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अचार के बाद कंडोम अब कढ़ी चावल और कढ़ाई पनीर फ्लेवर में भी !

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 06 अगस्त, 2017 08:47 PM
  • 06 अगस्त, 2017 08:47 PM
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ये कोई आज की बात नहीं है. मैं काफी लम्बे समय से मैनफोर्स से परेशान था. इस बार फिर इस कम्पनी ने ऐसा कुछ किया है जिसके चलते मेरी भावना आहत हो गयी है. मैं कम्पनी की इस हरकत की कड़े शब्दों में निंदा करता हूं.

कई सालों पहले एक फिल्म आई थी. फिल्म का नाम याद नहीं है, मगर उसके विलेन गुलशन ग्रोवर द्वारा कही एक बात आज भी जहन में है. फिल्म में गुलशन ने कहा था कि,'जिंदगी का मजा खट्टे में है.' एक आदर्श भारतीय होने के नाते मुझे अचार बहुत पसंद है. खट्टा, मीठा या तीखा कैसा भी हो, मुझे अपनी थाली में अचार देखना अच्छा लगता है. कई बार ऐसा होता है कि खाना खाते वक़्त अगर थाली में अचार न आए तो खाना भले ही कितना भी स्वादिष्ट क्यों न बना हो, वो कुछ अधूरा सा लगता है.

अचार के प्रति केवल मेरा दीवानापन कोई अकेला नहीं है. इस देश में तमाम ऐसे लोग हैं जो मेरी तरह हैं, और जिन्हें अचार पसंद है. प्रायः ये देखा गया है कि ऐसे लोगों के घरों में भांति-भांति के अचार होते हैं. खैर बात अभी कुछ दिनों पहले की है. मेरे पास एक दोस्त का फोन आया और शुरुआती बातचीत के बाद उसने मुझे मेरे अचार प्रेम के प्रति आगाह करते हुए सुझाव दिया कि 'अब किसी के सामने ये हरगिज न बोलना कि तुम अचार के शौकीन हो.' इतनी बात कहकर उसने फोन काट दिया.

मैन्फोर्स ने जो मेरे साथ किया है उसके लिए मैं उसे कभी माफ नहीं करूंगा

दोस्त की बात सुनकर पहले तो मेरी समझ में कुछ भी नहीं आया और मैंने उसे नजरंदाज करने का प्रयास किया. फिर जब बात जानने के लिए इंटरनेट का सहारा लिया तो पता चला कि अब सच में, मेरे और आपके अचार के अच्छे दिन लद गए हैं. जल्द ही ये हमारे किचन से निकलकर बेड रूम में दस्तक देने वाला है. जी हां इसे पढ़कर आपको भी कन्फ्यूज होने की जरूरत नहीं है. बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. खबर है कि कंडोम निर्माता कम्पनी मैनफोर्स जल्द ही अपना 'अचारी' फ्लेवर कंडोम मार्केट में लाने वाली है.

सबसे पहले तो मैं मैनफोर्स कम्पनी के उस क्रिएटिव डायरेक्टर को झुक के सलाम करना चाहूंगा जिसके दिमाग में ये बेमिसाल आईडिया आया. ऐसा...

कई सालों पहले एक फिल्म आई थी. फिल्म का नाम याद नहीं है, मगर उसके विलेन गुलशन ग्रोवर द्वारा कही एक बात आज भी जहन में है. फिल्म में गुलशन ने कहा था कि,'जिंदगी का मजा खट्टे में है.' एक आदर्श भारतीय होने के नाते मुझे अचार बहुत पसंद है. खट्टा, मीठा या तीखा कैसा भी हो, मुझे अपनी थाली में अचार देखना अच्छा लगता है. कई बार ऐसा होता है कि खाना खाते वक़्त अगर थाली में अचार न आए तो खाना भले ही कितना भी स्वादिष्ट क्यों न बना हो, वो कुछ अधूरा सा लगता है.

अचार के प्रति केवल मेरा दीवानापन कोई अकेला नहीं है. इस देश में तमाम ऐसे लोग हैं जो मेरी तरह हैं, और जिन्हें अचार पसंद है. प्रायः ये देखा गया है कि ऐसे लोगों के घरों में भांति-भांति के अचार होते हैं. खैर बात अभी कुछ दिनों पहले की है. मेरे पास एक दोस्त का फोन आया और शुरुआती बातचीत के बाद उसने मुझे मेरे अचार प्रेम के प्रति आगाह करते हुए सुझाव दिया कि 'अब किसी के सामने ये हरगिज न बोलना कि तुम अचार के शौकीन हो.' इतनी बात कहकर उसने फोन काट दिया.

मैन्फोर्स ने जो मेरे साथ किया है उसके लिए मैं उसे कभी माफ नहीं करूंगा

दोस्त की बात सुनकर पहले तो मेरी समझ में कुछ भी नहीं आया और मैंने उसे नजरंदाज करने का प्रयास किया. फिर जब बात जानने के लिए इंटरनेट का सहारा लिया तो पता चला कि अब सच में, मेरे और आपके अचार के अच्छे दिन लद गए हैं. जल्द ही ये हमारे किचन से निकलकर बेड रूम में दस्तक देने वाला है. जी हां इसे पढ़कर आपको भी कन्फ्यूज होने की जरूरत नहीं है. बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. खबर है कि कंडोम निर्माता कम्पनी मैनफोर्स जल्द ही अपना 'अचारी' फ्लेवर कंडोम मार्केट में लाने वाली है.

