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'गाड़ी पलटने' के डर से मुख्तार अंसारी ये क्या कह गए?

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 10 फरवरी, 2021 12:24 PM
  • 10 फरवरी, 2021 12:24 PM
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कानपुर के हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की गाड़ी पलटने वाली घटना के बाद से लोगों में इस बात की चर्चा बनी हुई है कि मुख्तार को डर है, कहीं पंजाब से यूपी आते समय उसकी गाड़ी भी न पलट जाए. इस मामले में कोई शक नहीं है कि यूपी पुलिस इस मामले में कानून का ही पालन करेगी.

पंजाब की रोपड़ जेल में बंद बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है. मुख्तार अंसारी का परिवारिक इतिहास जानकर सम्मानवश उनके नाम के आगे 'जी' और 'श्री' लगाने का मन करने लगा है. मन तो मेरा उनको 'साष्टांग दंडवत प्रणाम' करने का भी हो रहा है. लेकिन, हाय री ईर्ष्या. मुझे मुख्तार अंसारी से जलन हो रही है. अपने छात्र जीवन में मैंने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' का लिखा एक निबंध 'ईर्ष्या तू न गई मेरे मन से' पढ़ा था. लेकिन, इसे पढ़ने के बावजूद मुख्तार अंसारी के लिए पैदा हुई अपनी ईर्ष्या को मैं खत्म नहीं कर पा रहा हूं. दिनकर जी ने कहा था कि ईर्ष्यालु मनुष्य दूसरों की अच्छाइयों और उपलब्धियों को देखकर जलते हैं. अगर मैंने ये निबंध न पढ़ा होता, तो मैं कह सकता था कि मुझे मुख्तार अंसारी से ईर्ष्या नहीं है. लेकिन, हाय रे... मेरी किस्मत. काश मैं हिंदी के विषय में फेल हो गया होता. कम से कम इस ईर्ष्या रूपी आग में तिल-तिल कर जल तो न रहा होता.

मुख्तार अंसारी के रूप में हमारे देश के अंदर एक ऐसी बड़ी हस्ती छुपी हुई थी और हमें पता ही नहीं चला.

मुख्तार अंसारी के रूप में हमारे देश के अंदर एक ऐसी बड़ी हस्ती छुपी हुई थी और हमें पता ही नहीं चला. कितने दु:ख की बात है कि माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की आपराधिक छवि की वजह से उनका इतना अच्छा पारिवारिक इतिहास हमने भुला दिया. जिस परिवार ने देश को स्वतंत्रता सेनानी से लेकर उपराष्ट्रपति तक दिए हों, वहां मुख्तार अंसारी पर नजर डालेंगे, तो आपको एक निहायत ही मासूम और निर्दोष शख्स खड़ा दिखाई देगा. दरअसल, पंजाब की रोपड़ जेल में बंद मुख्तार अंसारी ने खुद को उत्तर प्रदेश की जेल में ट्रांसफर किए जाने का विरोध किया है. इसे लेकर अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया है. मुख्तार अंसारी...

पंजाब की रोपड़ जेल में बंद बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है. मुख्तार अंसारी का परिवारिक इतिहास जानकर सम्मानवश उनके नाम के आगे 'जी' और 'श्री' लगाने का मन करने लगा है. मन तो मेरा उनको 'साष्टांग दंडवत प्रणाम' करने का भी हो रहा है. लेकिन, हाय री ईर्ष्या. मुझे मुख्तार अंसारी से जलन हो रही है. अपने छात्र जीवन में मैंने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' का लिखा एक निबंध 'ईर्ष्या तू न गई मेरे मन से' पढ़ा था. लेकिन, इसे पढ़ने के बावजूद मुख्तार अंसारी के लिए पैदा हुई अपनी ईर्ष्या को मैं खत्म नहीं कर पा रहा हूं. दिनकर जी ने कहा था कि ईर्ष्यालु मनुष्य दूसरों की अच्छाइयों और उपलब्धियों को देखकर जलते हैं. अगर मैंने ये निबंध न पढ़ा होता, तो मैं कह सकता था कि मुझे मुख्तार अंसारी से ईर्ष्या नहीं है. लेकिन, हाय रे... मेरी किस्मत. काश मैं हिंदी के विषय में फेल हो गया होता. कम से कम इस ईर्ष्या रूपी आग में तिल-तिल कर जल तो न रहा होता.

मुख्तार अंसारी के रूप में हमारे देश के अंदर एक ऐसी बड़ी हस्ती छुपी हुई थी और हमें पता ही नहीं चला.

