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भूटान सीमा पर है सस्‍ते पेट्रोल-डीजल का स्‍वर्ग, लेकिन इसके लिए मरे कौन !

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 15 सितम्बर, 2018 02:35 PM
  • 15 सितम्बर, 2018 02:35 PM
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एक तरफ जहां पेट्रोल डीजल के बढ़ते दामों को लेकर सारा देश परेशान है. वहीं असम के लोग खुशी मना रहे हैं कि उन्हें 59 रुपए में पेट्रोल और 54 रुपए प्रति लीटर में डीजल मिल रहा है मगर इसके लिए उन्हें भूटान जाना पड़ रहा है.

59 रुपए एक छोटी रकम है. इस रकम में लोगों को भले ही खाने को मुर्गा और दाल न मिले मगर उन्हें पेट्रोल मिल सकता है. जिन्हें 59 रुपए में पेट्रोल और 54 रुपए में डीजल चाहिए वो पूर्वोत्तर के राज्य असम का रुख कर सकते हैं. असम के पास स्थित इंडो-भूटान बॉर्डर पर ऐसे तमाम भारतीय वाहनों ने जाम लगाया हुआ है जो सीमा पार कर टंकी फुल करा रहे हैं और वापस अपने ठीहे पर लौट जा रहे हैं.

विचलित होने की जरूरत नहीं है. बात बिल्कुल रुपए में 16 आने जितनी सच है. दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर में बैठा आदमी भले ही पेट्रोल के बढ़ते दामों के मद्देनजर छाती कूटे मगर जो लोग पूर्वोत्तर के असम में हैं आजकल अपनी किस्मत पर इतरा रहे हैं. असम से भूटान की सीमा नजदीक है. भारत में जब पेट्रोल के दाम आसाम छू रहे हैं, इस हिस्से में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 59 रुपए और डीजल की कीमत 54 रुपए प्रति लीटर है. यानी सिर्फ सीमा पार करने की देर है पेट्रोल की कीमतों में 20 से 25 रुपए का फर्क आसानी से मिल जाएगा.

असम के लोगों का पेट्रोल लेने भूटान जाना एक विचलित करने वाली खबर है

आपको बताते चलें कि यहां के दरांगा में बॉर्डर ट्रेड सेंटर का उद्घाटन हुआ है. सवाल हो सकता है कि इस ट्रेड सेंटर के खुलने और पेट्रोल के दाम होने के पीछे क्या सम्बन्ध है? तो बता दें कि इस सेंटर के बनने से पहले तक असम और भूटान के बीच कई तरह का ट्रेड अनौपचारिक रूप से होता था. जो इसके बाद औपचारिक हो जाएगा. ध्यान रहे कि पहले यहां के स्थानीय लोग बोतलों और कैन में तेल खरीदा करते थे, जिसपर सहस्त्र सीमा बल और पुलिस ने छह महीने पहले रोक लगा दी थी. चूंकि पहले लोग बॉर्डर पार करके गाड़ी में पेट्रोल भरवाते थे बताया जा रहा है कि इस सेंटर के बनने के बाद उन्हें तेल भी यहीं मिलेगा.

सेंटर पर जब तेल मिलेगा तब मिलेगा. मगर अभी जिस तरह लोग...

59 रुपए एक छोटी रकम है. इस रकम में लोगों को भले ही खाने को मुर्गा और दाल न मिले मगर उन्हें पेट्रोल मिल सकता है. जिन्हें 59 रुपए में पेट्रोल और 54 रुपए में डीजल चाहिए वो पूर्वोत्तर के राज्य असम का रुख कर सकते हैं. असम के पास स्थित इंडो-भूटान बॉर्डर पर ऐसे तमाम भारतीय वाहनों ने जाम लगाया हुआ है जो सीमा पार कर टंकी फुल करा रहे हैं और वापस अपने ठीहे पर लौट जा रहे हैं.

विचलित होने की जरूरत नहीं है. बात बिल्कुल रुपए में 16 आने जितनी सच है. दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर में बैठा आदमी भले ही पेट्रोल के बढ़ते दामों के मद्देनजर छाती कूटे मगर जो लोग पूर्वोत्तर के असम में हैं आजकल अपनी किस्मत पर इतरा रहे हैं. असम से भूटान की सीमा नजदीक है. भारत में जब पेट्रोल के दाम आसाम छू रहे हैं, इस हिस्से में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 59 रुपए और डीजल की कीमत 54 रुपए प्रति लीटर है. यानी सिर्फ सीमा पार करने की देर है पेट्रोल की कीमतों में 20 से 25 रुपए का फर्क आसानी से मिल जाएगा.

असम के लोगों का पेट्रोल लेने भूटान जाना एक विचलित करने वाली खबर है

आपको बताते चलें कि यहां के दरांगा में बॉर्डर ट्रेड सेंटर का उद्घाटन हुआ है. सवाल हो सकता है कि इस ट्रेड सेंटर के खुलने और पेट्रोल के दाम होने के पीछे क्या सम्बन्ध है? तो बता दें कि इस सेंटर के बनने से पहले तक असम और भूटान के बीच कई तरह का ट्रेड अनौपचारिक रूप से होता था. जो इसके बाद औपचारिक हो जाएगा. ध्यान रहे कि पहले यहां के स्थानीय लोग बोतलों और कैन में तेल खरीदा करते थे, जिसपर सहस्त्र सीमा बल और पुलिस ने छह महीने पहले रोक लगा दी थी. चूंकि पहले लोग बॉर्डर पार करके गाड़ी में पेट्रोल भरवाते थे बताया जा रहा है कि इस सेंटर के बनने के बाद उन्हें तेल भी यहीं मिलेगा.

सेंटर पर जब तेल मिलेगा तब मिलेगा. मगर अभी जिस तरह लोग गाड़ियों में तेल भरवा रहे हैं उससे उन्हें पैसों की काफी बचत हो रही है. इस मुद्दे पर दरांगा के एक कॉन्ट्रैक्टर इकराम अली ने अंग्रेजी वेबसाइट द हिंदू को बताया है कि 'मेरे पास चार कॉमर्शियल व्हीकल हैं. जिस दिन में चारों में ईंधन भरवाता हूं उस दिन मैं 10,000 की बचत करता हूं. बॉर्डर के पार इतना सस्ता ईंधन मिलता है यही कारण है कि यहां इतने कम पेट्रोल स्टेशन खोले गए हैं. लेकिन उम्मीद है कि इस नए ट्रेड सेंटर के खुलने से स्थितियां बदलेंगी.'

बहरहाल, इस खबर के बाद हम ये कहकर अपना सिर पीट सकते हैं कि सच में हमारी किस्मत खराब है. काश हम भी वही होते. पेट्रोल खरीदकर गर्व से कहते कि जब एक तरफ 59 रुपए में एक किलो मुर्गा नहीं आता हम 1 लीटर पेट्रोल ले आए. दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर में बैठे हम लोग तो वहां तक तेल डलवाने भी नहीं जा सकते. ऐसा इसलिए क्योंकि इस तेल के चक्कर में हमें मुर्गे से जुड़ी वो कहावत याद आ गई कि 'नौ की मुर्गी नब्बे का खर्च.' यानी जितने का हम मुर्गा नहीं लाएंगे उससे ज्यादा पैसे तो उसे अच्छा बनाने के लिए मसाले में निकल जाएंगे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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