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कानपुर पुलिस ने तो आउट होने के बाद बैट बॉल ले जाने वाले बिट्टू को भी मात दे दी!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 03 फरवरी, 2021 10:42 PM
  • 03 फरवरी, 2021 10:42 PM
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वो यूपी पुलिस जो मिर्ज़ापुर और तांडव विवाद पर एक्टर्स को नोटिस देने या फिर जांच के नाम पर मुंबई पहुंच जाती है वो अगर डीजल डलवाने की बात करे तो ये उतना ही शर्मनाक है जितना मुहल्ले के बिट्टू का आउट होने के बाद भी बैटिंग करना क्यों कि बैट और बॉल दोनो उसके हैं.

मितरों... वो यूपी पुलिस जो टूर करके, मतलब टैक्सपेयर का पैसा खर्च करके पहले Tandav Controversy फिर Mirzapur Controversy के चलाते एक्टर्स को नोटिस देने या फिर 'जांच' के नाम पर मुंबई पहुंच जाती है. अगर वो डीजल डलवाने की बात कहकर किसी गरीब और दिव्यांग फरयादी से पैसे ऐंठ ले, वो भी दो तीन बार तो इसे क्या कहा जाएगा? नहीं गुरु! सिर्फ शर्मनाक और अमानवीय कह देने भर से काम नहीं चलेगा. इसके बाद का कुछ हो तो हमें बताइएगा ज़रूर. देखिए जब बात यूपी पुलिस से जुड़ी हो तो फिर क्या ही चकराना और क्या ही भूमिका बनानी. मैटर कानपुर का है. कानपुर में दिव्यांग महिला ने पुलिस पर शर्मसार कर देने वाला आरोप लगाया है. महिला के अनुसार उसने स्थानीय पुलिसकर्मियों की गाड़ी में 10 से 15 हजार रुपए का डीजल डलवा दिया है, ताकि वो उसकी नाबालिग लड़की को ढूंढ़ सकें, महिला की बेटी का अपहरण उसी के एक रिश्तेदार ने किया है. मामले में दिलचस्प बात ये है कि डीजल महिला ने अपनी मर्जी से नहीं डलवाया. ख़ुद पुलिसवालों ने इसके लिए उसे बाध्य किया था.

एक बुजुर्ग महिला के साथ कानपुर पुलिस ने बेशर्मी की हदों को पार कर दिया

मामले पर बात होगी. मगर उससे पहले बिट्टू की कहानी सुन लीजिए. होने को तो बिट्टू हमारे मुहल्ले का सबसे सीधा बच्चा और एकदम गाय जैसा लड़का है. मगर जब बात क्रिकेट की होती तो लड़का हीरो से विलेन बन जाता. हर कोई परेशान. हर कोई हलकान. बिट्टू आउट होता तो भी बैट न छोड़ता और अपनी पारी कंटीन्यू करता. लोग चूं चपड़ इसलिए भी न करते कि बैट और बॉल दोनों उसके ही होते वो लेकर चला जाता. बिट्टू का कॉन्सेप्ट बहुत सीधा था खेल होगा तो उसकी मर्जी से होगा वरना नहीं.

अब कानपुर का ये मामला और दिव्यांग महिला द्वारा पुलिस की गाड़ी में डीजल डलवाने की बात पर गौर करिए. मामले में कानपुर पुलिस का भी...

