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Amusement Park में खेलकूद करते तालिबान के दिल में भी एक बच्चा है, बिगड़ैल बच्चा!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 18 अगस्त, 2021 07:26 PM
  • 18 अगस्त, 2021 07:26 PM
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इंटरनेट पर वायरल हुए एक वीडियो में तालिबान लड़ाके काबुल पर कब्जा करने के एक दिन बाद एक Amusement Park में मौज मस्ती करते नजर आ रहे हैं. वीडियो में जैसा रुख तालिबानी लड़कों का है साफ़ है कि इनके दिल में भी एक बच्चा है लेकिन अफ़सोस वो बेहद बिगड़ैल है जिसका उद्देश्य सिर्फ तबाही लाना है.

2010 में आई फ़िल्म इश्किया में भाई राहत फतेह अली खान ने चिल्ला चिल्ला कर दुनिया को बताया था कि 'दिल तो बच्चा है जी.' हम भारतीय इतने निर्मोही, इन बातों को सिर्फ एक गाने की तरह लिया. कुछ दिन गुनगुनाया और फिर भूल गए. कितनी बड़ी फिलॉसफी छुपी है इस गाने में, क्या कभी सोचा है आपने? नहीं सोचा तो दो मिनट रुकिए और तालिबान का रुख करिये, जो तमाम तरह की गुणा गणित करके अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हो चुका है. जैसे हालात हैं और जिस तरह के विजुल्स टीवी, इंटरनेट, फेसबुक, ट्विटर पर चल रहे हैं उन्हें देखकर ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि लंबे इंतजार के बाद आखिरकार बंदर को उस्तरा मिल ही गया है. अब बंदर मार उस्तरा खुद को घायल करे या फिर आस पास वालों की लंका लगाए ये तो बात की बात है मगर जिस तरह भागते भूत को लंगोटी का सहारा होता है इनका भी सीन वही है कि क्या पता कल हो न हो.

अपनी जीत के बाद पार्क पर कब्ज़ा कर कुछ इस तरह तालिबान ने जश्न मनाया है

अब जैसा कि हम बता ही चुके हैं सत्ता के रूप में बंदर उस्तरा पा चुका है, तो उसकी करतूतों का भी बाहर आना लाजमी था. इंटरनेट पर एक से एक वीडियो वायरल हो रहे हैं. क्या प्राइवेट ऑफिस। क्या चैनलों के दफ्तर। रेडियो स्टेशन से लेकर मॉल मल्टीप्लेक्स, अम्यूजमेंट पार्क तक अफगानिस्तान के चप्पे चप्पे पर तालिबान है.

जैसा इनका बर्ताव है या ये कहें कि जैसा तस्वीरों से दिख रहा है शक की गुंजाइश तो है और सवाल भी खड़ा होता है कि चंद जिहादी लड़ाके एक मुल्क का निजाम कैसे चलाएंगे? चला भी पाएंगे या फिर सारा मामला ठन ठन गोपाल ही रहने वाला है. अच्छा बात चूंकि वायरल वीडियो की चली तो...

2010 में आई फ़िल्म इश्किया में भाई राहत फतेह अली खान ने चिल्ला चिल्ला कर दुनिया को बताया था कि 'दिल तो बच्चा है जी.' हम भारतीय इतने निर्मोही, इन बातों को सिर्फ एक गाने की तरह लिया. कुछ दिन गुनगुनाया और फिर भूल गए. कितनी बड़ी फिलॉसफी छुपी है इस गाने में, क्या कभी सोचा है आपने? नहीं सोचा तो दो मिनट रुकिए और तालिबान का रुख करिये, जो तमाम तरह की गुणा गणित करके अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हो चुका है. जैसे हालात हैं और जिस तरह के विजुल्स टीवी, इंटरनेट, फेसबुक, ट्विटर पर चल रहे हैं उन्हें देखकर ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि लंबे इंतजार के बाद आखिरकार बंदर को उस्तरा मिल ही गया है. अब बंदर मार उस्तरा खुद को घायल करे या फिर आस पास वालों की लंका लगाए ये तो बात की बात है मगर जिस तरह भागते भूत को लंगोटी का सहारा होता है इनका भी सीन वही है कि क्या पता कल हो न हो.

अपनी जीत के बाद पार्क पर कब्ज़ा कर कुछ इस तरह तालिबान ने जश्न मनाया है

अब जैसा कि हम बता ही चुके हैं सत्ता के रूप में बंदर उस्तरा पा चुका है, तो उसकी करतूतों का भी बाहर आना लाजमी था. इंटरनेट पर एक से एक वीडियो वायरल हो रहे हैं. क्या प्राइवेट ऑफिस। क्या चैनलों के दफ्तर। रेडियो स्टेशन से लेकर मॉल मल्टीप्लेक्स, अम्यूजमेंट पार्क तक अफगानिस्तान के चप्पे चप्पे पर तालिबान है.

