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जब इटली में नानी ने राहुल के कान खींचे..

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 07 मार्च, 2018 12:20 PM
  • 07 मार्च, 2018 12:20 PM
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राहुल गांधी जानते थे कि उन्हें बड़ी हार मिलने वाली है अतः नागालैंड, त्रिपुरा और नागालैंड चुनाव के फौरन बाद वो घूमने अपनी नानी के घर इटली चले गए. आइये जानें नानी ने अपने प्यारे नाती राहुल से क्या कहा जिसने उनकी ज़िन्दगी का उद्देश्य बदल दिया.

"नानी का घर" किसी भी व्यक्ति के सामने कोई इतना कह दे बस. कई सारी यादें अपने आप ही जहां में ताजा हो जाती हैं. नानी का घर अगर गांव में हुआ तो खेत-खलिहान, दूर-दूर तक फैले बाग़-बगीचे, ट्यूबेल, गाय-भैंसें, हरियाली, प्रकृति और यदि नानी का घर शहर में हुआ, तो तरह-तरह के खेल, मिठाई, पकवान, हुल्लड़- हुड़दंग. कोई रोक टोक नहीं. न पढ़ाई-लिखाई से मतलब, न ट्यूशन  वाले टीचर का खौफ़. नानी के घर में सिर्फ मस्ती होती है, ढेर सारी मस्ती. बिना किसी शक के कहा जा सकता है कि नानी का घर सभी बच्चों को अच्छा लगता है.

एक कहावत है कि, हर इंसान के अन्दर एक बच्चा होता है. इंसान कितना भी बड़ा हो जाए, उसके अन्दर रहने वाला ये बच्चा कभी बड़ा नहीं होता है. हमारी आपकी तरह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के अन्दर भी एक बड़ा प्यारा सा, मासूम सा बच्चा है. वो मासूम बच्चा जो मौके बेमौके राहुल को शरारत करने के लिए मजबूर करता है.  इस बच्चे के बहकावे या ये कहें कि इसकी बचकानी फरमाइशों के आगे राहुल मजबूर हो जाते हैं और कुछ ऐसा कर जाते हैं जिसके बाद चर्चा, आलोचना, आरोप- प्रत्यारोप का दौर शुरू हो जाता है.

चुनाव हारने के बाद राहुल नानी के घर क्या गए आलोचना का दौर शुरू हो गया

खैर, ये राहुल के अन्दर का बच्चा ही है जो इन्हें नानी के घर ले गया. तो बस कल्पना करिए उस पल की जब नागालैंड, मेघालय के चुनावों के परिणाम आने से पहले ही राहुल अपनी नानी से मिलने उनके घर इटली गए और नानी ने अपने राजदुलारे का स्वागत किया था. पेश है एक काल्पनिक संवाद. एक ऐसा संवाद जिसमें आपको पता चलेगा कि जब राहुल या फिर उनके उनके अन्दर का बच्चा अपनी 93 साल की नानी से मिला तो क्या-क्या बातें हुईं. नानी के घर में, नानी ने अपने नाती राहुल गांधी से क्या कहा और किन चीजों को गांठ बांध कर रखने को...

"नानी का घर" किसी भी व्यक्ति के सामने कोई इतना कह दे बस. कई सारी यादें अपने आप ही जहां में ताजा हो जाती हैं. नानी का घर अगर गांव में हुआ तो खेत-खलिहान, दूर-दूर तक फैले बाग़-बगीचे, ट्यूबेल, गाय-भैंसें, हरियाली, प्रकृति और यदि नानी का घर शहर में हुआ, तो तरह-तरह के खेल, मिठाई, पकवान, हुल्लड़- हुड़दंग. कोई रोक टोक नहीं. न पढ़ाई-लिखाई से मतलब, न ट्यूशन  वाले टीचर का खौफ़. नानी के घर में सिर्फ मस्ती होती है, ढेर सारी मस्ती. बिना किसी शक के कहा जा सकता है कि नानी का घर सभी बच्चों को अच्छा लगता है.

