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राम के आंगन में लंकाई संस्कृति, भू माफियाओं की भूख में कैसे गायब हो रहे हैं रामनगरी के गांव!

    • ओम प्रकाश सिंह
    • Updated: 06 दिसम्बर, 2022 04:14 PM
  • 06 दिसम्बर, 2022 04:14 PM
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अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद वहां कई गांवों को नगर निगम का हिस्सा बनाया गया है. इस वजह से जमीन से जुड़े कई भ्रष्टाचार के मामले नजर आ रहे हैं. भू माफिया जमीनों की खरीद फरोख्त में करोड़ों का मुनाफा कमा रहे हैं. कुछ चीजें नियमों को ताक पर रखकर की जाती हैं और इसका बहुत बुरा असर गांवों पर पड़ रहा है.

विकसित हो रही रामनगरी की चमक से अयोध्या जनपद के गांवों की लालटेनें बुझ रही हैं. भू माफियाओं की भूख में गांव के गांव अभिलेखों से गायब हो रहे हैं. जमीनों की बढ़ती कीमतों की चकाचौंध ने राम के आंगन में लंकाई संस्कृति को जन्म दे दिया है. जमीनी मामलों से बढ़ रहे अपराधों ने पुलिस के सामने दोहरी चुनौती पेश कर दिया है.

रामजन्मभूमि परिसर का फैसला हिंदुओं के पक्ष में आते ही लक्ष्मी के पुजारियों की निगाहें रामनगरी पर गड़ गई थीं. व्यापारिक गतिविधियों के लिए जमीनों की आवश्यकता से भूमाफियाओं के कॉकस का जन्म हुआ. कॉकस में सफेदपोश, बड़े अधिकारी, नजूल तहसील के कारिंदे, भ्रष्ट तरीकों से अर्जित पूंजी के कुबेर शामिल हैं. रामनगरी की शहरी पावन भूमि जिस तरह बेची, लूटी गई वह जगजाहिर है. अयोध्या सांसद ने तो बकायदा मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर एसआईटी जांच की मांग कर डाली थी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या दौरे में एक भाजपाई जनप्रतिनिधि पर जमीन खरीद फरोख्त का इल्जाम भी धर दिया था, लेकिन भू माफियाओं के खिलाफ कारवाई की सारी कवायद हवा हवाई रह गई. भाजपा के एक नेता ने तो प्रधानमंत्री पोर्टल पर भी शिकायत जड़ दी, वह भी खानापूर्ति बन गई.

शहरी इलाकों की जमीनों का रस लेने के बाद भू माफियाओं ने भूख मिटाने के लिए गांवों को निगलना शुरू कर दिया है. दो तीन लाख बीघा बिकने वाली जमीनों की कीमत अस्सी लाख से ऊपर तक हो गई हैं. पैसे की चमक में खोकर किसान जमीन बेच भूमिहीन हो रहे हैं. जमीनों की खरीद फरोख्त ने राम के आंगन में लंकाई संस्कृति को जन्म दे दिया है. बलात कब्जा करना, जबरन जमीनों को लिखाना, ज्यादा भाव लगाकर कम देना, अभिलेखों में हेराफेरी, नजूल, ग्राम समाज,तालाबों की जमीनों का भी बैनामा सरकारी कृपा से फलित हो रहा है.

अयोध्या

औने-पौने दाम में...

विकसित हो रही रामनगरी की चमक से अयोध्या जनपद के गांवों की लालटेनें बुझ रही हैं. भू माफियाओं की भूख में गांव के गांव अभिलेखों से गायब हो रहे हैं. जमीनों की बढ़ती कीमतों की चकाचौंध ने राम के आंगन में लंकाई संस्कृति को जन्म दे दिया है. जमीनी मामलों से बढ़ रहे अपराधों ने पुलिस के सामने दोहरी चुनौती पेश कर दिया है.

