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अरविंद केजरीवाल 'राम' को इतना रटेंगे, तो लोग नानी की 'बात' याद दिलाएंगे ही!

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 04 दिसम्बर, 2021 06:30 PM
  • 04 दिसम्बर, 2021 06:30 PM
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) राज्य के बुजुर्गों को अयोध्या में राम मंदिर (Ram Temple) के दर्शन कराने के लिए सीएम तीर्थ यात्रा योजना के जरिये पहली ट्रेन रवाना करेंगे. यूपी चुनाव 2022 (UP Elections 2022) के मद्देनजर आम आदमी पार्टी बहुसंख्यक यानी हिंदू तुष्टिकरण की ओर ध्यान केंद्रित कर रही है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जिस तरह से रामभक्त हनुमान की तरह निरंतर श्रीराम नाम की रट लगाए हुए हैं. लग रहा है कि वो जल्द ही 'रामराज्य' का सपना साकार कर देंगे, जिसकी व्याख्या उन्होंने दिवाली से पहले अयोध्या में रामलला के दर्शन के बाद की थी. आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल खुद को 'रामभक्त' साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. दिवाली से पहले अयोध्या में रामलला के दर्शन करने के तुरंत बाद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार की मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना में अयोध्या को शामिल करने का ऐलान किया था. और, अगले ही दिन दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने केजरीवाल के इस फैसले पर मुहर लगा दी थी. और, अब अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के बुजुर्गों को रामलला के दर्शन कराने के लिए पहली ट्रेन अयोध्या रवाना करने की घोषणा भी कर दी है. केजरीवाल खुद इस ट्रेन को रवाना करने के लिए स्टेशन पर मौजूद रहेंगे. 

चुनावी फैसले पर लोगों ने याद दिलाई नानी की 'बात'

अरविंद केजरीवाल के इस फैसले लोग सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि 'इस रंग बदलती दुनिया में, मैं रंग बेचता फिरता हूं'. लोगों का कहना है कि देश में होने वाले चुनावों से पहले इस लाइन पर किसी नेता के लिए सबसे ज्यादा मुफीद कहा जा सकता है, तो वो नाम अरविंद केजरीवाल के अलावा और कोई नहीं हो सकता है. क्योंकि, ये वही अरविंद केजरीवाल हैं, जिन्होंने 2014 में कहा था कि मेरी नानी कहती थीं कि मेरा राम किसी की मस्जिद तोड़कर बनाए गए मंदिर में नहीं बस सकता है. खैर, राम मंदिर के लिए उमड़े केजरीवाल के इस अगाध प्रेम का सारा लेना-देना यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से ही है. क्योंकि, उत्तर प्रदेश में अपनी जड़ें जमाने के लिए आम आदमी पार्टी लगातार कोशिश कर रही है. अयोध्या में रामलला के दर्शन के बाद दिवाली के दिन अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की तर्ज पर दिल्ली में उसके मॉडल में केजरीवाल ने अपनी पूरी कैबिनेट के साथ पूजा-अर्चना कर अपनी चुनावी महत्वाकांक्षा को और गति दे दी थी. 

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जिस तरह से रामभक्त हनुमान की तरह निरंतर श्रीराम नाम की रट लगाए हुए हैं. लग रहा है कि वो जल्द ही 'रामराज्य' का सपना साकार कर देंगे, जिसकी व्याख्या उन्होंने दिवाली से पहले अयोध्या में रामलला के दर्शन के बाद की थी. आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल खुद को 'रामभक्त' साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. दिवाली से पहले अयोध्या में रामलला के दर्शन करने के तुरंत बाद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार की मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना में अयोध्या को शामिल करने का ऐलान किया था. और, अगले ही दिन दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने केजरीवाल के इस फैसले पर मुहर लगा दी थी. और, अब अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के बुजुर्गों को रामलला के दर्शन कराने के लिए पहली ट्रेन अयोध्या रवाना करने की घोषणा भी कर दी है. केजरीवाल खुद इस ट्रेन को रवाना करने के लिए स्टेशन पर मौजूद रहेंगे. 

चुनावी फैसले पर लोगों ने याद दिलाई नानी की 'बात'

अरविंद केजरीवाल के इस फैसले लोग सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि 'इस रंग बदलती दुनिया में, मैं रंग बेचता फिरता हूं'. लोगों का कहना है कि देश में होने वाले चुनावों से पहले इस लाइन पर किसी नेता के लिए सबसे ज्यादा मुफीद कहा जा सकता है, तो वो नाम अरविंद केजरीवाल के अलावा और कोई नहीं हो सकता है. क्योंकि, ये वही अरविंद केजरीवाल हैं, जिन्होंने 2014 में कहा था कि मेरी नानी कहती थीं कि मेरा राम किसी की मस्जिद तोड़कर बनाए गए मंदिर में नहीं बस सकता है. खैर, राम मंदिर के लिए उमड़े केजरीवाल के इस अगाध प्रेम का सारा लेना-देना यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से ही है. क्योंकि, उत्तर प्रदेश में अपनी जड़ें जमाने के लिए आम आदमी पार्टी लगातार कोशिश कर रही है. अयोध्या में रामलला के दर्शन के बाद दिवाली के दिन अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की तर्ज पर दिल्ली में उसके मॉडल में केजरीवाल ने अपनी पूरी कैबिनेट के साथ पूजा-अर्चना कर अपनी चुनावी महत्वाकांक्षा को और गति दे दी थी. 

