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तालिबान को चैलेंज करने वाली अफगानिस्तान की पहली महिला मेयर पर दुनिया की नज़र रहे

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 18 अगस्त, 2021 04:10 PM
  • 18 अगस्त, 2021 04:10 PM
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अफगानिस्तान की सबसे कम उम्र की महिला मेयर ने तालिबान को चैलेंज दिया है. राष्ट्रपति अशरफ गनी तालिबान से अपनी जान बचाने के लिए पहले ही अफगानिस्तान छोड़ चुके हैं ऐसे में एक बर्बर संगठन के सामने सिर उठाकर खड़ी इस अफगान महिला की हिम्मत की दाद तो देनी ही चाहिए.

अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना है. हर कोई हैरत में है कि आखिर कैसे चंद मुट्ठी भर 'आतंकियों' के आगे अफगानिस्तान ने समर्पण कर दिया और सत्ता को तालिबान के हाथों में सौंप दिया. तालिबान सत्ता में आएगा और आते साथ कट्टरपंथी रवैये का प्रदर्शन करेगा इसका अंदाजा बहुत पहले से था. मगर मौजूदा स्थिति कहीं ज्यादा डरावनी है. बेहतर भविष्य की तलाश में अफगानिस्तान के लोग पलायन को मजबूर हैं और माना यही जा रहा है कि जैसे जैसे दिन आगे बढ़ेंगे स्थिति बद से बदतर होती चली जाएगी.

सत्ता पाने के बाद जो रुख तालिबानी लड़ाकों ने अपनाना है कहीं न कहीं बंदर को उस्तरा मिलने की कहावत चरितार्थ होती हुई नजर आ रही है. तालिबान, अफगानिस्तान को कैसे नियंत्रित करेगा अभी हम और आप कयास ही लगा रहे हैं लेकिन जो अफगानिस्तान की सबसे कम उम्र की महिला मेयर ने कहा है उससे इस बात की तस्दीख हो जाती है कि अब अफगानिस्तान में बर्बरियत की शुरुआत हो गई है और मुल्क का निजाम भगवान भरोसे रहेगा.

अफगानिस्तान की पहली महिला मेयर जरीफा गफारी की बातें तालिबान के सामने भारी पड़ती नजर आ रही हैं

अफगानिस्तान की सबसे कम उम्र की महिला मेयर जरीफा गफारी ने कहा है कि मैं यहां बैठी हूं और उनके आने का इंतजार कर रही हूं. मेरी या मेरे परिवार की मदद करने वाला कोई नहीं है. मैं बस उनके और अपने पति के साथ बैठी हूं. और वे मेरे जैसे लोगों के लिए आएंगे और मुझे मार देंगे.

ध्यान रहे कि सत्ता में तालिबान के आगमन के बाद अशरफ गनी के नेतृत्व वाली सरकार के वरिष्ठ सदस्य भागने में सफल रहे हैं इसपर 27 वर्षीय जरीफा गफारी का कहना है कि आखिर मैं कहां जाऊंगी? बताते चलें कि अभी कुछ दिन पहले ही एक अंतरराष्ट्रीय दैनिक को दिए गए अपने इंटरव्यू में गफारी देश के बेहतर भविष्य की...

अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना है. हर कोई हैरत में है कि आखिर कैसे चंद मुट्ठी भर 'आतंकियों' के आगे अफगानिस्तान ने समर्पण कर दिया और सत्ता को तालिबान के हाथों में सौंप दिया. तालिबान सत्ता में आएगा और आते साथ कट्टरपंथी रवैये का प्रदर्शन करेगा इसका अंदाजा बहुत पहले से था. मगर मौजूदा स्थिति कहीं ज्यादा डरावनी है. बेहतर भविष्य की तलाश में अफगानिस्तान के लोग पलायन को मजबूर हैं और माना यही जा रहा है कि जैसे जैसे दिन आगे बढ़ेंगे स्थिति बद से बदतर होती चली जाएगी.

सत्ता पाने के बाद जो रुख तालिबानी लड़ाकों ने अपनाना है कहीं न कहीं बंदर को उस्तरा मिलने की कहावत चरितार्थ होती हुई नजर आ रही है. तालिबान, अफगानिस्तान को कैसे नियंत्रित करेगा अभी हम और आप कयास ही लगा रहे हैं लेकिन जो अफगानिस्तान की सबसे कम उम्र की महिला मेयर ने कहा है उससे इस बात की तस्दीख हो जाती है कि अब अफगानिस्तान में बर्बरियत की शुरुआत हो गई है और मुल्क का निजाम भगवान भरोसे रहेगा.