जैसा इनका बर्ताव है या ये कहें कि जैसा तस्वीरों से दिख रहा है शक की गुंजाइश तो है और सवाल भी खड़ा होता है कि चंद जिहादी लड़ाके एक मुल्क का निजाम कैसे चलाएंगे? चला भी पाएंगे या फिर सारा मामला ठन ठन गोपाल ही रहने वाला है. अच्छा बात चूंकि वायरल वीडियो की चली तो ज्यादा इधर उधर की क्या ही बात करना.

सिर्फ इस वीडियो पर नजर डालें तो पता चलता है कि तालिबानी ठीक वैसा ही रियेक्ट कर रहे हैं जैसे किसी शराबी को 3 महीने के गैप के बाद स्कॉच या व्हिस्की की पूरी बोतल मिली हो. जैसा पुदीना नई नई सत्ता पाए तालिबानियों ने अफगानिस्तान में किया है, एक बार तो उसे देखकर हंसी आती है. लेकिन दूसरे ही पल देखकर अफसोस भी होता है और अफगानिस्तान को लेकर नुसरत साहब की वो ग़ज़ल जेहन में अपने आप आ जाती है जिसमें उन्होंने कहा था कि 'क्या से क्या हो गए देखते देखते.

अब ज्यादा क्या ही कहें. वायरल हो रहे वीडियो को देखने पर मिल रहा है कि तालिबानी लड़ाके एम्‍यूजमेंट पार्क में इलेक्ट्रिक बंपर कारें चलाते और घोड़ों वाले झूलों पर सवारी कर रहे हैं. झूला झूलते तालिबानी बेहद क्यूट और स्वभाव से बिल्कुल बच्चे लग रहे हैं लेकिन दुनिया जानती है. दिल से बच्चा दिखने वाले तालिबानी भेड़ की खाल में भेड़िया हैं.

बताते चलें कि तालिबानियों के अम्‍यूजमेंट पार्क में एंजॉय करते इस वीडियो को काबुल में रहने वाले रॉयटर्स के रिपोर्टर हामिद शालिजी ने ट्विटर पर शेयर किए हैं. मामले में दिलचस्प ये है कि फ़िलहाल शालिजी का ट्विटर अकाउंट बंद है. शालिजी का ट्विटर अकाउंट बंद होना एक अलग ही टेंशन देता नजर आ रहा है.

वीडियो में लड़ाके इलेक्ट्रिक बंपर कार और घोड़ों की सवारी करते दिख रहे हैं. अब चूंकि रिपोर्टर हामिद शालिजी ने वीडियो पोस्ट करके दुर्दांत तालिबानी लड़ाकों से पंगा लिया है तो उनका क्या हश्र होगा ये तो ख़ुदा जाने. लेकिन जिस तरह ये ऊंट जैसे तालिबानी छोटी छोटी नन्ही मुन्नी गाड़ियों पर बैठकर धमा चौकड़ी कर रहे हैं. एक सभ्य नागरिक के रूप में हमारा इंसानियत और इस मायावी दुनिया से विश्वास उठ सा गया है.

साफ है कि सर-जमीन-ए-अफगानिस्तान से एक पत्रकार द्वारा जारी किया गया हंसते खेलते तालिबान का ये वीडियो बेशर्मी की पराकाष्ठा है. वीडियो में जिस तरह तालिबानी लड़ाके हंसी ठिठोली कर रहे हैं कई चीजें एक साथ नुमायां हो रही हैं. साफ पता चल रहा है कि जिहाद का गाजर दिखाई दिखाकर इनके बचपन, इनकी जवानी, इनके बुढ़ापे की लंका लगाई गयी है.

सही मायनों में इस वीडियो को देखकर इस बात की तस्दीख हो जाती है कि तालिबान खौफ खाए जाने के काबिल नहीं, बल्कि तरस खाए जाने के काबिल है. खैर तरस खा कर भी क्या ही फायदा कौन सा हमारे कुछ खाने पीने से किसी की सेहत पर कुछ असर पड़ने वाला है.

ये तालिबान हैं आज खेल कूद रहे हैं. मौज मस्ती कर रहे हैं. लेकिन सच्चाई यही है कि ये बच्चे जैसे दिल वाले हैं मोटी चमड़ी के. ये लातों के भूत हैं बातों से नहीं मानने वाले. आज इनका वक़्त है कर लेने दीजिये इन्हें एन्जॉय. कल फिर कोई आएगा शायद वो अमेरिका ही हो इन्हें इनकी औकात याद दिला देगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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