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दिल्ली में शराब बिक्री की ऑनलाइन व्यवस्था थी तो अच्छी मगर चाइनीज निकली!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 09 मई, 2020 07:37 PM
  • 09 मई, 2020 07:37 PM
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शराब खरीदने के नाम पर जिस तरह दिल्ली (Delhi ) की जनता ने सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) की धज्जियां उड़ाई राज्य सरकार ने उन्हें सुधारने के लिए टोकन सिस्टम Token System ) लांच किया. मगर भीड़ इतनी कि वेब साइट क्रैश हो गयी यानी सरकार ने वेबसाइट के नाम पर जो प्रोडक्ट बनाया वो इंडियन कम चाइनीज ज्यादा था जो कुछ देर भी नहीं चला.

हां तो भइया कैसा चल रहा है लॉक डाउन (Lockdown)? मेरा इतना पूछना भर था. मित्र की बांछें खिल गईं. जो मित्र पिछले दो चरणों में गूंगा गुड़ खाए थे तीसरे चरण में पंछी की तरह चहक रहे थे. चहकते भी क्यों न. सरकार ने इनके ऊपर इतना बड़ा एहसान जो किया था. इनका वो गला जो पिछले एक महीने से सूखा था इन दिनों तर है और भरपूर तर है. भाई का सुरूर ऐसा कि कमर से लेकर अमर और यहां तक कि अकबर और अंथोनी को भी इनकी ख़ुशी देखकर रश्क़ हो जाए. तीसरे चरण के पहले दिन जब ये हुआ कि अर्थव्यवस्था (Economy) के मद्देनजर शराब की दुकानें (Liquor Shops) खुलेंगी भाई ने जमकर सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) की धज्जियां उड़ाई. अगला रात 12 बजे ही ठेके के बाहर खड़ा हो गया. उस दिन मेरा ये मित्र सिर पर कफ़न बांध के आया था. कह रहा था कि आज अगर शराब न मिली तो जान दे दूंगा. खैर सुबह जब ठेका खुला तो मेरा इस मित्र ने लाज शर्म का गहना उतार फेंका. वो गाना सुना होगा आपने भी, 'मोहे आई न जग से लाज. मैं इतनी ज़ोर से नाची आज के घुंघरू टूट गये'. बस कुछ ऐसा ही हाल हुआ था उस दिन भी. मित्र ने ज़माने की चिंता नहीं की और भरपूर शराब ख़रीदी.

लॉकडाउन का तीसरा चरण आते आते लोगों को शराब मिलने लगी है जिसे लेकर जनता काफी खुश हैं

दूध, चीनी, हरी धनिया, अंडे, चाय पत्ती तो छोड़िए मेरा ये मित्र जो इमरजेंसी के वक़्त दवा लेने के लिए भी कभी बाहर नहीं निकला उस दिन तीन बार बाजार आया था दारू के लिए. उस दिन इसे अपने दो हाथों पर भी अफसोस था कह रहा था कि काश ईश्वर ने किसी ऑक्टोपस की तरह 8 हाथ दिए होते. कितना कुछ ले आता मैं.

यूं तो मेरे इस मित्र के पास स्टॉक पूरा है मगर फिर भी उदास है. आज बात हुई तो कहने लगा कि हम इकॉनमी वारियर्स की किसी को चिंता नहीं है. ( हां जिस दिन से इसने सुना है...

हां तो भइया कैसा चल रहा है लॉक डाउन (Lockdown)? मेरा इतना पूछना भर था. मित्र की बांछें खिल गईं. जो मित्र पिछले दो चरणों में गूंगा गुड़ खाए थे तीसरे चरण में पंछी की तरह चहक रहे थे. चहकते भी क्यों न. सरकार ने इनके ऊपर इतना बड़ा एहसान जो किया था. इनका वो गला जो पिछले एक महीने से सूखा था इन दिनों तर है और भरपूर तर है. भाई का सुरूर ऐसा कि कमर से लेकर अमर और यहां तक कि अकबर और अंथोनी को भी इनकी ख़ुशी देखकर रश्क़ हो जाए. तीसरे चरण के पहले दिन जब ये हुआ कि अर्थव्यवस्था (Economy) के मद्देनजर शराब की दुकानें (Liquor Shops) खुलेंगी भाई ने जमकर सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) की धज्जियां उड़ाई. अगला रात 12 बजे ही ठेके के बाहर खड़ा हो गया. उस दिन मेरा ये मित्र सिर पर कफ़न बांध के आया था. कह रहा था कि आज अगर शराब न मिली तो जान दे दूंगा. खैर सुबह जब ठेका खुला तो मेरा इस मित्र ने लाज शर्म का गहना उतार फेंका. वो गाना सुना होगा आपने भी, 'मोहे आई न जग से लाज. मैं इतनी ज़ोर से नाची आज के घुंघरू टूट गये'. बस कुछ ऐसा ही हाल हुआ था उस दिन भी. मित्र ने ज़माने की चिंता नहीं की और भरपूर शराब ख़रीदी.