एक कहावत है कि, हर इंसान के अन्दर एक बच्चा होता है. इंसान कितना भी बड़ा हो जाए, उसके अन्दर रहने वाला ये बच्चा कभी बड़ा नहीं होता है. हमारी आपकी तरह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के अन्दर भी एक बड़ा प्यारा सा, मासूम सा बच्चा है. वो मासूम बच्चा जो मौके बेमौके राहुल को शरारत करने के लिए मजबूर करता है.  इस बच्चे के बहकावे या ये कहें कि इसकी बचकानी फरमाइशों के आगे राहुल मजबूर हो जाते हैं और कुछ ऐसा कर जाते हैं जिसके बाद चर्चा, आलोचना, आरोप- प्रत्यारोप का दौर शुरू हो जाता है.

चुनाव हारने के बाद राहुल नानी के घर क्या गए आलोचना का दौर शुरू हो गया

खैर, ये राहुल के अन्दर का बच्चा ही है जो इन्हें नानी के घर ले गया. तो बस कल्पना करिए उस पल की जब नागालैंड, मेघालय के चुनावों के परिणाम आने से पहले ही राहुल अपनी नानी से मिलने उनके घर इटली गए और नानी ने अपने राजदुलारे का स्वागत किया था. पेश है एक काल्पनिक संवाद. एक ऐसा संवाद जिसमें आपको पता चलेगा कि जब राहुल या फिर उनके उनके अन्दर का बच्चा अपनी 93 साल की नानी से मिला तो क्या-क्या बातें हुईं. नानी के घर में, नानी ने अपने नाती राहुल गांधी से क्या कहा और किन चीजों को गांठ बांध कर रखने को कहा.

राहुल फ्लाइट से उतर चुके हैं और बैगेज काउंटर से अपना लगेज ले रहे हैं. चूंकि उनके आने की सूचना पहले ही मिल चुकी थी अतः ड्राइवर भी हाथ में तख्ती लेकर एअरपोर्ट आ गया था. राहुल को भी अपने ड्राइवर को ढूंढने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई. घर से एअरपोर्ट कुछ दूर था. अतः राहुल भी गाड़ी की पिछली सीट पर, आधी खिड़की खोलकर, उस खिड़की में लगे शीशे पर सिर की टेक लगाए चौड़ी-चौड़ी सड़कें और बीच बीच में पड़ने वाले घरों के गार्डन को निहार रहे थे.

नानी का घर आ गया. अच्छा चूंकि नानी 93 साल की थीं, तो उनकी सेवा में चार-छह नौकर लगे थे. दरवाजा नौकर ने ही खोला. राहुल ने भी ट्रॉली को किनारे रख बिना ब्रश मंजन के पहले नानी से मिलने की सोची. राहुल नानी के कमरे में गए. नानी को भी राहुल को देखे हुए दो चार महीने हुए थे . नानी हमारी भारतीय नानियों से उलट बिल्कुल फिट थीं उन्होंने राहुल को गले लगा लिया और उनका माथा चूमा.

ये कोई पहली बार नहीं है जब हार के राहुल गांधी विदेश गए हों

राहुल भी नानी के गले में बाहें डाले थे सवाल किया कि "ग्रैंडमॉम! कैसी हैं आप"?

अब तक राहुल की नानी की भी हिन्दी अच्छी हो चुकी थी. बोला, मैं ठीक हूं. मगर तुम ठीक नहीं लग रहे हो!

राहुल - हां नानी आजकल बहुत टेंशन है. मोदी जी का नाम तो आपने भी सुना ही होगा. जिस दिन से आए हैं सिर में दर्द करके रख दिया है. कभी 60 साल का शासन और शहजादा तो कभी सूट बूट कुछ न मिला तो जीजा जी. जब देखे तब मेरी आलोचना. आपको पता है नानी. इनके चक्कर में मैंने पोगो पर आने वाला अपना पसंदीदा प्रोग्राम छोटा भीम भी देखना बंद कर दिया है. चॉकलेट, आइसक्रीम सब छोड़ दिया है.  इसके बाद नानी के सामने पानी पी-पीकर राहुल ने अगले 25 मिनट तक देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बुराई की.

