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पैगंबर पर विवादित किताब फिर दाह संस्कार, वसीम रिजवी क्या संदेश देना चाहते हैं?

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 16 नवम्बर, 2021 03:13 PM
  • 16 नवम्बर, 2021 02:52 PM
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पैगंबर पर विवादित किताब के बाद नरस‍िम्‍हा नंद सरस्‍वती से दोस्ती पर अभी चर्चा हो ही रही थी. लेकिन ये कहकर कि मरने के बाद दफनाने के बजाए मेरा हो दाह संस्‍कार हो और मुखाग्‍न‍ि नरस‍िम्‍हा नंद सरस्‍वती देंगे वसीम रिज़वी ने मुस्लिम समुदाय के बीच खलबली मचा दी है.

हैरत ज़दा हैं रास्ते, हैरान संग-ए-मील

अंधे की रहनुमाई में, लंगडा सफ़र में है.

शेर है तो किसी गुमनाम शायर का लेकिन दिन भर में ऐसे मौके खूब आते हैं जब ये किसी न किसी पर फिट हो जाता है. एक ऐसे समय में जब 'निष्काम भावना से किसी काम को अंजाम देना' और नैतिकता सरीखी बातें सिर्फ किताबों तक सीमित हों और वहीं अच्छी लगती हों. यदि ख़ुद को विराट हिंदू, हिंदू हृदय सम्राट कहने वाले डासना मंदिर के महंत नरस‍िम्‍हा नंद सरस्‍वती न केवल किसी मुसलमान के साथ मंच साझा करें बल्कि उसकी शान में कसीदे पढ़ते हुए अपनी आंखें नम कर लें तो आश्चर्य भी होगा और सवाल भी उठेंगे. चूंकि दुनिया में हर चीज की कीमत है और कोई काम मुफ्त नहीं होता इसलिए महंत नरस‍िम्‍हा नंद सरस्‍वती की भी आंखें मुफ्त में नम नहीं हुई हैं. शिया वक़्फ़ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिज़वी ने प्रॉफेट मोहम्मद को लेकर एक किताब लिखी है और महंत नरस‍िम्‍हा नंद सरस्‍वती की रहमदिली की कीमत चुका दी है.

पैगंबर मोहम्मद पर विवादित किताब के बाद एक बार फिर वसीम रिज़वी ने अपनी बातों से देश के मुसलमानों को चिंता में डाल दिया है

बात आगे बढ़ाने से पहले बता दें कि इस बार जो हरकत वसीम रिज़वी ने की है उसने देश विदेश के मुसलमानों को आहत कर दिया है. वसीम के खिलाफ न केवल अलग अलग जगहों से फतवे आ रहे हैं बल्कि उन्हें जान से मारने की भी बातें हो रही हैं. कहा ये भी जा रहा है कि जाने अनजाने जो कुछ भी इस बार वसीम रिज़वी ने किया है उसके लिए न तो माफ़ी की गुंजाश है न ही उन बातों को नजरअंदाज किया जा सकता है.

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अंधे की रहनुमाई में, लंगडा सफ़र में है.

शेर है तो किसी गुमनाम शायर का लेकिन दिन भर में ऐसे मौके खूब आते हैं जब ये किसी न किसी पर फिट हो जाता है. एक ऐसे समय में जब 'निष्काम भावना से किसी काम को अंजाम देना' और नैतिकता सरीखी बातें सिर्फ किताबों तक सीमित हों और वहीं अच्छी लगती हों. यदि ख़ुद को विराट हिंदू, हिंदू हृदय सम्राट कहने वाले डासना मंदिर के महंत नरस‍िम्‍हा नंद सरस्‍वती न केवल किसी मुसलमान के साथ मंच साझा करें बल्कि उसकी शान में कसीदे पढ़ते हुए अपनी आंखें नम कर लें तो आश्चर्य भी होगा और सवाल भी उठेंगे. चूंकि दुनिया में हर चीज की कीमत है और कोई काम मुफ्त नहीं होता इसलिए महंत नरस‍िम्‍हा नंद सरस्‍वती की भी आंखें मुफ्त में नम नहीं हुई हैं. शिया वक़्फ़ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिज़वी ने प्रॉफेट मोहम्मद को लेकर एक किताब लिखी है और महंत नरस‍िम्‍हा नंद सरस्‍वती की रहमदिली की कीमत चुका दी है.

पैगंबर मोहम्मद पर विवादित किताब के बाद एक बार फिर वसीम रिज़वी ने अपनी बातों से देश के मुसलमानों को चिंता में डाल दिया है

बात आगे बढ़ाने से पहले बता दें कि इस बार जो हरकत वसीम रिज़वी ने की है उसने देश विदेश के मुसलमानों को आहत कर दिया है. वसीम के खिलाफ न केवल अलग अलग जगहों से फतवे आ रहे हैं बल्कि उन्हें जान से मारने की भी बातें हो रही हैं. कहा ये भी जा रहा है कि जाने अनजाने जो कुछ भी इस बार वसीम रिज़वी ने किया है उसके लिए न तो माफ़ी की गुंजाश है न ही उन बातों को नजरअंदाज किया जा सकता है.

लोग यही कह रहे हैं कि वसीम ने जो कुछ भी किया है वो माफ़ी के योग्य नहीं है. पिछले कुछ वर्षों से हर दूसरे- तीसरे दिन किसी न किसी विवाद के चलते सुर्खियों में रहने वाले शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिज़वी ने ऐलान किया है कि मरने के बाद उनका अंतिम संस्कार कर दिया जाए. इसके लिए उन्होंने वसीयतनामा भी तैयार कर लिया है.

