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इमरान खान के अचानक 'चौकीदार' बन जाने के मायने...

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 10 अप्रिल, 2019 10:34 PM
  • 10 अप्रिल, 2019 10:34 PM
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भले ही पाकिस्तान में इमरान खान नए नए चौकीदार हुए हों और पीएम मोदी के समर्थन में दिखाई दे रहे हों मगर हमें इस मनोविज्ञान को समझना होगा जिसे ढाल बनाकर उन्होंने एक बार फिर भारत पर हमला किया है.

अगर भारत में आगामी चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाजपा दोबारा सत्ता पर काबिज होती है तो शांति वार्ता होने की बेहतर उम्मीद है. - पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान

राजनीति बड़ी बुरी चीज है भाईसाहब. यहां कोई किसी का सगा नहीं है. जिसको जैसा मौका मिलता है वो अपने तरीके से गेम खेलता है. राजनीति में साइकोलॉजी बहुत महत्वपूर्ण चीज होती है. कैसे ? राहुल गांधी को ही देख लीजिये. एक समय तक कांग्रेस के आलोचकों द्वारा कहा जाता था कि पार्टी मुसलमानों की पार्टी है. इस बात को राहुल गांधी ने बहुत सीरियस होकर लिया. गुजरात विधानसभा चुनाव से लेकर अब लोक सभा चुनाव 2019 आते आते राहुल गांधी ने अपने को जैसे ट्रांसफॉर्म किया है कहने ही क्या. आरती, तिलक, पूजा पाठ. जनेऊ, गोत्र राहुल गांधी ने अपने आलोचकों के आगे सिद्ध कर दिया कि अगर वो चिराग लेकर भी खोजेंगे तो शायद ही उन्हें उनसे बड़ा हिंदू मिल सके.

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान चाहते हैं कि मोदी दोबारा देश के प्रधानमंत्री बनें

हम फिर कह रहे हैं राजनीति में साइकोलॉजी बहुत जरूरी है. ये दिखने में भले ही छोटी लग सकती है मगर गंभीर घाव देती है. भारत में राहुल-प्रियंका, माया-अखिलेश, ममता-मुलायम को सुधारने के बाद अब ये साइकोलॉजी पाकिस्तान पहुंच गयी है और वहां तो बस इसने कमाल करके रख दिया है. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान, मोदी के इश्क में नए नए गिरफ्तार हुए हैं. भले ही इमरान को भारत के लिए दिल फरेब कहा जाता हो. मगर अब जो उन्होंने कहा है उसने कई लोगों का दिल जीत लिया. लोग समझ नहीं पा रहे कि अपनी खुशी का इजहार कैसे करें.

अगर भारत में आगामी चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाजपा दोबारा सत्ता पर काबिज होती है तो शांति वार्ता होने की बेहतर उम्मीद है. - पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान

राजनीति बड़ी बुरी चीज है भाईसाहब. यहां कोई किसी का सगा नहीं है. जिसको जैसा मौका मिलता है वो अपने तरीके से गेम खेलता है. राजनीति में साइकोलॉजी बहुत महत्वपूर्ण चीज होती है. कैसे ? राहुल गांधी को ही देख लीजिये. एक समय तक कांग्रेस के आलोचकों द्वारा कहा जाता था कि पार्टी मुसलमानों की पार्टी है. इस बात को राहुल गांधी ने बहुत सीरियस होकर लिया. गुजरात विधानसभा चुनाव से लेकर अब लोक सभा चुनाव 2019 आते आते राहुल गांधी ने अपने को जैसे ट्रांसफॉर्म किया है कहने ही क्या. आरती, तिलक, पूजा पाठ. जनेऊ, गोत्र राहुल गांधी ने अपने आलोचकों के आगे सिद्ध कर दिया कि अगर वो चिराग लेकर भी खोजेंगे तो शायद ही उन्हें उनसे बड़ा हिंदू मिल सके.

