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गैंंग्स्टरों के खिलाफ यूपी पुलिस के ड्राइवरों की 'सर्जिकल स्ट्राइक'!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 29 सितम्बर, 2020 01:07 PM
  • 29 सितम्बर, 2020 01:06 PM
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यूपी पुलिस (UP Police ) की एक कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई, और इसकी वजह से मुंबई से लखनऊ लाया जा रहा एक गैंग्सटर मारा गया. मामला देखकर विकास दुबे एनकाउंटर (Vikas Dubey Encounter) की यादें ताजा हो गयीं.

न्यूयॉर्क, दुबई, सिंगापुर, शिकागो, इस्तांबुल, बीजिंग, सिडनी जैसे शहर एक तरफ़ अपना यूपी (ttar Pradesh) दूसरी तरफ. गर जो कोई करना भी चाहे तो शायद ही उत्तर प्रदेश का मुकाबला कर पाए. यूपी यूं ही यूपी नहीं हुआ है इसके P होने में यूपी पुलिस का बहुत बड़ा योगदान है. 2017 में भाजपा की सरकार आने और योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के सूबे के मुखिया बनने के बाद यूपी की सूरत ही बदल गयी. कहीं काम हुआ या न हुआ हो, लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि लॉ एंड आर्डर (Law and Order) पर काम हुआ है. इन दिनों आलम कुछ यूं है कि पुलिस द्वारा बदमाशों को देखने भर की देर है. कमज़ोर दिल के दो - चार बदमाश हफ़्ते दो हफ्ते में सरेंडर तो कर ही देते हैं. कमज़ोर दिल गुर्दे वाले बदमाश क्यों सरेंडर करने को दीवाने हुए हैं? वजह हैरत में डालने वाली है. कारण बने हैं यूपी पुलिस के ड्राइवर्स. जैसे हालात हैं यदि यूपी पुलिस के कोतवाल, दीवान, दरोगा, एसपी, डीएसपी, डीजीपी 'सेर' हैं तो पुलिस महकमे के हमारे ये ड्राइवर्स 'सवा सेर' हैं. जो आजकल गाड़ी पलटकर खूंखार से खूंखार और दुर्दांत से दुर्दांत अपराधियों पर सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) कर रहे हैं. बात बीते दिन की है एक अपराधी को मुंबई (Mumbai) से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ (Mumbai) लाया जा रहा था और यूपी पुलिस की गाड़ी पलट गई जिससे अपराधी फिरोज अली का राम नाम सत्य हो गया.

यूपी पुलिस की वो गाड़ी जिसका एक्सीडेंट हुआ और जिसके चलते गैंगस्टर फिरोज अली की मौत हुई

यूपी पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि फिरोज को मुंबई से लखनऊ लाया जा रहा था. उसके खिलाफ कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. बैतूल जिले में ग्वालियर-गुना हाईवे (NH-26) पर अचानक एक नीलगाय पुलिस की इनोवा कार के सामने आ गई. उसे बचाने के चक्कर में ड्राइवर का संतुलन बिगड़ गया...

न्यूयॉर्क, दुबई, सिंगापुर, शिकागो, इस्तांबुल, बीजिंग, सिडनी जैसे शहर एक तरफ़ अपना यूपी (ttar Pradesh) दूसरी तरफ. गर जो कोई करना भी चाहे तो शायद ही उत्तर प्रदेश का मुकाबला कर पाए. यूपी यूं ही यूपी नहीं हुआ है इसके P होने में यूपी पुलिस का बहुत बड़ा योगदान है. 2017 में भाजपा की सरकार आने और योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के सूबे के मुखिया बनने के बाद यूपी की सूरत ही बदल गयी. कहीं काम हुआ या न हुआ हो, लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि लॉ एंड आर्डर (Law and Order) पर काम हुआ है. इन दिनों आलम कुछ यूं है कि पुलिस द्वारा बदमाशों को देखने भर की देर है. कमज़ोर दिल के दो - चार बदमाश हफ़्ते दो हफ्ते में सरेंडर तो कर ही देते हैं. कमज़ोर दिल गुर्दे वाले बदमाश क्यों सरेंडर करने को दीवाने हुए हैं? वजह हैरत में डालने वाली है. कारण बने हैं यूपी पुलिस के ड्राइवर्स. जैसे हालात हैं यदि यूपी पुलिस के कोतवाल, दीवान, दरोगा, एसपी, डीएसपी, डीजीपी 'सेर' हैं तो पुलिस महकमे के हमारे ये ड्राइवर्स 'सवा सेर' हैं. जो आजकल गाड़ी पलटकर खूंखार से खूंखार और दुर्दांत से दुर्दांत अपराधियों पर सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) कर रहे हैं. बात बीते दिन की है एक अपराधी को मुंबई (Mumbai) से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ (Mumbai) लाया जा रहा था और यूपी पुलिस की गाड़ी पलट गई जिससे अपराधी फिरोज अली का राम नाम सत्य हो गया.

