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माेदी सरकार के लिए पेट्रोल-डीजल 1 पैसा सस्ता करने के मायने

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 30 मई, 2018 05:48 PM
  • 30 मई, 2018 05:48 PM
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पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 1 पैसे का फर्क पड़ा है जो आम आदमी के लिए तो कुछ भी नहीं है, लेकिन अगर सरकार और तेल कंपनियों के हिसाब से देखें तो क्या आपको पता है कि इस एक पैसे के कारण कितना नुकसान हुआ?

पेट्रोल जो पिछले 16 दिन से लगातार बढ़ रहा था आज 1 पैसे सस्ता हो गया है और इसे देखकर सोशल मीडिया से लेकर गली नुक्कड़ पर लगी पान की दुकान तक सिर्फ यही चर्चा चल रही है कि पेट्रोल और डीजल पूरे 1 पैसे.. जी हां पूरे 1 पैसे सस्ता कर दिया है. बुधवार को कीमतें 78.42 रुपए प्रति लीटर पेट्रोल दिल्ली में और 86.23 रुपए प्रति लीटर मुंबई में रही. यहीं डीजल 69.30 रुपए प्रति लीटर दिल्ली में और 73.78 रुपए प्रति लीटर मुंबई में रहा.

अब अगर यहां देखा जाए तो पेट्रोल और डीजल की कीमतों में आम आदमी के हिसाब से कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ा, लेकिन अगर सरकार और तेल कंपनियों के हिसाब से देखें तो क्या आपको पता है कि इस एक पैसे के कारण कितना नुकसान हुआ?

प्रति दिन का तेल आयात-

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्रति दिन 2017 में 4.2 मिलियन बैरल प्रति दिन इम्पोर्ट किए गए हैं. ये थॉमस रॉयटर्स इकॉन के ट्रेड फ्लो डेटा के मुताबिक रहा है.

1 बैरल पेट्रोल यानी 119 (119.240471) लीटर. प्रति दिन भारत में 42 लाख बैरल पेट्रोल मंगवाया जाता है यानि 50 करोड़ लीटर तेल की खपत पूरे देश में हर दिन हो रही है. ये आंकड़ा 2017 का है जहां पेट्रोल और डीजल की ग्रोथ अचानक काफी कम हो गई थी. 2016 में जहां 12 प्रतिशत ग्रोथ पेट्रोल की मांग में देखने को मिली थी वहीं 2017 में ये घटकर 7.4% रह गई. नतीजा सिर्फ 41000 बैरल प्रति दिन तेल का आयात बढ़ा.

क्या कहते हैं आंकड़े

ये ग्राफ रिसर्च फर्म मॉर्गन एंड स्टेनली का है. इसमें साफ देखा जा सकता है कि 2016 के मुकाबले 2017 में पेट्रोल प्रोडक्ट्स की मांग आधी रह गई. इसे कहीं न कहीं नोटबंदी से जोड़कर देखा जा रहा है. 2018 का डेटा अभी उपलब्ध नहीं है, लेकिन माना यही जा रहा है कि इस साल पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की...

पेट्रोल जो पिछले 16 दिन से लगातार बढ़ रहा था आज 1 पैसे सस्ता हो गया है और इसे देखकर सोशल मीडिया से लेकर गली नुक्कड़ पर लगी पान की दुकान तक सिर्फ यही चर्चा चल रही है कि पेट्रोल और डीजल पूरे 1 पैसे.. जी हां पूरे 1 पैसे सस्ता कर दिया है. बुधवार को कीमतें 78.42 रुपए प्रति लीटर पेट्रोल दिल्ली में और 86.23 रुपए प्रति लीटर मुंबई में रही. यहीं डीजल 69.30 रुपए प्रति लीटर दिल्ली में और 73.78 रुपए प्रति लीटर मुंबई में रहा.

अब अगर यहां देखा जाए तो पेट्रोल और डीजल की कीमतों में आम आदमी के हिसाब से कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ा, लेकिन अगर सरकार और तेल कंपनियों के हिसाब से देखें तो क्या आपको पता है कि इस एक पैसे के कारण कितना नुकसान हुआ?

प्रति दिन का तेल आयात-

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्रति दिन 2017 में 4.2 मिलियन बैरल प्रति दिन इम्पोर्ट किए गए हैं. ये थॉमस रॉयटर्स इकॉन के ट्रेड फ्लो डेटा के मुताबिक रहा है.

