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राहुल गांधी का एक महीने का खर्च कितना है?

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 01 सितम्बर, 2018 02:49 PM
  • 01 सितम्बर, 2018 02:49 PM
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नोटबंदी को लेकर बार बार भाजपा और पीएम मोदी पर आरोप लगाने वाले राहुल गांधी पहले ये बताएं कि जो 2 हजार के 2 नोट उन्होंने नोटबंदी के वक़्त बैंक से निकाले थे वो खत्म हुए या नहीं?

नोटबंदी हुए एक आध दो दिन बीते होंगे अखबारों में राहुल गांधी की तस्वीर आई. राहुल गांधी ने लाइन में लगकर घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद 4000 रुपए प्राप्त किये थे. राहुल के चेहरे पर विजय मुस्कान थी. उस पल राहुल इतना खुश थे मानो उन्होंने कद्दू में तीर मारा हो या फिर पीएम की कुर्सी पर कब्ज़ा जमा लिया हो.

एक वो दिन है. एक आज का दिन है. राहुल गांधी न तो कभी लाइन में ही दिखे. न ही कभी उन्होंने हाथ में पैसे पकड़े फोटो खिंचाई. बात आगे बढ़ाने से पहले हमारे लिए ये बताना बेहद जरूरी है कि तब भी और अब भी राहुल गांधी नोटबंदी को लेकर लगातार पीएम मोदी और उनकी सरकार पर हमला कर रहे हैं.

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी ताजा आंकड़ों का हवाला देते हुए राहुल गांधी ने नोटबंदी को मोदी सरकार का बड़ा घोटाला करार दिया है. उन्होंने कहा कि नोटबंदी का इरादा देश के बड़े उद्योगपतियों के काले धन को सफेद करना था. इसलिए नोटबंदी कोई गलती नहीं थी, नोटबंदी जानबूझ कर बड़े उद्योग घरानों के लिए रास्ता खोलने के उद्देश्य से की गई थी.

दो हजार के दो नए नोट लेकर बैंक से वापस आते राहुल गांधी

प्रेस कांफ्रेंस करते हुए राहुल ने आरोप लगाया कि, प्रधानमंत्री ने नोटबंदी में, 15-20 उद्योगपतियों, जिनपर बैंक का कर्जा था, आम आदमी की जेब से पैसा निकाल कर सीधा इनकी जेब में डाला. साथ ही पीएम मोदी ने अपने मित्रों के काले धन को सफेद करने का काम किया. राहुल गांधी ने ये भी कहा कि अहमदाबाद जिला को-ऑपरेटिव बैंक, जिसके डायरेक्टर अमित शाह हैं, उस बैंक ने 750 करोड़ रुपये के पुराने नोट बदले. गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है कि नोटबंदी के दौरान बंद हुए लगभग सभी पुराने नोट वापस आ चुके हैं. रिजर्व बैंक ने कहा है कि कुल 99.30 फीसदी 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट वापस आ...

नोटबंदी हुए एक आध दो दिन बीते होंगे अखबारों में राहुल गांधी की तस्वीर आई. राहुल गांधी ने लाइन में लगकर घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद 4000 रुपए प्राप्त किये थे. राहुल के चेहरे पर विजय मुस्कान थी. उस पल राहुल इतना खुश थे मानो उन्होंने कद्दू में तीर मारा हो या फिर पीएम की कुर्सी पर कब्ज़ा जमा लिया हो.

एक वो दिन है. एक आज का दिन है. राहुल गांधी न तो कभी लाइन में ही दिखे. न ही कभी उन्होंने हाथ में पैसे पकड़े फोटो खिंचाई. बात आगे बढ़ाने से पहले हमारे लिए ये बताना बेहद जरूरी है कि तब भी और अब भी राहुल गांधी नोटबंदी को लेकर लगातार पीएम मोदी और उनकी सरकार पर हमला कर रहे हैं.

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी ताजा आंकड़ों का हवाला देते हुए राहुल गांधी ने नोटबंदी को मोदी सरकार का बड़ा घोटाला करार दिया है. उन्होंने कहा कि नोटबंदी का इरादा देश के बड़े उद्योगपतियों के काले धन को सफेद करना था. इसलिए नोटबंदी कोई गलती नहीं थी, नोटबंदी जानबूझ कर बड़े उद्योग घरानों के लिए रास्ता खोलने के उद्देश्य से की गई थी.

दो हजार के दो नए नोट लेकर बैंक से वापस आते राहुल गांधी

प्रेस कांफ्रेंस करते हुए राहुल ने आरोप लगाया कि, प्रधानमंत्री ने नोटबंदी में, 15-20 उद्योगपतियों, जिनपर बैंक का कर्जा था, आम आदमी की जेब से पैसा निकाल कर सीधा इनकी जेब में डाला. साथ ही पीएम मोदी ने अपने मित्रों के काले धन को सफेद करने का काम किया. राहुल गांधी ने ये भी कहा कि अहमदाबाद जिला को-ऑपरेटिव बैंक, जिसके डायरेक्टर अमित शाह हैं, उस बैंक ने 750 करोड़ रुपये के पुराने नोट बदले. गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है कि नोटबंदी के दौरान बंद हुए लगभग सभी पुराने नोट वापस आ चुके हैं. रिजर्व बैंक ने कहा है कि कुल 99.30 फीसदी 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट वापस आ चुके हैं.

हम लोग आम आदमी हैं. राहुल गांधी खास आदमी हैं. यहां ये बात ध्यान देने वाली है कि तब हम लोगों को भी राहुल की ही तरह 4000 रुपए ही मिले थे, जो चार दिन नहीं चले थे. राहुल गांधी का 4000 आज तक चल रहा है. ऐसे में शायद हमारे लिए ये मान लेना सबसे बेहतर है कि उनका 4000 गूलर के फूल से छू गया है. जो लगातार चक्रवृद्धि ब्याज दिए जा रहा है और राहुल गांधी का सारा खर्च चल रहा है. अब चूंकि राहुल का खर्च चल रहा है और वो न तो एटीएम के बाहर ही दिख रहे हैं न लाइन में तो बहुत सी बातें अपने आप साफ हो गयी हैं.

इतनी बातें जानने के बाद हम बस राहुल गांधी से इतना ही कहेंगे कि, "सर, हम लोग आम आदमी हैं और दूध से जले हैं. जो छांछ भी फूंक-फूंककर पीता है." पीएम मोदी हमें 8 नवम्बर 2016 की उस रात 8 बजे वैसे ही कबूतर के दूध से बनी बर्फी खिला चुके हैं अब आप और अपनी बातों से हमारा कड़वा मुंह मीठा कराने का प्रयास न करिए. हमनें आदत डाल ली है एडजस्ट करने की मगर बात बस इतनी है कि अब हमारे अन्दर और एडजस्ट करने की हिम्मत नहीं बची है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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