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रगों में दौड़ रहे जातिवाद को गाड़ियों से मिटाकर कितना हांसिल होगा?

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 29 दिसम्बर, 2020 08:57 PM
  • 29 दिसम्बर, 2020 08:57 PM
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यूपी पुलिस (UP Police) और सूबे का परिवहन विभाग (Transport Department) गाड़ियों में जातिसूचक शब्द लिखे होने पर चालान काट रहा है. जातिसूचक शब्दों पर कटने वाले चालान पर जैसी स्थिति बानी है अब वो वक़्त आ गया है जब यूपी (UP), पंजाब (Punjab), हरियाणा (Hariyana) की आधी से ज्यादा गाड़ियां अपना स्वरूप बदलवाएंगी नहीं तो गैराज की शोभा बढ़ाएंगी.

घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे

बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला

शेर मशहूर शायर बशीर बद्र का है और उन लोगों के लिए हैं जिनका पूरा जोर घर की नेमप्लेट और उस नेमप्लेट में पड़े अपनेअपना पर होता है. अच्छा चूंकि शौक वाक़ई बड़ी चीज है तो ऐसे लोगों का बस चलें तो ये अपने अहदों का टैटू हाथ में गुदवा लें और बताएं जमाने को कि ये क्या हैं. बाकी बात बस इतनी है कि पहले मनुष्य या तो अकेले या फिर समूह में टहलता था. युग बदला जरूरतें बदलीं तब तक इंसान पहिये का अविष्कार कर चुका था बैल गाड़ी, ऊंट गाड़ी हाथ गाड़ी से होते हुए आज इंसान महंगी लक्सरी कार का सफर कर रहा है लेकिन क्यों कि उसे अपनी जाति/ ओहदा दिखाने की बीमारी थी वो इसके लिए अपनी गाड़ियों का इस्तेमाल कर रहा था. क्या देश की राजधानी दिल्ली क्या यूपी का कानपुर और लखनऊ क्या हरियाणा का रोहतक आप निकल जाइये सड़क पर जाट, गुर्जर, क्षत्रिय, ब्राह्मण, अंसारी, पठान, चावला, अरोड़ा और कुछ नहीं तो पशुपालन, जलनिगम, सचिवालय, प्रेस, मीडिया, वकील, फलां कमेटी के अध्यक्ष , गुमनाम संस्था के उपाध्यक्ष आप सिर्फ प्रोफेशन बताइये हर तरह की गाड़ियां सड़कों पर दिख जाएंगी. होने को तो ये कानून की नजरों में गुनाह है दो गुना है मगर सानू की. भौकाल भी कोई चीज होती है. लेकिन सावधान! यदि आप यूपी में हैं और ऐसा कोई पद या जाति आपकी गाड़ी में लिखी है तो अब आपकी ख़ैर नहीं. यूपी पुलिस और परिवहन विभाग उन गाड़ियों का चालान काट रहे हैं जिनमें कोई आलतू फालतू की बात लिखी हुई है.

जातिसूचक शब्दों के कारण कानपुर में पहला चालान कट चुका है

ध्यान रहे कि RTO और यूपी पुलिस ने इस एक्शन की शुरुआत तब की जब उन्हें इंटीग्रेटेड ग्रिवांस रिड्रेसल सिस्टम (आईजीआरएस) पर इसकी शिकायत...

घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे

बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला

शेर मशहूर शायर बशीर बद्र का है और उन लोगों के लिए हैं जिनका पूरा जोर घर की नेमप्लेट और उस नेमप्लेट में पड़े अपनेअपना पर होता है. अच्छा चूंकि शौक वाक़ई बड़ी चीज है तो ऐसे लोगों का बस चलें तो ये अपने अहदों का टैटू हाथ में गुदवा लें और बताएं जमाने को कि ये क्या हैं. बाकी बात बस इतनी है कि पहले मनुष्य या तो अकेले या फिर समूह में टहलता था. युग बदला जरूरतें बदलीं तब तक इंसान पहिये का अविष्कार कर चुका था बैल गाड़ी, ऊंट गाड़ी हाथ गाड़ी से होते हुए आज इंसान महंगी लक्सरी कार का सफर कर रहा है लेकिन क्यों कि उसे अपनी जाति/ ओहदा दिखाने की बीमारी थी वो इसके लिए अपनी गाड़ियों का इस्तेमाल कर रहा था. क्या देश की राजधानी दिल्ली क्या यूपी का कानपुर और लखनऊ क्या हरियाणा का रोहतक आप निकल जाइये सड़क पर जाट, गुर्जर, क्षत्रिय, ब्राह्मण, अंसारी, पठान, चावला, अरोड़ा और कुछ नहीं तो पशुपालन, जलनिगम, सचिवालय, प्रेस, मीडिया, वकील, फलां कमेटी के अध्यक्ष , गुमनाम संस्था के उपाध्यक्ष आप सिर्फ प्रोफेशन बताइये हर तरह की गाड़ियां सड़कों पर दिख जाएंगी. होने को तो ये कानून की नजरों में गुनाह है दो गुना है मगर सानू की. भौकाल भी कोई चीज होती है. लेकिन सावधान! यदि आप यूपी में हैं और ऐसा कोई पद या जाति आपकी गाड़ी में लिखी है तो अब आपकी ख़ैर नहीं. यूपी पुलिस और परिवहन विभाग उन गाड़ियों का चालान काट रहे हैं जिनमें कोई आलतू फालतू की बात लिखी हुई है.

जातिसूचक शब्दों के कारण कानपुर में पहला चालान कट चुका है

ध्यान रहे कि RTO और यूपी पुलिस ने इस एक्शन की शुरुआत तब की जब उन्हें इंटीग्रेटेड ग्रिवांस रिड्रेसल सिस्टम (आईजीआरएस) पर इसकी शिकायत मिली. यूपी पुलिस और आरटीओ ने कमर कस ली है वो तमाम गाड़ियां जिनमें जातिसूचक शब्द लिखे हैं रोक रोक कर उनका चालान काटा जा रहा है और उस चालान को लोगों को थमाया जा रहा है.

जातिसूचक शब्द या ओहदे लिखी नम्बर प्लेटों पर अपना पक्ष रखते हुए यूपी के परिवहन विभाग ने अपने मन की बात की है. परिवहन विभाग की मानें तो नम्बर प्लेट पर नम्बर के अतिरिक्त और कुछ नहीं लिखा होना चाहिए. बात अगर नम्बर की हो तो नम्बर भी एक तय फॉर्मेट में ही होना चाहिए. परिवहन विभाग का ये भी कहना है कि वो तमाम लोग जो इन नियमों की अनदेखी कर रहे हैं उनपर मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 177 के तहत दंड का प्रावधान है. नियमों के उल्लंघन पर पहली बार पांच सौ और दोबारा उल्लंघन पर 1500 रुपये का चालान है.

गाड़ी पर कुछ भी 'भौकाली' लिखने पर अपना पल्ला झाड़ते हुए परिवहन विभाग का कहना है कि सिर्फ गाड़ी की विंड स्क्रीन ही नहीं आप पहिये, बोनट, टायर, ट्यूब, जैक, स्टेरिंग, गियर कहीं कुछ नहीं लिख सकते. गर जो लिखा तो लेने के देने पड़ जाएंगे.

तो गुरु ये तो हो गई ज्ञान और नियम कानून की बात. अब थोड़ा प्रैक्टिकल होते हैं और यूपी, पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों की यात्रा करते हैं. मामले पर जैसा रुख लोगों का सोशल मीडिया पर है इन राज्यों में इस तरह का बैन यूं भी संभव नहीं है क्योंकि लोगों को भौकाली कहने बताने की लत लग चुकी है. आदत है और आदत भी कहां इतनी आसानी से जाने वाली.

देश में मामला कोई भी हो जब तक उसमें हिंदू मुस्लिम एंगल नहीं होता लोगों को मजा नहीं आता. ये मामला इससे कैसे अछूता रहता. होना था, हो गया.

अब चूंकि बातचीत और गपशप के लिए एक मुद्दा लोगों के हाथ लगा है तो ऐसा ऐसा ज्ञान दिया जा रहा है कि क्या ही कहा जाए.

बहरहाल मामला जो भी हो. भले ही यूपी में मामले के मद्देनजर सक्सेना जी का पहला चालान राजधानी लखनऊ में कट गया हो. लेकिन इतना तो शर्तिया कहा जा सकता है कि लोग इतनी जल्दी मानेंगे नहीं. कास्ट या ओहदा बताना उनका प्राइड था ये प्राइड छीनकर यूपी पुलिस, परिवहन विभाग और सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने अच्छा नहीं किया. बिलकुल नहीं किया.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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