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Nidhi Razdan case: साइबर मछलीमार तो आंख से काजल चुराने लगे!

    • सर्वेश त्रिपाठी
    • Updated: 16 जनवरी, 2021 09:34 PM
  • 16 जनवरी, 2021 09:30 PM
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Online Fraud की तमाम बातों के बीच सबसे ताजा मामला हुआ है पत्रकार निधि राजदान (Nidhi Razdan Harvard Controversy) के साथ. निधि इस झांसे में कुछ इस हद तक आईं कि एक झूठ के चक्कर में उन्होंने अपनी अच्छी भली नौकरी को ही अलविदा कह दिया.

Nidhi Razdan Harvard niversity Fraud case: हार्ड वर्क और हारवर्ड फिर चर्चा में है. भाई लोग सोशल मीडिया पर कल से इतना पुदीना बो दिए है कि अपनी भी बत्ती बिना मेंटोस खाए खुल गई. अपन लोग अभी तक साईबर दुनिया में बैंक अकाउंट खाली करने वाले फ़्राडियो से निपटने का तरीका भी कायदे नहीं खोज सके, यहां तो ससुरे फ्राडिये एक से एक नया तरीका खोज ला रहे हैं. इन तरीकों के नाम भी कुछ कम नहीं है. कल से ही फिशिंग शब्द ट्रेंड बना है. हम खलिहर झक मारने वाले लोग भी कल ही फिशिंग जैसे सोफिस्टिकेटेड शब्द से रुबरू हुए. कल से हम भी गूगल सूगल देव की कृपा से फिशिंग शब्द की इतनी जानकारी हासिल कर लिए कि कसम भगवान् की अब हम भी कम से कम वाट्सएप और फेसबुक यूनिवर्सिटी पर एकाध लेक्चर तो फ्री में बांट ही दे (फ़िलहाल अब्बो ऊहे कर रहे है.) हां तो थोड़ा सीरियस बात हो जाए. कायदे से समझ लीजिए. फिशिंग (फिशिंग) साइबर जगत में आपको ठगने का एक तरीका है.

अंग्रेजी में फिशिंग( Fishing) का अर्थ मछली को चारा डालकर फंसाना होता है. साइबर जगत यानि इंटरनेट पर जालसाज़ भी आपको कोई लुभावना चारा डालेगा. जैसे किसी प्रख्यात और विश्वसनीय आईडी की हमशक्ल बनाकर डिट्टो ऐसा ई मेल आपको भेजेंगे कि आपको ऐसा लगेगा कि यह किसी विश्वसनीय संस्था या बैंक आदि से आया है. अब यह हमशक्ल ईमेल आपसे आपके बारे आपकी तमाम गोपनीय सूचना मांगेगा. जैसे आपका निजी ब्यौरा, बैंक खातों और पासवर्ड की जानकारी आदि.

ऑनलाइन ठगी का सबसे ताजा मामला पत्रकार निधि राजदान के साथ हुआ है

कई बार तो ऐसे ई मेल में ऐसे सॉफ्टवेयर भी जुड़े होते जिन्हें खोलते ही वे आपके निजी फोन अथवा कंप्यूटर में ख़ुद ब ख़ुद इंस्टाल होकर आपके फोन या कंप्यूटर से विभिन्न डेटा चुपचाप चुरा लेंगे और आपको भनक भी नहीं लगेगी. अभी जिस प्रकार...

Nidhi Razdan Harvard niversity Fraud case: हार्ड वर्क और हारवर्ड फिर चर्चा में है. भाई लोग सोशल मीडिया पर कल से इतना पुदीना बो दिए है कि अपनी भी बत्ती बिना मेंटोस खाए खुल गई. अपन लोग अभी तक साईबर दुनिया में बैंक अकाउंट खाली करने वाले फ़्राडियो से निपटने का तरीका भी कायदे नहीं खोज सके, यहां तो ससुरे फ्राडिये एक से एक नया तरीका खोज ला रहे हैं. इन तरीकों के नाम भी कुछ कम नहीं है. कल से ही फिशिंग शब्द ट्रेंड बना है. हम खलिहर झक मारने वाले लोग भी कल ही फिशिंग जैसे सोफिस्टिकेटेड शब्द से रुबरू हुए. कल से हम भी गूगल सूगल देव की कृपा से फिशिंग शब्द की इतनी जानकारी हासिल कर लिए कि कसम भगवान् की अब हम भी कम से कम वाट्सएप और फेसबुक यूनिवर्सिटी पर एकाध लेक्चर तो फ्री में बांट ही दे (फ़िलहाल अब्बो ऊहे कर रहे है.) हां तो थोड़ा सीरियस बात हो जाए. कायदे से समझ लीजिए. फिशिंग (फिशिंग) साइबर जगत में आपको ठगने का एक तरीका है.

