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'जिला गोरखपुर' का पोस्टर ही योगी विरोधियों के लिए पूरी फिल्म है

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 30 जुलाई, 2018 08:27 PM
  • 30 जुलाई, 2018 08:27 PM
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विचारों में मतभेद होना आम बात है. जिन लोगों के विचार योगी आदित्यानाथ से नहीं मिलते हैं या फिर जो लोग योगी आदित्यनाथ को आए दिन कई मौकों पर घेरते रहते हैं, उनके लिए तो ये पोस्टर ही पूरी फिल्म है.

सुबह के उगते सूरज से आंखें मिलाता हुआ एक भगवाधारी शख्स, आस-पास दिख रहे मंदिर और पास में खड़ा बछड़ा. किसी पोस्टर में ये सब देखकर बेशक मन में योगी आदित्यनाथ की तस्वीर उभर आएगी, लेकिन हाथों में पिस्तौल क्यों? बस यही देखकर लोग भड़क गए. यहां बात हो रही है एक पोस्टर की, जो विनोद तिवारी नाम के एक निर्देशक ने रविवार को जारी की थी. ये पोस्टर जिला गोरखपुर फिल्म का था और आशंका जताई जा रही थी कि यह योगी आदित्यनाथ की बायोपिक हो सकती है.

फिल्म में क्या है जान लीजिए

विनोद तिवारी ने यह साफ कर दिया है कि यह योगी आदित्यनाथ की बायोपिक नहीं है, बल्कि भगवा आतंकवाद और मोब लिंचिंग को दिखाती हुई फिल्म है. खैर, लाख कोशिशों के बावजूद विनोद तिवारी की ये फिल्म बनने से पहले ही बंद हो गई. भले ही विनोद तिवारी का उद्देश्य कुछ भी रहा हो, लेकिन फिल्म के नाम में गोरखपुर लिखना और फिल्म के पोस्टर में योगी आदित्यनाथ जैसी वेश-भूषा वाला शख्स दिखाने का सीधा मतलब तो लोग यही निकालेंगे कि ये योगी आदित्यनाथ की बायोपिक हो सकती है. अब भले ही विनोद कितनी भी सफाई दें, लेकिन लोग इस फिल्म का विरोध ही कर रहे हैं.

विनोद ने ये साफ किया कि इस फिल्म में क्या होगा.

ये पोस्टर ही है फिल्म

विचारों में मतभेद होना आम बात है. जिन लोगों के विचार योगी आदित्यानाथ से नहीं मिलते हैं या फिर जो लोग योगी आदित्यनाथ को आए दिन कई मौकों पर घेरते रहते हैं, उनके लिए तो ये पोस्टर ही पूरी फिल्म है. भले ही कोई फिल्म रिलीज ना हुई हो, लेकिन जिस तरह का पोस्टर रिलीज किया गया है, उसने अपने आप में ही बहुत कुछ बता दिया कि इस फिल्म में क्या...

सुबह के उगते सूरज से आंखें मिलाता हुआ एक भगवाधारी शख्स, आस-पास दिख रहे मंदिर और पास में खड़ा बछड़ा. किसी पोस्टर में ये सब देखकर बेशक मन में योगी आदित्यनाथ की तस्वीर उभर आएगी, लेकिन हाथों में पिस्तौल क्यों? बस यही देखकर लोग भड़क गए. यहां बात हो रही है एक पोस्टर की, जो विनोद तिवारी नाम के एक निर्देशक ने रविवार को जारी की थी. ये पोस्टर जिला गोरखपुर फिल्म का था और आशंका जताई जा रही थी कि यह योगी आदित्यनाथ की बायोपिक हो सकती है.

फिल्म में क्या है जान लीजिए

विनोद तिवारी ने यह साफ कर दिया है कि यह योगी आदित्यनाथ की बायोपिक नहीं है, बल्कि भगवा आतंकवाद और मोब लिंचिंग को दिखाती हुई फिल्म है. खैर, लाख कोशिशों के बावजूद विनोद तिवारी की ये फिल्म बनने से पहले ही बंद हो गई. भले ही विनोद तिवारी का उद्देश्य कुछ भी रहा हो, लेकिन फिल्म के नाम में गोरखपुर लिखना और फिल्म के पोस्टर में योगी आदित्यनाथ जैसी वेश-भूषा वाला शख्स दिखाने का सीधा मतलब तो लोग यही निकालेंगे कि ये योगी आदित्यनाथ की बायोपिक हो सकती है. अब भले ही विनोद कितनी भी सफाई दें, लेकिन लोग इस फिल्म का विरोध ही कर रहे हैं.

विनोद ने ये साफ किया कि इस फिल्म में क्या होगा.

ये पोस्टर ही है फिल्म

विचारों में मतभेद होना आम बात है. जिन लोगों के विचार योगी आदित्यानाथ से नहीं मिलते हैं या फिर जो लोग योगी आदित्यनाथ को आए दिन कई मौकों पर घेरते रहते हैं, उनके लिए तो ये पोस्टर ही पूरी फिल्म है. भले ही कोई फिल्म रिलीज ना हुई हो, लेकिन जिस तरह का पोस्टर रिलीज किया गया है, उसने अपने आप में ही बहुत कुछ बता दिया कि इस फिल्म में क्या दिखाया जा सकता था. हालांकि, लोगों के विरोध के बाद विनोद तिवारी ने फिल्म को बनाने से पहले ही बंद करने की घोषणा कर दी है, लेकिन इस पोस्टर में योगी आदित्यनाथ के विरोधियों ने पूरी फिल्म देख ली होगी.

तिवारी के खिलाफ केस तक हो चुका है दर्ज

विनोद तिवारी ने जैसे ही ये पोस्टर रिलीज किया, उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर जैसे मुहिम सी छिड़ गई. हर किसी का आरोप था कि इस पोस्टर के जरिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की छवि खराब की जा रही है. इतना ही नहीं, हिंदू धर्म को बदनाम तक करने के आरोप लगाए गए. भाजपा के पूर्व प्रवक्ता आईपी सिंह ने तो यहां तक चुनौती दे डाली कि अगर हिम्मत है तो फिल्म रिलीज कर के दिखाएं. सिंह ने लखनऊ के विभूतिखंड थाने में विनोद तिवारी के खिलाफ मुकदमा तक दर्ज करा दिया है.

विनोद तिवारी ने भले ही इस फिल्म को किसी भी मंशा से बनाया हो. भले ही वह भगवा आंतकवाद और मोब लिंचिंग दिखाना चाह रहे हों, लेकिन जो पोस्टर उन्होंने चुना, उसकी वजह से उन्हें लोगों का विरोध झेलना पड़ा. उस पोस्टर में भी सब कुछ सही है, सिर्फ उस शख्स के हाथ में पिस्तौल दिखाए जाने से लोग गुस्से में हैं. हाथ में पिस्तौल का सीधा मतलब है कि फिल्म में योगी आदित्यनाथ की आपराधिक छवि दिखेगी. यही वजह है कि लोगों ने विनोद तिवारी और इस फिल्म का विरोध किया है. विनोद तिवारी को और उनके परिवार को लेकर तो लोगों ने अभद्र भाषा तक का इस्तेमाल किया है. और ये सब सिर्फ इसलिए हुआ, क्योंकि लोगों को लग रहा है कि ये फिल्म योगी आदित्यनाथ की जिंदगी पर बनी है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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