मुख्तार अंसारी के रूप में हमारे देश के अंदर एक ऐसी बड़ी हस्ती छुपी हुई थी और हमें पता ही नहीं चला. कितने दु:ख की बात है कि माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की आपराधिक छवि की वजह से उनका इतना अच्छा पारिवारिक इतिहास हमने भुला दिया. जिस परिवार ने देश को स्वतंत्रता सेनानी से लेकर उपराष्ट्रपति तक दिए हों, वहां मुख्तार अंसारी पर नजर डालेंगे, तो आपको एक निहायत ही मासूम और निर्दोष शख्स खड़ा दिखाई देगा. दरअसल, पंजाब की रोपड़ जेल में बंद मुख्तार अंसारी ने खुद को उत्तर प्रदेश की जेल में ट्रांसफर किए जाने का विरोध किया है. इसे लेकर अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया है. मुख्तार अंसारी ने इस हलफनामा में कहा है कि वो एक ऐसे परिवार का हिस्सा है, जिसमें भारत के स्वतंत्रता आंदोलन, भारत-पाकिस्तान युद्ध में शामिल और देश के कई बड़े संवैधानिक पदों पर रहने वाले लोग आते हैं.

मुख्तार अंसारी द्वारा सुप्रीम कोर्ट दाखिल हलफनामे के अनुसार, वो स्वतंत्रता सेनानी डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी का पौत्र है. डॉ. अंसारी 1927-28 में कांग्रेस के अध्यक्ष रहे थे. इसके अलावा वह जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के संस्थापक भी थे. मुख्तार के पिता सुभानुल्लाह अंसारी भी स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक कार्यकर्ता थे. उसके नाना शहीद ब्रिगेडियर उस्मान अंसारी ने 1948 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में देश के लिए कुर्बानी दी. शहीद ब्रिगेडियर उस्मान को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था. हलफनामे के मुताबिक, भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी उसी के परिवार से आते हैं. उनके परिवार से बाबा शौकतउल्लाह अंसारी ओडिशा के राज्यपाल रहे हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज रहे जस्टिस आसिफ अंसारी भी इसी परिवार से आते हैं. वह खुद भी उत्तर प्रदेश के मऊ से पांच बार विधायक रह चुका है.

पूर्वांचल में मुख्तार अंसारी की छवि रॉबिनहुड की है.

इन तमाम बातों से कुछ जाहिर होता हो या नहीं, लेकिन एक चीज पता चलती है कि अच्छे परिवारों में भी माफिया डॉन और गैंगस्टर पैदा होते हैं. हत्या, फिरौती, गुंडा टैक्स, अपरहरण जैसे तमाम काले धंधों के चलते मुख्तार अंसारी पर 40 से भी ज्यादा मामले दर्ज हैं. इन मामलों में से अधिकतर उत्तर प्रदेश में दर्ज हैं. इसी वजह से मुख्तार खुद को यूपी के जेल में ट्रांसफर करने का विरोध कर रहा है. कानपुर के हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की गाड़ी पलटने वाली घटना के बाद से लोगों में इस बात की चर्चा बनी हुई है कि मुख्तार को डर है, कहीं पंजाब से यूपी आते समय उसकी गाड़ी भी न पलट जाए. इस मामले में कोई शक नहीं है कि यूपी पुलिस इस मामले में कानून का ही पालन करेगी. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपराध और अपराधियों के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति का असर काफी दूर तक दिखने लगा है.

पूर्वांचल में मुख्तार अंसारी की छवि रॉबिनहुड की है. रॉबिनहुड वाली कहानी तो आप सभी ने सुनी ही होगी. अरे वही शख्स, जो अमीरो से पैसा लूटकर गरीबों में बांट देता था. लेकिन, इस तरह के दान-पुण्य भी अपराधी को अपराधी ही रखते हैं. दरअसल, योगी सरकार मुख्तार को यूपी लाना चाहती है और पंजाब सरकार अंसारी की खराब तबीयत का हवाला देकर उसे भेजने से इनकार कर रही है. दोनों सरकारों के बीच चल रही ये रस्साकसी सुप्रीम कोर्ट पहुंची. सुप्रीम कोर्ट में 8 फरवरी को हुई सुनवाई में यूपी सरकार की ओर से कहा गया है कि मुख्तार अंसारी पंजाब की जेल में मौज कर रहा है और पंजाब सरकार गैगस्टर की मदद कर रही है. मामले की अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी. खैर, योगी सरकार और पंजाब सरकार के बीच में चल रही इस खींचतान का नतीजा जो भी हो, हमें और आपको गर्व करना चाहिए कि इतनी बड़ी हस्ती हमारे बीच कितने सामान्य तरीके से जेल में रह रही है. अगर पंजाब की कांग्रेस सरकार उसे बचा भी रही है, तो शायद कोई गलती नहीं कर रही है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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