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और फिर मुंह टेढ़ा कर नथुने फुलाकर, मैंने भी सेल्फी ले ली

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 12 जुलाई, 2017 01:50 PM
  • 12 जुलाई, 2017 01:50 PM
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रोजमर्रा के जीवन में हम कैसे हैं और अपनी सेल्फी में कैसे हैं, इसमें बहुत फर्क है. असल जिंदगी में आदमी कैसा भी हो, वो यही चाहता है कि सोशल मीडिया पर लोग उसे जानें और वो सब में लोकप्रिय बन जाए.

छुट्टी थी तो छुट्टी से कुछ दिन पहले दोस्तों संग प्लान हुआ है कि आसपास कहीं घूमने जाया जाए. जब आप अलग - अलग रूम पार्टनरों के साथ रह रहे हों तो ऐसे में प्लान फाइनलाइज करने में बड़ी दिक्कत होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि जितने मुंह उतनी बातें. खैर जेब तंग होने के बाद आपसी सहमती से ये प्लान हुआ कि घर से चंद किलोमीटर की दूरी पर पड़ने वाले मॉल में घूमा जायगा और बजट में हुआ तो एक एक आइसक्रीम खा के शाम को यादगार बना दिया जायगा. निर्धारित दिन हम लोग भी नहा धोकर डियो वियो लगाकर मॉल पहुंच गए.

अभी हम लोग मॉल में ढंग से दाखिल भी न हो पाए थे कि जींस की जेब में रखा मोबाइल वाइब्रेट हुआ, स्क्रीन देखी तो नोटिफिकेशन था. साथ में जो रूम पार्टनर चल रहा था उसने अपना फेसबुक स्टेटस अपडेट किया था और एक सेल्फी डाली थी. जब मैंने इस स्टेटस को पढ़ा तो पाया कि दोस्त हमारे साथ है मगर उसने हम लोगों को टैग न करके 69 अन्य लोगों को टैग किया है और अंग्रेजी में लिखा है 'किंग ऑन रिक्रिएशन विद पंकज शुक्ल, घनश्याम पांडे, अब्दुल अंसारी, दीपा गुप्ता, सोनम सोनकर एंड 69 अदर्स'.

जीवन में यूं भी उलझनें कम न थी अब सेल्फी अच्छी हो ये भी एक उलझन है

दोस्त की इस हरकत से मुझे थोड़ा असहज महसूस हुआ मगर खूबसूरत मॉल और हसीं शाम को देखकर मैंने मामले को रफा दफा कर दिया. इस पूरी प्रक्रिया के पूरी होने तक हम लोग मॉल के पार्किंग स्पेस से फर्स्ट फ्लोर तक आ गए थे. चूंकि छुट्टी थी तो इस कारण पूरा मॉल खचाखच भरा हुआ था. पूरे मॉल में जहां तक नजर उठाओ सिर ही सिर और उन सिरों के नीचे हाथ और उनमें महंगे- महंगे मोबाइल फोन. सारे मोबाइल फ़ोनों का फ्रंट कैमरा खुला हुआ. सबकी स्क्रीन पर चेहरे थे. खुद के चेहरे. सेल्फी लेते हुए चेहरे.

मैं इन चेहरों को देख रहा था. ये चेहरे अपने चेहरे को देख रहे थे. अच्छा इन...

छुट्टी थी तो छुट्टी से कुछ दिन पहले दोस्तों संग प्लान हुआ है कि आसपास कहीं घूमने जाया जाए. जब आप अलग - अलग रूम पार्टनरों के साथ रह रहे हों तो ऐसे में प्लान फाइनलाइज करने में बड़ी दिक्कत होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि जितने मुंह उतनी बातें. खैर जेब तंग होने के बाद आपसी सहमती से ये प्लान हुआ कि घर से चंद किलोमीटर की दूरी पर पड़ने वाले मॉल में घूमा जायगा और बजट में हुआ तो एक एक आइसक्रीम खा के शाम को यादगार बना दिया जायगा. निर्धारित दिन हम लोग भी नहा धोकर डियो वियो लगाकर मॉल पहुंच गए.

अभी हम लोग मॉल में ढंग से दाखिल भी न हो पाए थे कि जींस की जेब में रखा मोबाइल वाइब्रेट हुआ, स्क्रीन देखी तो नोटिफिकेशन था. साथ में जो रूम पार्टनर चल रहा था उसने अपना फेसबुक स्टेटस अपडेट किया था और एक सेल्फी डाली थी. जब मैंने इस स्टेटस को पढ़ा तो पाया कि दोस्त हमारे साथ है मगर उसने हम लोगों को टैग न करके 69 अन्य लोगों को टैग किया है और अंग्रेजी में लिखा है 'किंग ऑन रिक्रिएशन विद पंकज शुक्ल, घनश्याम पांडे, अब्दुल अंसारी, दीपा गुप्ता, सोनम सोनकर एंड 69 अदर्स'.

