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Apple का iphone रखना जुनून है, हर आदमी का जुनूनी होना नामुमकिन है

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 19 सितम्बर, 2018 11:17 PM
  • 19 सितम्बर, 2018 11:17 PM
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एपल द्वारा आईफोन के तीन वैरिएंट लांच करने के बाद आलोचना का दौर शुरू हो गया है. फोन की आलोचना करने वाले लोगों को समझ लेना चाहिए कि जब बात शौक की आती है तो सारे लॉजिक, सरे गणित धरे के धरे रह जाते हैं.

अभी हाल ही में एपल ने iphone के तीन नए वैरिएंट लांच किये हैं- iPhone XS, XS Max और XR. हालांकि, अभी प्रोडक्ट का भारतीय बाजार में आना बाक़ी है. मगर लोगों की एक बड़ी संख्या है जो इसे लेकर तरह तरह के तर्क देने में जुट गई है. तर्क भी ऐसे जो शायद ही कोई हजम कर पाए. निस्संदेह फोन महंगा है. मगर लोगों का इसे लेकर, इसका डिसेक्शन शुरू करना एक अचरज में डालने वाली प्रक्रिया है. जो फोटोग्राफी के शौकीन हैं, उनका मानना है कि भले ही ये एक असाधारण फोन हो, लेकिन इसका कैमरा एक साधारण कैमरा है. ऐसे लोग कह रहे हैं कि इससे अच्छा है कि व्यक्ति 30 हजार में कोई ठीक ठाक फोन ले ले और साथ में एक डीएसएलआर खरीद ले. वहीं गेमिंग के शौकीन मान रहे हैं कि फोन से अच्छा तो प्ले स्टेशन ले लिया जाए. इससे खेल खेलने में ज्यादा आनंद आएगा.

आई फोन की तुलना किसी और से करना अपने आप में एक बड़ी नासमझी है

आईफोन की लीला अपरम्पार है. वाकई इसको लेकर तरह तरह की बातें हैं. बाजार में नए iPhone की घोषणा के बाद साधारण नौकरीपेशा बोल रहे हैं कि इतने पैसों में तो साल भर का घर का किराया दे दिया जाए. तो वहीं कुछ ऐसे भी हैं कि जिनका मानना है कि जो इसके दाम हैं उससे परिवार के दो चार सदस्यों को नया मोबाइल फोन दिलाया जा सकता है.

iPhone की आलोचना कर, उसकी जगह कमरा भर सामान खरीदने की बात करने वाले लोगों को समझना होगा कि कमरा भर सामान कभी Iphone को रिप्लेस नहीं कर सकता. इसके अलावा एक बात और है. आप हर बार कमरा भर सामान लेकर चल नहीं सकते. कमरा भर सामान का अपना पर्पस है, iphone रखने वालों का अपना स्वैग है. न कभी इससे उसकी बराबरी हो सकती है. न उससे, कभी इसकी.

कहना गलत नहीं है कि, जब बात शौक की आती है तो फिर सारे लॉजिक, सारी गणित धरे के धरे रह जाते हैं. आखिर इस बात को स्वीकार्य करने...

अभी हाल ही में एपल ने iphone के तीन नए वैरिएंट लांच किये हैं- iPhone XS, XS Max और XR. हालांकि, अभी प्रोडक्ट का भारतीय बाजार में आना बाक़ी है. मगर लोगों की एक बड़ी संख्या है जो इसे लेकर तरह तरह के तर्क देने में जुट गई है. तर्क भी ऐसे जो शायद ही कोई हजम कर पाए. निस्संदेह फोन महंगा है. मगर लोगों का इसे लेकर, इसका डिसेक्शन शुरू करना एक अचरज में डालने वाली प्रक्रिया है. जो फोटोग्राफी के शौकीन हैं, उनका मानना है कि भले ही ये एक असाधारण फोन हो, लेकिन इसका कैमरा एक साधारण कैमरा है. ऐसे लोग कह रहे हैं कि इससे अच्छा है कि व्यक्ति 30 हजार में कोई ठीक ठाक फोन ले ले और साथ में एक डीएसएलआर खरीद ले. वहीं गेमिंग के शौकीन मान रहे हैं कि फोन से अच्छा तो प्ले स्टेशन ले लिया जाए. इससे खेल खेलने में ज्यादा आनंद आएगा.

आई फोन की तुलना किसी और से करना अपने आप में एक बड़ी नासमझी है

आईफोन की लीला अपरम्पार है. वाकई इसको लेकर तरह तरह की बातें हैं. बाजार में नए iPhone की घोषणा के बाद साधारण नौकरीपेशा बोल रहे हैं कि इतने पैसों में तो साल भर का घर का किराया दे दिया जाए. तो वहीं कुछ ऐसे भी हैं कि जिनका मानना है कि जो इसके दाम हैं उससे परिवार के दो चार सदस्यों को नया मोबाइल फोन दिलाया जा सकता है.

iPhone की आलोचना कर, उसकी जगह कमरा भर सामान खरीदने की बात करने वाले लोगों को समझना होगा कि कमरा भर सामान कभी Iphone को रिप्लेस नहीं कर सकता. इसके अलावा एक बात और है. आप हर बार कमरा भर सामान लेकर चल नहीं सकते. कमरा भर सामान का अपना पर्पस है, iphone रखने वालों का अपना स्वैग है. न कभी इससे उसकी बराबरी हो सकती है. न उससे, कभी इसकी.

कहना गलत नहीं है कि, जब बात शौक की आती है तो फिर सारे लॉजिक, सारी गणित धरे के धरे रह जाते हैं. आखिर इस बात को स्वीकार्य करने में गुरेज कैसा कि लोग iPhone की आलोचना सिर्फ इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वो इसे खरीदने में असमर्थ हैं. जिस दिन उनके अन्दर इसे खरीदने की सामर्थ्य आ जाएगा खुद ब खुद सारी आलोचनाओं पर विराम लग जाएगा.

इतनी बातों के बावजूद हमें iPhone यूजर्स की उस बात का भी पूरा सम्मान करना चाहिए जिसमें उनके द्वारा यही कहा जाता है कि इसका किसी से कोई मैच नहीं है. इस बात पर गौर करिए सही तो कहते हैं वो लोग. सच में इसका किसी से कोई मुलाबला नहीं है. न तो लोग किसी और फोन को लेकर इतनी आलोचना ही करते हैं और न ही किसी और फोन पर इतनी हाय तौबा मचाई जाती है.

अंत में बस इतना ही कि iphone लेना शौक की बात है और जो आदमी शौकीन होता है उसे पता है कि अपना शौक कैसे पूरा करना है उसके लिए क्या करना है और क्या नहीं करना है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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