केजरीवाल का बहुसंख्यक तुष्टिकरण का दांव

अरविंद केजरीवाल राजनीति में गहरी जड़ें जमा चुके 'तुष्टिकरण' के फॉर्मूले पर ही चल रहे हैं. लेकिन, बहुसंख्यक हिंदू आबादी के तुष्टिकरण के बदलाव के साथ. कुछ साल पहले तक अन्य विपक्षी राजनीतिक दलों की तरह ही आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल भी राम मंदिर, धारा 370, तीन तलाक, सर्जिकल स्ट्राइक, नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA जैसे मुद्दों पर नरेंद्र मोदी और भाजपा के खिलाफ खड़े नजर आते थे. लेकिन, तीसरी बार दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने से पहले अरविंद केजरीवाल ने पार्टी की विचारधारा को धीरे से बहुसंख्यक तुष्टिकरण की ओर मोड़ दिया है. भाजपा के हिंदुत्व एजेंडे को कमजोर करने के लिए केजरीवाल 'हनुमान भक्त' बन चुके हैं. और, भाजपा के राष्ट्रवादी विचार को साइडलाइन करने के लिए दिल्ली के स्कूलों 'देशभक्ति पाठ्यक्रम' भी लागू कर रहे हैं.

अरविंद केजरीवाल का यूपी चुनाव 2022 के लिए खुद को पक्का रामभक्त दिखाना बहुत जरूरी भी है. क्योंकि, आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन के साइकिल पर सवार होना चाहती है. यूपी में समस्या ये है कि समाजवादी पार्टी की छवि मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाली पार्टी की है. और, इसे गठबंधन की राजनीति के सहारे मैनेज करने की जिम्मेदारी कही न कहीं अरविंद केजरीवाल पर ही आएगी. वैसे भी समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के मोहम्मद अली जिन्ना को देशभक्त बताने वाले बयान के बाद सपा पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगने लगा है. वहीं, समाजवादी के साथ गठबंधन करने वाले ओमप्रकाश राजभर इस मामले में अखिलेश यादव से एक कदम आगे भी निकल गए थे. ओमप्रकाश राजभर ने मोहम्मद अली जिन्ना को जवाहर लाल नेहरू की जगह पहला प्रधानमंत्री बनाए जाने की वकालत कर दी थी. और, ये सभी बयान काफी हद तक भाजपा को फायदा पहुंचाने वाले ही नजर आ रहे हैं.

अरविंद केजरीवाल का यूपी चुनाव 2022 के लिए खुद को पक्का रामभक्त दिखाना बहुत जरूरी भी है.

अखिलेश यादव के साथ गठबंधन के लिए राम नाम का जाप जरूरी

इस स्थिति में गठबंधन की राजनीति के समीकरण को संभालने का जिम्मेदारी कहीं न कहीं अरविंद केजरीवाल पर आ ही जाती है. समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन के समीकरण में फिट होने के लिए अरविंद केजरीवाल इतने जोर-शोर से 'जय श्री राम' का नारा लगा रहे हैं. जिससे भाजपा विरोधी वोटों को गठबंधन के नाम पर सहेज कर रखा जा सके. क्योंकि, राजनीति में केवल एक वर्ग के तुष्टिकरण से काम नहीं चल सकता है. और, दूसरे को संभालने का जिम्मा अरविंद केजरीवाल के हिस्से ही आना है. अपनी बहुसंख्यक तुष्टिकरण की राजनीति के सहारे अरविंद केजरीवाल भाजपा विरोधी हिंदू मतदाताओं को गठबंधन के नाम पर समाजवादी पार्टी के साथ बनाए रखने की कोशिश करेंगे. अरविंद केजरीवाल ने साफ कर दिया है कि आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव बहुसंख्यक वोटों यानी हिंदू मतदाताओं को साधने की ही राजनीति करेगी.

वैसे भी अरविंद केजरीवाल की अयोध्या में राम मंदिर की यात्रा कराने की घोषणा एक्सक्लूसिव तौर पर केवल उत्तर प्रदेश में ही प्रभावी है. क्योंकि...अगर ऐसा नहीं होता, तो आम आदमी पार्टी की ओर से गोवा में लोगों को अयोध्या में रामलला के दर्शन के साथ क्रिश्चियन को वेलांकन्नी, मुसलमानों को अजमेर शरीफ और अन्य श्रद्धालुओं को शिरडी की तीर्थ यात्रा कराने की गारंटी देने जैसा ही फैसला उत्तर प्रदेश में भी लिया जा सकता था. लेकिन, उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए अजमेर शरीफ, वेलांकन्नी और शिरडी कहीं से भी सूट नहीं करते हैं. ऐसा करने पर बहुसंख्यक हिंदू मतदाताओं के छिटकने का खतरा हो सकता है. तो, उत्तर प्रदेश में इन तमाम तीर्थों को केजरीवाल की तीर्थ यात्रा लिस्ट से बाहर रखा गया है. यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में हिंदुत्व एक बड़ा मुद्दा होने वाला है. और, देखना दिलचस्प होगा कि लोगों को अरविंद केजरीवाल का हिंदुत्व पसंद आता है या भाजपा का हिंदुत्व?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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