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नोटबंदी के बाद चेकबंदी! एक ही दिल था, नवंबर में, मोदी जी फिर न तोड़ दें

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 22 नवम्बर, 2017 11:28 AM
  • 22 नवम्बर, 2017 11:28 AM
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नोटबंदी के दर्द से अभी सवा सौ करोड़ देश वासी उभर भी नहीं पाए थे कि मोदी जी ने चेकबंदी की प्लानिंग कर ली. नवंबर और मोदी को देखकर लगता है कि मोदी की नवंबर से कोई बड़ी दुश्मनी है.

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वाभाव से सज्जन और ईमानदार आदमी हैं. अगर मुझे किसी गाने के जरिये उन्हें डिस्क्राइब करना हो तो मैं बस यही कहूँगा कि "मोदी जी ने विदेशों में जमा काला धन वापस लाने की कसम खाई है/ उनकी इस मुहीम ने हम जैसे आम लोगों की नींद उड़ाई है, उड़ाई है... मोदी जी ने विदेशों में जमा काला धन वापस लाने की कसम खाई है'. पिछले साल से पहले तक नवंबर केवल "नो शेव नवंबर" के चलते जाना जाता था लोग बढ़ी हुई दाढ़ी में फोटो डालते और लाइक कमेन्ट बटोरते थे.

वैसे पिछले साल मैंने भी 8 नवंबर के बाद वाले हफ्ते में नो शेव नवम्बर मनाया था. ऐसा नहीं था कि मैं इस अभियान में किसी सोशल मीडिया ट्रेंड के चलते जुड़ा था या मुझे कोई हैशटैग पसंद आ गया था. बात बस इतनी थी की नोटबंदी के बाद मेरे पास शेव कराने के लिए नोट ही नहीं थे तो मेरा भी नो शेव नवंबर हो गया था.

गत वर्ष हुई नोटबंदी से पूरे देश को बड़ी परेशानी हुई थी

आज भी जब मैं अकेले होता हूं तो मुझे विचार आता है कि नवंबर से मोदी जी की कोई पुरानी बुरी याद जुड़ी हुई है. नवंबर उनके कैलेंडर का या तो अमरेश पुरी है या फिर रंजीत. मुझे ये भी महसूस होता है कि मोदी जैसा हीरो, इस विलेन को कैलेंडर से निकाल बाहर करना चाहता है. मुझे पूरा यकीन है कि मोदी जी की नवंबर से दुश्मनी कोई छोटी मोटी नहीं है. कैलेंडर में जैसे ही ये महीना आता है मोदी जी को पुरानी दुश्मनी याद आ जाती है और वो कोई ऐसा बड़ा फैसला कर देते हैं जिससे नवंबर के साथ साथ सवा सौ करोड़ देशवासी जिसमें भाई और बहन दोनों शामिल हैं प्रभावित होते हैं.

2016 वाले नवंबर में मोदी जी ने नोटबंदी की थी और 2017 वाले इस नवंबर में मोदी जी का प्लान है चेकबंदी करने का. जी हां घबराने की आदत आपको पुरानी है और शायद आप घबराने को स्वीकार भी कर चुके हैं मगर जो हम बता रहे...

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वाभाव से सज्जन और ईमानदार आदमी हैं. अगर मुझे किसी गाने के जरिये उन्हें डिस्क्राइब करना हो तो मैं बस यही कहूँगा कि "मोदी जी ने विदेशों में जमा काला धन वापस लाने की कसम खाई है/ उनकी इस मुहीम ने हम जैसे आम लोगों की नींद उड़ाई है, उड़ाई है... मोदी जी ने विदेशों में जमा काला धन वापस लाने की कसम खाई है'. पिछले साल से पहले तक नवंबर केवल "नो शेव नवंबर" के चलते जाना जाता था लोग बढ़ी हुई दाढ़ी में फोटो डालते और लाइक कमेन्ट बटोरते थे.