अफगानिस्तान की पहली महिला मेयर जरीफा गफारी की बातें तालिबान के सामने भारी पड़ती नजर आ रही हैं

अफगानिस्तान की सबसे कम उम्र की महिला मेयर जरीफा गफारी ने कहा है कि मैं यहां बैठी हूं और उनके आने का इंतजार कर रही हूं. मेरी या मेरे परिवार की मदद करने वाला कोई नहीं है. मैं बस उनके और अपने पति के साथ बैठी हूं. और वे मेरे जैसे लोगों के लिए आएंगे और मुझे मार देंगे.

ध्यान रहे कि सत्ता में तालिबान के आगमन के बाद अशरफ गनी के नेतृत्व वाली सरकार के वरिष्ठ सदस्य भागने में सफल रहे हैं इसपर 27 वर्षीय जरीफा गफारी का कहना है कि आखिर मैं कहां जाऊंगी? बताते चलें कि अभी कुछ दिन पहले ही एक अंतरराष्ट्रीय दैनिक को दिए गए अपने इंटरव्यू में गफारी देश के बेहतर भविष्य की उम्मीद कर रही थीं. अब चूंकि गफारी की तमाम उम्मीदें धाराशाही हो गईं हैं सवाल ये है कि आखिर तालिबान गफारी के इस चैलेंज को कैसे और किस तरह लेगा.

गौरतलब है कि जरीफा गफारी 2018 में अफगानिस्तान के वरदाक प्रांत की पहली और सबसे कम उम्र की महिला मेयर बनकर उभरीं थी. जरीफा गफारी के मेयर बनने को तालिबान प्रभुत्व वाले अफगानिस्तान में एक बहुत बड़ी घटना माना गया था. अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर नजर रखने वाले राजनीतिक पंडितों ने भी जरीफा के सत्ता आगमन को एक बहुत बड़ी घटना के रूप में देखा था और इसका स्वागत किया था.

जरीफा गफारी के बारे में एक दिलचस्प बात ये भी है कि अफगानिस्तान जैसे देश में एक महिला होने और सक्रीय राजनीति में अपनी भूमिका निभाने के कारण कभी भी तालिबान ने जरीफा को पसंद नहीं किया. पूर्व में भी कई ऐसे मौके आए हैं जब तालिबान द्वारा उन्हें न केवल जान से मारने की धमकी मिली बल्कि उनकी हत्या के प्रयास भी हुए.

जरीफा को मारने का तीसरा प्रयास विफल हुआ और उसके ठीक 20 दिन बाद तालिबान द्वारा जरीफा के पिता जनरल अब्दुल वसी गफारी की हत्या कर उन्हें तालिबान ने अपनी हदों में रहने का स्पष्ट संदेश दिया था.अब चूंकि तालिबान बदलाव की बात कर रहा है. साथ ही उसका ये भी कहना है कि गनी समर्थकों और आम लोगों पर वो आंच भी नहीं आने देगा इसलिए भी तालिबान को चैलेंज करने वाली अफगानिस्तान की पहली महिला मेयर पर दुनिया भर की नज़र रहेगी.

कुछ और बात करने से पहले हमारे लिए ये बताना भी बहुत जरूरी है कि जरीफा की ये फिक्र उस वक़्त हमारे सामने आई है जब अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी, तालिबान से अपनी जान बचाने के लिए अफगानिस्तान छोड़कर भाग गए है. ऐसे अहम मौके पर तालिबान के रूप में एक बर्बर आतंकी संगठन के सामने सिर उठाकर खड़ी इस अफगान महिला की हिम्मत की दाद हर उस आदमी को देनी चाहिए जो मुश्किल वक़्त में कमजोरों और मजलूमों के साथ होता है. शांति स्थापित किये जाने की पैरोकारी करता है.

बहरहाल अब जबकि एक अफगान महिला की तरफ से पूरे अफगानिस्तान के सबसे बड़े खूंखार लोगों को चैलेंज दिया गया है तो तालिबान को भी इस बात को समझना होगा कि यदि अपनी जान दांव पर लगाने वाली इस महिला को खरोंच भी आओ तो उसके चेहरे से नकाब हट जाएगा और दुनिया को पता चल जाएगा कि तालिबान का ये रूप भी नई बोतल में पुरानी शराब जैसा ही है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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