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World Emoji Day: जब शब्दों की जेब ख़ाली हो, तब इमोजी का बड़ा सहारा है

    • प्रीति अज्ञात
    • Updated: 17 जुलाई, 2020 06:56 PM
  • 17 जुलाई, 2020 06:56 PM
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विश्व इमोजी दिवस (World Emoji Day ) पर जानिये की इंसान का एक अविष्कार आखिर कैसे उसकी एक बहुत बड़ी जरूरत बन गया है जिसके बिना उसके संवाद या फिर बातचीत पूरी तरह अधूरी है.

World Emoji Day: एक ही बात को यदि भिन्न भावों के साथ बोला जाए तो मायने बदल जाते हैं. बोलते समय तो आपकी मुखमुद्रा, उच्चारण एवं भावभंगिमा से सामने वाला समझ जाता है. अर्थ का अनर्थ तब हो सकता है, जब इसे लिखा जाए. अब सोशल मीडिया (Social Media) पर लिखते समय पढ़ने वाले को आपकी टोन का अनुमान कैसे हो? इन परिस्थितियों में भावनाओं की सरल और सहज अभिव्यक्ति के लिए इमोजीस (Emoji) वरदान की तरह अवतरित हुए हैं.

अब बातचीत या हंसी मजाक का सबसे बेहतर तरीका इमोजी हैं

इमोजी की महत्ता एक उदाहरण से समझिए-

क्या कह रहे हो? ???? जब आपकी बात से हंसते-हंसते पेट में बल पड़ जाएं.

क्या कह रहे हो?????सुनने वाले को मज़ा आया.

क्या कह रहे हो?????बताइये, कमीनेपन वाला भी दे रखा है.

क्या कह रहे हो?????दिल में लड्डू फूटिंग. ये तुमने क्या कह दिया, जानां.

क्या कह रहे हो?????कूल डूड टाइप फ़ीलिंग

क्या कह रहे हो?????अरे!तुमने ऐसा कैसे कह दिया रे!

क्या कह रहे हो?????घोर निराशा की बदली

क्या कह रहे हो?????चिढ़ोकरे, घुन्नू वाली प्रतिक्रिया

क्या कह रहे हो?????आगबबूला

क्या कह रहे हो?????मस्ती का ख़ुमार

क्या कह रहे हो?????हाय अल्ला! जे तुमने का कह डाला.

क्या कह रहे हो?????ट्यूबलाइट अभी जल नहीं पाई.

क्या कह रहे हो????? हैं, सच्ची!

क्या कह रहे हो?????मतलब हाउ डेयर यू!

क्या कह रहे हो?????इश्श!

क्या कह रहे हो?????नहीं! ये नहीं हो सकता!

क्या कह रहे हो?????दुःख की गंगा-जमुना में डूबते लोग

क्या कह रहे हो?????भगवान के लिए कह दो ये झूठ है!

यानी केवल एक इमोजी बना देने के बाद फिर व्याख्या की आवश्यकता नहीं रह जाती. सोशल मीडिया पर जब से इमोजी...

World Emoji Day: एक ही बात को यदि भिन्न भावों के साथ बोला जाए तो मायने बदल जाते हैं. बोलते समय तो आपकी मुखमुद्रा, उच्चारण एवं भावभंगिमा से सामने वाला समझ जाता है. अर्थ का अनर्थ तब हो सकता है, जब इसे लिखा जाए. अब सोशल मीडिया (Social Media) पर लिखते समय पढ़ने वाले को आपकी टोन का अनुमान कैसे हो? इन परिस्थितियों में भावनाओं की सरल और सहज अभिव्यक्ति के लिए इमोजीस (Emoji) वरदान की तरह अवतरित हुए हैं.

अब बातचीत या हंसी मजाक का सबसे बेहतर तरीका इमोजी हैं

इमोजी की महत्ता एक उदाहरण से समझिए-

क्या कह रहे हो? ???? जब आपकी बात से हंसते-हंसते पेट में बल पड़ जाएं.

क्या कह रहे हो?????सुनने वाले को मज़ा आया.

क्या कह रहे हो?????बताइये, कमीनेपन वाला भी दे रखा है.

क्या कह रहे हो?????दिल में लड्डू फूटिंग. ये तुमने क्या कह दिया, जानां.

क्या कह रहे हो?????कूल डूड टाइप फ़ीलिंग

क्या कह रहे हो?????अरे!तुमने ऐसा कैसे कह दिया रे!

क्या कह रहे हो?????घोर निराशा की बदली

क्या कह रहे हो?????चिढ़ोकरे, घुन्नू वाली प्रतिक्रिया

क्या कह रहे हो?????आगबबूला

क्या कह रहे हो?????मस्ती का ख़ुमार

क्या कह रहे हो?????हाय अल्ला! जे तुमने का कह डाला.

क्या कह रहे हो?????ट्यूबलाइट अभी जल नहीं पाई.

क्या कह रहे हो????? हैं, सच्ची!

क्या कह रहे हो?????मतलब हाउ डेयर यू!

क्या कह रहे हो?????इश्श!

क्या कह रहे हो?????नहीं! ये नहीं हो सकता!

क्या कह रहे हो?????दुःख की गंगा-जमुना में डूबते लोग

क्या कह रहे हो?????भगवान के लिए कह दो ये झूठ है!

