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जस्टिस चेलमेश्वर के 'विदाई भाषण' की 10 बातें, कि जंग जारी रहेगी...

    • आईचौक
    • Updated: 20 मई, 2018 05:11 PM
  • 20 मई, 2018 05:11 PM
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मैं 40 सालों से संवैधानिक कानून का स्टूडेंट रहा हूं. जो कुछ मैंने पढ़ा उससे हटकर आज मैं यह बात मानता हूं कि लोकतांत्रिक स्वतंत्रता सिर्फ निडर लोगों के लिए है, जो लोग आसानी से डर जाते हैं उनके लिए ये नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस जे चेलमेश्वर 22 जून को रिटायर हो रहे हैं. 18 मई को उनका आखिरी कार्यदिवस था. इस मौके पर उनके मन में जो कुछ था वह सब उन्होंने कह डाला. इसी साल 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, जिनमें जस्टिस जे चेलमेश्वर भी थे. उनके अलावा जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ भी कॉन्फ्रेंस का हिस्सा थे. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के काम करने के तरीके पर सवाल उठाए थे. 18 मई को उनका विदाई समारोह होना था, जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने उन्हें न्योता भी दिया था, लेकिन उन्होंने उस न्योते को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि रिटायरमेंट उनका निजी मामला है, जिसे वह सार्वजनिक रूप नहीं देना चाहते. इस मौके पर जस्टिस जे चेलमेश्वर ने बहुत सारी बातें कहीं, जिनमें से 10 मुख्य बातें ये रहीं.

1- मैं 40 सालों से संवैधानिक कानून का स्टूडेंट रहा हूं. जो कुछ मैंने पढ़ा उससे हटकर आज मैं यह बात मानता हूं कि लोकतांत्रिक स्वतंत्रता सिर्फ निडर लोगों के लिए है, जो लोग आसानी से डर जाते हैं उनके लिए ये नहीं है.

2- एक दिन का एक करोड़ रुपए फीस वाले वकील किसी मुद्दे पर अपना मुंह नहीं खोलते हैं. वह कोई कदम नहीं उठाते हैं. अगर कुछ गलत हो रहा है तो उस पर सवाल उठना चाहिए. अगर कुछ गलत है, तो उसे खत्म किया जाना चाहिए.

3- मैं किसी को हर्ट नहीं करना चाहता हूं. ऐसा इसलिए नहीं कि मैं किसी से डरा हुआ हूं, लेकिन इसलिए क्योंकि मैं कल्चर से बाहर जैसा ऐसा करना नहीं चाहता हूं. मुझे लगता है कि इस पूरे सिस्टम में किसी के भी साथ मेरी कोई निजी दुश्मनी नहीं है. मैं कुछ मुद्दों के लिए खड़ा हुआ था और सवाल उठाए थे.

4- कहां है वो...

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस जे चेलमेश्वर 22 जून को रिटायर हो रहे हैं. 18 मई को उनका आखिरी कार्यदिवस था. इस मौके पर उनके मन में जो कुछ था वह सब उन्होंने कह डाला. इसी साल 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, जिनमें जस्टिस जे चेलमेश्वर भी थे. उनके अलावा जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ भी कॉन्फ्रेंस का हिस्सा थे. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के काम करने के तरीके पर सवाल उठाए थे. 18 मई को उनका विदाई समारोह होना था, जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने उन्हें न्योता भी दिया था, लेकिन उन्होंने उस न्योते को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि रिटायरमेंट उनका निजी मामला है, जिसे वह सार्वजनिक रूप नहीं देना चाहते. इस मौके पर जस्टिस जे चेलमेश्वर ने बहुत सारी बातें कहीं, जिनमें से 10 मुख्य बातें ये रहीं.

1- मैं 40 सालों से संवैधानिक कानून का स्टूडेंट रहा हूं. जो कुछ मैंने पढ़ा उससे हटकर आज मैं यह बात मानता हूं कि लोकतांत्रिक स्वतंत्रता सिर्फ निडर लोगों के लिए है, जो लोग आसानी से डर जाते हैं उनके लिए ये नहीं है.

2- एक दिन का एक करोड़ रुपए फीस वाले वकील किसी मुद्दे पर अपना मुंह नहीं खोलते हैं. वह कोई कदम नहीं उठाते हैं. अगर कुछ गलत हो रहा है तो उस पर सवाल उठना चाहिए. अगर कुछ गलत है, तो उसे खत्म किया जाना चाहिए.

3- मैं किसी को हर्ट नहीं करना चाहता हूं. ऐसा इसलिए नहीं कि मैं किसी से डरा हुआ हूं, लेकिन इसलिए क्योंकि मैं कल्चर से बाहर जैसा ऐसा करना नहीं चाहता हूं. मुझे लगता है कि इस पूरे सिस्टम में किसी के भी साथ मेरी कोई निजी दुश्मनी नहीं है. मैं कुछ मुद्दों के लिए खड़ा हुआ था और सवाल उठाए थे.

4- कहां है वो कानून जो कहता है कि जज प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं कर सकते हैं? जजों को ऐसा अपने फैसले का बचाव करने के लिए नहीं करना चाहिए. मुझे पता था कि जब मैं मुंह खोलूंगा तो बहुत सी बातें होंगी. जब 2016 में मैंने मुख्य न्यायाधीश को पहला पत्र लिखा कि मैं कोलैजियम की बैठकों में हिस्सा नहीं लूंगा, तो भी कई बातें हुई थीं. मैंने कहा था कि मैं हर परिणाम के लिए तैयार हूं.

5- सिस्टम ऐसा हो गया है कि किसी भी सवाल को असानी से नहीं सुना जाएगा. आपके पास सवाल करने की हिम्मत होनी चाहिए. अगर आपको एक अच्छा बदलाव चाहिए तो आपके अंदर सिस्टम से लड़ने का दृढ़ संकल्प होना चाहिए.

6- ये ध्यान रहे कि हर लड़ाई अच्छी नहीं होगी. अगर आप को दोषी करार दिया जाता है तो भी एक अच्छे बदलाव के लिए लड़ाई जारी रहनी चाहिए. देश के बहुत से लोग आपका समर्थन करेंगे. कुछ तो आपके लिए बोलेंगे भी और कुछ नहीं बोलेंगे.

7- पिछले 6 महीनों में इस देश में बहुत से लोग ऐसे हैं जो मुझसे मिले और कहा- 'हमें खुशी है कि आपने ये किया.' उन्होंने कई अच्छी बातें कहीं. यदि मैं ऐसा न करता तो क्या वे कभी कुछ बोलते?

8- हाई कोर्ट के पूर्व जज, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज, पूर्व मुख्य न्यायाधीश, सभी ने मुझसे कहा कि हम प्रार्थना करते हैं आपको ताकत मिले. मैंने कहा- सर अब बोलना जरूरी है.

9- अगर आपके अंदर कोई विचार है तो बोलिए, चुप मत रहिए. यही है, जिसकी वजह से देश को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

10- मुझे लगता है कि अब सब कुछ यंग जनरेशन के हाथों में है. मुझसे जितना भी हो सकेगा मैं देश की सेवा के लिए करता रहूंगा. कुछ युवा वकील मेरे पाए और थे और कहा था कि वे भारत से बाहर जाने की योजना बना रहे थे, लेकिन 12 जनवरी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद उन्होंने देश में ही रहकर गलत चीजों से लड़ने का फैसला किया. उन्होंने यह फैसला इसलिए नहीं किया कि यह उनके लिए सही है, बल्कि इसलिए किया, क्योंकि यह देश के लिए सही है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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