वसीम रिज़वी का एक वीडियो जंगल की आग की तरह फैल रहा है. इंटरनेट पर वायरल हो रहे उस वीडियो में वसीम रिज़वी ने बहुत स्पष्ट रूप से इस बात को कहा है कि उनके मरने के बाद उनका शरीर हिंदू दोस्तों को सौंप दिया जाए और उनका अंतिम संस्कार किया जाए. उन्होंने कहा कि डासना मंद‍िर के महंत नरस‍िम्‍हा नंद सरस्‍वती उनकी चिता को अग्नि दें.

रिजवी ने बड़ा आरोप लगाते हुए इस बात के भी संकेत दिए हैं किताब के बाद कि मुसलमान उनकी हत्या और गर्दन काटने की साजिश रच रहे हैं.

वसीम रिजवी ने अपने वीडियो में कहा, 'हिंदुस्तान और हिंदुस्तान के बाहर मेरी हत्या करने और गर्दन काटने की साजिश रची जा रही है. मुझ पर इनाम रखे जा रहे हैं. मेरा गुनाह इतना है कि मैंने 26 आयतों को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था, जो इंसानियत के प्रति नफरत फैलाती है.अब मुसलमान मुझे मार देना चाहते हैं और ये ऐलान किया है कि मुझे किसी कब्रिस्तान में कोई जगह नहीं देंगे.'

अपने वीडियो में आगे रिज़वी ने ये भी कहा है कि 'मेरे मरने के बाद शांति बनी रहे, इसलिए मैंने एक वसीयतनामा लिखा है कि जो मेरा शरीर है, वो मेरे हिंदू दोस्त हैं, उनको लखनऊ में दे दिया जाए और चिता बनाकर मेरा अंतिम संस्कार कर दिया जाए. और चिता में अग्नि हमारे यति नरस‍िम्‍हा नंद सरस्‍वती जी देंगे, मैंने उनको अधिकृत किया है.

ज्ञात हो कि वसीम के खिलाफ देश के मुसलमानों का विरोध उस वक़्त शुरू हुआ था जब अभी कुछ दिन पहले ही उन्होंने कुरान से 26 आयतें हटाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट से ये याचिका खारिज हो गई थी. इसके फौरन बाद से ही रिजवी मुस्लिम संगठनों और मुस्लिम समुदायों के निशाने पर हैं.

बताते चलें कि वसीम रिज़वी की इस्लाम विरोधी गतिविधियों के कारण मुस्लिम धर्मगुरु और अलग अलग संगठन उनकी गिरफ्तारी की भी मांग कर रहे हैं. ऐसे लोगों का तर्क है कि वसीम रिज़वी न केवल हिंदू मुस्लिम की राजनीति कर रहे हैं बल्कि अपनी बातों से शिया और सुन्नियों के बीच भी दूरी पैदा कर देश का माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं.

मुस्लिम संगठनों का ये भी कहना है कि रिजवी का इस्लाम और शिया समुदाय से कुछ लेना-देना नहीं है. मुस्लिम संगठन रिजवी को चरमपंथी और मुस्लिम विरोधी संगठनों का एजेंट बताते हैं. वसीम रिज़वी मुस्लिम विरोधी संगठनों के एजेंट हैं या नहीं इसका फैसला तो वक़्त करेगा. लेकिन जो कुछ भी हरिद्वार के प्रेस बल्ब क्लब में हुआ उसने इस बात की तस्दीख ज़रूर की है कि रिज़वी और नरस‍िम्‍हा नंद सरस्‍वती की दोस्ती वभी आगे और गुल खिलाएगी.

गौरतलब है कि अभी बीते दिनों ही हरिद्वार के प्रेस बल्ब में वसीम रिजवी ने अपनी पुस्तक का विमोचन किया है. जहां नरस‍िम्‍हा नंद सरस्‍वती ने न केवल मंच साझा किया. बल्कि आंखों में आंसू लिए वसीम रिजवी को अपना छोटा भाई बताया और कहा कि यदि किसी ने वसीम का बाल भी बांका किया तो उससे मोर्चा वो खुद लेंगे.

मामले में दिलचस्प ये भी है कि महंत नरसिम्हा नंद सरस्वती ने यूपी के मुखिया योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि वो वसीम रिज़वी की सुरक्षा का ख्याल रखें. महंत ने कहा है कि यदि वसीम जैसों को कुछ भी होता है तो देश का हिंदू किसी भी सूरत में चुप नहीं बैठेगा.

हर रोज विवादों की आंच सुलगने वाले वसीम रिज़वी को लेकर महंत नरसिम्हा नंद सरस्वती कुछ कह लें. लेकिन चूंकि इस बात को हम पहले ही बता चुके हैं कि कुछ भी मुफ्त में नहीं होता और हर चीज की कीमत है. इसलिए यदि आज रिज़वी को महंत नरसिम्हा नंद सरस्वती की बदौलत समर्थन मिल रहा है. तो इसका कारण बस इतना है कि रिज़वी अपने द्वारा लिखी किताब के जरिये उस एजेंडे को आगे ले जा रहे हैं जिसका अलख डासना प्रमुख ने खुद जला रखी है और जिसके दम पर वो खुद राजनीति को अंजाम दे रहे हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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