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व्यंग्य: भारी पड़ा PK को बकरीद की दावत पर बुलाना...

    • आईचौक
    • Updated: 10 सितम्बर, 2016 05:10 PM
  • 10 सितम्बर, 2016 05:10 PM
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क्या हुआ जब तमाम धर्मों की मान्यताओं और रिवाजों पर मासूमियत से सवाल करने वाले पीके को एक शख्स ने बकरीद के मौके पर दावत के लिए बुलाया..

मोमिन- भाईजान बकरीद आने वाली है और आपको हमारे घर पर होने वाली दावत में शरीक होना ही पड़ेगा कोई बहाना नहीं चलेगा.

PK (आमिर)- वो सब तो ठीक है मियां पर यह तो बताओ कि बकरीद मनाते क्यों हैं ?

मोमिन- भाईजान बहुत पहले एक हजरत ईब्राहिम हुए थे जिनका अल्लाह पर ईमान बहुत पुख्ता था और जिन्होंने अल्लाह के कहने पर अपनी सबसे प्यारी चीज़ यानी अपने बेटे की कुर्बानी दी थी और अल्लाह ने खुश होके उनके बेटे को बचा लिया था. तो उसी की याद में हम भी अपनी सबसे प्यारी चीज़ की कुर्बानी देते हैं.

 बकरीद पर पीके के सवाल-जवाब..

PK- अच्छा मतलब आप भी अपने बेटे या किसी और करीबी की कुर्बानी देते हो इस दिन?

मोमिन- लाहौर वाया कुवैत कैसी बातें करते हो भाईजान. बेटे की कुर्बानी कैसे दे दें हम ? हम तो किसी जानवर की कुर्बानी देते हैं इस दिन.

PK- क्यों समस्या क्या है इसमें? अगर आपका ईमान पुख्ता है तो अल्लाह आपके बेटे को फिर ज़िंदा कर देगा.

यह भी पढ़ें- 'बाजार से बकरे लाए और कुर्बान कर दिए, ये कोई कुर्बानी हुई!'

मोमिन- अरे ऐसा कोई होता है भाईजान.

PK- क्यों आपका ईमान पुख्ता नहीं है क्या?

मोमिन- अरे नहीं भाईजान हमारा ईमान तो एकदम पुख्ता है.

PK- तो फिर क्या अल्लाह के...

मोमिन- भाईजान बकरीद आने वाली है और आपको हमारे घर पर होने वाली दावत में शरीक होना ही पड़ेगा कोई बहाना नहीं चलेगा.

PK (आमिर)- वो सब तो ठीक है मियां पर यह तो बताओ कि बकरीद मनाते क्यों हैं ?

मोमिन- भाईजान बहुत पहले एक हजरत ईब्राहिम हुए थे जिनका अल्लाह पर ईमान बहुत पुख्ता था और जिन्होंने अल्लाह के कहने पर अपनी सबसे प्यारी चीज़ यानी अपने बेटे की कुर्बानी दी थी और अल्लाह ने खुश होके उनके बेटे को बचा लिया था. तो उसी की याद में हम भी अपनी सबसे प्यारी चीज़ की कुर्बानी देते हैं.

 बकरीद पर पीके के सवाल-जवाब..

PK- अच्छा मतलब आप भी अपने बेटे या किसी और करीबी की कुर्बानी देते हो इस दिन?

मोमिन- लाहौर वाया कुवैत कैसी बातें करते हो भाईजान. बेटे की कुर्बानी कैसे दे दें हम ? हम तो किसी जानवर की कुर्बानी देते हैं इस दिन.

PK- क्यों समस्या क्या है इसमें? अगर आपका ईमान पुख्ता है तो अल्लाह आपके बेटे को फिर ज़िंदा कर देगा.

यह भी पढ़ें- 'बाजार से बकरे लाए और कुर्बान कर दिए, ये कोई कुर्बानी हुई!'

मोमिन- अरे ऐसा कोई होता है भाईजान.

PK- क्यों आपका ईमान पुख्ता नहीं है क्या?

मोमिन- अरे नहीं भाईजान हमारा ईमान तो एकदम पुख्ता है.

PK- तो फिर क्या अल्लाह के इंसाफ पर शुबहा है कि वो बाद में मुकर जाएगा और बेटे को ज़िंदा नहीं करेगा?

मोमिन- तौबा तौबा हम अल्लाह पर शुबहा कैसे कर सकते हैं ?

PK- अल्लाह पर भी भरोसा है. ईमान भी पुख्ता है.. फिर बेटे की कुर्बानी क्यों नहीं देते ? या फिर आपको सबसे प्यारा वो जानवर है जिसकी कुर्बानी देते हो ?

मोमिन- नहीं नहीं भाईजान हमें सबसे प्यारा हमारा बेटा ही है. भला बकरीद से कुछ दिन पहले बाजार से खरीदा कोई जानवर कैसे हमें हमारे बेटे से ज्यादा प्यारा हो जाएगा. आप ही बताओ ?

यह भी पढ़ें- मुस्लिम भाई बकरीद पर जानवरों को मारना बंद करें

PK- तो मतलब आप अल्लाह से भी फरेब कर रहे हो. पैसे देकर खरीदे जानवर को औलाद से भी प्यारा बताकर अल्लाह को उसकी कुर्बानी दे रहे हो. यह तो बड़ीशर्म की बात है.

मोमिन- छोड़ें जनाब यह आपकी समझ में नहीं आएगा क्योंकि आप काफिर हो. चलते हैं हमारी नमाज़ का वक्त हो गया.

(ये व्यंग्य यहां से लिया गया है और सोशल मीडिया पर वायरल है...)

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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