणमूल कांग्रेस का ही हुआ, लेकिन वोट शेयर के मामले में बीजेपी ने जबरदस्त बढ़त हासिल की. टीएमसी को तो 1,06,179 लेकिन बीजेपी को सिर्फ 37,476 वोट मिले. खास बात ये रही कि 2016 में बीजेपी को इसी सीट पर महज 5610 वोट मिले थे. ये आंकड़े देख कर टीएमसी के कान खड़े होना तो स्वाभाविक ही है.

"जय हो!"

पश्चिम बंगाल में होते हुए भी ममता बनर्जी की गुजरात चुनाव की हर गतिविधि पर नजर थी और नतीजे आने पर उनकी प्रतिक्रिया थी - 'गुजरात ने 2019 के लिए बिल्ली के गले में घंटी बांध दी है.'

ममता बनर्जी का पब्लिक रिएक्शन जैसा भी हो हकीकत तो ये है कि उन्हें भी इस बात का अहसास हो चुका है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी ने जिस तरह हिंदुत्व को वोट बटोरने वाला हथियार बना लिया है, उसके असर से पश्चिम बंगाल भी अछूता नहीं रहने वाला. लिहाजा बीजेपी के बढ़ते हस्तक्षेप को रोकने के लिए डिटरेंट की जरूरत तो पड़ेगी ही. यही वजह है कि ममता बीजेपी के मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोपों से निकलने का रास्ता निकाल रही हैं.

सॉफ्ट हिंदुत्व की राह

कांग्रेस की एंटनी कमेटी की राय रही कि 2014 में पार्टी के हिंदुत्व विरोधी छवि बन जाने के कारण बुरी हार झेलनी पड़ी थी. उसके बाद ही राहुल गांधी यूपी चुनाव से पहले अयोध्या के हनुमान मंदिर गये और गुजरात चुनाव में तो बस मंदिरों में घूमते ही नजर आये. नवसर्जन यात्रा के दौरान रास्ते में आने वाला शायद ही कोई प्रमुख मंदिर हो जहां राहुल गांधी ने दर्शन कर आशीर्वाद न लिया हो.

बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस जैसी ही नाव पर सवार ममता बनर्जी को भी राहुल की ये स्टाइल भा गयी लगती है. चुनावी नतीजों ने तो सबूत भी पेश कर दिया है.

हाल ही में ममता बनर्जी गंगासागर गयी थीं. बताते हैं कि ममता ने कपिल मुनि के आश्रम में मुख्य पुजारी ज्ञानदास महाराज के साथ करीब घंटा भर वक्त बिताया. बाद में ममता ने मुलाकात को लेकर खुशी जाहिर करते हुए वहां फिर से आने का वादा भी किया.

खबर है कि तृणमूल कांग्रेस बीरभूम में एक ब्राह्मण सम्मेलन आयोजित करने जा रही है. इस सम्मेलन में 15 हजार ब्राह्मणों के हिस्सा लेने की अपेक्षा जतायी गयी है और इसे ममता की पार्टी और सरकार का सॉफ्ट हिंदुत्व कार्ड माना जा रहा है. जनवरी, 2018 में होने वाले इस सम्मेलन को ममता बनर्जी खुद भी संबोधित कर सकती हैं.

इन्हें भी पढ़ें :

ममता-उद्धव मुलाकात के बाद कोई पंचमेल की खिचड़ी पक रही है क्या?

2019 में ममता बनर्जी का मुकाबला मोदी के अलावा राहुल गांधी से भी है

पहली ही रैली में ममता पर गिरी 'मुकुल मिसाइल'

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