मितरों... वो यूपी पुलिस जो टूर करके, मतलब टैक्सपेयर का पैसा खर्च करके पहले Tandav Controversy फिर Mirzapur Controversy के चलाते एक्टर्स को नोटिस देने या फिर 'जांच' के नाम पर मुंबई पहुंच जाती है. अगर वो डीजल डलवाने की बात कहकर किसी गरीब और दिव्यांग फरयादी से पैसे ऐंठ ले, वो भी दो तीन बार तो इसे क्या कहा जाएगा? नहीं गुरु! सिर्फ शर्मनाक और अमानवीय कह देने भर से काम नहीं चलेगा. इसके बाद का कुछ हो तो हमें बताइएगा ज़रूर. देखिए जब बात यूपी पुलिस से जुड़ी हो तो फिर क्या ही चकराना और क्या ही भूमिका बनानी. मैटर कानपुर का है. कानपुर में दिव्यांग महिला ने पुलिस पर शर्मसार कर देने वाला आरोप लगाया है. महिला के अनुसार उसने स्थानीय पुलिसकर्मियों की गाड़ी में 10 से 15 हजार रुपए का डीजल डलवा दिया है, ताकि वो उसकी नाबालिग लड़की को ढूंढ़ सकें, महिला की बेटी का अपहरण उसी के एक रिश्तेदार ने किया है. मामले में दिलचस्प बात ये है कि डीजल महिला ने अपनी मर्जी से नहीं डलवाया. ख़ुद पुलिसवालों ने इसके लिए उसे बाध्य किया था.

एक बुजुर्ग महिला के साथ कानपुर पुलिस ने बेशर्मी की हदों को पार कर दिया

मामले पर बात होगी. मगर उससे पहले बिट्टू की कहानी सुन लीजिए. होने को तो बिट्टू हमारे मुहल्ले का सबसे सीधा बच्चा और एकदम गाय जैसा लड़का है. मगर जब बात क्रिकेट की होती तो लड़का हीरो से विलेन बन जाता. हर कोई परेशान. हर कोई हलकान. बिट्टू आउट होता तो भी बैट न छोड़ता और अपनी पारी कंटीन्यू करता. लोग चूं चपड़ इसलिए भी न करते कि बैट और बॉल दोनों उसके ही होते वो लेकर चला जाता. बिट्टू का कॉन्सेप्ट बहुत सीधा था खेल होगा तो उसकी मर्जी से होगा वरना नहीं.

अब कानपुर का ये मामला और दिव्यांग महिला द्वारा पुलिस की गाड़ी में डीजल डलवाने की बात पर गौर करिए. मामले में कानपुर पुलिस का भी तो एटीट्यूड कुछ कुछ बिट्टू जैसा ही है. बिट्टू बच्चा है. उसे नजरअंदाज किया जा सकता है. मगर कानपुर पुलिस के उन जवानों ने जिन्होंने एक बुजुर्ग महिला से गाड़ी में डीजल डलवाने की बात की उसे नकारा नहीं जा सकता. पुलिस के अफसरों द्वारा किये गए इस घिनौने कृत्य पर चर्चा बिलकुल होनी चाहिए.

ध्यान रहे सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के उन दावों पर जोरदार थप्पड़ पड़ा है, जिनमें वो लाइन में सबसे पीछे खड़े व्यक्ति तक कानून के पहुंचने की बात अपने अलग अलग मंचों से करते हैं. न्याय की आस में दर दर भटकी बुजुर्ग महिला अपनी बैसाखी के सहारे कानपुर पुलिस प्रमुख के ऑफिस पहुंची और कप्तान के अलावा मौके पर मौजूद स्थानीय मीडिया को अपनी आप बीती सुनाई.

बुजुर्ग महिला ने जो बातें कहीं हैं वो ये बताने के लिए काफ़ी हैं कि उस स्थिति में क्या होता है जब एक गरीब न्याय की आस लेकर थाने जाता है. स्थानीय मीडिया को गुड़िया नाम की इस महिला ने बताया कि उसने पिछले महीने अपनी बेटी के गुम होने की शिकायत दर्ज करवाई थी जिसपर कोई एक्शन नहीं लिया गया. महिला ने ये भी बताया कि जब उसने अपनी शिकायत के संदर्भ में थाने में मौजूद पुलिस वालों से पूछताछ की तो जवाब के एवज में उसे गंदी गंदी गलियों से नवाजा गया और कई बार थाने से भगाया गया.

