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भाजपा की 'साफ नीयत' को अगवा कर रहे हैं 16 'किडनैपर'

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 31 जुलाई, 2018 03:53 PM
  • 31 जुलाई, 2018 03:53 PM
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एडीआर की रिपोर्ट में 1042 सांसदों-विधायकों के खिलाफ कोई न कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज है, जिसमें से 64 सांसदों-विधायकों पर अपहरण के मामले दर्ज हैं. इनमें 16 सांसद-विधायक तो सिर्फ भाजपा के हैं.

भारतीय जनता पार्टी ने 2019 चुनावों के मद्देनजर एक पंचलाइन बनाई- साफ नीयत, सही विकास. पार्टी दिखाना चाह रही थी कि उनकी नीयत एकदम पाक साफ है और उनके काम विकास की सही दिशा में बढ़ रहे हैं. लेकिन जहां एक ओर पार्टी खुद को पाक साफ बताने में लगी हुई है, वहीं दूसरी ओर एडीआर की रिपोर्ट है, जो भारतीय जनता पार्टी की एक अलग ही तस्वीर पेश कर रही है. खुद को पाक साफ कहने वाली इस पार्टी में 16 ऐसे सांसद और विधायक हैं, जिन पर किडनैपिंग के चार्ज लगे हुए हैं. ऐसा नहीं है कि बाकी पार्टियों के दामन में कोई दाग नहीं, लेकिन भाजपा में दागी नेताओं की संख्या सबसे अधिक है.

किस पार्टी में कितने 'किडनैपर' सांसद-विधायक?

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और नेशनल इलेक्शन वॉच (न्यू) के अध्ययन से यह बात सामने आई है. इन संगठनों ने 770 सांसदों और 4086 विधायकों के हलफनामों का अध्ययन किया. इनमें से 1042 सांसदों-विधायकों के खिलाफ कोई न कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज है, जिसमें से 64 सांसदों-विधायकों पर अपहरण के मामले दर्ज हैं. इसमें भाजपा के 16, कांग्रेस के 6, राष्ट्रीय जनता दल के 6, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के 5, बीजू जनता दल के 4, द्रमुक के 4, समाजवादी पार्टी के 3, तेलुगू देशम पार्टी के 3, अन्य दलों के 13 और 4 निर्दलीय हैं.

सबसे अधिक भाजपा के सांसद-विधायकों पर अपहरण के मुकदमे चल रहे हैं.

यूपी-बिहार हैं सबसे...

भारतीय जनता पार्टी ने 2019 चुनावों के मद्देनजर एक पंचलाइन बनाई- साफ नीयत, सही विकास. पार्टी दिखाना चाह रही थी कि उनकी नीयत एकदम पाक साफ है और उनके काम विकास की सही दिशा में बढ़ रहे हैं. लेकिन जहां एक ओर पार्टी खुद को पाक साफ बताने में लगी हुई है, वहीं दूसरी ओर एडीआर की रिपोर्ट है, जो भारतीय जनता पार्टी की एक अलग ही तस्वीर पेश कर रही है. खुद को पाक साफ कहने वाली इस पार्टी में 16 ऐसे सांसद और विधायक हैं, जिन पर किडनैपिंग के चार्ज लगे हुए हैं. ऐसा नहीं है कि बाकी पार्टियों के दामन में कोई दाग नहीं, लेकिन भाजपा में दागी नेताओं की संख्या सबसे अधिक है.

किस पार्टी में कितने 'किडनैपर' सांसद-विधायक?

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और नेशनल इलेक्शन वॉच (न्यू) के अध्ययन से यह बात सामने आई है. इन संगठनों ने 770 सांसदों और 4086 विधायकों के हलफनामों का अध्ययन किया. इनमें से 1042 सांसदों-विधायकों के खिलाफ कोई न कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज है, जिसमें से 64 सांसदों-विधायकों पर अपहरण के मामले दर्ज हैं. इसमें भाजपा के 16, कांग्रेस के 6, राष्ट्रीय जनता दल के 6, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के 5, बीजू जनता दल के 4, द्रमुक के 4, समाजवादी पार्टी के 3, तेलुगू देशम पार्टी के 3, अन्य दलों के 13 और 4 निर्दलीय हैं.

सबसे अधिक भाजपा के सांसद-विधायकों पर अपहरण के मुकदमे चल रहे हैं.

यूपी-बिहार हैं सबसे ऊपर

अगर राज्यवार देखा जाए तो यूपी-बिहार के सबसे अधिक सासंदों और विधायकों के खिलाफ किडनैपिंग के मामले दर्ज हैं. दोनों ही राज्यों में ये संख्या 9 है. इसके अलावा महाराष्ट्र में 8, पश्चिम बंगाल में 6, ओडिशा और तमिलनाडु में 4-4, आंध्र प्रदेश, गुजरात और राजस्थान में 3-3 विधायकों पर अपहरण का आरोप है. इसके अलावा छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, पंजाब और तेलंगाना में ये संख्या 1-1 है.

अगर राज्यों की बात करें तो सबसे ऊपर यूपी-बिहार हैं.

5 लोकसभा और 3 राज्यसभा सांसद भी शामिल

इस लिस्ट में लोकसभा के 5 सांसद और राज्यसभा के तीन सांसद शामिल हैं. लोकसभा सांसदों में निर्दलीय सांसद नाबा कुमार सरनिया, आरजेडी के सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव और सरफराज आलम, एलजेपी के सांसद राम किशोर सिंह, एनसीपी के उदयनराजे प्रतापसिन्हा भोंसले, एसएचएस के धूत राजकुमार नंदलाल, भाजपा के नारायन तातू राने और सपा के चंद्रपाल सिंह यादव हैं.

लोकसभा और राज्यसभा सांसदों पर भी अपहरण के मामले दर्ज हैं.

पहले भाजपा ने पंचलाइन बनाई थी 'सबका साथ, सबका विकास'. अपनी उस पंचलाइन के हिसाब से भले ही पार्टी सबका विकास करने का दावा करती रही, लेकिन सबका साथ उन्हें नहीं मिल सका. 2014 के लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक मिडिल क्लास के लोगों ने भाजपा को वोट दिया था, लेकिन न तो मिडिल क्लास के नौकरीपेशा के लिए सरकार कुछ बेहतर कर सकी, ना ही बेरोजगार लोगों के लिए अपने वादे के मुताबिक रोजगार के पर्याप्त मौके पैदा कर सकी. अब 2019 चुनावों के मद्देनजर भाजपा ने अपनी एक दूसरी पंचलाइन जारी की- साफ नीयत, सही विकास. भाजपा द्वारा किए जा रहे विकास कार्य सही दिशा में जा रहे हैं, ये दिखाने की तो पूरी पार्टी ही भरपूर कोशिश कर रही है, लेकिन एडीआर की रिपोर्ट सामने आने के बाद नीयत पर सवाल उठना लाजमी है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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