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इंडिया और पाकिस्तान कमाई के लिहाज से दो मुर्गे थे, बड़ा नुकसान तो हॉटस्टार का हुआ है!

    • सिद्धार्थ अरोड़ा सहर
    • Updated: 12 नवम्बर, 2022 12:02 PM
  • 12 नवम्बर, 2022 12:02 PM
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नॉर्मली हॉटस्टार पर वर्ल्ड कप का कोई मैच चल रहा हो तो 60 से 80 लाख दर्शक लाइव देख रहे होते हैं, पर इंडिया पाकिस्तान का मैच हो तो ये आंकड़ा डेढ़ करोड़ तक चला जाता है. ड्रीम11, सपना54, फलाने ढिमकाने इतने सट्टेबाजी वाली app आ गए हैं कि उनकी एक्स्ट्रा दीवाली हो जाती है.

इंसान को आदिकाल से झगड़ने की, कान्क्वेस्ट करने की प्रवत्ति रही है. इंसान जैसे-जैसे विकसित होता गया, वैसे-वैसे उसने लड़ने, वॉइलेन्स के नये-नये तरीखे खोज निकाले. तलवारों से लड़ने वाला आदमी, बंदूकों तोपों तक पहुंच गया लेकिन जानवर प्रवत्ति कहती है कि जो मज़ा खुद के हाथों से मारने में है, वो बम गोली में कहां? लेकिन सभ्य समाज में सबसे पहले नियम बना कि आप यूंही किसी की जान नहीं ले सकते, सिर्फ राजा ले सकता है. राजा के सैनिक ले सकते हैं. राजा जब किसी की जान लेगा तो वो न्याय के लिए दिया गया दंड कहलाएगा, पर आप किसी को मारोगे तो वो हत्या है और उसे अपराध की श्रेणी में रख, आपको दंड दिया जायेगा.

 टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचने से अस्थिरता भरे पाकिस्तान में जश्न का माहौल है 

ये सारी ढकोसलेबाजी खुद को उजला दिखाने भर की नौटंकी थी, नौटंकी है क्योंकि आदम की हिंसा प्रवत्ति में कोई खास कमी नहीं आई है. हां, पश्चिमी सभ्यताओं ने एक बात अच्छे से समझी कि लड़ने में तो मज़ा है ही, पर लड़ाई करवाने में, किन्हीं दो को लड़ता देखने में भी मज़ेदार एंटरटेनमेंट है. WWF जैसे स्क्रिप्टेड शो किसी अच्छी बड़ी फिल्म से भी ज़्यादा पैसा सिर्फ इसलिए कमाते हैं कि हमें दो लोगों को लड़ता देखने में बड़ा आनंद आता है.

अफगानिस्तान में ऐसा ही स्पोर्ट मुर्गों के साथ होता है, दो मस्त मोटे-मोटे मुर्गे लड़ा दिए जाते हैं. ऐसे ही दो मुर्गे 1947 में यूनाइटेड किंगडम ने भी बनाए थे. एक को बड़ा और ताकतवर रखा तो दूसरे को अग्रेसिव मनमाना बनाया, ताकि एक अंगुली  करता रहे और दूसरा उसे बजाता रहे. बजाने वाले को बड़प्पन रखना पड़ेगा, नहीं रखेगा तो वेस्ट उसपर प्रेशर बनाकर सारे रिश्ते-बिजनेस तोड़ देने की धमकी देगा और उसे पीछे हटना पड़ेगा.

लेकिन यही वेस्ट छोटे मुर्गे को चोंच मारने...

इंसान को आदिकाल से झगड़ने की, कान्क्वेस्ट करने की प्रवत्ति रही है. इंसान जैसे-जैसे विकसित होता गया, वैसे-वैसे उसने लड़ने, वॉइलेन्स के नये-नये तरीखे खोज निकाले. तलवारों से लड़ने वाला आदमी, बंदूकों तोपों तक पहुंच गया लेकिन जानवर प्रवत्ति कहती है कि जो मज़ा खुद के हाथों से मारने में है, वो बम गोली में कहां? लेकिन सभ्य समाज में सबसे पहले नियम बना कि आप यूंही किसी की जान नहीं ले सकते, सिर्फ राजा ले सकता है. राजा के सैनिक ले सकते हैं. राजा जब किसी की जान लेगा तो वो न्याय के लिए दिया गया दंड कहलाएगा, पर आप किसी को मारोगे तो वो हत्या है और उसे अपराध की श्रेणी में रख, आपको दंड दिया जायेगा.

 टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचने से अस्थिरता भरे पाकिस्तान में जश्न का माहौल है 

ये सारी ढकोसलेबाजी खुद को उजला दिखाने भर की नौटंकी थी, नौटंकी है क्योंकि आदम की हिंसा प्रवत्ति में कोई खास कमी नहीं आई है. हां, पश्चिमी सभ्यताओं ने एक बात अच्छे से समझी कि लड़ने में तो मज़ा है ही, पर लड़ाई करवाने में, किन्हीं दो को लड़ता देखने में भी मज़ेदार एंटरटेनमेंट है. WWF जैसे स्क्रिप्टेड शो किसी अच्छी बड़ी फिल्म से भी ज़्यादा पैसा सिर्फ इसलिए कमाते हैं कि हमें दो लोगों को लड़ता देखने में बड़ा आनंद आता है.

अफगानिस्तान में ऐसा ही स्पोर्ट मुर्गों के साथ होता है, दो मस्त मोटे-मोटे मुर्गे लड़ा दिए जाते हैं. ऐसे ही दो मुर्गे 1947 में यूनाइटेड किंगडम ने भी बनाए थे. एक को बड़ा और ताकतवर रखा तो दूसरे को अग्रेसिव मनमाना बनाया, ताकि एक अंगुली  करता रहे और दूसरा उसे बजाता रहे. बजाने वाले को बड़प्पन रखना पड़ेगा, नहीं रखेगा तो वेस्ट उसपर प्रेशर बनाकर सारे रिश्ते-बिजनेस तोड़ देने की धमकी देगा और उसे पीछे हटना पड़ेगा.

लेकिन यही वेस्ट छोटे मुर्गे को चोंच मारने के लिए दाना भी देगा, उसे हथियार भी देगा, फिर ये भी बताएगा कि तुम्हारे साथ गलत हो रहा है और कुछ सालों में छोटा मुर्गा फिर अंगुली करेगा, फिर मार खायेगा लेकिन बड़ा मुर्गा उसका टेंटुआ नहीं दबाएगा. वर्ना सोचो कि अगर पाकिस्तान कोई जंग जीतता, तो क्या समझौते में कश्मीर, पंजाब और राजस्थान का मेजर हिस्सा हड़पने की चाहत न करता?

अजी वो तो कन्नी अंगुली बराबर होकर, हर जंग में दिल्ली जीतने की प्लानिंग बनाकर लड़ते थे. पर भारत का एक ही नारा था, हम बड़े हैं हम पहला वार न करेंगे, वो अंगुली करते रहें, हम कमर बचाते रहेंगे. ऐसे ही आईसीसी, बीसीसीआई, पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड और हम दोनों देशों के 150 करोड़ लोगों के लिए भी इंडियन क्रिकेट टीम और पाकिस्तान क्रिकेट टीम दो मुर्गे हैं. हमें इनकी भिड़ंत देखने में फुटबाल वर्ल्ड कप से ज़्यादा मज़ा आता है.

नॉर्मली हॉटस्टार पर वर्ल्ड कप का कोई मैच चल रहा हो तो 60 से 80 लाख दर्शक लाइव देख रहे होते हैं, पर इंडिया पाकिस्तान का मैच हो तो ये आंकड़ा डेढ़ करोड़ तक चला जाता है. ड्रीम11, सपना54, फलाने ढिमकाने इतने सट्टेबाजी वाली app आ गए हैं कि उनकी एक्स्ट्रा दीवाली हो जाती है. फ्लाइट टिकेट्स के रेट्स में अचानक उछाल आ जाता है. ग्राउन्ड टकाटक फुल होता है. यूं सोचे तो कितने ही लोगों की रोटी-बोटी की ज़िम्मेदारी ये दो मुर्गे ले लेते हैं.

अब एक मुर्गा तो न्यूज़ीलैंड जैसी बेस्ट फील्डिंग टीम की धोती खोलकर फाइनल पहुंच गया है, कल दूसरा बड़ा मुर्गा भी पहुंच गया तो एक बार फिर, मुर्गा लड़ाने वालों पर नोटों की बारिश हो जायेगी. पाकिस्तान तो टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचने की बधाई.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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