यूपी पुलिस की वो गाड़ी जिसका एक्सीडेंट हुआ और जिसके चलते गैंगस्टर फिरोज अली की मौत हुई

यूपी पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि फिरोज को मुंबई से लखनऊ लाया जा रहा था. उसके खिलाफ कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. बैतूल जिले में ग्वालियर-गुना हाईवे (NH-26) पर अचानक एक नीलगाय पुलिस की इनोवा कार के सामने आ गई. उसे बचाने के चक्कर में ड्राइवर का संतुलन बिगड़ गया और इनोवा दुर्घटनाग्रस्त हो गई.

अब इस मामले में जंगल झाड़ी से निकलकर नीलगाय आई या उसे यूं ही जुबानी लाया गया कुछ कहना जल्दबाजी है मगर यूपी पुलिस का थैंक यू इस लिए क्योंकि इस हादसे में एक पापी 'टें' बोला है. हो सकता है कि हमारी इस बात की आलोचना हो. मानवाधिकार वाले हमें मानवाधिकार का तैय्यब अली कहें और हाय हाय करें तो हम उन्हें यही कहेंगे कि इंसानियत के दुश्मन किसी अपराधी की मौत पर मानवाधिकार की दुहाई जुमला है.

जो हुआ है ठीक ही हुआ है और अच्छी बात ये है कि वो ड्राइवर बच गया जो 65 साल के फिरोज को मुंबई से लखनऊ ला रहा था. आलोचक भाई लोग ध्यान दें इस पुलिस वाले यानी इस ड्राइवर के भी मानवाधिकार है जो ईश्वर की कृपा से अभी महफूज हैं.

इन बातों के इतर बात अगर नीलगाय से पुलिसिया गाड़ी टकराने के चलते मरे फिरोज ख़ान और घायल हुए लोगों की हो. तो जो जानकारी पुलिस ने दी है वो भी दिलचस्प है. उत्तर प्रदेश पुलिस के अनुसार हादसे के फौरन बाद ही गैंगस्टर एक्ट में वांटेड चल रहे फिरोज की मौके पर ही मौत हो गई. जबकि फिरोज़ को ला रहे एसआई जगदीश प्रसाद और कांस्टेबल संजीव घायल हुए हैं. घायलों को घटनास्थल के पास ही राजगढ़ अस्पताल में भर्ती कराया गया है. पुलिस के मुताबिक फिरोज खान पर लूट और चोरी के छह मुकदमे दर्ज थे. कोर्ट ने उसके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया था. वह फरार चल रहा था.

यूपी पुलिस से गाड़ी पलटी है और बदमाश मरा है तो हमारे जहन में ख़ुद ब खुद विकास दुबे की छवि आ जाती है. दबिश देने गयी पुलिस पार्टी पर विकास दुबे और उसके लोगों ने हमला किया था और मौत के घाट उतारा था. यूपी पुलिस ने भी इस मामले को किसी चुनौती की तरह लिया लेकिन तब तक विकास दुबे फरार हो गया था. बाद में विकास दुबे को उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर से गिरफ्तार किया गया.

पुलिस उसे कानपुर ला रही थी जहां रास्ते मे गाड़ी पलटी और पुलिस वालों से असलहा छीनकर विकास दुबे ने भागने का प्रयास किया लेकिन मारा गया. विकास दुबे मामले में दिलचस्प था कि उस हादसे में जब गाड़ी पलटी थी तो पुलिस ने ये दलील दी थी कि तब पुलिस की गाड़ी के आगे मवेशियों का झुंड आ गया था जिसके चलते गाड़ी ने अपना नियंत्रण खो दिया था.

जिस तरह यूपी पुलिस की गाड़ियां पलट रही हैं और जिस तरह उन गाड़ियों की पलटकर यूपी पुलिस के ड्राइवर्स दुर्दांत और खूंखार अपराधियों पर सर्जिकल स्ट्राइक कर रहे हैं प्रदेश के अन्य अपराधियों की हवा टाइट होनी शुरू हो गयी है. अपराधियों को पुलिस की गाड़ी भैंसा और उन गाड़ियों को चलाने वाले ड्राइवर्स में यमराज नजर आ रहा है.

जैसे हालात हैं वो दिन दूर नहीं जब सर्जिकल स्ट्राइक के तहत गाड़ी पलटने से दहशत में आए क्रिमिनल्स पकड़े जाने के बाद पुलिस वालों विशेषकर ड्राइवर्स से निवेदन करें कि 'ऐसा है सर की आप लोग चलें पीछे पीछे लोग ख़ुद ही पैदल आ जाएंगे और मम्मी कसम भागने की तो सोचेंगे भी नहीं'

बहरहाल ऐसे मामलों में भले ही यूपी पुलिस आलोचना का सामना कर रही हो.लेकिन इस अंदाज से अपराधियों की बत्ती गुल हुई है. यूपी पुलिस का वो रुतबा जिस पर धूल जम चुकी थी पूरी तरह से साफ होकर बाहर आया है और लॉ एंड आर्डर के तहत जिसकी तारीफ होनी चाहिए. बाक़ी जिक्र पुलिस की गाड़ी पलटने वाले ड्राइवर्स का हुआ है तो इन्हें तो निश्चित तौर पर आउट ऑफ टर्न प्रमोशन मिलना चाहिए. ये लोग ईनाम के हकदार है और उसे डिज़र्व करते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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