1 बैरल पेट्रोल यानी 119 (119.240471) लीटर. प्रति दिन भारत में 42 लाख बैरल पेट्रोल मंगवाया जाता है यानि 50 करोड़ लीटर तेल की खपत पूरे देश में हर दिन हो रही है. ये आंकड़ा 2017 का है जहां पेट्रोल और डीजल की ग्रोथ अचानक काफी कम हो गई थी. 2016 में जहां 12 प्रतिशत ग्रोथ पेट्रोल की मांग में देखने को मिली थी वहीं 2017 में ये घटकर 7.4% रह गई. नतीजा सिर्फ 41000 बैरल प्रति दिन तेल का आयात बढ़ा.

क्या कहते हैं आंकड़े

ये ग्राफ रिसर्च फर्म मॉर्गन एंड स्टेनली का है. इसमें साफ देखा जा सकता है कि 2016 के मुकाबले 2017 में पेट्रोल प्रोडक्ट्स की मांग आधी रह गई. इसे कहीं न कहीं नोटबंदी से जोड़कर देखा जा रहा है. 2018 का डेटा अभी उपलब्ध नहीं है, लेकिन माना यही जा रहा है कि इस साल पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की मांग बढ़ गई है. फिर भी अगर 2017 के डेटा के मुताबिक आंकलन करें तो भी 1 पैसे की कमी का मतलब करोड़ों होगा.

क्या मतलब हुआ 1 पैसे कम होने का?

ज़ी बिजनेस की रिपोर्ट के मुताबिक पेट्रोल और डीजल के दामों में 1 रुपए की कटौती का मतलब है सरकार का रेवेन्यू 110 बिलियन रुपए कम हो जाएगा. यानी 1 पैसे कम होने पर उसका 1% यानी लगभग 1.1 बिलियन रुपए कम हो जाएगा. इसे 365 दिन के हिसाब से देखें तो ये लगभग 31 लाख रुपए प्रति दिन का हिसाब बैठता है. यानी इतना नुकसान हर दिन हो रहा है.

यहां एक बात पर गौर करना जरूरी है कि ये अनुमानित आंकड़ा है. इसे अपनी ही गणना के हिसाब से देखते हैं. अब अगर 1 बैरल 119 लीटर के हिसाब से देखें तो 50 करोड़ लीटर तेल की खपत पूरे भारत में होती है, इसमें पेट्रोल, डीजल, केरोसीन सभी कुछ शामिल है और इसलिए हमें पूरा आंकलन ठीक से नहीं मिलेगा. capitalmind.in की 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 40% फ्यूल के तौर पर डीजल इस्तेमाल होता है. और एवरेज पेट्रोल की खपत 12% ही है. यानी 42 मिलियन बैरल का 52% हिस्सा. 2.1 मिलियन बैरल. अगर लीटर में देखें तो ये 26 करोड़ लीटर होगा.

तो औसतन 26 करोड़ लीटर पेट्रोल और डीजल पूरे भारत में इस्तेमाल किया जाता है एक दिन में. इसे अगर 1 पैसे से तौला जाए तो 26 लाख रुपए का नुकसान पूरे दिन में हो रहा है. अनुमान दोनों ही आस पास हैं. मतलब 26 से 30 लाख रुपए का नुकसान कर 1 पैसे पेट्रोल के दाम कम किए गए हैं.

अब लोग यहां कहेंगे कि मोदी सरकार अपने मुनाफे के लिए पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने दे रही है. तो ऐसा न तो पूरी तरह सही है और न पूरी तरह गलत. पहली बात तो पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दाम काफी हद तक क्रूड ऑयल के दामों पर निर्भर करते हैं जो इस समय 75$ प्रति बैरल के आस-पास चल रहा है जो थोड़ा तो महंगा है. दूसरी तरफ सिर्फ केंद्र ही नहीं बल्कि राज्य सरकारें भी इस बढ़ी हुई कीमत के लिए जिम्मेदार हैं. मोदी सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी उतनी ही जिम्मेदार हैं. जो अपना टैक्स कम कर कम से कम अपने राज्य में तो तेल की कीमतें गिरा सकती हैं.

अगर सरकार ये तर्क देती है कि पेट्रोल के दाम क्रूड ऑयल के दामों की वजह से बढ़ रहे हैं तो ये तर्क भी सरकार के खुद फंस सकती है क्योंकि भले ही क्रूड ऑयल 75.35 डॉलर हो, लेकिन ये आंकड़ा 23 अप्रैल की कीमतों के पास ही है जब क्रूड ऑयल 75.03 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया था. बीच में ये 79.61 डॉलर पर पहुंचा और तब दाम बढ़े, लेकिन अब कम भी हो गया है तो दाम भी उसी हिसाब से कम होने चाहिए. जो नहीं हुए.

पर अगर 1 पैसे का गणित देखें तो हां, सरकार को कोष में नुकसान तो हुआ है. ये एक पैसा आम आदमी के लिए कुछ भी नहीं, लेकिन सरकार के लिए 30 लाख का सवाल है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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