अंग्रेजी में फिशिंग( Fishing) का अर्थ मछली को चारा डालकर फंसाना होता है. साइबर जगत यानि इंटरनेट पर जालसाज़ भी आपको कोई लुभावना चारा डालेगा. जैसे किसी प्रख्यात और विश्वसनीय आईडी की हमशक्ल बनाकर डिट्टो ऐसा ई मेल आपको भेजेंगे कि आपको ऐसा लगेगा कि यह किसी विश्वसनीय संस्था या बैंक आदि से आया है. अब यह हमशक्ल ईमेल आपसे आपके बारे आपकी तमाम गोपनीय सूचना मांगेगा. जैसे आपका निजी ब्यौरा, बैंक खातों और पासवर्ड की जानकारी आदि.

ऑनलाइन ठगी का सबसे ताजा मामला पत्रकार निधि राजदान के साथ हुआ है

कई बार तो ऐसे ई मेल में ऐसे सॉफ्टवेयर भी जुड़े होते जिन्हें खोलते ही वे आपके निजी फोन अथवा कंप्यूटर में ख़ुद ब ख़ुद इंस्टाल होकर आपके फोन या कंप्यूटर से विभिन्न डेटा चुपचाप चुरा लेंगे और आपको भनक भी नहीं लगेगी. अभी जिस प्रकार फिशिंग का ताजा मसला प्रकाश में आया है उसमें भी इसी तरकीब से जालसाज़ ने एक वरिष्ठ पत्रकार को हारवर्ड विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर पद पर नियुक्ति दे दी. इस आस में उन्होंने अपनी जमी जमाई नौकरी से इस्तीफा भी दे दिया.

वो तो बाद में विश्विद्यालय प्रशासन के उच्चाधिकारियों से पड़ताल करने पर यह मामला स्पष्ट हुआ कि किसी साइबर जालसाज़ ने उनकी फिरकी ले ली थी. ख़ैर यह सब किसी के साथ भी हो सकता है. हमारी अम्मा को भी एटीएम के नवीनीकरण के लिए खूब फोन आते थे. हम सब अम्मा को जालसाजी के इस तरीके की जानकारी दिए थे. सो अम्मा उसे बार बार यही कहकर टाल देती थी कि भैया हम तो एटीएम सेटीम तो प्रयोग ही नहीं करते.

मजेदार बात यह कि फोन करने वाला अम्मा से बार बार यही कहे कि माताजी आप के यहां कोई तो एटीएम का प्रयोग करता ही होगा. संयोग से हम एक दिन हम घर पर थे अम्मा फोन हमें थमा दी. हम भी ठहरे खलिहर प्राणी. थोड़ी देर उस चोरकट से खेल खाल के बोले... गुरु तुमसे न होगा. बस कष्ट इस बात का है बदतमीज खूब कच्ची कच्ची गालियां सुना दिया और हमारे लौटाने से पहले फोन काट दिया. 

फ़िलहाल आप सब से यही गुजारिश है कि संचार क्रांति हो चुकी है. अब प्रतिक्रान्ति का दौर है. इतिहास के विद्यार्थी जानते है कि प्रतिक्रान्ति सदैव क्रांति के लाभों को धूमिल करती है. तो ऐसे समय में सावधानी हटी और दुर्घटना घटी. तो भैया जानकारी ही बचाव है। ऐसे फर्जी ईमेल और फोन कॉल्स से बचिए जो आपकी निजी सूचनाएं मांगते हो. वैसे भी वास्तविक दुनियां के ठग और सठ के आलावा आभासी दुनियां के इन ठगों को हमें पहचानना ही होगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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