नानी ने भी एक कुशल श्रोता का परिचय देते हुए राहुल की बात बड़े ही धैर्य के साथ सुनी और डपटते हुए कहा - गलती मोदी की नहीं है. गलती तुम लोगों की है. तुम लोगों ने बस 60 साल सत्ता सुख भोगा और उन छोटी-छोटी चीजों को इग्नोर किया जो बड़े परिणाम दे सकती थीं. जो तुम लोगों के साथ हो रहा है उसके जिम्मेदार तुम लोग हो.

कहा जा सकता है कि नागालैंड और मेघालय में हारना राहुल के लिए एक बड़ी हार है

राहुल - क्या नानी आप भी ! आप भी मुझे ही डांट रही हैं. मैं निर्दोष हूं मेरा कोई कुसूर नहीं है

नानी - चुप, एकदम चुप! बड़ा आया कुसूर नहीं है. देख राहुल मुझे तेरे यहां आने पर या कहीं भी जाने पर कोई प्रॉब्लम नहीं है. मगर इतना समझ जिस वक़्त तेरी पार्टी के लोगों और कार्यकर्ताओं को तेरे मार्गदर्शन की ज़रूरत है तो यहां घूम रहा है.

राहुल (थोड़ा खफा होते हुए) तो आप क्या चाहती हैं मैं आपसे मिलने आपके घर न आया करूं ?

नानी (परिस्थिति कंट्रोल करते हुए) अरे नहीं तू तो मेरा राजा बेटा है. रुक मैं तेरे लिए तेरा फेवरेट थीं क्रस्ट पिज़्ज़ा आर्डर करती हूं. तब तक जा हाथ मुंह धो ले.

अब राहुल को समझना होगा कि उनके पास जिम्मेदारियां बड़ी हैं

राहुल चुपचाप उठे और नौकर से साफ तौलिया मांगकर बाथरूम चले गए शावर लेने के लिए. शावर लेते वक़्त उनके दिमाग में पिज़्ज़ा से निकलने वाली चीज़ की भीनी भीनी खुशबू नहीं बल्कि नानी की कचोटती बातें थीं, जल्दी-जल्दी शावर लेकर राहुल बाहर आ गए. चूंकि इटली था तो पिज़्ज़ा की भी होम डिलीवरी घर पर हो गयी.

पिज़्ज़ा पर चिल्ली फ्ल्केस और सीजनिंग छिड़कते हुए एक बार फिर से नानी ने राहुल को समझाने का काम किया. नानी ने कहा कि "देखो राहुल! भारत की राजनीति बहुत जटिल है. वहां तुम्हारे हर स्टेप को बारीकी से मॉनिटर  किया जा रहा है. इसके अलावा पिछले 60 बरसों से तुम्हारी पार्टी ने ऐसा कुछ किया भी नहीं जिसके लिए तुम्हें या तुम्हारी पार्टी की तारीफ की जाए.फिल्हाल राहुल के लिए अपना खोया जनाधार वापस लाना एक बड़ा काम है

नानी अपनी बात कह रही थीं और दाएं हाथ में पिज़्ज़ा और बाएं हाथ में कैचप का सैशे पकड़े राहुल गंभीरता से उनकी कही एक एक बात को बड़े ही ध्यान से सुन रहे थे. पिज़्ज़ा की बाइट लेते हुए उन्होंने नहीं से कहा कि नानी आप ठीक कह रही हैं. मैंने हर बार हर मुश्किल परिस्थिति में अपने साथियों को छोड़कर एक भारी भूल की है. मुझे अपने लोगों के बीच जाना होगा. मुझे अपने सबसे बड़े आलोचक देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सामना उनके सामने रहकर ही करना होगा. मैं वादा करता हूं नानी अब कभी दोबारा ऐसी गलती न होगी.

और फिर पिज़्ज़ा खाकर और कुछ देर आराम करने के बाद राहुल फिर "नए जोश" और नानी के आशीर्वाद के साथ इंडिया वापस आ गए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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