महिला का ये भी आरोप है कि मामले के मद्देनजर पुलिस उसकी किसी तरह की कोई मदद नहीं कर रही है. महिला के मुताबिक, 'पुलिसवाले कहते रहते हैं कि हम ढूंढ़ रहे हैं. कई बार गंदी गंदी गालियां देकर उन्होंने मेरा अपमान किया और मेरी बेटी के चरित्र पर अंगुली उठाई. पुलिस वाले कहते हैं अगर लड़की भागी है तो इसमें उसी की गलती है. महिला ने ये भी कहा कि पुलिसवाले कहते हैं कि हमारी गाड़ी में डीजल डलवाइए, हम आपकी बेटी को ढूंढ़ने जाएंगे.'

ये पूछे जाने पर कि क्या उसने इस केस के सिलसिले में किसी तरह की रिश्वत दी ? जवाब में महिला का कहना था कि मैं झूठ नहीं बोलूंगी. लेकिन हां, मैंने उनकी गाड़ियों में डीजल भरवाया है. मैंने उन्हें 3-4 बार के लिए पैसा दिया है. उस पुलिस चौकी पर दो पुलिसकर्मी हैं. उनमें से एक मेरी मदद कर रहे हैं, और दूसरे ने नहीं की.'

खुद सोचिए एक ऐसी महिला जो दिव्यांग तो है ही साथ ही जो विधवा भी है कितना मुश्किल होता होगा उसके लिए 'डीजल के पैसे जमा करना' कितने ही मौके जॉए होंगे जब उसने रिश्तेदारों के आगे हाथ फैलाया होगा और उन लोगों ने मदद से इंकार करते हुए मुंह फेर लिया होगा.

ध्यान रखिये ये सब उस यूपी में हो रहा है जहां तांडव और मिर्ज़ापुर जैसी वेब सीरीज पर जारी घमासान के बीच न केवल यूपी पुलिस मुकदमा दर्ज करती है बल्कि जांच के नाम पर सरकारी खर्चे से मुंबई के जुहू चौपाटी और बैंडस्टैंड के दर्शन कर आती है. वो पुलिस एक महिला से जांच के नाम पर डीजल मांग रही है.

सवाल ये है कि क्या पुलिस वालों को उस शपथ का भी ख्याल नहीं रहा जो ड्यूटी जॉइन करते वक़्त उन्होंने ली थी? या फिर कहीं ऐसा तो नहीं कि वो शपथ एक ऐसी फॉर्मेलिटी है जिसका इस्तेमाल बस केवल ड्यूटी जॉइन करते वक़्त ही किया जाता है. सोचिए यूं भी सवाल तमाम हैं और जिनके जवाब मिलना मौजूदा वक्त का तकाजा है.

जैसा कि होता रहा है किसी भले आदमी ने इस घटना का वीडियो वायरल कर दिया है जिसके बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया. कानपुर पुलिस ने ट्वीट करते हुए कहा है कि संबंधित पुलिस चौकी इंचार्ज को हटा दिया गया और मामले की जांच के लिए विभागीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं.

मामले में दिलचस्प बात ये भी है कि कानपुर पुलिस के टि्वटर हैंडल से एक वीडियो जारी किया गया है जिसमें बुजुर्ग महिला को कमिश्नर ऑफिस से संबंधित पुलिस थाने लाते हुए दिखाया गया है.

ट्वीट में कहा गया है कि महिला की बेटी को ढूंढ़ने के लिए चार टीमें बनाई गई हैं. भले ही इस मामले में दोषी पुलिसकर्मियों पर त्वरित एक्शन की बात कही गई हो लेकिन सच्चाई क्या है ये हमसे छुपी है न देश की जनता से.

अभी मामला गर्म है तो एक्शन की बात हुई है जैसे ठंडा पड़ेगा और लोग उसे भूल जाएंगे पुलिस वालों को पुनः बहाल कर दिया जाएगा.बाकी जिक्र हमने बिट्टू का भी किया था तो आउट होने के बाद बैट बॉल ले जाने वाला बिट्टू को भी हर कोई  वैसे ही नापसंद करता था जैसे फ़िलहाल हम सरकारी गाडी में जनता से डीजल भरवाने वाले कानपुर पुलिस के वीर जवानों को.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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