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Ranbir Kapoor, क्या हर आशिक आशावादी होता है, जिसे Get Lost में भी उम्मीद दिखती है!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 09 जनवरी, 2021 01:18 PM
  • 09 जनवरी, 2021 01:17 PM
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एक्टर Ranbir Kapoor की ज़िन्दगी से जुड़ा एक किस्सा वायरल हो रहा है, जिसमें जब वो Hollywood Actress Natalie Portman से बातचीत करने गए तो मारे गुस्से के उन्होंने रणबीर को Get Lost (दफा हो जाओ) कह दिया. किस्सा सुनकर यूनिवर्सिटी के दिन और यूनिवर्सिटी में पाए जाने वाले तरह तरह के नमूने याद आ गए जिन्हें Get Lost में भी उम्मीद की किरण दिखाई देती थी.

जिस दिन काम न हो और बोरियत हो. या फिर वो दिन जब काम ज्यादा करते करते बोरियत का एहसास हो जाए तो यूनिवर्सिटी/ कॉलेज के दिन याद कर लो अपना दो ढाई घंटे का टाइम पास हो जाता है. सच में क्या क्या नमूने थे यूनिवर्सिटी में. मतलब अगर आज उन दोस्तों की खूबी बताने बैठ जाऊं तो किताब तैयार हो जाए, जो अगर अमेज़न फ्लिपकार्ट जैसे किसी प्लेटफॉर्म पर बिके तो मुझे मालामाल कर दे. यूनिवर्सिटी में अतरंगे दोस्त थे अपने, कुछ नेतानगरी वाले तो कुछ खाटी आशिकमिजाज. जो नेतागिरी में थे उनका अड्डा छात्रसंघ भवन था. इस छात्र नेता के समोसे, उस छात्र नेता की पकौड़ी और जो नए नए नेता बनते उनकी चाय और सिगरेट 'पॉलिटिकल लॉबी' की दिनचर्या यही रहती। वहीं जो आशिक़ मिजाज दोस्त थे, न तो उनसे यूनिवर्सिटी का साइकिल स्टैंड ही बच पाया। न ही कैंटीन. जहां तितलियां दिखतीं ये लोग भी भौरे की तरह मंडराते. विजिटिंग कार्ड बनवाने के न तो इनके पास पैसे थे और न ही ये लोग उस बात का लोड लेते थे. सफेद कागज या फिर वो रजिस्टर जो उन्होंने अपनी पिछली जेब में रखा होता वो 'तितलियों' को नम्बर बांटने के काम आता. जो बात है ये आशिक़ मिजाज लोग थे दिल के बड़े मजबूत. लड़की मान गयी तो ठीक वरना उसके Get Lost से कौन सा इनका कुछ बिगड़ना था. इन दोस्तों की ज़िंदगी का बस एक्कै मकसद था, ये गई है, वो आएगी.

रणबीर के नताली वाले किस्से ने कई पुरानी यादों को ताजा कर दिया

चाहे खुशबूदार तेल हो या फिर डियो, जेल, महंगे गैजेट से लेकर ठीक ठाक पैसे सब इनकी जेब में होते. कई बार इन लोगों से बात हुई तो ये लोग इन हथियारों को चारा बताते और कहते कि अगर सही वक्त पर इन चीजों का इस्तेमाल किया जाए तो मछली नहीं, मछलियां फसेंगी और भरपूर फसेंगी. जैसा कि हमने बता दिया जब बात 'इश्क़'...

जिस दिन काम न हो और बोरियत हो. या फिर वो दिन जब काम ज्यादा करते करते बोरियत का एहसास हो जाए तो यूनिवर्सिटी/ कॉलेज के दिन याद कर लो अपना दो ढाई घंटे का टाइम पास हो जाता है. सच में क्या क्या नमूने थे यूनिवर्सिटी में. मतलब अगर आज उन दोस्तों की खूबी बताने बैठ जाऊं तो किताब तैयार हो जाए, जो अगर अमेज़न फ्लिपकार्ट जैसे किसी प्लेटफॉर्म पर बिके तो मुझे मालामाल कर दे. यूनिवर्सिटी में अतरंगे दोस्त थे अपने, कुछ नेतानगरी वाले तो कुछ खाटी आशिकमिजाज. जो नेतागिरी में थे उनका अड्डा छात्रसंघ भवन था. इस छात्र नेता के समोसे, उस छात्र नेता की पकौड़ी और जो नए नए नेता बनते उनकी चाय और सिगरेट 'पॉलिटिकल लॉबी' की दिनचर्या यही रहती। वहीं जो आशिक़ मिजाज दोस्त थे, न तो उनसे यूनिवर्सिटी का साइकिल स्टैंड ही बच पाया। न ही कैंटीन. जहां तितलियां दिखतीं ये लोग भी भौरे की तरह मंडराते. विजिटिंग कार्ड बनवाने के न तो इनके पास पैसे थे और न ही ये लोग उस बात का लोड लेते थे. सफेद कागज या फिर वो रजिस्टर जो उन्होंने अपनी पिछली जेब में रखा होता वो 'तितलियों' को नम्बर बांटने के काम आता. जो बात है ये आशिक़ मिजाज लोग थे दिल के बड़े मजबूत. लड़की मान गयी तो ठीक वरना उसके Get Lost से कौन सा इनका कुछ बिगड़ना था. इन दोस्तों की ज़िंदगी का बस एक्कै मकसद था, ये गई है, वो आएगी.