लॉकडाउन का तीसरा चरण आते आते लोगों को शराब मिलने लगी है जिसे लेकर जनता काफी खुश हैं

दूध, चीनी, हरी धनिया, अंडे, चाय पत्ती तो छोड़िए मेरा ये मित्र जो इमरजेंसी के वक़्त दवा लेने के लिए भी कभी बाहर नहीं निकला उस दिन तीन बार बाजार आया था दारू के लिए. उस दिन इसे अपने दो हाथों पर भी अफसोस था कह रहा था कि काश ईश्वर ने किसी ऑक्टोपस की तरह 8 हाथ दिए होते. कितना कुछ ले आता मैं.

यूं तो मेरे इस मित्र के पास स्टॉक पूरा है मगर फिर भी उदास है. आज बात हुई तो कहने लगा कि हम इकॉनमी वारियर्स की किसी को चिंता नहीं है. ( हां जिस दिन से इसने सुना है कि सरकार अर्थव्यवस्था के सुधार के मद्देनजर शराबियों को प्रोत्साहित कर रही है पगले ने ख़ुद ही अपने को इकॉनमी वारियर की संज्ञा दे दी) ये मित्र यहीं दिल्ली में रहकर नौकरी करता है तो सूबे के मुख्यमंत्री केजरीवाल को कोसते हुए कहने लगा - इस आदमी को तो किसी के सुख देखे ही नहीं जाते पहले शराब की बोतल पर एम आर पी से अतिरिक्त 70 परसेंट का सेस लगाया और अब टोकन...

जो जानते हैं अच्छी बात है जो नहीं जानते जान लें कि अब दिल्ली में शराब उसी को मिलेगी जो सरकार की आधिकारिक वेबसाइट से टोकन लेगा. ऐसा क्यों हुआ इसकी वजह भी बड़ी दिलचस्प है.

शराब की दुकानों पर भीड़भाड़ खूब है. और सोशल डिस्टेंसिंग की थ्योरी को जनता द्वारा जम कर रौंदा जा रहा है. इसलिए इससे बचने और सामाजिक दूसरी बनाए रखने के लिए दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में शराब की बिक्री के लिए ई-टोकन प्रणाली शुरू की और इसके लिए www.qtoken.in वेबसाइट भी लॉन्च की.

दिल्ली में अब लोगों को शराब तभी मिल पाएगी जब उन्होंने सरकार की वेबसाइट से टोकन लिया गया होगा

मित्र इसलिए भी नाराज है क्योंकि भीड़ के कारण वेबसाइट क्रैश हो गई है. अब वेबसाइट खोलने पर सर्वर एरर (500) दिखा रहा है. मित्र की आपत्ति इस बात पर थी कि जब वेबसाइट बना रहे थे तो थोड़ी मजबूत बनाते ये क्या कि जनता को मूर्ख समझते हुए चाइनीज माल थमा दो जो ऐन वक्त पर साथ छोड़ दे

वैसे बात शराब के लिए टोकन और केंद्र/राज्य सरकारों के प्रयासों की हुई है तो ये बताना भी ज़रूरी है कि वाक़ई इस देश में असली जलवा शराब और शराबियों का है बाकी तो जो है वो पानी कम चाय है. खुद सोचिए एक ऐसे वक्त में जब अमेज़न, फ्लिपकार्ट essential food आइटम की बिक्री करने को तरस गए जैसे सुअवसर शराब को दिए जा रहे हैं और जैसे वो लगातार बाजी मार रही है कितना गर्व होता होगा उसे अपनी किस्मत पर.

हो न हो मगर मेरे जैसे इस देश में तमाम लोग ऐसे हैं जो ये मानते हैं कि अवश्य ही शराब दूसरे आइटम्स के आगे राक्षसी हंसी हंसती होगी. कहती होगी कि इस देश की जनता वही डिमांड कर रही है जो उसकी प्राथमिकता है. अन्य चीजों से बात करती शराब की इन बातों में कितना सच है कितना झूठ इसका जवाब वक़्त की गर्त में छुपा है. लेकिन जब मैं अपने मित्र और शराब को लेकर उनकी नाराजगी उनके तर्कों को देखता सुनता हूं तो महसूस होता है कि वाक़ई इन मुश्किल हालात में शराब ही डूबते को तिनके का सहारा है.

शराब पिये हुए इंसान को दुख नहीं दिखता. जैसे ही ये कड़वी दवा उसकी देह में प्रवेश करती होगी उसे ये दिव्य ज्ञान मिल जाता होगा कि आने वाले वक्त में जो होगा अच्छा होगा और अच्छे के सिवा कुछ न होगा. वो गो कोरोना गो करता होगा और चखने के रूप में एक मुट्ठी नमकीन के साथ एक पैग अंदर कर लेता होगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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