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान चाहते हैं कि मोदी दोबारा देश के प्रधानमंत्री बनें

हम फिर कह रहे हैं राजनीति में साइकोलॉजी बहुत जरूरी है. ये दिखने में भले ही छोटी लग सकती है मगर गंभीर घाव देती है. भारत में राहुल-प्रियंका, माया-अखिलेश, ममता-मुलायम को सुधारने के बाद अब ये साइकोलॉजी पाकिस्तान पहुंच गयी है और वहां तो बस इसने कमाल करके रख दिया है. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान, मोदी के इश्क में नए नए गिरफ्तार हुए हैं. भले ही इमरान को भारत के लिए दिल फरेब कहा जाता हो. मगर अब जो उन्होंने कहा है उसने कई लोगों का दिल जीत लिया. लोग समझ नहीं पा रहे कि अपनी खुशी का इजहार कैसे करें.

ज्ञात हो कि जैसा अभी कुछ दिनों पहले का महौल था. लग रहा था कि पाकिस्तान ही विपक्ष और इमरान ही राहुल गांधी हैं. साथ ही जो असल के राहुल हैं उनका पाकिस्तान से गठबंधन है और पीएम मोदी उनको उतना ही ले रहे हैं जितना दाल में नमक लिया जाता है. लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर पाकिस्तान को मुद्दा बनाकर पीएम लगातार फायरिंग कर रहे हैं. ऐसे में अब इमरान का मोदीमय होना और उनकी तारीफ करना ये बताता है कि इमरान ने जो खेल खेला है वो बहुत शातिराना है और एक तरह से उन्होंने साइकोलॉजिकल टेक्नीक का सहारा लिया है.

याद तो आपको भी होगा. परवेज मुशर्रफ से लेकर नवाज शरीफ तक. बिलावल भुट्टो, आसिफ अली जरदारी, हिना रब्बानी से लेकर खुद इमरान खान तक पाकिस्तान के सभी नेताओं ने हमेशा ही अपने मंचों से भारत का नाम लिया है और कई गंभीर आरोप लगाए हैं. पाकिस्तानी नेताओं ने हमेशा ही मोदी को भारतीय मुसलमानों का दुश्मन कहा है. पीएम मोदी को गुजरात दंगों के लिए जिम्मेदार ठहराया है.

पीएम मोदी को लेकर पाकिस्तान समय समय पर राजनीति करता रहा है

पाकिस्तानी नेताओं ने ये बात अपनी आवाम में कूट-कूट कर भर दी है कि हिंदुस्तान के मुसलमान को अगर इस दुनिया में कोई चीज सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा सकती है तो वो केवल और केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. कह सकते हैं कि अपनी राजनीति में भारत को लेकर पाकिस्तानी हुक्मरानों ने हर वो मौका भुनाया जिनके अंतर्गत वो अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक सकते थे.

मजेदार बात ये है कि इन्हीं बातों को जब जब मीडिया ने दिखाया आम भारतीय का खून खौला और उसने मांग कर डाली कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब दिया जाए. इन सारी बातों के बीच अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का पीएम मोदी की तारीफ करना और ये कहना कि यदि वो दोबारा सत्ता में आते हैं तो शांति वार्ता बेहतर ढंग से हो सकती है बताता है कि इमरान भी भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुहीम 'मैं भी चौकीदार' का एक हिस्सा बन गए हैं.

माना जा रहा है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए चौकीदार बनकर इमरान खान ने ऐसा जाल फेंका है जिसने कई लोगों को बेनकाब कर उनका असली चेहरा जनता को दिखा दिया है.

सवाल ये भी उठ रहा है कि कल तक हर बात के लिए पाकिस्तान को कोसने वाले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब इमरान के इस नए अंदाज को कैसे लेते हैं. चूंकि हमने इमरान द्वारा कही बात को साइकोलॉजिकल वॉर की संज्ञा दी थी तो कहीं न कहीं इमरान का ये बयान विपक्ष को बड़ा फायदा देता नजर आ रहा है.

चूंकि पाकिस्तान भारत के लिए हमेशा से ही एक बड़ा मुद्दा रहा है. तो देखना दिलचस्प रहेगा कि इमरान खान की ये मंशा कैसे और किस तरह लोक सभा चुनाव 2019 को प्रभावित करती है.

कहीं ऐसा तो नहीं इमरान का ये सपना सच हो जाए और बड़े बेआबरू होकर वो ये कहें कि, अप्रैल का महीना था. मैंने तो बस यूं ही मजाक किया था. मुझे क्या पता था कि साइकोलॉजी के चलते मोदी की आंधी मेरी ही आंखों में धूल झोंक देगी और वो हो जाएगा जिसकी मुझे रत्ती भर भी उम्मीद नहीं थी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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