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महागठबंधन: छ: छ: महीने के प्रधानमंत्री

    • डीपी पुंज
    • Updated: 17 दिसम्बर, 2016 04:21 PM
  • 17 दिसम्बर, 2016 04:21 PM
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देश में अभी महागठबंधन जन्म ले रहा है ये मजबूरी से ज्यादा जरुरी है. इससे देश बचे या न बचे लोकतंत्र जरूर बचेगा.

आने वाले लोकसभा चुनाव में सारी विपक्षी पार्टीयां मिलकर चुनाव लड़ेंगी ताकि देश को फिर से पुराने ढर्रे पर लौटाया जा सके और सबको कुछ भी करने का आजादी मिल सके. आपातकाल से सबको छुटकारा मिल सके. इन सबका इलाज अब सिर्फ महागठबंधन में ही है.   सारी पार्टियां एकजुट होकर महागठबंधन बना रही हैं. इसका अंदेशा बीजेपी को भी है इसलिए वो इसके काट की तैयारियों में जुटी है. बीजेपी ने भ्रष्टाचार और कालाधन पर हमला तेज कर दिया है. और आने वाले भविष्य में और भी कड़े फैसले लेगी ताकि लोगो में उसकी पैठ बने.  

महागठबंधन के लिए तर्क ये दिया जा रहा है कि वर्षो से लंबित सपने को पूरा करने वालों की जमात को एक साथ आने का ये माकूल समय है. महागठबंधन में सभी दलों के आने से मोदी को हराने में सहूलियत होगी और सभी लंबित नेता जो अब तक प्रधानमंत्री नहीं बन पाए हैं वो सभी बन सकते है.

 सभी लंबित नेता जो अब तक प्रधानमंत्री नहीं बन पाए हैं वो सभी बन सकते है

हर दल से छ: छ: महीने के लिए लोग प्रधानमंत्री का पद संभाल सकते हैं और इतिहास में अपना नाम दर्ज करा सकते हैं. इसमें राहुल को पहला और आखरी टर्म के लिए प्रधानमंत्री बनाए जाने की कांग्रेस मांग कर रही है, जो कि इसपे हर पार्टी की सहमति बनते दिख रही है.

ये भी पढ़ें- मुलायम और कांग्रेस गठबंधन में रोड़ा कौन, 100 सीटें या डिप्टी सीएम की पोस्ट...

आने वाले लोकसभा चुनाव में सारी विपक्षी पार्टीयां मिलकर चुनाव लड़ेंगी ताकि देश को फिर से पुराने ढर्रे पर लौटाया जा सके और सबको कुछ भी करने का आजादी मिल सके. आपातकाल से सबको छुटकारा मिल सके. इन सबका इलाज अब सिर्फ महागठबंधन में ही है.   सारी पार्टियां एकजुट होकर महागठबंधन बना रही हैं. इसका अंदेशा बीजेपी को भी है इसलिए वो इसके काट की तैयारियों में जुटी है. बीजेपी ने भ्रष्टाचार और कालाधन पर हमला तेज कर दिया है. और आने वाले भविष्य में और भी कड़े फैसले लेगी ताकि लोगो में उसकी पैठ बने.  

महागठबंधन के लिए तर्क ये दिया जा रहा है कि वर्षो से लंबित सपने को पूरा करने वालों की जमात को एक साथ आने का ये माकूल समय है. महागठबंधन में सभी दलों के आने से मोदी को हराने में सहूलियत होगी और सभी लंबित नेता जो अब तक प्रधानमंत्री नहीं बन पाए हैं वो सभी बन सकते है.

 सभी लंबित नेता जो अब तक प्रधानमंत्री नहीं बन पाए हैं वो सभी बन सकते है

हर दल से छ: छ: महीने के लिए लोग प्रधानमंत्री का पद संभाल सकते हैं और इतिहास में अपना नाम दर्ज करा सकते हैं. इसमें राहुल को पहला और आखरी टर्म के लिए प्रधानमंत्री बनाए जाने की कांग्रेस मांग कर रही है, जो कि इसपे हर पार्टी की सहमति बनते दिख रही है.

ये भी पढ़ें- मुलायम और कांग्रेस गठबंधन में रोड़ा कौन, 100 सीटें या डिप्टी सीएम की पोस्ट ?

जहां ओवैसी भी इस कतार में खड़े नज़र आ रहे हैं, वहीं आज़म खान भी इसके लिए अपने दावे मजबूत कर रहे हैं. इससे सपा में एक बार और दरार पड़ने की संभावना दिख रही है. जहां तक 'आप' पार्टी की बात है तो पार्टी नाखुश है, क्योंकि केजरीवाल पहला और आखरी टर्म अपने लिए मांग रहे हैं. उनका कहना है कि बीच में किसी को भी भर दो, ओपनिंग और लास्ट हम ही करेंगे. लेकिन बाकी पार्टियों को डर है कि शुरुआत में ही केजरीवाल छेछालेदर न कर दें. उनको डर है कि केजरीवाल यूटर्न ले सकते हैं. और एक बार प्रधानमंत्री बन गए तो फिर कुर्सी छोड़ेंगे नहीं.

लेकिन अभी तक टर्म को लेकर जो बातें आ रही हैं, उसमें पहला टर्म मुलायम का होगा उसके बाद लालू को दिया जायेगा, फिर नीतीश आएंगे, उसके बाद मायावती और फिर ममता. लेकिन ममता और मायावती भी इसपे राजी हों ये मुश्किल लगता है क्योंकि वो लेडीज़ फर्स्ट में विश्वास रखती हैं और इसके लिए ममता अपनी मुहीम तेज कर चुकी हैं, नोटबंदी के मुद्दे को लेकर देश में दौरे भी कर रही हैं.  

जो भी हो, अगर यह संभव हुआ तो देश के लिए ये अच्छा ही साबित होगा. क्योंकि इससे लोकतंत्र और मजबूत होगा. पांच साल तक किसी एक आदमी का एक बड़े पद पे कब्जा होना चिंता की विषय है. कई प्रधानमंत्रियों से कई नीतियां सामने आएंगी जो देश को कई रास्ते दे सकती हैं. देश एक के बदले अनेक रास्तों पे चल सकता है.

ये भी पढ़ें- कहीं बैकफायर तो नहीं हो रहा मोदी को घेरने वाला ब्रह्मास्त्र

बीजेपी वाले आरोप लगा रहे हैं कि इनके आने से भ्रष्टाचार फिर से जड़ जमायेगा जो देश के लिए नुकसानदेह हो सकता है. फिर से घोटालों का दौर चालू होगा जिससे फिर से देश कंगाल हो सकता है. इस आरोप पे महागठबंधन की वकालत करने वाले लोग ये कह रहे हैं कि बीजेपी देश को तोडना बांटना चाह रही है, वो नहीं चाहती कि देश के लोग एक साथ आएं और मिलकर सरकार चलाएं और आपातकाल को दूर भगाए.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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