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नए मोटर व्हीकल एक्ट पर उठ रहे सवालों का जवाब देने वाली रिपोर्ट आ गई है !

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 02 अक्टूबर, 2019 06:07 PM
  • 02 अक्टूबर, 2019 06:07 PM
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मोदी सरकार का मकसद था कि लोगों के दिल में कानून के प्रति सम्मान और कानून तोड़ने को लेकर एक डर पैदा किया जाए. कम से कम एक महीने की रिपोर्ट देखकर तो लग रहा है कि जिस डर की बात सरकार कर रही थी, वह लोगों के दिलो-दिमाग में समा गया है.

जब मोदी सरकार ने 1 सितंबर से नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू किया, तो उस पर तमाम सवाल उठे. ज्यादातर लोगों का तर्क यही था कि जुर्माना बहुत अधिक है, जो सच भी है. कई राज्यों ने तो भारी-भरकम जुर्माने की वजह से इसे लागू करने से भी मना कर दिया, जिसमें भाजपा शासित राज्य भी थे, लेकिन बाद में अधिकतर राज्यों ने नियमों में बदलाव करते हुए उसे लागू कर लिया. हालांकि, ये सब होने के बावजूद ये कहते हुए विरोध होता रहा कि जुर्माना बहुत अधिक है, इतना जुर्माना कोई कैसे देगा. चंद हजार रुपयों से लेकर लाखों तक के चालान भी कट गए. जनता में ट्रैफिक रूल्स और कानून को लेकर एक डर समा गया है. वैसे मोदी सरकार का मकसद भी यही थी, जिसकी पुष्टि खुद ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर नितिन गडकरी ही कर चुके हैं.

राज्यों के विरोध पर जब गडकरी से सवाल पूछे गए तो उन्होंने साफ कहा कि जुर्माना बेशक अधिक है, लेकिन भारी-भरकम जुर्माना इसीलिए लगाया गया है ताकि लोगों में एक डर पैदा हो. उन्होंने कहा था कि भारी-भरकम जुर्माना सरकार की कमाई बढ़ाने के लिए नहीं लगाया गया है, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए लगाया गया है. खैर, तब तो उनकी बातों पर ज्यादा लोगों ने कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन अब दिल्ली पुलिस ने चालान के जो आंकड़े जारी किए हैं, उन्होंने ये साफ कर दिया कि मोदी सरकार धीरे-धीरे ही सही, लेकिन अपने मकसद में सफल हो रही है.

एक महीने की रिपोर्ट देखकर तो लग रहा है कि जिस डर की बात सरकार कर रही थी, वह लोगों के दिलो-दिमाग में समा गया है.

चालान कटने में आई 66 फीसदी की कमी

पिछले साल यानी सितंबर 2018 में कुल 5,24,819 चालान काटे गए थे, जबकि दिल्ली पुलिस की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार सितंबर 2019 में सिर्फ 1,73,921 चालान काटे गए हैं. यानी पिछले साल के मुकाबले इस बार...

जब मोदी सरकार ने 1 सितंबर से नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू किया, तो उस पर तमाम सवाल उठे. ज्यादातर लोगों का तर्क यही था कि जुर्माना बहुत अधिक है, जो सच भी है. कई राज्यों ने तो भारी-भरकम जुर्माने की वजह से इसे लागू करने से भी मना कर दिया, जिसमें भाजपा शासित राज्य भी थे, लेकिन बाद में अधिकतर राज्यों ने नियमों में बदलाव करते हुए उसे लागू कर लिया. हालांकि, ये सब होने के बावजूद ये कहते हुए विरोध होता रहा कि जुर्माना बहुत अधिक है, इतना जुर्माना कोई कैसे देगा. चंद हजार रुपयों से लेकर लाखों तक के चालान भी कट गए. जनता में ट्रैफिक रूल्स और कानून को लेकर एक डर समा गया है. वैसे मोदी सरकार का मकसद भी यही थी, जिसकी पुष्टि खुद ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर नितिन गडकरी ही कर चुके हैं.

राज्यों के विरोध पर जब गडकरी से सवाल पूछे गए तो उन्होंने साफ कहा कि जुर्माना बेशक अधिक है, लेकिन भारी-भरकम जुर्माना इसीलिए लगाया गया है ताकि लोगों में एक डर पैदा हो. उन्होंने कहा था कि भारी-भरकम जुर्माना सरकार की कमाई बढ़ाने के लिए नहीं लगाया गया है, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए लगाया गया है. खैर, तब तो उनकी बातों पर ज्यादा लोगों ने कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन अब दिल्ली पुलिस ने चालान के जो आंकड़े जारी किए हैं, उन्होंने ये साफ कर दिया कि मोदी सरकार धीरे-धीरे ही सही, लेकिन अपने मकसद में सफल हो रही है.

एक महीने की रिपोर्ट देखकर तो लग रहा है कि जिस डर की बात सरकार कर रही थी, वह लोगों के दिलो-दिमाग में समा गया है.

चालान कटने में आई 66 फीसदी की कमी

पिछले साल यानी सितंबर 2018 में कुल 5,24,819 चालान काटे गए थे, जबकि दिल्ली पुलिस की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार सितंबर 2019 में सिर्फ 1,73,921 चालान काटे गए हैं. यानी पिछले साल के मुकाबले इस बार सितंबर में 66 फीसदी कम चालान कटे. सड़क पर लोग कितनी लापरवाही से चलते हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कुल चालान में 11,539 लोगों का चालान तो ड्राइविंग लाइसेंस के बिना गाड़ी चलाने के लिए काटा गया है.

प्रदूषण सर्टिफिकेट के चालान बढ़े

जहां एक ओर सारे चालान में औसतन कमी आई है, वहीं दूसरी ओर अगर सिर्फ प्रदूषण सर्टिफिकेट के चालान की बात करें तो इनकी संख्या बढ़ी है. पिछले साल सितंबर में सिर्फ 3,682 लोगों का प्रदूषण सर्टिफिकेट नहीं होने की वजह से चालान कटा था, लेकिन इस बार सितंबर 2019 में प्रदूषण सर्टिफिकेट ना होने की वजह से करीब 13,659 लोगों का चालाना काटा गया है.

यही तो चाहती थी मोदी सरकार

मोदी सरकार का मकसद था कि लोगों के दिल में कानून के प्रति सम्मान और कानून तोड़ने को लेकर एक डर पैदा किया जाए. सारे लोग तो अभी भी नहीं सुधरे हैं, लेकिन अधिकतर लोग अब हर रेड लाइट पर सिग्नल के हरे होने का इंतजार करते हैं. प्रदूषण जांच केंद्रों में लगी लंबी लाइनें ये साफ करती हैं कि अब लोग प्रदूषण सर्टिफिकेट भी समय से बनवा रहे हैं. यानी लोगों के दिल में ये डर बैठ चुका है कि ट्रैफिक रूल तोड़ा तो सजा के रूप में भारी जुर्माना लगेगा. यही वजह है कि लोगों ने अब कानून का पालन करना शुरू कर दिया है. वैसे अभी तो इस नए कानून को लागू हुए महज 1 महीना हुआ है, जिसमें बहुत से राज्यों ने आनाकानी करने में भी काफी समय गंवाया है. आने वाले दिनों में चालान की संख्या में और भी कमी आएगी. चालान काटने में आई भारी कमी उन लोगों के लिए किसी करारे जवाब से कम नहीं है, जो शुरू से ही नए मोटर व्हीकल एक्ट को ज्यादती बताते हुए इसका विरोध कर रहे थे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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