जीवन में यूं भी उलझनें कम न थी अब सेल्फी अच्छी हो ये भी एक उलझन है

दोस्त की इस हरकत से मुझे थोड़ा असहज महसूस हुआ मगर खूबसूरत मॉल और हसीं शाम को देखकर मैंने मामले को रफा दफा कर दिया. इस पूरी प्रक्रिया के पूरी होने तक हम लोग मॉल के पार्किंग स्पेस से फर्स्ट फ्लोर तक आ गए थे. चूंकि छुट्टी थी तो इस कारण पूरा मॉल खचाखच भरा हुआ था. पूरे मॉल में जहां तक नजर उठाओ सिर ही सिर और उन सिरों के नीचे हाथ और उनमें महंगे- महंगे मोबाइल फोन. सारे मोबाइल फ़ोनों का फ्रंट कैमरा खुला हुआ. सबकी स्क्रीन पर चेहरे थे. खुद के चेहरे. सेल्फी लेते हुए चेहरे.

मैं इन चेहरों को देख रहा था. ये चेहरे अपने चेहरे को देख रहे थे. अच्छा इन चेहरों को देखना भी अपने आप में बड़ा फनी है. सेल्फी लेते वक़्त लड़की का चेहरा अलग होता है. लड़के का चेहरा अलग. लड़कों के चेहरे देखिये तो मिलेगा कि जिनके चेहरे पिचके हैं उन्होंने मुंह फुलाया हुआ है, जिनके चेहरे फूले हैं उन्होंने मुंह फिचकाया हुआ है. कोई नाक को सिकोड़ रहा है, कोई भौं को मरोड़ रहा है. कहीं कोई मूंछें ऐंठ रहा है तो कहीं कोई कोई मोबाइल के फ्रंट कैमरे को घूर रहा है.

असल जिंदगी में आदमी कैसा भी हो कौन नहीं चाहता उसे सोशल मीडिया पर लोग जानें और वो सब में लोकप्रिय हो मैं पूरे कांफिडेंस से कह सकता हूं कि लड़कों की अपेक्षा लड़कियां ज्यादा अच्छी सेल्फी लेती हैं. ऐसा इसलिए नहीं कि लड़कों के मुकाबले लड़कियां सुन्दर होती हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि उनमें वो सॉफिस्टिकेटेड होती हैं जो मुझे बड़ा क्यूट लगता है. आप लड़कियों को सेल्फी लेते हुए देखिये आपको मेरी कही बात सत्य प्रतीत होगी. लड़कियों के चेहरे लड़कों जैसे नहीं होते. भले ही चोंच निकाल के पाउट किया गया हो, भले ही दो आंखों में से एक आंख जमीन तो दूसरी आसमान की तरफ हो भले ही चेहरे का कोण समकोण न होकर विषमकोण हो और चेहरा 145 डिग्री पर हो, लड़कियों की सेल्फी में सॉफिस्टिकेशन के साथ- साथ स्टाइल, ग्रेस और ऐटिट्यूड तीनों होता है.

बहरहाल मुझे तुलना नहीं करनी मैं तो बस मानता हूँ कि चाहे लड़की हो क्या लड़का कौन नहीं चाहता लोग फेसबुक पर उसकी पोस्ट की हुई सेल्फी पर लव, वाओ, हैप्पी के रिएक्शन दें, 'तीन दिलों के साथ नाइस पिक' 'लुकिंग गुड' 'वैरी नाइस' लिखें. मानिए न मानिए आत्म मुग्ध तो हम सभी हैं और यूं भी कौन नहीं चाहता कि वो चंद ही पलों में सोशल मीडिया पर सेलेब्रिटी हो जाए. असल जिंदगी में भले ही व्यक्ति कितना भी फ्रस्ट्रेट क्यों न हो वो यही चाहता है कि वर्चुअल वर्ल्ड में उसकी भी एक साख हो.

सच में एक अच्छी सेल्फी लेना दुनिया का सबसे मुश्किल काम हैखैर उस दिन रात काफी हो चुकी थी. इस बीच साथ में हम जितने भी लोग थे आइसक्रीम खा चुके थे. और लगभग सबका मोबाइल वाइब्रेट हो चुका था. सबके मोबाइल पर फेसबुक के नोटिफिकेशन आ चुके थे. सोशल मीडिया पर जिसकी जितनी हैसियत थी, उसकी सेल्फी पर उतने लाइक कमेन्ट आ रहे थे. सबको सेल्फी लेते देखकर फेसबुक पर लाइक कमेन्ट पाने के लिए एक सेल्फी मैंने भी ली.

मैंने भी उस सेल्फी को फेसबुक पर पोस्ट किया. उस दिन मैं सारी रात नहीं सोया. और हर पांच मिनट में मोबाइल निकालता और देखता उसमें किसने क्या लिखा है. रात का 4 बज रहा था मेरा रूम पार्टनर आया, और उसने कहा 'चल भाई फिर से एक सेल्फी लें.' मैंने सहमती से सिर हिला दिया और उसने सेल्फी ले ली. फिर हम पूरी रात नहीं सोए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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