वैसे पिछले साल मैंने भी 8 नवंबर के बाद वाले हफ्ते में नो शेव नवम्बर मनाया था. ऐसा नहीं था कि मैं इस अभियान में किसी सोशल मीडिया ट्रेंड के चलते जुड़ा था या मुझे कोई हैशटैग पसंद आ गया था. बात बस इतनी थी की नोटबंदी के बाद मेरे पास शेव कराने के लिए नोट ही नहीं थे तो मेरा भी नो शेव नवंबर हो गया था.

गत वर्ष हुई नोटबंदी से पूरे देश को बड़ी परेशानी हुई थी

आज भी जब मैं अकेले होता हूं तो मुझे विचार आता है कि नवंबर से मोदी जी की कोई पुरानी बुरी याद जुड़ी हुई है. नवंबर उनके कैलेंडर का या तो अमरेश पुरी है या फिर रंजीत. मुझे ये भी महसूस होता है कि मोदी जैसा हीरो, इस विलेन को कैलेंडर से निकाल बाहर करना चाहता है. मुझे पूरा यकीन है कि मोदी जी की नवंबर से दुश्मनी कोई छोटी मोटी नहीं है. कैलेंडर में जैसे ही ये महीना आता है मोदी जी को पुरानी दुश्मनी याद आ जाती है और वो कोई ऐसा बड़ा फैसला कर देते हैं जिससे नवंबर के साथ साथ सवा सौ करोड़ देशवासी जिसमें भाई और बहन दोनों शामिल हैं प्रभावित होते हैं.

2016 वाले नवंबर में मोदी जी ने नोटबंदी की थी और 2017 वाले इस नवंबर में मोदी जी का प्लान है चेकबंदी करने का. जी हां घबराने की आदत आपको पुरानी है और शायद आप घबराने को स्वीकार भी कर चुके हैं मगर जो हम बता रहे हैं वो बिल्कुल सही बात है. खबर है कि पिछले बरस नवंबर में नोटबंदी कर देश की जनता को कतार में खड़ा कर चुके मोदी जी एक बार फिर कुछ तूफानी करने वाले हैं पिछली बार उन्होंने नोट बंद किये थे इस बार वो चेक बंद करने के बारे में विचार कर रहे हैं. ज्ञात हो कि ऐसा करने के पीछे मोदी जी का उद्देश्य बस इतना है कि इससे देश भ्रष्टाचार मुक्त हो और कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा मिले.

अब प्रधानमंत्री चेक बंद करने वाले हैं ये भी एक भारी आघात देने वाली खबर है

सरकार बैंकों से मिलने वाले चेक की सुविधा को बंद करना चाहती है. एनडीटीवी पर चल रही एक खबर के अनुसार फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स  (सीएआईटी)  का कहना है कि केंद्र की मोदी सरकार जल्द ही चेक की व्यवस्था को खत्म करने का आदेश जारी कर सकती है. संगठन के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि बीते कुछ समय से सरकार क्रेडिट और डेबिट कार्डों के इस्तेमाल को लगातार बढ़ावा दे रही है, और इसे अधिक सुचारु और लोकप्रिय बनाने के लिए वह चेकबुक की सुविधा को भी खत्म कर सकती है. ध्यान रहे कि वर्तमान परिदृश्य में चेक के विषय में सीएआईटी के महासचिव का मत है कि आज भी देश में 95 फीसदी लेनदेन नकदी या चेक के जरिए ही होता है.

खबर बस इतनी ही थी इसके बाद जो होगा वो फसाना होगा. अभी इस देश की जनता खासतौर से हम जैसे लोग नोटबंदी के उस दंश से बाहर ही नहीं निकल पाए थे कि अब ये चेकबंदी. भगवान झूठ न बुलाए मगर जो हालात हैं उनको देखकर लग रहा है किनवंबर से मोदी जी की इस लड़ाई में नॉक आउट हम जैसे सवा सौ करोड़ देशवासी जिसमें भाई और बहन दोनों शामिल है, होंगे. ये कहना मेरे लिए अतिश्योक्ति नहीं है कि इस नवंबर ने पिछले साल मेरी रातों की नींद उड़ाई थी और इस बार ये मेरा दिन का चैन भी उड़ा देगा.   

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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