रामजन्मभूमि परिसर का फैसला हिंदुओं के पक्ष में आते ही लक्ष्मी के पुजारियों की निगाहें रामनगरी पर गड़ गई थीं. व्यापारिक गतिविधियों के लिए जमीनों की आवश्यकता से भूमाफियाओं के कॉकस का जन्म हुआ. कॉकस में सफेदपोश, बड़े अधिकारी, नजूल तहसील के कारिंदे, भ्रष्ट तरीकों से अर्जित पूंजी के कुबेर शामिल हैं. रामनगरी की शहरी पावन भूमि जिस तरह बेची, लूटी गई वह जगजाहिर है. अयोध्या सांसद ने तो बकायदा मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर एसआईटी जांच की मांग कर डाली थी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या दौरे में एक भाजपाई जनप्रतिनिधि पर जमीन खरीद फरोख्त का इल्जाम भी धर दिया था, लेकिन भू माफियाओं के खिलाफ कारवाई की सारी कवायद हवा हवाई रह गई. भाजपा के एक नेता ने तो प्रधानमंत्री पोर्टल पर भी शिकायत जड़ दी, वह भी खानापूर्ति बन गई.

शहरी इलाकों की जमीनों का रस लेने के बाद भू माफियाओं ने भूख मिटाने के लिए गांवों को निगलना शुरू कर दिया है. दो तीन लाख बीघा बिकने वाली जमीनों की कीमत अस्सी लाख से ऊपर तक हो गई हैं. पैसे की चमक में खोकर किसान जमीन बेच भूमिहीन हो रहे हैं. जमीनों की खरीद फरोख्त ने राम के आंगन में लंकाई संस्कृति को जन्म दे दिया है. बलात कब्जा करना, जबरन जमीनों को लिखाना, ज्यादा भाव लगाकर कम देना, अभिलेखों में हेराफेरी, नजूल, ग्राम समाज,तालाबों की जमीनों का भी बैनामा सरकारी कृपा से फलित हो रहा है.

अयोध्या

औने-पौने दाम में खरीदी गई जमीनों को करोड़ों की बनाने का गोरखधंधा

लंकाई संस्कृति की बानगी देखिए रामजन्म भूमि ट्रस्ट के लिए खरीदी गई जमीन चंद दिनों में करोड़ो की हो जाती है. साठ लाख में हुए जमीन के एक सौदे में विक्रेता इक्कीस लाख नकद लेकर रजिस्ट्री आफिस से बिना बैनामा फरार हो जाता है. रौनाही थाने में एफआईआर दर्ज है. पूराकलंदर थानाक्षेत्र में एक जमीन के सौदे में पैसा लेने के बाद विक्रेता परिवार की तरफ से क्रेता के खिलाफ ही एक सदस्य के अपहरण की सूचना पुलिस को दी गई है. रौनाही थाना क्षेत्र के एक मामले में वकीलों ने थानाध्यक्ष व सीओ को सस्पेंड करने की मांग को लेकर आंदोलन छेड़ दिया है. फायरिंग, मारपीट की घटनाएं अक्सर मीडिया की सुर्खियां बनती हैं. राजस्व के इन मामलों में पुलिस के लिए दोहरी चुनौती खड़ी हो गई है. एक तरफ भू माफियाओं के कॉकस का दबाव है तो दूसरी तरफ कानून का पालन करने की प्रतिज्ञा.

गावों के लुप्त होने का हाल यह है कि पांच साल पहले गठित नगर निगम अयोध्या को अपना सीमा विस्तार करना पड़ गया. मंदिर के चलते विकसित होती रामनगरी व शहरीकरण की संस्कृति में इकतालीस गांव विलीन होकर नगरनिगम का हिस्सा बन गए. अयोध्या के विकास का जो खाका खींचा गया है उसमें एक रिंगरोड प्रस्तावित है, इसके लिए शासन जमीनों की खरीद फरोख्त कर रहा है. रिंग रोड के बनने से सैकड़ों गांव अपना स्वरूप खोकर कंक्रीट के जंगल बन जाएंगे. रिंग रोड की घोषणा होते ही भू माफियाओं ने सरकार से पहले ही जमीनों की खरीद फरोख्त शुरू कर दिया है. काली कमाई के ग्राहकों को बैनामा करने के लिए कम दाम पर एंग्रीमेंट हो रहे हैं. ऐसा ही चलता रहा तो यह कथन बदल जाएगा कि भारत गांवों का देश है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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