सबसे पहले तो मैं मैनफोर्स कम्पनी के उस क्रिएटिव डायरेक्टर को झुक के सलाम करना चाहूंगा जिसके दिमाग में ये बेमिसाल आईडिया आया. ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसा अविष्कार कोई साधारण दिमाग नहीं सोच सकता. इसे अंजाम किसी विरले के द्वारा ही दिया जा सकता है. आप खुद कल्पना करके देखिये एक तो कंडोम ऊपर से अचारी. मतलब मेरी तो समझ में नहीं आ रहा कि कम्पनी लोगों को सुरक्षित सेक्स के लिए मोटिवेट कर रही है या फिर छोटी दूरी की यात्राओं के दौरान रेलवे के अन हाइजिनिक खाने से बचाने के लिए नाश्ता पैक कर रही है.

सबसे मजे की बात ये है कि इस कंडोम के विषय में कम्पनी ने भी अलग किस्म का तर्क दिया है. कम्पनी का मानना है कि, 'इससे युवाओं में निजी रिश्तों का खट्टापन बना रहेगा'. चलिए एक बार मान भी लें कि ये कपल्स को प्राइवेट पलों में खट्टेपन का एहसास कराएगा. मगर सोचने वाली बात ये है कि कम्पनी ने इस अनोखे आविष्कार के लिए अचार को ही क्यों चुना.

इस तरह के अनोखे एक्सपेरिमेंट के लिए कम्पनी अपने शुरूआती दिनों में चटनी, केचअप, सिरके या फिर मेयोनीज का भी सहारा ले सकती थी. जब इतने विकल्प मौजूद थे तो फिर कम्पनी द्वारा, सीधा अचार पर हाथ डालना ये साफ बता रहा है कि कम्पनी को आम भारतीयों की भावना का कोई ख्याल नहीं है. कम्पनी द्वारा की गयी इस हरकत के लिए निश्चित तौर पर कठोर कदम उठाते हुए कड़ी निंदा होनी चाहिए.

ये कोई आज की बात नहीं है. मैं काफी लम्बे समय से मैनफोर्स से परेशान था. इन्होंने पूर्व में स्ट्रॉबेरी, जैसमीन, बबल गम, ब्लैक ग्रेप, कॉफ़ी, चॉकलेट, ग्रीन एप्पल, ऑरेंज, बनाना, बटरस्कॉच, पाइन एप्पल, हेजेलनट जैसे फ्लेवर निकाल के मुझे वैसे भी काफी दुःख दिए थे. आज अचारी फ्लेवर लांच कर इन्होंने एक बार फिर मेरी अगस्त की उमस में कूलर चलाके सो रही भावना को आहत किया है.

मुझे लगता है कि कम्पनी, एक कंडोम निर्माता कंपनी ही बनी रहे तो बेहतर है. जिस तरह आज ये हमारी रसोई और खाने की मेज पर घुस रही है वो किसी भी तरह अच्छी बात नहीं है. कह सकते हैं कि ये हम भारतीयों की भावना पर गहरा आघात है. अचारी फ्लेवर लांच करने के बाद कम्पनी का ये बर्ताव साफ बता रहा है कि अब ये हमारी दादी नानी बनने का प्रयास कर रही है.

बहरहाल, कुल मिलाकर बात ये है कि कम्पनी ने मेरे साथ बिल्कुल भी अच्छा नहीं किया है और मुझे धोखा दिया है. इस खबर से मैं इतना आहत हूं कि अब मैंने ये सोच लिया है कि, मैं भविष्य में कभी भी अचार नहीं खाऊंगा. ऐसा नहीं कि मुझे अचार पसंद नहीं है बस बात ये है कि अब शायद अचार खाते हुए वैसा फील न आए जो कभी पहले आया करता था.

मैं चाहता हूं कि सम्पूर्ण भारत वासी मैनफोर्स कम्पनी द्वारा की गयी इस हरकत की आलोचना करें. यदि लोग ऐसा नहीं करते हैं तो फिर उन्हें तब आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए जब भविष्य में उन्हें मेडिकल स्टोर पर कढ़ी चावल फ्लेवर, राजमा, जीरा राइस, कश्मीरी पुलाव, गार्लिक नान, मटन/ चिकन बिरयानी, टिंडे-लौकी, सींख कबाब, तंदूरी चिकन, मशरूम मटर मसाला, कढ़ाई पनीर, मटन रोगन जोश जैसे अलग-अलग फ्लेवरों में कंडोम मिले.

मैं इस देश की जनता से अपील करता हूं कि उसे जो करना है वो आज करें. ऐसा इसलिए क्योंकि अगर विरोध आज न हुआ तो हमारा सारा किचन उठकर हमारे बेड रूम में आ जाएगा और तब हम आंखों में बेबसी और मायूसी लिए बस उसे देखते रह जाएंगे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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