यानी केवल एक इमोजी बना देने के बाद फिर व्याख्या की आवश्यकता नहीं रह जाती. सोशल मीडिया पर जब से इमोजी आए हैं. लिखने का अंदाज़ ही बदल गया है. वाहवाही के लिए, दुःख, हंसी, परवाह, प्रेम, जन्मदिवस, शुभकामनाएं हर चीज़ के लिए इमोजी तैयार हैं. ख़ोज को सरल करने के लिए इनको अलग-अलग श्रेणियों में भी बांटा गया है. बस, एक क्लिक के माध्यम से आप अपने अहसास जस-की-तस साझा कर सकते हैं.

आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि इमोटिकॉन्स और इमोजी में अंतर होता है. कहते हैं, 1990 के दौर में सबसे पहले जापान में इमोटिकॉन्स (kaomoji) प्रचलन में आए. इसमें नंबर और विराम चिह्नों की मदद से चित्र बनाया जाता है. जैसे :और D को मिलाकर लिखने से हंसने वाला चित्र :D बनता है या फिर / और ( को इस्तेमाल कर :/ ये भाव प्रदर्शित किया जाता है. इस दशक के अपनी समाप्ति के चरण में पहूंचने तक इमोजी अस्तित्व में आ चुके थे. इसकी शुरुआत भी जापान से ही हुई थी.

इसकी खोज का श्रेय किसे दिया जाए, इस बारे में कई मतभेद हैं. इमोजी मूलतः Pictograph होते हैं, ये E (picture) + moji (character) से मिलकर बने हैं. अब ये इमोजी केवल भाव-भंगिमाओं तक ही सीमित नहीं रहे बल्कि खानपान से लेकर घर गृहस्थी, कार्यालय, बाज़ार की सभी प्रकार की वस्तुएं इसमें शामिल हो चुकी हैं.

समय के साथ-साथ इमोजी भी अपडेट होते जा रहे हैं. जैसे अभी कोरोना महामारी के समय में केयर (परवाह) का इमोजी जुड़ गया है अर्थात फेसबुक भी केयर करने लगा है. उन्हें पता है कि इन दिनों सबसे अधिक आवश्यकता सांत्वना देने की ही है. वैसे ये इमोजी न हों, तो बातों का मज़ा ही क्या! ये शब्दों में चाशनी की तरह घुल जाते हैं. कितनी ही बातें इमोजी के माध्यम से कह दी जाती हैं. कभी-कभी इन इमोजीस के मज़े भी लिए जाते हैं. दो दोस्तों के बीच, इमोजी की टांग खिंचाई की एक बानगी देखिए-

????

????

यार, तुम हंसती हो तो ऊपर नीचे दोनों दांत दिखते हैं. मेरे केवल ऊपर के, ऐसा क्यों?

हाहा ????अब देखो.

हां, अब ठीक है.

मतलब, तुमको दो तरह से हंसने की कला आती है?

न! चार तरह से आती है.

अच्छा!

????????????????ये देखो!

एक और है!

बताओ!

????

अरे, हां! 5 हुए. ये खुशी के आंसू टाइप

????????छिछोरी हंसी भी है

????????

???? ये भी है, पता नहीं क्या?

ये इंटेलेक्चुअल हंसी. मने हंसने का कारण भी समझ आ रहा

????

जब ये ???? है, तो ये ???? क्यों है?

???????????? खी खी खी

शायद पहला वाला दिव्यांग है.नहीं, पहला छिछोरी हंसी है और दूसरा उसके साथ अश्लील है.

???? ये cool बन हंसने की कोशिश कर रहा है, लेकिन बात में दम नहीं है.

हां, एकदम गंवार लग रहा!

???? कूल ये

???? इसका मतलब झलक पाते ही लड्डू फूटना

????????????निरा गंवार

न, न! चारों खाने चित्त है ये

????????

अच्छा! इस पर बात नहीं होगी. आउट ऑफ़ कोर्स है ये. केवल उसी पर चर्चा होगी, जो हँसे.हां, हटाओ इसे!

जानते हो, आज अपन ने अनजाने में क्या कर दिया है ?

हां, हास्य इमोजी का आलोचनात्मक विश्लेषण!

ये महान काम अपन ही कर सकते बस

दुनिया मे इत्ती बुद्धि न है

????

जित्ती अपन दोनों में है ????

???? अच्छा, बस तुम ही महान हो महाराज!

हीही, परिश्रम से क्या नहीं संभव!

???? इसमें मेहनत, निष्ठा और अनुशासन भी जोड़ो जी.

कोरोना फाइट में मेरा योगदान: एक महती रिसर्च

????????

हास्य के विविध रूप 'इन द टाइम ऑफ़ कोरोना'

नहीं! हंसो मत!

तो फिर?

कोरोना जैसे गंभीर दौर में बेतुका हंसना अक्षम्य है.

हुंह! हंसी के दौर में तो सब हंसते हैं. इस दौर में हंसना ही तो खास है!

हंसी को लेकर गंभीर ????

????????

आप भी हंसते रहिए और इमोजी के माध्यम से अपने अहसास बांटिए. इससे समय की बचत होती है. भाव पुख्ता तौर पर साझा किये जाते हैं. इस बात को स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं कि जब शब्दों की जेब ख़ाली हो या कहीं कोई झिझक आड़े आ रही हो, तब हाल-ए-दिल की अभिव्यक्ति के लिए भी इनका बड़ा सहारा है! बस, ध्यान रहे कि हमारी भाषा शेष रहे और इन्हें इस्तेमाल करते-करते हम e-Human न बन जाएं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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