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मोदी जी का सबसे बड़ा दावा धाराशायी !

    • आलोक रंजन
    • Updated: 26 अक्टूबर, 2016 08:05 PM
  • 26 अक्टूबर, 2016 08:05 PM
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वर्ल्ड बैंक की तजा रिपोर्ट ने मोदी सरकार के विकास के दावों पर एक तरह से प्रश्न चिन्ह लगाया हैं. बताया गया है कि भारत में कारोबार करने के हालात में कोई खास फर्क नहीं पड़ा है.

भारत बिजनेस करने में आसानी वाले देशों की रैकिंग के मामले में इस साल भी नीचे स्थान पर है. वर्ल्ड बैंक की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक भारत सूची में 130वें पायदान पर है. विश्वबैंक की ताजा ‘डूइंग बिजनेस' रिपोर्ट में भारत की स्थिति में पिछले साल के मुकाबले कोई सुधार नहीं हुआ है. विभिन्न मानदंडों के आधार पर भारत 190 देशों में 130वें पायदान पर था. हालांकि पिछले साल की रैंकिंग को संशोधित कर 131वां कर दिया गया है. इस लिहाज भारत ने एक पायदान का सुधार किया है.

भारत सरकार प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में व्यापार सुगमता के लिये काफी प्रयास कर रही हैं. सरकार का लक्ष्य देश को सूची में शीर्ष 50 में लाना है. वर्ल्ड बैंक की  रैंकिंग में कोई सुधार नहीं होने पर भारत ने निराशा व्यक्त की और कहा कि रिपोर्ट में कई प्रमुख सुधारों पर विचार नहीं किया गया जिसे सरकार कर रही है. इस  'डूइंग बिजनेस' की सूची में न्यूजीलैंड पहले स्थान पर जबकि सिंगापुर दूसरे पायदान पर है.

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वर्ल्ड बैंक की तजा रिपोर्ट ने मोदी सरकार के विकास के दावों पर एक तरह से प्रश्न चिन्ह लगाया हैं.

 मंच से हुए दावों को आंकड़े झुठला रहे हैं

अस्थिर वैश्विक माहौल के बीच  भारत की 7.6 फीसदी इकोनॉमिक ग्रोथ रेट रहना वाकई काबिले तारीफ हैं. 2015-16  में  भारत एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन कर उभरी हैं.  मोदी सरकार...

भारत बिजनेस करने में आसानी वाले देशों की रैकिंग के मामले में इस साल भी नीचे स्थान पर है. वर्ल्ड बैंक की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक भारत सूची में 130वें पायदान पर है. विश्वबैंक की ताजा ‘डूइंग बिजनेस' रिपोर्ट में भारत की स्थिति में पिछले साल के मुकाबले कोई सुधार नहीं हुआ है. विभिन्न मानदंडों के आधार पर भारत 190 देशों में 130वें पायदान पर था. हालांकि पिछले साल की रैंकिंग को संशोधित कर 131वां कर दिया गया है. इस लिहाज भारत ने एक पायदान का सुधार किया है.

भारत सरकार प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में व्यापार सुगमता के लिये काफी प्रयास कर रही हैं. सरकार का लक्ष्य देश को सूची में शीर्ष 50 में लाना है. वर्ल्ड बैंक की  रैंकिंग में कोई सुधार नहीं होने पर भारत ने निराशा व्यक्त की और कहा कि रिपोर्ट में कई प्रमुख सुधारों पर विचार नहीं किया गया जिसे सरकार कर रही है. इस  'डूइंग बिजनेस' की सूची में न्यूजीलैंड पहले स्थान पर जबकि सिंगापुर दूसरे पायदान पर है.

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वर्ल्ड बैंक की तजा रिपोर्ट ने मोदी सरकार के विकास के दावों पर एक तरह से प्रश्न चिन्ह लगाया हैं.

 मंच से हुए दावों को आंकड़े झुठला रहे हैं

अस्थिर वैश्विक माहौल के बीच  भारत की 7.6 फीसदी इकोनॉमिक ग्रोथ रेट रहना वाकई काबिले तारीफ हैं. 2015-16  में  भारत एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन कर उभरी हैं.  मोदी सरकार के 'मेक इन इंडिया', 'स्किल इंडिया' जैसे प्रोग्रामों से भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने की कोशिश की गयी लेकिन वर्ल्ड बैंक की ताजा रिपोर्ट भारत के लिए निराशाजनक खबर लेकर आयी हैं.

हाल के दिनों में अगर हम देश के कुछ आर्थिंक मानकों पर नज़र डालेंगे तो ये बिलकुल साफ हैं की कुछ क्षेत्रो में विकास की गति बहुत चिंताजनक हैं. औद्योगिक उत्पादन में गिरावट होना, नौकरियों के पर्याप्त अवसर नहीं होना, एनपीए में लगातार इजाफा, एग्रीकल्चरल सेक्टर की धीमी गति, भारत में लघु एवं कुटीर उद्योगों का बुरा हाल, निजी कंपनियों के परिणाम उतने अच्छे नहीं होना, घटते निर्यात खाद्य सामानों के दामो में वृद्धि. अगर हम इन तथ्यों पर ध्यान दें तो भारत की स्थिति वास्तव में उतनी अच्छी नजर नहीं आतीं. जून 2016 में वर्ल्ड बैंक ने आंकड़े जारी किए थे और उसमे भारत को निम्न मध्य आय देशों की सूची में पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे देशों के साथ रखा था.

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तो क्या ये  समझें की दुनिया की तेजी से विकसित होती प्रमुख अर्थव्‍यवस्‍था में भी वैश्विक मंदी का असर दिखने लगा हैं? मोदी सरकार को सत्ता में आए करीब ढाई साल हो गए हैं. ये विरोधाभास ही हैं की सरकार एक तरफ आर्थिक प्रगति की उपलब्धिया गिना रही हैं वही दूसरी ओर कई आर्थिक मोर्चो पर सरकार पूरी तरह विफल रही हैं. यानी आंकड़े सरकार के दावों की असलियत बयान कर रहे हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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