रणबीर के नताली वाले किस्से ने कई पुरानी यादों को ताजा कर दिया

चाहे खुशबूदार तेल हो या फिर डियो, जेल, महंगे गैजेट से लेकर ठीक ठाक पैसे सब इनकी जेब में होते. कई बार इन लोगों से बात हुई तो ये लोग इन हथियारों को चारा बताते और कहते कि अगर सही वक्त पर इन चीजों का इस्तेमाल किया जाए तो मछली नहीं, मछलियां फसेंगी और भरपूर फसेंगी. जैसा कि हमने बता दिया जब बात 'इश्क़' या ये कहें कि गर्ल फ्रेंड बनाने की आती तो इनकी आंखों में पड़ा शर्म का बाल टूटकर गिर जाता.

जहां से 'Get Lost' होता ये उस 'टेंडर' को दूसरे आशिक को दे देते और वो जो अभी कुछ घंटे पहले तक इनकी सजनी थी वो कुछ ही घंटे में इनकी भाभीजी हो जाती. आशिक मिजाज चाहे स्कूल कॉलेज के हों या फिर यूनिवर्सिटी और वर्कप्लेस के इनके कॉन्सेप्ट क्लियर और एजेंडा एकदम सेट है. कांसेप्ट से लेकर एजेंडे तक ये लॉबी कहीं 19 नहीं होती ये 20 रहे हैं आगे 20 फिर 21 और 22 होते जाएंगे.

बात साफ है भले ही हम और आप इन 'आशिक मिजाजों को इनके महबूब के साथ देखकर या महबूबों की इतनी मात्रा देखकर खार खाएं और इनकी किस्मत पर रश्क करें लेकिन जो इनका तरीका होता है वो मन मोह लेने वाला होता है. कहीं स्वीकारे जाने और कहीं रिजेक्ट होने वाले इन लोगों को देखकर न चाहते हुए भी मशहूर शायर 'अकबर इलाहाबादी' का वो शेर दिमाग में गोते खाने लगता है जिसमें शायर ने कहा था

मेरा ईमान क्या पूछती हो मुन्नी,

शिया के साथ शिया सुन्नी के साथ सुन्नी.

मैंने ऊपर ही कहा था कि यदि मैं यूनिवर्सिटी और वहां के किस्सों का जिक्र करूं तो न जाने कब सुबह से शाम हो जाए और कोई हिट किताब बनकर तैयार हो जाए. यूनिवर्सिटी के पुराने दिन मुझे यूं ही नहीं याद आए. पुरानी यादों में जाने की माकूल वजह है मेरे पास.

दरअसल बात ये है कि कपिल शर्मा के एक शो में तमाम लड़कियों के दिल की धड़कन एक्टर रणबीर कपूर ने ये खुलासा किया था कि एक बार वो इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल में शिरकत करने विदेश गए थे. उस दौरान उन्होंने हॉलीवुड एक्ट्रेस Natalie Portman को देखा. वह उनके पीछे दौड़े. रणबीर , नताली से बात करना चाहते थे.

कपिल के शो में रणबीर ने बताया था कि, मैं नताली पोर्टमैन के पीछे भागा था. वो फोन पर बात कर रही थी और रो रही थी. मैं तुरंत उनके पीछे गया और कहा ‘I love you…’ इससे पहले कि मैं कहता ‘I love your work’ वो पटलीं और कहा Get Lost. यह सुनकर मेरा दिल टूट गया. लेकिन अगर दोबारा कभी वो मेरे सामने आईं तो मैं अब भी उनका पीछा करूंगा.

अब ये किस्सा है और यूनिवर्सिटी की यादें हैं. सच में आशिक़ मिजाज कमाल के होते हैं. बात जब लड़की या थोड़ी सभ्य भाषा में कहें तो महबूब की होती है तो भले ही रोजाना की ज़िंदगी में ये मन से बहुत मुलायम हों, लेकिन चूंकि केस लड़की को अपने पर फिदा करने का होता है इनके इरादे लोहा होते हैं. अपनी मंजिल में भले ही इन्हें Get Lost मिल जाए मगर एक उम्मीद की किरण होती है जो उन्हें उस Get Lost में दिखाई देती है. ऐसे लोगों का यही कहना होता है नाउम्मीद नहीं होना चाहिए. इश्क़ करने और फैलाने की चीज है इसे फैलते रहना चाहिए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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